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जगन्नाथ मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी (Shree Jagannath Mandir Puri)

भगवान जगन्नाथ मंदिर (Sri Jagannath Mandir Puri) उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में स्थित है जो सनातन धर्म के चार धामों में से एक है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने आते हैं। इसी के साथ ही वर्ष में एक बार होने वाली जगन्नाथ रथयात्रा का उत्साह तो अलग ही होता है। रथयात्रा के भव्य दृश्य तो आपने कई बार न्यूज़, सोशल मीडिया इत्यादि में देखे ही होंगे।

श्री जगन्नाथ मंदिर (Shree Jagannath Mandir Puri) से कई रहस्य तथा रोचक तथ्य भी जुड़े हुए हैं जो यहाँ आने वाले लोगों को आश्चर्यचकित कर देते हैं। इसलिए आज हम आपको भगवान जगन्नाथ मंदिर के इतिहास, निर्माण, आक्रमण, संरचना, तथ्य, रथयात्रा इत्यादि सभी के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

Sri Jagannath Mandir Puri | जगन्नाथ मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी

भारतवर्ष के चार कोनों में चार धाम स्थापित हैं। उत्तर भारत में बद्रीनाथ धाम, दक्षिण भारत में रामेश्वरम, पश्चिम भारत में द्वारका तो पूर्व भारत में जगन्नाथ मंदिर है। आज हम इसमें से पूर्व भारत के धाम भगवान जगन्नाथ मंदिर के बारे में बात करने जा रहे हैं। उड़ीसा के पुरी में स्थित होने के कारण इस मंदिर को पुरी मंदिर (Puri Mandir) के नाम से भी जाना जाता है। आज के इस लेख में हम आपको निम्नलिखित जानकारी देने वाले हैं।

  1. जगन्नाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया?
  2. जगन्नाथ पुरी दर्शन
  3. रथ यात्रा जगन्नाथ पुरी
  4. जगन्नाथ पुरी का प्रसाद
  5. जगन्नाथ की मूर्ति कैसे बनती है?
  6. जगन्नाथ पुरी दर्शन का समय
  7. जगन्नाथ पुरी कैसे जाये?
  8. जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए?
  9. जगन्नाथ पुरी मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य
  10. जगन्नाथ मंदिर पर आक्रमण
  11. जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश
  12. जगन्नाथ मंदिर के नियम

जगन्नाथ मंदिर के बारे में जितना जाना जाए, उतना ही कम है। वह इसलिए क्योंकि जिसने जगन्नाथ का संपूर्ण रहस्य जान लिया, मान लीजिए उसका उद्धार तो तय है। अब हम आपके सामने ऊपर दिए गए क्रम के अनुसार जगन्नाथ मंदिर के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी रखने जा रहे हैं

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया?

द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मानवीय रूप में सभी कर्तव्य पूरे कर लिए तब उन्होंने अपनी देह का त्याग कर दिया। तब अर्जुन के द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया लेकिन उनका हृदय कई दिनों तक जलता रहा। श्रीकृष्ण के आदेश पर अर्जुन ने उनका हृदय लकड़ियों समेत समुंद्र में बहा दिया। कई वर्षों तक वह समुंद्र में तैरता रहा तथा अंत में पुरी के समुंद्र तट पर पहुँचा।

वहाँ भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर मालवा देश के राजा इन्द्रद्युम्न ने जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया। इसके पश्चात उस दारु ब्रह्म/ श्रीकृष्ण के हृदय से चार मूर्तियों का निर्माण करवाया गया जो भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा तथा सुदर्शन चक्र की थी। इन मूर्तियों को जगन्नाथ मंदिर में स्थापित किया गया तथा तब से लेकर आज तक उनकी पूजा की जाती है।

जगन्नाथ पुरी दर्शन

भगवान जगन्नाथ का मंदिर चार लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है जहाँ मुख्य मंदिर के अलावा 120 छोटे-बड़े मंदिर हैं। इनमें विमला मंदिर तथा महालक्ष्मी मंदिर प्रमुख है। यह कलिंग राज्य की शैली में बना हुआ है जो एक बाहरी दीवार मेघनंदा से घिरा हुआ है। मुख्य मंदिर की दीवार को कुर्म भेद्य दीवार के नाम से जाना जाता है।

मंदिर (Sri Jagannath Mandir Puri) का गर्भगृह 65 मीटर ऊँचे चबूतरे पर स्थापित है जिसके ऊपर रत्नमंडित आसन पर चारों मूर्तियाँ स्थापित है। मुख्य गर्भगृह के शीर्ष पर नील चक्र स्थापित है जिसके ऊपर ध्वज लहरा रहा है जिसे पतित पावन के नाम से जाना जाता है। मंदिर के चार दिशाओं में चार द्वार हैं जिसमें सिंहद्वार मुख्य है।

रथ यात्रा जगन्नाथ पुरी

प्रतिवर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने भाई व बहन के साथ तीन विशाल रथों में विराजमान होकर मंदिर से बाहर निकलते हैं। इस दौरान उनका रथ खींचने के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते है। रथों में बैठकर भगवान जगन्नाथ वहाँ से तीन किलोमीटर दूर स्थित अपनी मौसी माता गुंडीचा के मंदिर जाते हैं तथा सात दिनों के लिए विश्राम करते हैं।

सात दिनों तक विश्राम करने के पश्चात नौवें दिन वे फिर से अपने धाम श्रीमंदिर को लौट आते हैं। इस दौरान पुरी नगरी भक्तों से भर जाती है तथा विशाल उत्सव का आयोजन किया जाता है। कहते हैं कि जिसे भी भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने का अवसर मिलता है वह बहुत सौभाग्यशाली होता है।

जगन्नाथ पुरी का प्रसाद

जगन्नाथ मंदिर की रसोई (Shree Jagannath Mandir Puri) को विश्व की सबसे बड़ी रसोई माना जाता है जहाँ प्रतिदिन लगभग बीस लाख लोगों का भोजन तैयार हो सकता है। प्रतिदिन भगवान जगन्नाथ को 56 भोग का प्रसाद लगता है तथा उसके पश्चात इसे भक्तों के लिए आनंद बाजार में लाया जाता है जो मंदिर के अंदर ही भक्तों के लिए एक खुला भोजन आवास है।

यह महाप्रसाद पूरी तरह से सात्विक होता है जिसे वहाँ बहने वाली नदी के जल से बनाया जाता है। इसमें कई तरह के चावल, दाल, सब्जियां, मिठाई इत्यादि बनती है जिन्हें भक्त अलग-अलग दाम में आनंद बाजार से खरीद सकते हैं।

जगन्नाथ की मूर्ति कैसे बनती है?

यह पर्व हर 9, 12 तथा 19वे वर्ष में आयोजित किया जाता है। यह पर्व रथयात्रा पर्व से भी बड़ा होता है क्योंकि इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा को नया शरीर मिलता है। इस दिन पुरी शहर में कर्फ्यू लगा दिया जाता है तथा किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होती। नवकलेवर पर्व के दिन भगवान जगन्नाथ अपने पुराने शरीर को त्यागकर नया शरीर ग्रहण करते हैं।

भगवान जगन्नाथ तथा उनके भाई बहन के शरीर का निर्माण कार्य अत्यंत गोपनीय तरीके से किया जाता है जो नीम के वृक्ष से बनाया जाता है। फिर आषाढ़ मास की अधिकमास की रात्रि के दिन नए शरीर को गर्भगृह में लाया जाता है तथा वहाँ केवल मुख्य पुजारी ही होते हैं। उनकी भी आँखों में पट्टी बंधी होती है तथा हाथों पर कपड़ा बांध दिया जाता है।

तब मुख्य पुजारी के द्वारा पुराने शरीर के अंदर के आवरण को निकालकर नए शरीर में डाला जाता है। कहते हैं कि इसे देखने की अनुमति किसी को नहीं होती अन्यथा उसी समय उसकी मृत्यु हो जाती है। पुरी मंदिर (Puri Mandir) का यह पर्व रथयात्रा से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है।

जगन्नाथ पुरी दर्शन का समय

भगवान जगन्नाथ का मंदिर अपने भक्तों के लिए सुबह 5:30 बजे खुल जाता है जो रात्रि में लगभग 10 बजे के बाद बंद हो जाता है। यह सप्ताह के हर दिन अपने भक्तों के लिए खुला रहता है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए किसी प्रकार की कोई मूल्य/ फीस नहीं ली जाती है। अधिकतर मंदिर दोपहर में बंद हो जाते हैं जबकि भगवान जगन्नाथ सुबह-शाम भक्तों को दर्शन देते हैं। ऐसे में आप सुबह से लेकर शाम में किसी भी समय जगन्नाथ मंदिर होकर आ सकते हैं।

जगन्नाथ पुरी कैसे जाये?

हालाँकि पुरी शहर में कोई हवाईअड्डा नहीं है। इसलिए यदि आप हवाईजहाज से आने का सोच रहे हैं तो सबसे नजदीकी हवाईअड्डा भुवनेश्वर का बीजू पटनायक एअरपोर्ट है जहाँ से आप देश के किसी भी एअरपोर्ट से यात्रा कर सकते हैं। यहाँ से जगन्नाथ मंदिर की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है जिसे आप सड़क मार्ग से तय कर सकते हैं। इसके लिए आपको कई बस तथा टैक्सी आसानी से मिल जाएगी जो जगन्नाथ मंदिर तक पहुँचने में एक से दो घंटे का समय लेगी।

रेल मार्ग से पुरी पहुँचने के लिए कई ट्रेन भी उपलब्ध है। लगभग देश के सभी बड़े रेलवे स्टेशन से आप पुरी के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं। इसके अलावा गुंडिचा मंदिर तक आप बस से भी यात्रा कर सकते हैं जो जगन्नाथ मंदिर (Shree Jagannath Mandir Puri) से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए?

वैसे तो जगन्नाथ मंदिर अपने भक्तों के लिए पूरे साल खुला रहता है तथा आप अपनी सुविधानुसार किसी भी मौसम में यहाँ आ सकते हैं। ज्यादातर भक्त जगन्नाथ मंदिर मार्च से लेकर जून के बीच आना पसंद करते हैं। मार्च-अप्रैल में यहाँ का मौसम अच्छा रहता है तथा मई-जून के आसपास विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा होती है जिन दिनों यहाँ सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। यदि आपको सर्दियों का मौसम पसंद है तो आप अक्टूबर-नवंबर के महीने में यहाँ आ सकते हैं।

जगन्नाथ पुरी मंदिर के आश्चर्यजनक तथ्य

  • मंदिर के शीर्ष पर स्थित पतित पावन ध्वज हमेशा वायु की विपरीत दिशा में लहराता है। कई बार यह वायु की दिशा में भी लहराता है।
  • पतित पावन जिस नील चक्र पर स्थापित है उसे किसी भी दिशा से देखने पर वह आपकी ओर मुख किए हुए ही प्रतीत होता है।
  • मंदिर के शीर्ष की परछाई दिन के किसी भी समय पर भूमि पर नहीं पड़ती है।
  • मंदिर के शीर्ष पर स्थित ध्वज को प्रतिदिन बदला जाता है अन्यथा मान्यता है कि मंदिर 18 वर्षों तक बंद हो जाएगा।
  • मंदिर के ऊपर कोई भी पंछी उड़ता हुआ नहीं दिखाई देता है तथा भारत सरकार के द्वारा जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई भी हवाईजहाज उड़ने की भी पूर्णतया पाबंदी है।

जगन्नाथ मंदिर पर आक्रमण

जब अपना देश बारहवीं शताब्दी के बाद अफगान व मुग़ल आक्रांताओं के अधीन हो गया तब उनके द्वारा हमारे मंदिरों, गुरुकुलों को बहुत नुकसान पहुँचाया गया। उसी में भगवान जगन्नाथ के मंदिर पर भी 17 बार भीषण आक्रमण किए गए जिसमें से काला पहाड़ का आक्रमण सबसे नरसंहारक था। इस आक्रमण के बाद उड़ीसा पूर्णतया मुगलों के हाथ में चला गया था।

आक्रमणकारियों के द्वारा मंदिर पर आक्रमण करके कई बार धन संपदा, हीरे, स्वर्ण इत्यादि लूट लिए गए तथा लाखों की संख्या में भक्तों की निर्मम हत्या कर दी गई। पूरे जगन्नाथ मंदिर (Sri Jagannath Mandir Puri) को रक्त से लाल कर दिया गया था तब पुजारियों ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा तथा सुदर्शन चक्र की मूर्तियों को विभिन्न स्थानों पर छुपाया था। इस दौरान भगवान जगन्नाथ लगभग 144 वर्षों तक अपने मंदिर से दूर रहे थे तथा रथयात्रा बाधित हुई थी।

जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश

भगवान जगन्नाथ के मंदिर को इतनी बार नुकसान पहुँचाने तथा उनके भक्तों का इस प्रकार नरसंहार करने पर मंदिर प्रशासन तथा पुजारियों ने मंदिर के अंदर गैर हिंदुओं के प्रवेश पर पूर्णतया पाबंदी लगा रखी है। हिंदुओं के अलावा केवल भारतीय बौद्ध, जैन तथा सिख धर्म के लोगों को मंदिर में प्रवेश मिलता है। इसी पाबंदी के कारण 1884 में इंदिरा गाँधी को भी मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया था क्योंकि उनका विवाह फिरोज गाँधी से हो चुका था।

जगन्नाथ मंदिर के नियम

  • मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपका भारतीय परिधान में होना आवश्यक है। पुरुषों को पैंट/ धोती इत्यादि पहनने तथा महिलाओं को साड़ी/ सलवार कमीज, सूट पहनने के बाद मंदिर में प्रवेश मिलता है। आप जींस, शॉर्ट्स इत्यादि पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते।
  • मंदिर के अंदर मोबाइल फोन, कैमरा, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, हथियार इत्यादि ले जाने की मनाही है।
  • मंदिर के अंदर गंदगी करने या किसी मूर्ति को छूने की भी पाबंदी है।
  • महाप्रसाद को फेंकने पर जुर्माना लग सकता है, इसलिए प्रसाद को पूरा ग्रहण करें।
  • किसी भी श्रद्धालु के साथ छेड़छाड़ या अराजकता फैलाने पर आपके ऊपर विभिन्न धाराओं के तहत केस चलाया जा सकता है।

इस तरह से आपने भगवान जगन्नाथ मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी (Sri Jagannath Mandir Puri) ले ली है। यदि अभी भी आपके मन में कोई शंका रह गई तो आप नीचे कमेंट कर हमसे पूछ सकते हैं।

जगन्नाथ मंदिर से जुड़े प्रश्नोत्तर

प्रश्न: जगन्नाथ मंदिर के बारे में क्या खास है?

उत्तर: जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ व बलराम-सुभद्रा की मूर्तियाँ सबसे ज्यादा ख़ास है उनकी मोटी गोल आँखें और आश्चर्य से भरा हुआ मुख हर किसी का मन मोह लेता है इसके पीछे एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई है जिसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है

प्रश्न: जगन्नाथ पुरी कौन से महीने में जाना चाहिए?

उत्तर: वैसे तो आप वर्ष के किसी भी महीने में जगन्नाथ मंदिर की यात्रा पर जा सकते हैं यदि आपको रथयात्रा में जाना है तो जुलाई के महीने में जाएं और यदि आपको कम भीड़ में वहाँ जाना है तो अक्टूबर से मार्च के महीने में जा सकते हैं

प्रश्न: जगन्नाथ पुरी मंदिर में कितनी सीढ़ियां हैं?

उत्तर: जगन्नाथ पुरी मंदिर में कुल बाईस सीढ़ियां हैं इसमें से नीचे से या शुरुआत से तीसरे नंबर वाली सीढ़ी पर बिना पैर रखे आगे बढ़ना होता है यदि आप इस पर पैर रखते हैं तो मंदिर आने का कोई फल नहीं मिलता है

प्रश्न: जगन्नाथपुरी में क्या प्रसिद्ध है?

उत्तर: जगन्नाथपुरी में जुलाई के महीने में होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बहुत प्रसिद्ध है इसे देखने या इसमें भाग लेने देशभर व विदेशों से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

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कृष्णा

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