धर्म स्थल

हिमाचल के कुल्लू में स्थित श्रृंगी ऋषि मंदिर व उनका आश्रम

आज हम आपको हिमाचल में स्थित शांता देवी मंदिर (Shanta Devi Mandir) के बारे में बताने वाले हैं। हम सभी ने रामायण या तो पढ़ी होगी या सुनी होगी या फिर किसी धारावाहिक के माध्यम से देखी होगी। कुल मिलाकर हम सभी भगवान श्रीराम की जीवनी व उनके परिवार से भलीभांति परिचित हैं। किंतु क्या आप जानते हैं कि श्रीराम की एक बहन भी थी जो सभी भाइयों में सबसे बड़ी बहन थी?

जी हां, सही सुना आपने। दशरथ व कौशल्या की सबसे पहली संतान एक पुत्री थी जिनका नाम शांता था। उन्ही को समर्पित एकमात्र मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बंजार नामक गाँव में स्थित हैं। इसे श्रृंगी ऋषि मंदिर (Shringi Rishi Mandir) या आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। आइए शांता व शृंग ऋषि के इस मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी ले लेते हैं।

शांता देवी मंदिर (Shanta Devi Mandir)

यह श्रृंगी ऋषि मंदिर मुख्य रूप से शांता माता के पति शृंग ऋषि को समर्पित हैं। खास बात यह हैं कि इसमें ऋषि व शांता दोनों के मुख एक ही मूर्ति में हैं जिनमें ऊपर वाला मुख शृंग ऋषि का तो नीचे वाला मुख शांता का हैं। इस मंदिर का निर्माण कार्य शृंग ऋषि के आदेश पर ही किया गया था। इसे शृंग मुनि का आश्रम भी कहते हैं क्योंकि यहीं पर वे रहा करते थे।

उस समय लोग इस आश्रम में पुत्र प्राप्ति की इच्छा से आते थे। इसका प्रसंग हमें रामायण में भी देखने को मिलता है। जब कई वर्षों तक राजा दशरथ की कोई संतान नहीं हुई तो वे शृंग ऋषि के आश्रम में ही जाते हैं। इसके बाद शृंग ऋषि ही राजा दशरथ को पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाते हैं। इससे उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति होती है जिनके नाम भगवान श्रीराम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न होते हैं।

इसके बाद से तो शृंग ऋषि और उनके आश्रम का महत्व बहुत बढ़ गया था। हर वर्ष हजारों लोग उनके आश्रम में पुत्र प्राप्ति की इच्छा से आने लगे थे। चूँकि उनकी पत्नी श्रीराम की बहन और राजा दश्रत्ढ़ व माता कौशल्या की प्रथम संतान थी। इस कारण उन्होंने अपने आश्रम में ही शांता देवी मंदिर (Shanta Devi Mandir) का भव्य निर्माण करवाया था। इसी के साथ ही उन्होंने यह अद्भुत मूर्ति लगवाई जिसमें दोनों पति-पत्नी एक साथ थे।

श्रृंगी ऋषि कहाँ है?

श्रृंगी ऋषि बंजार घाटी के मुख्य देवता है और लोग उन्हें ईश्वर तुल्य मानते हैं। उनका यह आश्रम भी वही पर स्थित है जो कुल्लू जिले से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस घाटी को बंजार घाटी बोला जाता है जबकि मंदिर जिस गाँव में स्थित है उसका नाम बागी गाँव है।

मंदिर में भगवान श्रीराम से जुड़े सभी उत्सव बहुत ही धूमधाम के साथ आयोजित किये जाते हैं। वही वर्ष में एक बार श्रृंगी मुनि घाटी का चक्कर लगाते हैं और उनके साथ शांता माता चांदी की छड़ी के रूप में साथ में होती है। मान्यता है कि इससे घाटी और वहां के लोगों की सुरक्षा होती है और स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।

दक्षिण रामायण में हैं शांता का उल्लेख

भगवान श्रीराम की सबसे बड़ी बहन होने की बात का उल्लेख वाल्मीकि द्वारा रचित मूल रामायण व तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस में देखने को तो नही मिलता लेकिन दक्षिण भारत की रामायण में इसका उल्लेख हैं। उन्हें दशरथ व कौशल्या की सबसे बड़ी पुत्री व श्रीराम और अन्य भाइयों की बड़ी बहन बताया गया हैं। राजा दशरथ ने इन्हें कौशल्या की बहन वर्षिणी को सौंप दिया था।

दरअसल मान्यता के अनुसार एक बार अंगदेश के राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी अयोध्या आये। वर्षिणी कौशल्या की बहन थी लेकिन उसे कोई संतान नहीं थी। ऐसे में राजा दशरथ ने उन्हें अपनी पुत्री शांता गोद दे दी थी। इस तरह से शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गई। बाद में राजा रोमपद ने शांता का विवाह प्रसिद्ध ऋषि श्रृंगी से करवा दिया था। आगे चलकर इन्हीं श्रृंगी ऋषि ने शांता के भाइयों के जन्म में अहम भूमिका निभाई थी।

पुत्र कामना पूरी करता है श्रृंगी ऋषि मंदिर (Shringi Rishi Mandir)

राजा दशरथ को पुत्र कमेष्टि यज्ञ उनके दामाद ऋषि श्रृंगी ने ही करवाया था। इसके फलस्वरूप उन्हें श्रीराम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न पुत्र रूप में प्राप्त हुए थे। इसलिए इस मंदिर में लोग पुत्र प्राप्ति का वरदान पाने के उद्देश्य से भी आते हैं। एक तरह से कहा जाए तो श्रृंगी ऋषि का यह आश्रम पुत्र प्राप्ति के कारण ही भक्तों में लोकप्रिय है।

ऐसे में यदि आप कुल्लू या उसके आसपास घूमने जाने का सोच रहे हैं तो आप भी वहां के प्रसिद्ध शांता देवी मंदिर (Shanta Devi Mandir) होकर आ सकते हैं

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

View Comments

  • बहुत बढ़िया जानकारी इस लेख में आपने दी है। कम ही लोग इस बारे में जानते हैं। आपको सनातन धर्म की इस जानकारी के लिए साधुवाद और बहुत बहुत बधाई। हम आपके इस आलेख को अपने न्यूज पोर्टल पर प्रकाशित करना चाहते हैं। यदि आपकी अनुमति हो तो🙏🙏🙏🙏

    • जी आप कर सकते हैं किन्तु हमें क्रेडिट देना मत भूलियेगा, आपका साधुवाद

Recent Posts

संतोषी मां चालीसा हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज के इस लेख में आपको संतोषी चालीसा (Santoshi Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म…

3 hours ago

वैष्णो देवी आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपके साथ वैष्णो देवी की आरती (Vaishno Devi Ki Aarti) का पाठ करेंगे।…

4 hours ago

तुलसी जी की आरती हिंदी में अर्थ सहित – महत्व व लाभ भी

आज के इस लेख में आपको तुलसी आरती (Tulsi Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ने…

6 hours ago

तुलसी चालीसा अर्थ सहित – महत्व व लाभ भी

आज हम तुलसी चालीसा (Tulsi Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे…

6 hours ago

महाकाली जी की आरती – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपके साथ महाकाली माता की आरती (Mahakali Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। जब…

2 days ago

महाकाली चालीसा इन हिंदी PDF फाइल व इमेज सहित डाउनलोड करें

आज हम आपके साथ श्री महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। जब भी…

2 days ago

This website uses cookies.