दीपावली पर्व से जुड़ी संपूर्ण जानकारी: इतिहास, कथाएं, शिक्षा, महत्व, पूजा विधि व व्यंजन

About Diwali In Hindi

हम हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व (Diwali In Hindi) बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस दिन हर ओर हर्षोल्लास का वातावरण (Diwali Information In Hindi) होता हैं। दिवाली का त्यौहार पांच दिनों तक आयोजित किया जाता है अर्थात यह पांच त्योहारों का समूह होता हैं।

दिवाली को हिंदू धर्म के मुख्य त्यौहारो में माना जाता हैं जिसे उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूर्व से लेकर पश्चिम तक हर सभ्यता-संस्कृति में मनाया जाता है। आज हम आपको दिवाली पर्व से जुड़ी संपूर्ण जानकारी (Diwali Essay In Hindi) साँझा करेंगे व इस पर्व की महत्ता को समझाएंगे।

दिवाली से जुड़ी संपूर्ण जानकारी (About Diwali In Hindi)

दीपावली का इतिहास (Diwali Ka Itihaas)

त्रेता युग में भगवान विष्णु ने अपने सातवें अवतार श्रीराम के रूप में अयोध्या नरेश दशरथ के घर जन्म लिया था। उनका मुख्य उद्देश्य पापी रावण का अंत करना, धरती को राक्षसों के आंतक से मुक्ति दिलवाना व पुनः धर्म की स्थापना करना था।

जब उन्हें चौदह वर्ष का वनवास हुआ तब अपने वनवास काल में उन्होंने रावण समेत सभी अधर्मियों का एक-एक करके अंत कर डाला। अंत में वे अपने चौदह वर्ष का वनवास (Diwali Essay In Hindi With Points) समाप्त करके पुनः अयोध्या लौट आए तब वह कार्तिक मास की अमावस्या की ही रात थी। लेकिन उस दिन अयोध्यावासियों ने प्रभु श्रीराम के आने की खुशी में हर घर, चौराहे, मोहल्लो को दीपक से प्रज्जवलित कर दिया था।

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तभी से आज तक हम सभी श्रीराम के आदर्शों को याद करते हुए व उनके जीवन से प्रेरणा (Diwali Kyu Manate Hai) लेते हुए हुए दीपावली का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं व अपने घरो को दीपक की रोशनी से जगमग कर देते हैं।

दिवाली की माता लक्ष्मी से जुड़ी कथा (Diwali Katha In Hindi)

हम सभी जानते हैं कि इस दिन श्रीराम का अयोध्या में पुनः आगमन हुआ था लेकिन जब पूजा की बात आती हैं तो हम मुख्यतया माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा करते हैं लेकिन ऐसा क्यों? आइए जानते हैं।

दरअसल माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की ही पत्नी हैं (Diwali Kyu Manaya Jata Hai In Hindi) जिनका एक रूप श्रीराम भी है। मान्यता हैं कि दिवाली की रात को माता लक्ष्मी अपने वैकुंठ धाम से मृत्यु लोक को आती हैं व धरती पर विचरण करती है। इस दिन लक्ष्मी माता की अपने भक्तों पर विशेष कृपा होती हैं।

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साथ ही इस दिन से माता लक्ष्मी की कई कथाएं भी जुड़ी हुई हैं जो हमे कई शिक्षाएं प्रदान करती है। इसलिये दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी की मुख्य रूप से आराधना की जाती हैं। किंतु अब प्रश्न यह उठता हैं कि उस दिन माँ सरस्वती व भगवान गणेश की भी पूजा क्यों की जाती हैं।

इसके पीछे कारण यह हैं कि माँ लक्ष्मी धन की देवी हैं तो माँ सरस्वती विद्या व भगवान गणेश बुद्धि के देवता। यदि हमारे पास केवल धन होगा और बुद्धि व विद्या नही तो हम कभी भी उस धन का सदुपयोग नही कर पाएंगे व जल्द ही वह हमारे हाथ से निकल जाएगा। इसलिये माँ लक्ष्मी के साथ माँ सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा करना आवश्यक है। अधिक पढ़ें..

दिवाली कैसे मनाते हैं? (Diwali Kaise Banai Jati Hai)

दिवाली के पर्व की तैयारियां बहुत पहले से ही शुरू हो जाती हैं। लोग इस दिन के लिए नए वस्त्र व आभूषण खरीदते हैं। दिवाली से पहले ही सभी घरो की साफ-सफाई (Diwali Ka Matlab In Hindi) का काम शुरू हो जाता हैं। वैसे तो हम साफ-सफाई हर दिन करते हैं लेकिन दिवाली के लिए पूरे घर की गहनता से सफाई की जाती हैं ताकि कोई भी गंदगी ना रहे।

इसी के साथ कई तरह के पकवान (Diwali Kaise Manai Jati Hai) घर पर ही बनाए जाते हैं। इसके लिए सभी घरवाले मिलकर सहयोग करते हैं। इन पकवानों में मीठा, नमकीन, चटपटा सब सम्मिलित होता हैं जैसे कि दही-भल्ले, मठरी, शकरपारे, हलवा, लड्डू, व विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ इत्यादि। अधिक पढ़ें..

दिवाली पांच दिनों का त्यौहार (Diwali 5 Days Information In Hindi)

दिवाली की शुरुआत होती हैं धनतेरस से। जैसा कि नाम से ही सिद्ध हैं इस दिन कुछ न कुछ खरीदारी करनी आवश्यक होती हैं। धन तेरस के दिन कुछ न कुछ खरीदना शुभ माना जाता हैं।

अगले दिन रूप चौदस/ नरक चतुर्दशी का त्यौहार आता हैं जिसे छोटी दिवाली भी बोल दिया जाता हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस से सोलह हजार एक सौ महिलाओं को मुक्त करवाया था।

तीसरे दिन आता हैं मुख्य दिवाली का त्यौहार। इस दिन सभी प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके अपनो से बड़ो की चरण-वंदना करते हैं व भगवान की पूजा करते हैं। संध्या के समय शुभ मुहूर्त पर दुकान व घर पर माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा मुख्य रूप से की जाती हैं।

इसी के साथ श्रीराम के आगमन की खुशी में जगह-जगह घी/तेल के दीपक प्रज्जवलित किए जाते हैं। लोग नए वस्त्र पहनते हैं., एक दूसरे को बधाई देते हैं, आतिशबाजी करते हैं, रिश्तेदारों मित्रों से मिलने जाते हैं, स्वादिष्ट पकवान खाते हैं इत्यादि।

चौथे दिन आता हैं गोवर्धन पूजा का त्यौहार जिस दिन दिवाली की राम-रामी की जाती हैं। इस दिन सभी मंदिरों में अन्न कूट का प्रसाद भी मिलता हैं। लोग जाकर मंदिरों से प्रसाद ग्रहण करते हैं। एक-दूसरे के घर जाकर दिवाली की राम राम करते हैं।

पांचवे व अंतिम दिन आता हैं भाई दूज का त्यौहार। यह पर्व भी रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन को समर्पित हैं। इस दिन बहने अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं व उनके सुखी जीवन की मंगल-कामना करती हैं। बदले में भाई भी उन्हें आशीर्वाद देते हैं व उनका तिलक करते हैं।

दिवाली का संदेश (Diwali Lesson In Hindi)

हम हर वर्ष दिवाली का त्यौहार मुख्य रूप से मनाते हैं लेकिन इसके पीछे का उद्देश्य क्या हैं। दरअसल हर वर्ष दिवाली पर्व मनाने का मुख्य उद्देश्य श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में ग्रहण करने से हैं। यदि आप रामायण या श्रीराम के चरित्र के बारे में ध्यान से पढेंगे तो उनके जीवन में घटित हर घटना हमे एक नया संदेश देकर जाती हैं जिससे हमें प्रेरणा मिलती हैं।

इसलिये श्रीराम के बताए मार्ग का अनुसरण करने, धर्म की पालना करने, मानवता का संदेश देने के लिए हर वर्ष दिवाली का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता हैं व श्रीराम के प्रति अपना आभार प्रकट किया जाता हैं। अधिक पढ़ें..

दिवाली का महत्व (Importance Of Diwali Festival In Hindi)

दिवाली एक ओर हमे शिक्षा देती हैं तो साथ ही इसका वैज्ञानिक, स्वास्थ्य, मानसिक दृष्टि भी अत्यधिक महत्व हैं। इस दिन के लिए हमारे आसपास सब जगह गहनता से साफ-सफाई का कार्य होता हैं जो हमे स्वच्छता का संदेश देता हैं। इसी के साथ दिवाली ऋतु परिवर्तन (Diwali Ka Mahatva In Hindi) के समय आती है जिन दिनों मच्छरों व कीटाणुओं का प्रकोप अत्यधिक बढ़ जाता हैं। ऐसे समय में दिवाली की रात जलने वाले असंख्य दीयों के प्रभाव से ये सभी जीवाणु नष्ट हो जाते हैं व इनका प्रभाव कम हो जाता हैं। अधिक पढ़ें..

दिवाली का अन्य धर्मो में महत्व (Diwali Celebration In Different Religions In Hindi)

दिवाली का महत्व केवल हिंदू धर्म में ही नही अपितु हिंदू धर्म से निकले अन्य धर्मों में भी प्रमुखता से हैं क्योंकि इस दिन उन धर्मों में भी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित हुई थी। जैसे कि:

  • जैन धर्म: इसी दिन उनके अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी जी को निर्वाण/ मोक्ष प्राप्त हुआ था तथा उनके शिष्य गणधर गौतम को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
  • बौद्ध धर्म: 18 वर्षों के पश्चात गौतम बुद्ध पुनः अपनी धरती कपिलवस्तु पहुंचे थे जिनके स्वागत में वहां की प्रजा ने दीपक जलाए थे। इसी दिन भारत के सम्राट अशोक ने हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म को अपनाया व देश-विदेश में बौद्ध धर्म का आक्रामकता के साथ प्रचार-प्रसार किया।
  • सिख धर्म: सिख धर्म में इसी दिन बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं क्योंकि इस दिन उनके छठे गुरु गुरु हरगोविंद सिंह जी को क्रूर आक्रांता जहाँगीर के कारावास से मुक्ति मिली थी। इसके बाद वे स्वर्ण मंदिर गए थे जहाँ उनका दीपक जलाकर स्वागत किया गया था।

इस प्रकार दिवाली की महत्ता केवल हिंदू धर्म में ना होकर अपितु अन्य धर्मों में भी हैं जो इसको और अधिक महत्वपूर्ण बना देता है।

हिंदू धर्म में दिवाली से जुड़ी कथाएं (Diwali Story In Hindi)

केवल अन्य धर्मों में ही नही अपितु हिंदू धर्म में भी दिवाली के दिन से जुड़ी अन्य कथाएं प्रचलन में हैं। जैसे कि:

  • इसी दिन माँ लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपने पति रूप में स्वीकार किया था।
  • राजा व लकड़हारे की कथा जो हमे धन के साथ बुद्धि की भी शिक्षा देती है।
  • माँ लक्ष्मी व साहूकार की कथा जो हमे आतिथ्य सत्कार व परोपकार की शिक्षा देती है।
  • माँ लक्ष्मी व बूढ़ी महिला की कथा जो हमे हमेशा कर्म करते रहने की शिक्षा देती है।
  • देवराज इंद्र व राजा बलि की कथा जो हमे धन के सदुपयोग की शिक्षा देती है।
  • राजा व साधू की कथा जो हमे लालच ना करने की शिक्षा देती है।

दिवाली पर माँ लक्ष्मी की पूजा विधि (Lakshmi Puja On Diwali In Hindi)

संध्या के समय शुभ मुहूर्त पर माँ लक्ष्मी की पूजा करने से पहले आपको कई बातो का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए सबसे मुख्य बात तो यह हैं कि उस स्थल व घर-दुकान में गंदगी नही होनी चाहिए क्योंकि गंदगी आलस्य का प्रतीक होती हैं। जहाँ आलस्य होता हैं वहां लक्ष्मी माँ का कभी वास नही हो सकता।

इसके अलावा लक्ष्मी पूजा की विधि जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे।

दिवाली के व्यंजन (Diwali Ke Vyanjan)

दिवाली की जो सबसे मुख्य बात हैं वह हैं इस दिन के लिए बनने वाले नाना प्रकार के व्यंजन जो हर किसी को पसंद हैं मुख्यतया घर के बच्चों को। दिवाली एक ऐसा पर्व हैं जिस दिन एक नही बल्कि कई प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। इन व्यंजनों (Diwali Recipe In Hindi) को बनाने में सभी घरवालों का भी सहयोग मिलता हैं। दिवाली के दिन बनने वाले कुछ मुख्य व्यंजनों में सम्मिलित हैं:

  • नमकीन सवाली/ मठरी
  • गुड़ वाली मठरी
  • शकरपारे
  • मूंग दाल का हलवा
  • गुजिया
  • दही-भल्ले
  • मालपुआ
  • चाट पपड़ी
  • कांजी वडा
  • खीर
  • अखरोट बर्फी
  • चंद्रकला मिठाई
  • नारियल की बर्फी
  • बालूशाही
  • मोहनथाल इत्यादि।

इन सभी व्यंजनों की विधि जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे।

विदेशों में दिवाली का महत्व (Diwali Celebration In Foreign Countries In Hindi)

दिवाली को केवल भारत में ही नही अपितु अन्य देशो में भी मुख्य रूप से मनाया जाता हैं। इन देशो में भारत के सभी पड़ोसी देश (नेपाल, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, अफगानिस्तान व पाकिस्तान), मॉरिशस, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, इंग्लैंड, अमेरिका इत्यादि देश सम्मिलित हैं।

दिवाली वाले दिनों में नेपाल में एक अन्य पर्व भी मनाया जाता हैं जिसका नाम तिहार पर्व होता हैं। यह भी पांच दिनों का पर्व होता हैं जिन दिनों पशु-पक्षियों की पूजा की जाती है।

दिवाली के बधाई संदेश (Diwali Wishes In Hindi)

आजकल हम सभी एक-दूसरे को सोशल मीडिया इत्यादि के माध्यम से त्योहारों की बधाई देते हैं जिनमें संदेश कैसा हो यह बहुत महत्वपूर्ण रखता हैं। कुछ संदेश इस प्रकार हैं:

  • त्याग दिया सब कुछ,

एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए,

राम ने खोया बहुत खुश,

श्रीराम होने के लिए।

दिवाली की बहुत-बहुत बधाई

  • तू मेरा राम बन जा, मैं तेरी शबरी…

चख लूँ जीवन के अनुभव सभी,

जो खट्टे होंगे मैं रख लूंगी,

जो मीठे होंगे तुझे दे दूंगी।

दीपावली की शुभकामनाएं

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वर्ष 2020 में दीपावली का त्यौहार (Diwali Kab Hai 2020)

इस वर्ष दीपावली का त्यौहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा। लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 14 नवंबर की संध्या को 5 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 26 मिनट तक होगा। यह मुहूर्त कुल एक घंटे पचपन मिनट के पास का होगा। इसलिये इसी शुभ मुहूर्त पर आप अपने घर व दुकान पर माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा करे व अपने बही-खातो को तिलक लगाए। इसी के साथ माँ लक्ष्मी से कामना करे कि वे वर्ष भर आपके परिवार व व्यापर पर कोई विपत्ति ना आने दे।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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