चालीसा

विंध्यवासिनी चालीसा हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपको विंध्यवासिनी चालीसा हिंदी में (Vindeshwari Chalisa) अर्थ सहित देंगे। माँ आदिशक्ति के कई रूप हैं और हर रूप भक्तों के लिए पूजनीय है। माँ के भिन्न-भिन्न रूप अलग-अलग महत्व रखते हैं और उन्हीं गुणों को आत्मसात करने के लिए या उद्देश्य प्राप्ति के लिए उनकी पूजा की जाती है।

इसी में माँ दुर्गा का एक रूप माँ विन्ध्येश्वरी बहुत ही महत्वपूर्ण है जिनका अस्तित्व इस सृष्टि से पहले भी था और बाद में भी रहेगा। यहीं कारण है कि आज के इस लेख में आपको विन्ध्येश्वरी चालीसा (Vindheshwari Chalisa) के अर्थ के साथ-साथ उसके पाठ से मिलने वाले लाभ और महत्व के बारे में भी बताएँगे। आइए सबसे पहले जानते हैं विंधेश्वरी चालीसा हिंदी में अर्थ सहित।

Vindeshwari Chalisa | विंध्यवासिनी चालीसा हिंदी में

॥ दोहा ॥

नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब।
सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब॥

हे विन्ध्येश्वरी माँ!! आपको हमारा नमन है, नमन है। हे जगदम्बे माँ!! आपको हमारा नमन है, नमन है। आप सज्जन लोगों के कामकाज को करने में देरी नहीं करती हैं और उन्हें तुरंत ही पूरा कर देती हैं।

॥ चौपाई ॥

जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदिशक्ति जगविदित भवानी॥

सिंह वाहिनी जै जगमाता। जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता॥

कष्ट निवारिनि जय जग देवी। जै जै सन्त असुर सुर सेवी॥

महिमा अमित अपार तुम्हारी। शेष सहस मुख वर्णत हारी॥

विन्ध्याचल पर्वत की रानी, आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप ही माँ आदिशक्ति और भवानी हो जिसे पूरा जगत जानता है। आपका वाहन सिंह है और आप जगत की माता हैं। आप तीनों लोकों में सुख प्रदान करने वाली हैं, इसलिए आपकी जय हो। आप हम सभी के कष्टों को दूर करती हो। संत, देवता व दैत्य सभी आपका गुणगान करते हैं। आपकी महिमा का वर्णन तो हजारों मुख मिलकर भी नहीं कर सकते हैं।

दीनन का दुःख हरत भवानी। नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी॥

सब कर मनसा पुरवत माता। महिमा अमित जगत विख्याता॥

जो जन ध्यान तुम्हारो लावै। सो तुरतहिं वांछित फल पावै॥

तू ही वैष्णवी तू ही रुद्रानी। तू ही शारदा अरु ब्रह्मानी॥

आप हमेशा ही दुखी लोगों के दुखों को दूर करती हैं और आपसे बड़ा कोई दानी नहीं है। आप हमारे मन की सभी इच्छाओं को पूरा करती हो और आपका वैभव संपूर्ण जगत में फैला हुआ है। जो भी आपका ध्यान करता है, उसे तुरंत ही उसका फल मिल जाता है। आप ही माँ लक्ष्मी, माँ पार्वती, माँ शारदा व माँ सरस्वती हो।

रमा राधिका श्यामा काली। तू ही मातु सन्तन प्रतिपाली॥

उमा माधवी चण्डी ज्वाला। बेगि मोहि पर होहु दयाला॥

तू ही हिंगलाज महारानी। तू ही शीतला अरु विज्ञानी॥

दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता। तू ही लक्ष्मी जग सुख दाता॥

आप ही माँ रमा, राधिका, श्यामा व काली हो। आप ही हम सभी की रक्षा करती हो। आप ही माँ उमा, माधवी, चंडी व ज्वाला हो। अब आप मुझ पर कुछ दया कीजिये। आप ही हिंगलाज की महारानी व शीतला माता के जैसे ज्ञान की देवी हो। आप ही माँ दुर्गा के जैसे विध्वंसक तथा लक्ष्मी माता के जैसे सुख देने वाली हो।

तू ही जान्हवी अरु उत्रानी। हेमावती अम्ब निर्वानी॥

अष्टभुजी वाराहिनी देवा। करत विष्णु शिव जाकर सेवा॥

चौसट्ठी देवी कल्यानी। गौरी मंगला सब गुणखानी॥

पाटन मुम्बा दन्त कुमारी। भद्रकालि सुनु विनय हमारी॥

आप ही माँ जाह्नवी, उत्रानी, हेमावती व अम्बा हो। आप ही आठ भुजाओं सहित माँ वाराहिनी देवी हो। आपकी तो स्वयं भगवान विष्णु व शिव सेवा करते हैं। आप माँ के चौंसठ रूप लिए माँ गौरी व मंगला हो। आप ही माँ पाटन, मुम्बा व दंतकुमारी हो। हे माँ भद्रकाली!! अब आप हमारी विनती सुन लीजिये।

बज्र धारिणी शोक नाशिनी। आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी॥

जया और विजया बैताली। मातु संकटी अरु विकराली॥

नाम अनन्त तुम्हार भवानी। वरनै किमि मानुष अज्ञानी॥

जापर कृपा मात तव होई। जो वह करै चहै मन जोई॥

आप बज्र को धारण करने वाली और हम सभी का दुःख दूर करने वाली हो। आप विंध्यवासिनी (Vindheshwari Chalisa) के रूप में हमारे जीवन की रक्षा करती हो। आप ही माँ जया व विजया हो और हम सभी के संकट दूर करती हो। आपके तो कई नाम हैं और मैं मूर्ख मनुष्य उन सभी को जान भी नहीं सकता हूँ। जिस पर भी माँ की कृपा होती है, उसके सभी काम बन जाते हैं।

कृपा करहु मोपर महारानी। सिद्ध करिए अब यह मम बानी॥

जो नर धरै मात तव ध्याना। ताकर सदा होय कल्याना॥

विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै। जो देवी कर जाप करावै॥

जो नर कहँ ऋण होय अपारा। सो नर पाठ करै शतबारा॥

निश्चय ऋण मोचन होई जाई। जो नर पाठ करै मन लाई॥

हे मातारानी!! अब आप मुझ पर भी कृपा कीजिये और मेरे सब काम बना दीजिये। जो भी मनुष्य माता विन्ध्येश्वरी का ध्यान करता है, उसका हमेशा ही कल्याण होता है। जो भी विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ करता है, उसके सपने में भी किसी तरह की विपत्ति नहीं आती है।

जिस भी व्यक्ति पर ऋण अत्यधिक चढ़ गया है, उसे माता विंध्यवासिनी चालीसा का सौ बार पाठ करना चाहिए। यदि वह सच्चे मन से माँ विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ कर लेता है तो वह ऋण मुक्त हो जाता है।

अस्तुति जो नर पढ़े पढ़ावै। या जग में सो अति सुख पावे॥

जाको व्याधि सतावै भाई। जाप करत सब दूर पराई॥

जो नर अति बन्दी महँ होई। बार हजार पाठ कर सोई॥

निश्चय बन्दी ते छुटि जाई। सत्य वचन मम मानहु भाई॥

जो भी व्यक्ति माँ विन्ध्येश्वरी स्तुति को पढ़ता है या दूसरों को सुनाता है, वह परम सुख को प्राप्त करता है। यदि आपको कोई रोग सता रहा है तो वह भी मातारानी की कृपा से दूर हो जाता है। यदि आप किसी जगह बंदी बना लिए गए हैं तो आपको रात में एक हज़ार बार विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ करके सोना चाहिए। वह व्यक्ति अपने आप ही बंधन मुक्त हो जाता है और यह परम सत्य है।

जापर जो कछु संकट होई। निश्चय देविहिं सुमिरे सोई॥

जा कहं पुत्र होय नहिं भाई। सो नर या विधि करे उपाई॥

पाँच वर्ष जो पाठ करावे। नौरातन महँ विप्र जिमावे॥

निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी। पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी॥

यदि आप पर किसी प्रकार का संकट आया है तो आपको निश्चित रूप से माँ विन्ध्येश्वरी देवी का ध्यान करना चाहिए। यदि किसी दंपत्ति को पुत्र प्राप्ति नहीं हो रही है तो उसे यह उपाय करना चाहिए। उसे पांच वर्ष तक माँ विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ करवाना चाहिए तथा नौरातन में विप्र को जिमाना चाहिए। इससे माँ विंध्यवासिनी प्रसन्न होकर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं।

ध्वजा नारियल आनि चढ़ावे। विधि समेत पूजन करवावे॥

नितप्रति पाठ करे मन लाई। प्रेम सहित नहिं आन उपाई॥

यह श्री विन्ध्याचल चालीसा। रंक पढ़त होवे अवनीसा॥

यह जनि अचरज मानहुँ भाई। कृपा दृष्टि जापर हुई जाई॥

जै जै जै जग मातु भवानी। कृपा करहु मोहि पर जन जानी॥

जो भी भक्तगण माँ विन्ध्येश्वरी को ध्वजा व नारियल चढ़ाता है, पूरे विधि-विधान के साथ और प्रतिदिन सुबह के समय सच्चे मन से विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ करता है, उसके सभी काम अपने आप ही बन जाते हैं। यदि निर्धन भी इस विन्धयेश्वरी चालीसा का पाठ करता है तो उस पर भी मातारानी की कृपा होती है। यह एक सत्य बात है और आपको इसे मानना होगा। हे माता भवानी!! आपकी जय हो और अब आप मुझ पर भी कृपा कीजिये।

इस तरह से आज आपने विन्ध्येश्वरी चालीसा (Vindheshwari Chalisa In Hindi) को हिंदी में अर्थ सहित पढ़ लिया है। अब हम विंध्यवासिनी चालीसा पढ़ने के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लेते हैं।

श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा का महत्व

ऊपर आपने माँ विन्ध्येश्वरी चालीसा पढ़ी और साथ ही उसका अर्थ भी जाना। तो इसे पढ़ कर अवश्य ही आपको यह समझ में आ गया होगा कि माँ विन्ध्येश्वरी का एक ही रूप नहीं है या उन्हें एक ही नाम से नहीं जाना जाता है बल्कि उनके कई रूप व कई नाम हैं। ऐसे में माँ विन्ध्येश्वरी साक्षात माँ दुर्गा का ही रूप हैं और इस रूप में उनकी महत्ता अत्यधिक बढ़ जाती है।

विन्ध्येश्वरी चालीसा के माध्यम से हम सभी को माँ के गुणों व महत्व के बारे में समझाने का प्रयास किया गया है। इससे हमें यह पता चलता है कि यदि हम सच्चे मन से माँ की पूजा करते हैं और उनका ध्यान करते हैं तो अवश्य ही हमें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। यही विन्ध्येश्वरी चालीसा का महत्व है।

विंध्यवासिनी चालीसा के लाभ

अंत में हम यह भी जानेंगे कि विन्ध्येश्वरी चालीसा या जिसे हम विंध्यवासिनी चालीसा भी कह सकते हैं, उसे पढ़ने से हमें क्या-क्या लाभ मिलते हैं। तो यहाँ हम आपको बता दें कि माँ के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माँ विंध्यवासिनी का भी है जो उत्तर प्रदेश राज्य में विन्ध्य पर्वत पर स्थित है। उसकी महत्ता इतनी अधिक है कि हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु वहां मातारानी के दर्शन करने हेतु आते हैं।

इसलिए यदि आप अपने घर पर ही नियमित रूप से माँ विन्ध्यवासिनी चालीसा का पाठ (Vindheshwari Chalisa In Hindi) करते हैं और सच्चे मन से माँ का ध्यान करते हैं तो माँ की कृपा दृष्टि आप पर होती है। इससे ना केवल आपका मन शांत व निर्मल होता है बल्कि आपके जीवन में जो भी कठिनाइयाँ आ रही थी, वह भी स्वतः ही दूर हो जाती है। आपके घर में भी सुख-समृद्धि में वृद्धि देखने को मिलती है तथा तनाव दूर होता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने विंध्यवासिनी चालीसा हिंदी में (Vindeshwari Chalisa) अर्थ सहित पढ़ ली है। साथ ही आपने विंध्यवासिनी चालीसा के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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कृष्णा

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