आज हम भगवान शिव के शरभ अवतार (Sharabha Avatar In Hindi) के बारे में जानेंगे। भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार लेने की कथा तो हम सभी जानते हैं लेकिन भगवान के उस अवतार को शांत करने के लिए स्वयं भगवान शिव को भी अवतार लेना पड़ा था, इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते है। हालाँकि इस कथा का वर्णन विष्णु पुराण में नही मिलता है लेकिन शिव पुराण में इसका वर्णन किया गया है।
यह अवतार भगवान शिव का शरभ अवतार माना जाता है जो भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार से भी ज्यादा भयंकर था। आज हम आपको उसी शरभ अवतार की कथा (Sharabha Avatar Story In Hindi) के बारे में बताएँगे।
जन्म से ही प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था लेकिन उसके पिता हिरण्यकश्यप विष्णु को भगवान नही मानता था। उसने तीनों लोकों में स्वयं को भगवान घोषित किया हुआ था। अपने पुत्र के विष्णु भक्त होने के कारण हिरण्यकश्यप ने कई बार उसका वध करने का प्रयास किया था। किंतु भगवान विष्णु हमेशा अपने भक्त प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा कर लेते थे लेकिन उनका क्रोध दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था। एक दिन उनके संयम की सीमा समाप्त हो गयी।
उसी क्रोध में उन्होंने नरसिंह अवतार लिया जो कि अत्यधिक भयानक था। उसका आधा शरीर सिंह का तथा बाकि का आधा शरीर मनुष्य का था। वह दिखने में अत्यधिक भयानक, फुंफकार करता हुआ तथा बड़े-बड़े नाखूनों वाला था। उन्होंने अपने इन्हीं नाखूनों की सहायता से हिरण्यकश्यप का पेट फाड़ दिया तथा उसका वध कर दिया।
विष्णु पुराण के अनुसार यह कथा यही समाप्त हो जाती हैं। उसमे लिखा हैं कि इसके पश्चात प्रह्लाद भगवान नरसिंह का क्रोध शांत करते है। भगवान नरसिंह भी अपने भक्त प्रह्लाद को अत्यधिक स्नेह देते हैं तथा उन्हें अपने पिता का उत्तराधिकारी घोषित करके वापस श्रीहरि में समा जाते हैं। किंतु शिवपुराण में हिरण्यकश्यप के वध के पश्चात अन्य प्रसंग लिखा हुआ है जो कि शिव के शरभ अवतार लेने से जुड़ा है। आइये उसी के बारे में जानते हैं।
जब भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया तब भी उनका क्रोध शांत नही हुआ। वे क्रोध में इधर-उधर विचरण करने लगे तथा सृष्टि का विनाश करने लगे। उनके क्रोध से पूरी धरती थरथराने लगी थी। सभी देवताओं तथा दैत्यों में भय व्याप्त हो गया था तथा किसी में भी इतना साहस नही था कि वह उनके उस भयंकर अवतार के पास जा सके। स्वयं प्रह्लाद भी भगवान नरसिंह का क्रोध शांत करवाने में असफल हुए थे। आइए जानते हैं तब क्या हुआ।
इसके पश्चात भगवान विष्णु अपने उस शरीर को छोड़कर वापस श्रीहरि में समा गए। उन्होंने शरभ अवतार से वापस अपने आदि अवतार में आने की प्रार्थना की। भगवान विष्णु के इतना कहने पर ही शरभ अवतार अपने भगवान शिव रुपी अवतार में आ गया। भगवान शिव ने उन्हें बताया कि उन्होंने यह अवतार केवल नरसिंह अवतार को शांत करने तथा सृष्टि के कल्याण के उद्देश्य से धारण किया था। यहीं पर शरभावतार की कथा (Sharabha Avatar Story In Hindi) समाप्त हो जाती है।
इस कथा तथा शरभ अवतार (Sharabha Avatar In Hindi) से भगवान शिव ने यह शिक्षा दी कि हम अपने क्रोध को किस प्रकार शांत कर सकते है। भगवान विष्णु अपने भक्त प्रह्लाद पर दिन-प्रतिदिन हो रही यातनाओं से इतने व्यथित थे कि एक दिन उनका क्रोध फूट पड़ा लेकिन अपना लक्ष्य पूरा करने के पश्चात भी उनका क्रोध शांत नही हो रहा था।
इस पर भगवान शिव ने उससे भी भयंकर तथा क्रोधित रूप धारण किया लेकिन अपना लक्ष्य पूर्ण होने के पश्चात वे आसानी से अपने असली रूप में आ गए। इस प्रकार भगवान शिव ने मानव जाति को संदेश दिया कि किस प्रकार हमें क्रोध को स्वयं पर हावी होने देने से बचना चाहिए तथा किसी भी स्थिति में क्रोध को शांत कर लेना चाहिए।
कुछ लोग भगवान शिव के इस अवतार को नही मानते हैं तथा उनके अनुसार यह केवल एक मनगढ़ंत कथा है। यह कथा केवल भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को कमतर आंकने तथा उन्हें नीचा दिखाने के उद्देश्य से कही गयी है। उनके अनुसार हिरण्यकश्यप का वध करने के पश्चात भगवान नरसिंह का अवतार प्रह्लाद के कहने पर अपने आप शांत हो जाता है तथा उसका राजभिषेक करके श्रीहरि में समा जाता है। हालाँकि दोनों ही कथाएं प्रसिद्ध हैं। एक का वर्णन विष्णु पुराण में तो दूसरी का वर्णन शिव पुराण में मिलता है। हमें इस पर वाद-विवाद करने की बजाये इनसे मिली शिक्षा को ग्रहण करना चाहिए।
हालाँकि इसके बाद की भी कुछ कथाएं प्रचलित हैं जिसमे शिव के शरभ अवतार (Sharabha Avatar In Hindi) लेने के बाद भगवान विष्णु एक और अवतार लेते हैं जिसका नाम गंडभेरुंड होता है। तब माँ आदिशक्ति दोनों को शांत करवाने के उद्देश्य से अपना सबसे उग्र रूप प्रत्यंगिरा धारण करती हैं और दोनों को शांत करवाती हैं।
शरभ अवतार से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: भगवान शिव ने शरभ अवतार क्यों लिया?
उत्तर: भगवान नरसिंह के द्वारा हिरण्यकश्यप का वध करने के बाद भी उनका क्रोध शांत नहीं हो रहा था। ऐसे में भगवान शिव ने शरभ अवतार लेकर नरसिंह अवतार का वध कर दिया था।
प्रश्न: शिव ने शरभा अवतार क्यों लिया?
उत्तर: शिव ने शरभ अवतार भगवान नरसिंह के क्रोध को शांत करने और उन्हें पुनः श्रीहरि में समाने के उद्देश्य से लिया था। इस अवतार के माध्यम से उन्होंने नरसिंह अवतार से भयंकर युद्ध किया था।
प्रश्न: शरभा के अवतार को किसने मारा?
उत्तर: मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के शरभ अवतार का वध भगवान विष्णु के गंडभेरुंड अवतार ने किया था। हालाँकि यह अधिकृत रूप से नहीं कहा जा सकता है।
प्रश्न: शरभा का भगवान कौन है?
उत्तर: शरभ भगवान शिव का ही एक अवतार है। यह अवतार उन्होंने भगवान नरसिंह के क्रोध को शांत करने के उद्देश्य से लिया था।
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Jai ho sanatan ki dharam ka Jai ho adharma ka nash ho.