पर्व/ त्यौहार

रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई? जाने रक्षा बंधन का इतिहास

हर वर्ष रक्षाबंधन का त्यौहार (Raksha Bandhan In Hindi) श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह त्यौहार ज्यादातर अगस्त महीने या उसके आसपास में आता है। इस दिन सभी बहने अपने भाई की कलाई पर राखी/ रक्षा सूत्र बांधती है तो भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं।

यह पवित्र पर्व एक भाई व बहन के बीच प्रेम को दिखाता है किंतु क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई? दरअसल इसकी शुरुआत एक पत्नी के द्वारा अपने पति को रक्षा सूत्र बांधने से हुई थी। आपमें से बहुत लोग यह सुनकर हैरान रह गए होंगे। इसलिए आज हम रक्षा बंधन का इतिहास (About Raksha Bandhan In Hindi), इसे मनाने की विधि, महत्व व भाई-बहन के लिए प्यार भरे संदेश इस लेख के माध्यम से आपके साथ सांझा करेंगे।

Raksha Bandhan In Hindi | रक्षाबंधन का त्यौहार

रक्षाबंधन जिसे राखी भी कह दिया जाता है, सनातन धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है। इस दिन सभी बहने अपने-अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है। इसी रक्षा सूत्र को ही राखी कहा जाता है। यह भाई-बहन के बीच के पवित्र रिश्ते को दिखाता है। अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर सभी बहने उनके दीर्घायु होने की कामना करती है। वहीं दूसरी ओर, अपनी बहन से राखी बंधवा कर सभी भाई अपनी बहन की जीवनभर रक्षा करने का वचन देते हैं।

जो महिलाएं विवाहित हैं, वे इस दिन अपने मायके आकर अपने भाई को राखी बांधती हैं। वहीं भाई के द्वारा उन्हें भेंट स्वरुप कुछ ना कुछ उपहार दिया जाता है। रक्षाबंधन का त्यौहार हर वर्ष सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हालाँकि इस दिन को भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक माना जाता है लेकिन इसकी शुरुआत पति-पत्नी से हुई थी। फिर बाद में श्रीकृष्ण ने इसे भाई-बहन के बीच का त्यौहार बना दिया था। आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं।

रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई?

जैसा कि आपने ऊपर जाना कि रक्षाबंधन के त्यौहार की शुरुआत पति-पत्नी के द्वारा की गई थी। तो वे पति-पत्नी कोई और नहीं बल्कि स्वयं देवराज इंद्र और उनकी पत्नी इंद्राणी थी। बात सतयुग के समयकाल की है जब देवताओं और दानवों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया था। उस समय देवराज इंद्र अपने गुरु बृहस्पति से आशीर्वाद लेने गए हुए थे। जब वे अपने गुरु का आशीर्वाद लेकर देवासुर संग्राम में जाने लगे तभी उनकी पत्नी इंद्राणी भी वहाँ आ गई।

इंद्राणी ने एक रक्षा सूत्र को मंत्रों के द्वारा अभिमंत्रित किया और उसे इंद्र देव की कलाई पर बाँध दिया। इसके माध्यम से उन्होंने देवासुर संग्राम में इंद्र देव के सुरक्षित रहने और विजयी होने की कामना की। इसके बाद इंद्र देव ने ना केवल वह युद्ध जीता बल्कि सकुशल घर भी लौटे। इस तरह से रक्षाबंधन की शुरुआत हुई थी।

हालाँकि इसकी आधिकारिक शुरुआत करने का श्रेय द्वापर युग में श्रीकृष्ण को दिया जाता है। इसके बाद ही यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक बन गया था। जब श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध कर दिया था तब उनकी ऊँगली चोटिल हो गई थी। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी ऊँगली पर बांधा था। बाद में द्रौपदी चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने भाई होने का कर्तव्य निभाते हुए द्रौपदी के मान-सम्मान की रक्षा की थी।

About Raksha Bandhan In Hindi | रक्षा बंधन का इतिहास

ऊपर आपने रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई, इसके बारे में जानकारी ले ली है। अब हम इतिहास में दर्ज कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के माध्यम से आपको रक्षाबंधन का इतिहास बताने जा रहे हैं। इसमें पहली कथा माता लक्ष्मी और राजा बलि की है तो वहीं अन्य घटनाओं का संबंध सिकंदर-राजा पोरस व रानी कर्णावती-हुमायूँ से है। आइए उनके बारे में जान लेते हैं।

  • माता लक्ष्मी व राजा बलि की कहानी

जब भगवान विष्णु बलि की दानवीरता से बहुत प्रसन्न हुए तो उन्होंने उसे वरदान मांगने को कहा। बलि ने उन्हें अपने साथ पाताल लोक में रहने को कहा। तब माता लक्ष्मी पाताल लोक गई और बलि को रक्षा सूत्र बांधकर उसे अपना भाई बना लिया। इसके बाद ही भगवान विष्णु पुनः अपने धाम वैकुंठ लौट पाए थे।

  • आक्रांता सिकंदर व राजा पोरस की कहानी

सिकंदर की पत्नी रोक्साना राजा पोरस की वीरता से परिचित थी और उसे युद्ध में अपने पति सिकंदर के मारे जाने का भय था। इसलिए उसने राजा पोरस को अपना भाई मानते हुए उनकी कलाई पर राखी बाँधी थी। इसके साथ ही उसने राजा पोरस से अपने पति को नहीं मारने का वचन ले लिया था। इस वचन को राजा पोरस ने निभाया भी था।

  • रानी कर्णावती व दुष्ट हुमायूँ की कहानी

जब बहादुर शाह जफर ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया तब रानी कर्णावती को सहायता की आवश्यकता थी। इस कारण उन्होंने आक्रांता व दिल्ली के दुष्ट शासक हुमायूँ को राखी भेजी। हालाँकि हुमायूँ ने अपनी सेनाओं को देरी से भेजा था जिस कारण उस युद्ध में रानी कर्णावती की सेना हार गई थी। वहीं रानी कर्णावती ने सभी महिलाओं सहित जौहर कर लिया था।

तो यह था रक्षा बंधन का इतिहास (About Raksha Bandhan In Hindi) व उससे जुड़ी विभिन्न घटनाएँ। इसमें से कुछ घटनाएँ हमें अलग तरीके से बताई जाती है और भ्रमित करने का प्रयास किया जाता है। इसमें सबसे मुख्य घटना रानी कर्णावती की है जिसमें हमें पढ़ाया जाता है कि हुमायूँ ने उनकी रक्षा करने के लिए सेना भेजी थी। जबकि सच्चाई इसके विपरीत थी। उसने पहले रानी कर्णावती की हार होने की प्रतीक्षा की और फिर दुर्बल हो चुकी बहादुर शाह जफर की सेना को हराकर चित्तौड़ पर कब्ज़ा कर लिया था।

रक्षा बंधन कब से और क्यों मनाया जाता है?

वैसे तो रक्षाबंधन का त्यौहार (Raksha Bandhan In Hindi) सतयुग में शुरू हो गया था लेकिन आधिकारिक तौर पर यह तब शुरू हुआ था जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण के साथ रक्षाबंधन मनाने की शुरुआत की थी। इसलिए यदि यह प्रश्न पूछा जाए कि रक्षाबंधन कब से शुरू हुआ तो यह श्रीकृष्ण व द्रौपदी के समयकाल का माना जाएगा। अब हम यह जान लेते हैं कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है।

आजकल जब हम अपने चारों ओर देखते हैं तो पाते हैं कि इस पर्व को लोगों ने मुख्यतया महँगी राखियों तथा उपहारों तक ही सीमित कर दिया है जो कि पूर्णतया अनुचित है। यह पर्व एक भाई व बहन के बीच प्रेम का पर्व होता है। यदि इस दिन बहन प्रेम भावना से अपने भाई की कलाई पर एक धागा भी बांध दे तो वह विश्व की सभी महँगी राखियों से अनमोल माना जाता है।

इसी के साथ यदि भाई अपनी बहन को यह आश्वासन दे कि वह किसी भी समय कोई भी बात अपने भाई के साथ साँझा कर सकती है तथा उसका भाई हमेशा उसके साथ खड़ा है तो वह विश्व के सभी महंगे उपहारों से भी अनमोल होता है। इसलिए इस पर्व को मनाते समय इसके महत्व तथा उद्देश्य को अवश्य ध्यान में रखें, ना कि मिथ्या विज्ञापनों तथा आधुनिक मानसिकता के बहकावे में आएं।

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?

रक्षाबंधन के लिए हर वर्ष शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। इसलिए सबसे पहले तो आप शुभ मुहूर्त को देखें और उसी दौरान अपने भाई की कलाई पर राखी बांधें। सबसे पहले तो बहन को एक राखी का चुनाव करना होता है जिसे वह अपने भाई की कलाई पर बांधने वाली है। रक्षा बंधन वाले दिन बहने एक पूजा की थाली लें और उसमें रोली, मोली, अक्षत, मिठाई व राखी रखें। इस थाली में दीपक को भी प्रज्ज्वलित करें।

भाई एक जगह बैठ जाएं और बहने खड़े होकर उनकी पूजा करें। सबसे पहले तो बहनों को अपने भाई का तिलक करना है। अब उन्हें मिठाई या गुड़ खिलाकर उनकी आरती उतारनी है। फिर उनके दाएं हाथ की कलाई में राखी या मोली का धागा बांधना है। वहीं भाई को अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देना है। इसी के साथ ही भाई उन्हें कुछ उपहार या पैसे दे सकते हैं।

अब यदि भाई-बहन पास में हैं तो कोई समस्या नहीं किंतु हमेशा ऐसा नहीं रहता है। जव बहन विवाहित हो जाती है तो वह अपने ससुराल चली जाती है। इस स्थिति में बहन अपने मायके आती है और भाई को राखी बांधती है। वहीं ऐसा संभव ना हो तो भाई अपनी बहन के ससुराल जाकर राखी बंधवाता है। यदि यह भी संभव नहीं है तो बहन पोस्ट के जरिए राखी अपने भाई को पहुँचाती है।

रक्षा बंधन बधाई संदेश

अब यदि आप रक्षाबंधन का त्यौहार (Raksha Bandhan In Hindi) मनाने के लिए अपने भाई या बहन के लिए एक प्यारा सा संदेश ढूंढ रहे हैं तो वह भी हम आपको यहीं देने वाले हैं। एक संदेश भाई के लिए है तो दूसरा बहन के लिए।

  • भाई के लिए

भाई हो तो तेरे जैसा,

एक पल में जो रूठ जाए तो दूसरे पल मान भी जाए,

जिद्द भी मुझसे ही करे तो प्यार भी मुझे ही दिखाए,

लेकिन अपनी बहना के लिए वो कुछ भी कर जाए।

  • बहन के लिए

छोटी हो या बड़ी लेकिन एक बहना होनी चाहिए,

माँ पापा की डांट से बचाने को एक बहना तो होनी चाहिए,

सबके सामने जो बात मैं बोल ना पाऊं,

वो बात बताने को एक बहना तो होनी ही चाहिए।

ऐसे ही अन्य संदेश पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

रक्षा बंधन कविता – बड़ी बहन के लिए

कभी-कभी सोचता हूँ अगर तू ना होती तो क्या होता,

बड़ी बहन बनकर जो कर्तव्य निभाती हो तुम,

मानो लगता है जैसे कि ईश्वर ने एक नही दो-दो माएं दी हैं,

कभी एक सख्त होती है तो दूसरी नरम,

एक डांट देती है तो दूसरी प्यार कर देती है,

कभी-कभी सोचता था कि मम्मी के ना होने पर भी सब खिलौने कौन जचा देता था,

अकेले में तो तुम डांट मारती थी लेकिन मम्मी के सामने सारा इल्जाम भी खुद पर ले लेती थी,

मेरी चीजों को पापा से अपने लिए कहकर मंगवा लेती थी फिर छुपके से मुझे लाकर दे देती थी,

सोचता हूँ तू ना होती तो कौन मुझे स्कूल में दोस्तों से पिटने से बचाता,

किसके सामने मैं अपनी बड़ी बहन का रौब दिखाता,

तुझसे ही मैंने अपनी मर्यादा में रहना सीखा,

दूसरो की बहनों की भी इज्जत करना सीखा,

तू नहीं होती तो पता नहीं आज क्या ही होता मैं,

आज अपने ससुराल में है पर लगता है जैसे कि अभी भी वही ममता का हाथ मेरे सिर पर है,

मम्मी पापा का ख्याल कब कैसे रखना है तू ना बताती तो कैसे होता,

कभी-कभी सोचता हूँ अगर तू ना होती तो क्या होता।

इस तरह से आप अपनी बड़ी बहन को यह कविता भेज सकते हैं। रक्षाबंधन का त्यौहार (Raksha Bandhan In Hindi) मनाने और अपनी छोटी बहन, बड़ा या छोटे भाई पर कविता पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

रक्षा बंधन गिफ्ट

यदि आप अपनी प्यारी सी बहन को कोई उपहार देना चाहते हैं तो उन्हें ऐसा उपहार दें जो उनके काम आए या जो उन्हें पसंद हो। जैसे कि रक्षा बंधन का मूल उद्देश्य अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देना होता है लेकिन क्या आप हर समय उसके साथ हो सकते हैं? इसलिए उसकी सुरक्षा के लिए क्यों ना आप उसे एक ऐसा उपहार दें जिससे वह अकेले में भी सुरक्षित अनुभव कर सके जैसे कि पेपर स्प्रे, स्टन गन्स इत्यादि।

ऐसी ही अन्य चुनिंदा उपहारों के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

भाई के अलावा राखी किसे बांधे?

यह आवश्यक नहीं कि आप केवल अपने भाई को ही राखी बांध सकती हैं। हिंदू धर्म के अनुसार महिलाएं सबसे पहले राखी ईश्वर को बांधती हैं। कई घरों में भगवान श्रीकृष्ण के छोटे रूप लड्डूगोपाल को भाई बनाकर उन्हें राखी बांधने की भी परंपरा है। इसी प्रकार आप अपने गुरुजनों को भी राखी बांध सकते हैं क्योंकि उन्हीं से हम सभी को शिक्षा मिलती है तथा यह समाज चलता है। ऐसे ही अन्य लोग जिन्हें आप राखी बांध सकते हैं, उसे जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

इस तरह से आज आपने रक्षा बंधन का इतिहास (About Raksha Bandhan In Hindi) सहित उसका महत्व, उद्देश्य व राखी से जुड़े विभिन्न संदेश व कविता पढ़ ली है। रक्षाबंधन से जुड़े अन्य लेख भी हमने लिखे हैं जिसके लिंक हमने इसी लेख में दिए हैं। आप उन्हें भी पढ़ सकते हैं।

रक्षाबंधन से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: रक्षा बंधन की असली कहानी क्या है?

उत्तर: रक्षा बंधन की असली कहानी एक नहीं बल्कि तीन-तीन है यह कहानियां देवराज इंद्र व उनकी पत्नी इंद्राणी, माता लक्ष्मी व पाताल लोक के राजा बलि तथा भगवान श्रीकृष्ण व द्रौपदी से जुड़ी हुई है

प्रश्न: रक्षाबंधन की शुरुआत कब और किसने की?

उत्तर: रक्षाबंधन की आधिकारिक शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग से की थी वे द्रौपदी को अपनी बहन मानते थे और द्रौपदी भी उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती थी

प्रश्न: रक्षा बंधन मनाने के पीछे क्या कहानी है?

उत्तर: रक्षा बंधन मनाने के पीछे की कहानी भगवान श्रीकृष्ण व द्रौपदी से जुड़ी हुई है द्रौपदी श्रीकृष्ण को अपना भाई मानती थी और उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती थी इसी रक्षा सूत्र की लाज उन्होंने द्रौपदी चीरहरण के समय रखी थी

प्रश्न: हम रक्षा बंधन क्यों मनाते हैं पूरी कहानी?

उत्तर: हम रक्षा बंधन एक नहीं बल्कि कई कारणों से मनाते हैं इसमें सबसे मुख्य कारण भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा अपनी धर्म बहन द्रौपदी के साथ रक्षाबंधन को मनाना है

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कृष्णा

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