त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस आये थे तो वह पूरे वर्ष की सबसे काली रात थी जिसे हम कार्तिक मास की अमावस्या के नाम से जानते हैं। यह रात्रि वर्ष की सबसे घनघोर अँधेरे वाली रात थी लेकिन उस अँधेरे को भी अयोध्यावासियों ने असंख्य दीपक जलाकर रोशन कर दिया था। आज भी हम श्रीराम के अयोध्या आगमन की खुशी को वैसे ही अपने घर, मोहल्ले में दीपक जलाकर प्रकट करते है लेकिन क्यों।
इस क्यों से हमारा आशय यह हैं कि आज की आधुनिकता के जमाने में जब रोशनी के लिए इतने साधन उपलब्ध हैं तो उनके सामने दीपक का महत्व (Deepak Ka Mahatva) ही क्या है? जैसे कि आप रंग-बिरंगी लाइट्स ले लीजिये या चमकदार व विभिन्न आकृतियों के दीये। ये दिए भी मिट्टी के नही अपितु विभिन्न धातुओं, प्लास्टिक इत्यादि से बने होते हैं। साथ ही ना ही इनमे घी या तेल डालने का झंझट व ना ही हवा में बुझने की समस्या।
ये सब दिखने में इतनी रंग-बिरंगी रोशनी करते हैं कि आँखें चमक उठती है। साथ ही इनसे घर भी सुंदर दिखता है। आजकल बहुत घरो में व ज्यादातर शहरो में यह चीज़े देखने को मिलती हैं लेकिन फिर भी उन सभी आकर्षक चीजों के बीच क्यों आज भी हर घर में दीपावली के दिन दिए क्यों जलाए जाते हैं (Diwali Me Diya Kyu Jalate Hai) व क्यों ही उसे पूजा में रखा जाता हैं? जब बात रोशनी की ही हैं तो वह तो अन्य माध्यमो से भी हो रही हैं तो मिट्टी का दीया ही क्यों? आइए जानते हैं दीवाली पर मिट्टी के दीये का महत्व व उसकी उपयोगिता।
आज भी हम चाहे गाँव में रहे या शहर में या महानगरो में, जहाँ जीवन सरपट दौड़ता हैं लेकिन आपको दिवाली के दिन कोई भी घर ऐसा नही दिखेगा जहाँ मिट्टी का दीया ना जल रहा हो। किसी के घर में केवल मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं तो किसी के घर में शगुन के रूप में एक-दो मिट्टी के दीये जला ही दिए जाते हैं।
दरअसल इसके कई कारण हैं जो हमे इसकी उपयोगिता को दर्शाते हैं। इनका धार्मिक, आध्यात्मिक, पर्यावरण, प्रकृति इत्यादि हर क्षेत्र में महत्वपुर्ण योगदान होता हैं।
हिंदू धर्म में पंचतत्वो की महत्वपुर्ण भूमिका हैं तथा उसी के द्वारा ही संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना हुई है। यह पंचतत्व होते हैं जल, वायु, अग्नि, आकाश व भूमि। मिट्टी का दीया इन पांचो तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। उसके अंदर यह पांचो तत्व विद्यमान होते है। इस कारण इसकी महत्ता अत्यधिक बढ़ जाती है।
साथ ही जब इसे जलाया जाता हैं तो यह तीनो लोको व तीनो काल का भी प्रतिनिधित्व करता हैं। इसमें मिट्टी का दीया हमे पृथ्वी लोक व वर्तमान को दिखाता है जबकि उसमे जलने वाला तेल/घी भूतकाल व पाताल लोक का प्रतिनिधित्व करता हैं। जब हम उसमे रुई की बत्ती डालकर प्रज्जवलित करते हैं तो वह लौ आकाश, स्वर्ग लोक व भविष्यकाल का प्रतिनिधित्व करती है।
जो मन की शांति एक मिट्टी के दीये से मिलती हैं वह आपको इन रंग-बिरंगी रोशनी से कदापि नही मिल सकती। वह हमे सिखाता हैं कि किस प्रकार स्वयं जलकर दूसरो के जीवन में रोशनी लायी जाती हैं। आप कल्पना कीजिये यदि विश्व से बिजली समाप्त हो जाए तो आप रोशनी कैसे करेंगे। तो यह एक प्राकृतिक तरीका है जो कभी समाप्त नही होगा।
दीपावली की काली रात में एक दीपक किस प्रकार अपने चारो ओर एक सुंदर प्रकाश को फैलाता हैं वह देखने लायक होता है। यदि आप दीपक को ध्यान से देखेंगे तो अवश्य ही आपके मन को शांति मिलेगी व चेतना जागृत होगी।
दिवाली ऐसे समय में आती हैं जब वर्षा ऋतु समाप्त हो चुकी होती हैं तथा शरद ऋतु शुरू हो जाती हैं। ऐसे समय में वातावरण में कीट-पतंगे, मच्छर व अन्य जहरीले विषाणुओं की संख्या बढ़ जाती हैं। यह सभी हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं तथा हमे विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ दे जाते (Diwali Me Diya Kyu Jalate Hai) हैं।
दिवाली के दिन जब सरसों के तेल से मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं तो इन सभी जीवाणुओं का नाश हो जाता हैं व इनका प्रभाव भी कम हो जाता है। इसलिये दीपावली के दिन सभी घरो में एक साथ दीपक को प्रज्जवलित करने पर इन सभी कीट-पतंगों के नाश में सहायता मिलती है।
आजकल प्रकृति का दोहन बहुत बढ़ गया है लेकिन समय के साथ-साथ जब प्रकृति की चोट हम पर लगती हैं तब हमे उसका महत्व समझ आता हैं। अपने आप को आधुनिक मानकर जो दुनिया आगे बढ़ रही थी उसने अब अपने कदम रोक लिए है व वापस प्रकृति की ओर बढ़ने लगी हैं ताकि एक बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सके।
मिट्टी ही प्रकृति है तथा इसी मिट्टी के दीये जलाने से प्रकृति को कोई हानि नही। यदि यह दीये टूट भी जाते हैं या इन्हें फेंकना भी हो तो इसे नदी-नहर में बहा दिया जाता हैं जिससे प्रकृति को कोई नुकसान नही होता। दूसरी ओर प्लास्टिक इत्यादि धातुओं से बनी लाइट्स या दीये पर्यावरण के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं।
यह कारण तो आजकल सभी जानते हैं व इसे ज्यादा बताने की भी आवश्यकता नही है। मिट्टी के दीये हमारे देश के कुम्हारों के हाथो के द्वारा मनाये जाते हैं व जो रंग-बिरंगी लाइट्स/ दीये हम खरीदते हैं वह मुख्यतया चीन से ही आती है।
हर वर्ष सोशल मीडिया व अन्य माध्यमो से आपसे यही विनती की जाती हैं व आपको इसका लाभ बताया जाता हैं ताकि देश का पैसा देश में ही रहे। इसलिये प्रयास करे कि आप अपने देश के कुम्हारों के हाथ से बने मिट्टी के दीये ही खरीदे।
इन सब लाभों के साथ मिट्टी का दीया अप्रत्यक्ष रूप से हमे कई स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता हैं। इससे हमे शारीरिक व मानसिक लाभ दोनों मिलते है जैसे कि तनाव का दूर होना, चित्त का शांत होना, आध्यात्मिक बुद्धि का विकास होना, त्वचा के रोगों का दूर होना इत्यादि। इसलिये दीपावली के शुभ अवसर पर हमेशा अपने घर को मिट्टी के दीयो से ही प्रज्जवलित करे। इन सब कारणों से सनातन धर्म में मिट्टी के दीपक का महत्व (Deepak Ka Mahatva) सबसे ऊपर है।
दीपक के महत्व से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: दीपावली के दिन दिए क्यों जलाए जाते हैं?
उत्तर: दीपावली के दिन दिए जलाने का विशेष महत्व है। यह दिए पंचतत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं और साथ ही हमारे शारीरिक व मानसिक स्वस्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं।
प्रश्न: दिवाली पर दीये क्यों जलाए जाते हैं?
उत्तर: दिवाली पर दीये जलाए जाने के पीछे धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व है। त्रेता युग में लोगों के द्वारा भगवान श्रीराम के स्वागत में मिट्टी के दिए जलाए गए थे। साथ ही यह प्राकृतिक रूप से भी बहुत लाभदायक होते हैं।
प्रश्न: दीपावली में दिए का क्या महत्व है?
उत्तर: दीपावली में दिए जलने का धार्मिक, आध्यात्मिक, प्राकृतिक, आर्थिक, शारीरिक व मानसिक रूप से महत्व है। इन सभी के बारे में हमने इस लेख में विस्तार से बताया है।
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