शिक्षा व सुविचार

प्रेम क्या होता है? इसका क्या अर्थ है व इसे कैसे निभाया जाता है? जानिए प्रेम की परिभाषा

प्रेम क्या है? क्या आप समझते हैं कि जो कुछ महीनो में या कुछ वर्षों में या कुछ गलतियों के कारण या किसी घटना के कारण या किसी भी अन्य स्थिति के कारण बदल जाए या समाप्त हो जाए या भुला दिया जाए, वह प्रेम (Prem Ki Paribhasha Hindi Me) हैं? यदि आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं क्योंकि वह प्रेम नही हैं। हां, आप आज के modern शब्दों में उसे प्यार, मोहब्बत, इश्क, love इत्यादि की संज्ञा दे सकते हैं लेकिन वह प्रेम कदापि नही हो सकता।

अब जानते हैं प्रेम (Prem Kya Hai) क्या हैं। दरअसल प्रेम वह भावना हैं जो जब किसी को होती हैं, उसे सही अर्थों में तभी समझ आती हैं क्योंकि यह एक ऐसी भावना हैं जिसे शब्दों में शायद ही व्यक्त किया जा सके। फिर भी प्रयास अवश्य करूँगा…

दरअसल प्रेम ढूंढा नही (Prem Kaise Hota Hai) जाता, वह मिल जाता हैं; प्रेम किया नही जाता, हो जाता हैं; प्रेम जताया नही जाता, दिख जाता है; प्रेम में कुछ पाने की चाह नही होती बल्कि सब कुछ लुटा देने की चाह होती है; प्रेम में कुछ माँगा नही जाता, दिया जाता है; प्रेम भुलाया नही जा सकता, अनदेखा किया जा सकता है….

प्रेम की कोई सीमा नही होती, प्रेम की कोई (Sachcha Prem Kya Hai) उम्र नही होती, प्रेम का कोई रूप नही होता, वह कभी भी किसी को भी किसी से भी हो सकता है। कभी-कभी मनुष्य को किसी से प्रेम हो भी जाता है लेकिन उसको पता तक नही चलता कि वह उससे कितने प्रेम में है। यह प्रेम ज्यादातर उन लोगो को होता हैं जिन्होंने पहले कभी प्रेम का थोड़ा सा भी ना एहसास किया हो और ना ही देखा हो, ऐसे व्यक्ति से प्रेम में बहुत गलतियाँ होती हैं लेकिन क्या आपको पता हैं प्रेम का सबसे बड़ा आधार क्या हैं?

प्रेम का आधार हैं क्षमा व साथ (Prem Ki Paribhasha Kya Hai)। यदि आप अपने प्रेमी को क्षमा नही कर सकते तो वह प्रेम नही, केवल एक मोह/ आकर्षण/ Attraction था आपके लिए। किसी के रंग, रूप, चरित्र से आकर्षित हो जाना बहुत आसान हैं लेकिन वह समय के साथ-साथ या उस व्यक्ति के कुछ गलती कर देने या खुद का मन परिवर्तन होने या उससे बेहतर कोई मिल जाने से समाप्त हो जाता है। इसलिये क्षमा व साथ प्रेम का आधार होते हैं।

जब आप प्रेम में होते (Prem Ka Matlab Kya Hota Hai) हैं तो बहुत गलतियाँ होती हैं, आपका प्रेमी अनजाने में कई ऐसी गलतियाँ कर बैठेगा जिससे आपका हृदय तार-तार हो जाएगा, क्रोध आएगा लेकिन जहाँ सच्चा प्रेम होता हैं ना वहां क्षमा और साथ जरुरी हैं। आप अपने प्रेम का साथ कभी नही छोड़ेंगे, हालाँकि आप उससे नाराज़ हो सकते हैं, क्रोध कर सकते हैं, कुछ दिन उससे बात करना बंद कर सकते हैं, कोई और तरीका अपना सकते हैं लेकिन कभी उसका साथ नही छोड़ेंगे क्योंकि जो साथ ही छोड़ जाए तो वह प्रेम किस नाम का।

प्रेम एक ऐसी चीज़ (Prem Meaning In Hindi) हैं, जिसमे आत्म-सम्मान के कुछ मायने नही होते, वह धरे के धरे रह जाते है। प्रेम वह होता हैं जिसमे आप अपने प्रेमी के सामने एक खुली किताब होते हो और उस किताब का हर एक पन्ना वह पढ़ सकता है, प्रेम वह होता हैं जिसमे आप उनका तन नही बल्कि आँखें देखकर ही सिहर जाते है, प्रेम वह होता है, जिसमे आप शब्दों से ही नही मन से भी एक-दूसरे को समझ जाते है…. लेकिन चिंता की बात यह हैं कि जिससे आपको प्रेम हैं क्या उसको भी आपसे प्रेम हैं?

यह आवश्यक नही कि जिससे आपको प्रेम हो (Prem Kya Hota Hai In Hindi) उसे भी आपसे प्रेम हो, क्या पता वह केवल उसका आकर्षण हो, लेकिन क्या करे, जैसा हमने पहले बताया कि प्रेम किया नही जाता, वह हो जाता है। लेकिन प्रेम व आकर्षण में एक मुख्य अंतर हैं, यदि किसी कारणवश वह रिश्ता टूट जाता हैं तो आकर्षण वाले को आपसे कोई फर्क नही पड़ेगा, वह समय के साथ-साथ आपसे घृणा, नफरत करने लगेगा लेकिन प्रेम में इन भावनाओं का कोई स्थान नही।

अरे प्रेम तो बलिदान (Prem Kaisa Hota Hai) मांगता हैं। प्रेम इतना महान होता हैं कि यदि आपका प्रेमी आपके सामने आकर यह भी कहे कि मुझे तुमसे प्रेम नही बल्कि उससे प्रेम हैं तो आप सब कुछ भुलाकर अपने ईश्वर से यही प्रार्थना करेंगे कि उसे वह मिल जाए जो वह चाहता है। हालाँकि आप अपना प्रेम कभी भुला नही पाएंगे लेकिन मैंने कहां ना कि उसे अनदेखा अवश्य किया जा सकता है। समय के साथ-साथ वह आपके दिल में एक मार्मिक मीठी याद बनकर रह जाएगा जो समय बीतने के साथ-साथ धुंधला भी हो जाएगा लेकिन वह कभी भुलाया नही जा सकेगा और जिस पल आप उन क्षणों को फिर से याद करेंगे वह आपके समक्ष फिर से जीवंत हो उठेंगे।

अंत में बात समाप्त करते हुए कहूँगा कि प्रेमी के चले जाने के पश्चात उसे फिर से दूसरी बार प्रेम हो सकता हैं लेकिन वह बहुत कठिन (Prem Kaise Karte Hain) होता है क्योंकि उसके पहले प्रेम की जगह कोई भी नही ले सकता। उसके बाद उस मनुष्य के पास अपने पहले प्रेम की यादों को कमजोर करने का जरिया केवल उसकी संतान होती हैं क्योंकि खुद का एक अंश ही उसके पहले प्रेम को कमजोर कर सकता है। फिर से कहूँगा, प्रेम की व्याख्या अभी भी पूरी तरह से नही कर पाया क्योंकि इसे शब्दों में नही समेटा जा सकता….

कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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