जगन्नाथ मंदिर की सरंचना तथा सुंदरता

Architecture of Jagannath Temple in Hindi

भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा राज्य के पुरी में स्थित हैं जिसे हिंदू धर्म के चार धामों में से एक माना जाता है (Architecture of Jagannath Temple in Hindi)। इस मंदिर का सर्वप्रथम निर्माण राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु के कुछ वर्षों के पश्चात करवाया था। वर्तमान में हम जो मंदिर देखते हैं वह राजा अनंतवर्मन के द्वारा जीर्णोद्धार करवाया हुआ है जिसे अंतिम रूप उनके पुत्र राजा अनंगभीम देव ने दिया था (Jagannath Temple Structure in Hindi)।

यह मंदिर बहुत विशाल हैं जो लगभग चार लाख वर्ग फुट (बत्तीस हज़ार मी2) में फैला हुआ है (Puri Jagannath Temple Property)। यह कुल 10.7 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है (Total Area of Puri Jagannath Temple)। यह कलिंग राज्य की शैली में बना हुआ है जिसे उस समय के शिल्पकारों ने अद्भुत सरंचना दी है। यहाँ मुख्य मंदिर के अलावा 120 अन्य मंदिर व पूजा स्थल हैं। यह सभी मंदिर एक बाहरी दीवार के अंदर हैं जो लगभग 20 फीट (6.1 मीटर) ऊँची है। इस दीवार को मेघनंदा पाचेरी के नाम से जाना जाता है (Puri Jagannath Temple Structure)।

जगन्नाथ मंदिर की सरंचना तथा वास्तुकला (Jagannath Temple Architecture and Structure in Hindi)

मुख्य गर्भगृह (Temples Inside Jagannath Temple Puri)

मंदिर का मुख्य गर्भगृह जहाँ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं वह कुर्म भेद्य दीवार से घिरा हुआ है। मुख्य गर्भगृह वक्र रेखीय आकार में बना हुआ है जो इसे अद्भुत आकार देता है। मंदिर का गर्भगृह एक 214 फीट (65 मीटर) ऊँचे पत्थर के चबूतरे पर स्थापित हैं तथा उसके ऊपर मूर्तियाँ रखी गयी हैं (Jagannath Mandir ki unchai kitni hai)। यह मूर्तियाँ रत्न मंडित चबूतरे के ऊपर विराजमान हैं।

नील चक्र (Neela Chakra Jagannath Puri)

मुख्य मंदिर के शीर्ष पर एक विशाल चक्र स्थापित हैं जो पुरी में किसी भी स्थल से देखने पर यह अपने ओर मुख किये ही प्रतीत होता है। इसे नील चक्र कहते है जो कि अष्ट धातु से निर्मित हैं। इस चक्र के अंदर आठ आरे हैं जिन्हें नवगुंजरस कहते है। इस चक्र के ऊपर ध्वज लगा होता हैं जिसे पतितपावन (Patit Pawan) कहते है। इस ध्वज को प्रतिदिन बदला जाता है तथा यह वायु की विपरीत दिशा में बहता है।

सिंहद्वार (4 Dwara Of Jagannath Temple)

मंदिर में प्रवेश करने के चार द्वार है जिसमे से सिंहद्वार मुख्य है (Jagannath Temple Gate)। इस द्वार के द्वारा मुख्य गर्भगृह में प्रवेश किया जा सकता है। इस द्वार पर दोनों ओर बड़े सिंह की आकृति बनी हुई है। यह द्वार पूर्व दिशा में स्थित है जहाँ से अंदर एक बड़ा मार्ग खुलता है। इसके अलावा तीन अन्य द्वार है जो उत्तर, दक्षिण व पश्चिम दिशा में खुलते है। इनके नाम भी द्वार पर बनायी गयी पशुओं के मूर्त रूप पर रखे गए है। इनके नाम है हाथीद्वार, व्याघ्रद्वार तथा अश्वद्वार जो क्रमशः हाथी, चीता तथा घोड़े को प्रदर्शित करते है।

अन्य मंदिर

मुख्य मंदिर के अलावा यहाँ कई अन्य छोटे मंदिर भी स्थित हैं जिनमे मुख्य है विमला मंदिर (Vimala Devi)। इसे माता रानी के एक शक्तिपीठ के रूप में भी माना जाता है जहाँ माता सती की नाभि गिरी थी। इस मंदिर के पास रोहिणी कुंड भी है।

एक अन्य मंदिर में महालक्ष्मी मंदिर (Mahalakshmi Mandir) है। जब भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है तब महालक्ष्मी की मूर्ति को मुख्य गर्भगृह में स्थापित किया जाता है अन्यथा माता रुष्ट हो जाती है। कुछ अन्य मंदिर भगवान गणेश, भगवान श्रीराम, भगवान नरसिंह, माँ सरस्वती, सूर्य देव, भक्त हनुमान इत्यादि को समर्पित हैं।

मंडप (Mandaps of Jagannath Mandir)

सबसे मुख्य मंडप मुक्ति मंडप है जहाँ मंदिर के मुख्य पुजारी व ब्राह्मण बैठकर मंदिर से जुड़े सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेते है। इसके अलावा एक डोला मंडप है जो डोल यात्रा उत्सव के लिए प्रसिद्ध है। एक स्नान बेदी है जहाँ वर्ष में एक बार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को तीनों मूर्तियों को स्नान करवाया जाता है।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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