चालीसा

महाकाल चालीसा इन हिंदी (Mahakal Chalisa Lyrics In Hindi)

महाकाल चालीसा का पाठ (Mahakal Chalisa) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

भगवान शिव को महाकाल के नाम से जाना जाता है अर्थात काल के भी काल। समय को तीन चक्रों में बांटा गया है जिन्हें हम भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल के नाम से जानते हैं और इन तीनों काल के स्वामी को ही महाकाल अर्थात शिव कहा जाता है। महाकाल का मंदिर उज्जैन के शिप्रा नदी के किनारे स्थित है। आज के इस लेख में हम आपके साथ महाकाल चालीसा का पाठ (Mahakal Chalisa) ही करने जा रहे हैं।

इसी के साथ ही हम आपके साथ महाकाल चालीसा इन हिंदी में (Mahakal Chalisa Lyrics In Hindi) भी सांझा करेंगे ताकि आप महाकाल चालीसा का भावार्थ भी समझ सकें। अंत में आपको महाकाल चालीसा के लाभ व महत्व भी पढ़ने को मिलेंगे। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं श्री महाकाल चालीसा (Shri Mahakal Chalisa)।

महाकाल चालीसा (Mahakal Chalisa)

॥ दोहा ॥

श्री महाकाल भगवान की महिमा अपरम्पार,
पूरी करते कामना भक्तों की करतार।
विद्या-बुद्धि-तेज-बल-दूध-पूत-धन-धान,
अपने अक्षय कोष से भगवान करो प्रदान॥

॥ चौपाई ॥

जय महाकाल काल के नाशक। जय त्रिलोकपति मोक्ष प्रदायक॥

मृत्युंजय भवबाधा हारी। शत्रुंजय करो विजय हमारी॥

आकाश में तारक लिंगम्। पाताल में हाटकेश्वरम्॥

भूलोक में महाकालेश्वरम्। सत्यम्-शिवम् और सुन्दरम्॥

क्षिप्रा तट ऊखर शिव भूमि। महाकाल वन पावन भूमि॥

आशुतोष भोले भण्डारी। नटराज बाघम्बरधारी॥

सृष्टि को प्रारम्भ कराते। कालचक्र को आप चलाते॥

तीर्थ अवन्ती में हैं बसते। दर्शन करते संकट हरते॥

विष पीकर शिव निर्भय करते। नीलकण्ठ महाकाल कहाते॥

महादेव ये महाकाल हैं। निराकार का रूप धरे हैं॥

ज्योतिर्मय-ईशान अधीश्वर। परम् ब्रह्म हैं महाकालेश्वर॥

आदि सनातन-स्वयं ज्योतिश्वर। महाकाल प्रभु हैं सर्वेश्वर॥

जय महाकाल महेश्वर जय-जय। जय हरसिद्धि महेश्वरी जय-जय॥

शिव के साथ शिवा है शक्ति। भक्तों की है रक्षा करती॥

जय नागेश्वर-सौभाग्येश्वर। जय भोले बाबा सिद्धेश्वर॥

ऋणमुक्तेश्वर-स्वर्ण जालेश्वर। अरुणेश्वर बाबा योगेश्वर॥

पंच-अष्ट-द्वादश लिंगों की। महिमा सबसे न्यारी इनकी॥

श्रीकर गोप को दर्शन दे तारी। नंद बाबा की पीढ़ियाँ सारी॥

भक्त चंद्रसेन राजा शरण आए। विजयी करा रिपु-मित्र बनाये॥

दैत्य दूषण भस्म किए। और भक्तों से महाकाल कहाए॥

दुष्ट दैत्य अंधक जब आया। मातृकाओं से नष्ट कराया॥

जगज्जननी हैं माँ गिरि तनया। श्री भोलेश्वर ने मान बढ़ाया॥

श्री हरि की तर्जनी से हर-हर। क्षिप्रा भी लाए गंगाधर॥

अमृतमय पावन जल पाया। ‘ऋषि’ देवों ने पुण्य बढ़ाया॥

नमः शिवाय मंत्र पंचाक्षरी। इनका मंत्र बड़ा भयहारी॥

जिसके जप से मिटती सारी। चिंता-क्लेश-विपद् संसारी॥

सिर जटा-जूट-तन भस्म सजै। डम-डम-डमरू त्रिशूल सजै॥

शमशान विहारी भूतपति। विषधर धारी जय उमापति॥

रुद्राक्ष विभूषित शिवशंकर। त्रिपुण्ड विभूषित प्रलयंकर॥

सर्वशक्तिमान-सर्व गुणाधार। सर्वज्ञ-सर्वोपरि-जगदीश्वर॥

अनादि-अनंत-नित्य-निर्विकारी। महाकाल प्रभु-रूद्र-अवतारी॥

धाता-विधाता-अज-अविनाशी। मृत्यु रक्षक सुखराशी॥

त्रिदल-त्रिनेत्र-त्रिपुण्ड-त्रिशूलधर। त्रिकाय-त्रिलोकपति महाकालेश्वर॥

त्रिदेव-त्रयी हैं एकेश्वर। निराकार शिव योगीश्वर॥

एकादश-प्राण-अपान-व्यान। उदान-नाग-कुर्म-कृकल समान॥

देवदत्त धनंजय रहें प्रसन्न। मन हो उज्जवल जब करें ध्यान॥

अघोर-आशुतोष-जय औढरदानी। अभिषेक प्रिय श्री विश्वेश्वर ध्यानी॥

कल्याणमय-आनंद स्वरुप शशि शेखर। श्री भोलेशंकर जय महाकालेश्वर॥

प्रथम पूज्य श्री गणेश हैं, ऋद्धि-सिद्धि संग। देवों के सेनापति, महावीर स्कंध॥

अन्नपूर्णा माँ पार्वती, जग को देती अन्न। महाकाल वन में बसे, महाकाल के संग॥

॥ दोहा ॥

शिव कहें जग राम हैं, राम कहें जग शिव,
धन्य-धन्य माँ शारदा, ऐसी ही दो प्रीत।
श्री महाकाल चालीसा, प्रेम से, नित्य करे जो पाठ,
कृपा मिले महाकाल की, सिद्ध होय सब काज॥

महाकाल चालीसा इन हिंदी (Mahakal Chalisa Lyrics In Hindi)

॥ दोहा ॥

श्री महाकाल भगवान की महिमा अपरम्पार,
पूरी करते कामना भक्तों की करतार।
विद्या-बुद्धि-तेज-बल-दूध-पूत-धन-धान,
अपने अक्षय कोष से भगवान करो प्रदान॥

महाकाल भगवान की महिमा सबसे अपरंपार व अद्भुत है। वे अपने भक्तों की सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा कर देते हैं। हे श्री महाकाल भगवान!! आप हमें विद्या, बुद्धि, तेज, शक्ति, दूध, संतान, धन व अन्न प्रदान कर हमारा उद्धार कीजिये।

॥ चौपाई ॥

जय महाकाल काल के नाशक। जय त्रिलोकपति मोक्ष प्रदायक॥

मृत्युंजय भवबाधा हारी। शत्रुंजय करो विजय हमारी॥

आकाश में तारक लिंगम्। पाताल में हाटकेश्वरम्॥

भूलोक में महाकालेश्वरम्। सत्यम्-शिवम् और सुन्दरम्॥

काल का भी नाश करने वाले महाकाल की जय हो। तीनों लोकों के स्वामी व मोक्ष प्रदान करने वाले श्री महाकाल की जय हो। वे तो मृत्यु को भी जीत लेते हैं और इस विश्व की सभी बाधाओं को दूर कर देते हैं। शत्रुओं को भी जीते लेने वाले हे महाकाल!! आप हमें भी विजय दिलाओ।

आकाश में वे तारालिंगम के रूप में स्थापित हैं तो वहीं पाताल में हाटकेश्वरम के रूप में विराजित हैं। पृथ्वीलोक में वे महाकालेश्वरम के रूप में उज्जैन नगरी में विराजित हैं। महाकाल ही सत्य हैं, शिव हैं और सबसे सुंदर हैं।

क्षिप्रा तट ऊखर शिव भूमि। महाकाल वन पावन भूमि॥

आशुतोष भोले भण्डारी। नटराज बाघम्बरधारी॥

सृष्टि को प्रारम्भ कराते। कालचक्र को आप चलाते॥

तीर्थ अवन्ती में हैं बसते। दर्शन करते संकट हरते॥

उज्जैन नगरी में शिप्रा नदी के तट पर शिव भूमि है और वह महाकाल की पावन भूमि में से एक है। भोले भंडारी तो अपने भक्तों से तुरंत ही प्रसन्न होने वाले हैं। वे ही नटराज हैं और बाघ की खाल को वस्त्रों के रूप में लपेट कर रखते हैं।

इस सृष्टि की शुरुआत भी महाकाल की ही शक्ति से होती है और वे ही यहाँ का कालचक्र चलाते हैं और उसका मार्गदर्शन करते हैं। अवंति नगरी में महाकाल के तीर्थ हैं जहाँ उनका वास है। उनके दर्शन करने मात्र से ही हमारे संकट दूर हो जाते हैं।

विष पीकर शिव निर्भय करते। नीलकण्ठ महाकाल कहाते॥

महादेव ये महाकाल हैं। निराकार का रूप धरे हैं॥

ज्योतिर्मय-ईशान अधीश्वर। परम् ब्रह्म हैं महाकालेश्वर॥

आदि सनातन-स्वयं ज्योतिश्वर। महाकाल प्रभु हैं सर्वेश्वर॥

समुंद्र मंथन के समय निकले अथाह विष को पीकर उन्होंने इस सृष्टि का कल्याण किया। इस घटना के पश्चात ही उनका एक नाम नीलकंठ पड़ गया। स्वयं महादेव ही महाकाल का रूप हैं जिनका कोई आकार नहीं है और उन्होंने निराकार का रूप लिया हुआ है।

वे ही प्रकाश के देवता हैं और हम सभी के स्वामी हैं। वे ही परम ब्रह्म अर्थात परम सत्य के रूप में महाकालेश्वर के रूप में विराजित हैं। वे ही इस सृष्टि का आदि व अनंत हैं और सदा रहने वाले हैं। वे ही ज्योति का स्वरुप हैं। महाकाल प्रभु हम सभी के ही ईश्वर हैं।

जय महाकाल महेश्वर जय-जय। जय हरसिद्धि महेश्वरी जय-जय॥

शिव के साथ शिवा है शक्ति। भक्तों की है रक्षा करती॥

जय नागेश्वर-सौभाग्येश्वर। जय भोले बाबा सिद्धेश्वर॥

ऋणमुक्तेश्वर-स्वर्ण जालेश्वर। अरुणेश्वर बाबा योगेश्वर॥

महाकाल की जय हो, हम सभी के ईश्वर की जय हो, जय हो। हम सभी की सिद्धियों की जय हो और माहेश्वरी माता की भी जय हो, जय हो। शिव के साथ शक्ति के रूप में माँ आदिशक्ति विराजित हैं और वे ही भक्तों की हरसंभव रक्षा करती हैं।

नागेश्वर भगवान की जय हो जो हम सभी को सौभाग्य प्रदान करते हैं। हम सभी को सिद्धि प्रदान करने वाले भोले बाबा की जय हो। ऋण मुक्त करने वाले और स्वर्ण रूप में विराजित जालेश्वर की जय हो। अरुण व योगियों के भी ईश्वर महाकाल भगवान की जय हो।

पंच-अष्ट-द्वादश लिंगों की। महिमा सबसे न्यारी इनकी॥

श्रीकर गोप को दर्शन दे तारी। नंद बाबा की पीढ़ियाँ सारी॥

भक्त चंद्रसेन राजा शरण आए। विजयी करा रिपु-मित्र बनाये॥

दैत्य दूषण भस्म किए। और भक्तों से महाकाल कहाए॥

पांच, आठ व बारह शिवलिंगों की महिमा सबसे अपरंपार है और उनकी जय हो। महारासलीला के समय उन्होंने गोपी का रूप धरकर नंद बाबा की सभी पीढ़ियों का उद्धार कर दिया। जब शिव भक्त चंद्रसेन राजा की शरण में आये तो उन्होंने उसे विजयी बनाकर शत्रुता को भी मित्रता में बदल दिया। उन्होंने दैत्य दूषण का वध कर भक्तों से महाकाल का नाम पाया।

दुष्ट दैत्य अंधक जब आया। मातृकाओं से नष्ट कराया॥

जगज्जननी हैं माँ गिरि तनया। श्री भोलेश्वर ने मान बढ़ाया॥

श्री हरि की तर्जनी से हर-हर। क्षिप्रा भी लाए गंगाधर॥

अमृतमय पावन जल पाया। ‘ऋषि’ देवों ने पुण्य बढ़ाया॥

जब दैत्य अंधक अपना कहर बरपा रहा था तब मातारानी ने महाकाल के कहने पर उसका वध कर दिया। माँ गिरि तनया इस जगत की जननी हैं जिनका मान भोले बाबा ने बढ़ाया था। गंगाधर भगवान श्रीहरि की तर्जनी से शिप्रा नदी को उज्जैन नगरी लेकर आये। शिप्रा नदी के पावन जल को पाकर ऋषि व देवताओं ने महादेव को धन्यवाद कहा।

नमः शिवाय मंत्र पंचाक्षरी। इनका मंत्र बड़ा भयहारी॥

जिसके जप से मिटती सारी। चिंता-क्लेश-विपद् संसारी॥

सिर जटा-जूट-तन भस्म सजै। डम-डम-डमरू त्रिशूल सजै॥

शमशान विहारी भूतपति। विषधर धारी जय उमापति॥

नमः शिवाय मंत्र पांच अक्षरों से मिलकर बना है जिसका जाप करने से हमारे भय दूर हो जाते हैं। इस मंत्र के जाप से हमारी हर तरह की चिंता, कलेश व विपदाएं दूर हो जाती है।

महाकाल के सिर पर जटाएं जूट रूप में तो शरीर पर भस्म सजी होती है। हाथों में उनके डमरू डम-डम करके बजता है और दूसरे हाथ में त्रिशूल होता है। वे शमशान भूमि में विचरण करते हैं और भूतों के राजा हैं। वे ही विष का पान करने वाले और उमा माता के पति देव हैं।

रुद्राक्ष विभूषित शिवशंकर। त्रिपुण्ड विभूषित प्रलयंकर॥

सर्वशक्तिमान-सर्व गुणाधार। सर्वज्ञ-सर्वोपरि-जगदीश्वर॥

अनादि-अनंत-नित्य-निर्विकारी। महाकाल प्रभु-रूद्र-अवतारी॥

धाता-विधाता-अज-अविनाशी। मृत्यु रक्षक सुखराशी॥

उन्होंने अपने शरीर पर रुद्राक्ष की माला पहन रखी है तो वहीं शिव शंकर उन्हीं का रूप है। उन्होंने अपने माथे पर त्रिपुंड लगा रखा है और वे ही प्रलय लाने वाले हैं। वे ही इस सृष्टि में सबसे शक्तिशाली हैं और सभी गुणों को लिए हुए हैं। वे हर जगत व्याप्त हैं, सबसे ऊपर हैं और इस जगत के ईश्वर हैं।

वे ही इस सृष्टि के अनादि हैं और अनंत भी वही हैं अर्थात वे ही शुरुआत और अंत हैं। उनका कोई आकार नहीं है और है भी। वे ही महाकाल के रूप में रूद्र का अवतार हैं। वे ही हमारा पालन-पोषण करने वाले विधाता हैं और उनका विनाश नहीं किया जा सकता है। वे ही मृत्यु से हमारी रक्षा कर सकते हैं और हमें सुख प्रदान करते हैं।

त्रिदल-त्रिनेत्र-त्रिपुण्ड-त्रिशूलधर। त्रिकाय-त्रिलोकपति महाकालेश्वर॥

त्रिदेव-त्रयी हैं एकेश्वर। निराकार शिव योगीश्वर॥

एकादश-प्राण-अपान-व्यान। उदान-नाग-कुर्म-कृकल समान॥

देवदत्त धनंजय रहें प्रसन्न। मन हो उज्जवल जब करें ध्यान॥

वे ही तीनों लोकों के स्वामी, तीन आँखों को लिए हुए, माथे पर त्रिपुंड का लेप लगाये हुए और हाथों में त्रिशूल को धारण किये हुए हैं। वे तीन तरह की काया को लिए हुए तीनों लोकों के स्वामी हैं और महाकालेश्वर का रूप हैं। वे ही त्रिदेव का रूप हैं और तीनों देवता (ब्रह्मा, विष्णु व महेश) उनमें समाये हुए हैं। वे ही निराकार है अर्थात उनका कोई आकार नही है और वे ही शिव रूप में योगी हैं।

हमारे शरीर में दस तरह की वायु होती है जिनके नाम प्राण, अपान, व्यान, उदान, नाग, कुर्म, कृकल, समान, देवदत्त व धनंजय है। महाकाल ही इन सभी वायु के स्वामी हैं और हमारे शरीर में वास कर इन्हें नियंत्रित करते हैं। उनका ध्यान करने से हमारा मन उज्जवल हो जाता है और हमें आत्म-ज्ञान की प्राप्ति होती है।

अघोर-आशुतोष-जय औढरदानी। अभिषेक प्रिय श्री विश्वेश्वर ध्यानी॥

कल्याणमय-आनंद स्वरुप शशि शेखर। श्री भोलेशंकर जय महाकालेश्वर॥

प्रथम पूज्य श्री गणेश हैं, ऋद्धि-सिद्धि संग। देवों के सेनापति, महावीर स्कंध॥

अन्नपूर्णा माँ पार्वती, जग को देती अन्न। महाकाल वन में बसे, महाकाल के संग॥

वे अघोर रूप में अत्यंत भयानक रूप लिए हुए हैं तो वहीं आशुतोष रूप में हमारे मन को प्रसन्न करते हैं। हमें सबकुछ प्रदान करने वाले महाकाल भगवान की जय हो। उन्हें अभिषेक बहुत प्रिय है और वे ही इस विश्व के ईश्वर व ध्यान करने वाले हैं। वे हम सभी का कल्याण करने वाले और आनंद प्रदान करने वाले हैं। उनके मस्तक पर चंद्रमा विराजित है। भोले शंकर व महाकालेश्वर भगवान की जय हो।

हर तरह की पूजा में शिव भगवान के पुत्र गणेश जी को उनकी पत्नियों रिद्धि-सिद्धि सहित प्रथम पूजनीय माना गया है। वे ही देवताओं के सेनापति व महावीर स्कंध हैं। माँ पार्वती अन्नपूर्णा माता के रूप में इस जगत को अन्न प्रदान करती हैं तो वहीं महाकाल भगवान तो महाकाल के ही साथ में वन में निवास करते हैं।

॥ दोहा ॥

शिव कहें जग राम हैं, राम कहें जग शिव,
धन्य-धन्य माँ शारदा, ऐसी ही दो प्रीत।
श्री महाकाल चालीसा, प्रेम से, नित्य करे जो पाठ,
कृपा मिले महाकाल की, सिद्ध होय सब काज॥

शिवजी कहते हैं कि इस सृष्टि के आधार श्रीराम हैं तो वहीं श्रीराम कहते हैं कि वे शिव हैं। दोनों के बीच इस तरह का प्रेम दिखाने के लिए शारदा माता की जय हो, जय हो। जो कोई भी महाकाल चालीसा का प्रतिदिन प्रेम सहित पाठ करता है, उस पर महाकाल की कृपा होती है और उसके सभी काम बन जाते हैं।

श्री महाकाल चालीसा (Shri Mahakal Chalisa) – महत्व

शिव ही इस सृष्टि के आधार हैं और वे ही हमारे विनाशक हैं। शिव ही मृत्यु हैं, वे ही भय हैं, वे ही अहंकार का अंत हैं और वे ही कालचक्र हैं। एक तरह से हमारा भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल शिव के ही चरणों में समर्पित है। उनके कई रूप हैं और अपने हरेक रूप में वे मनुष्य के अहम का अंत कर देते हैं। इसमें से उनका महाकाल रूप बहुत ही विस्मयकारी है क्योंकि यह समयचक्र को भी बाँध लेता है।

ऐसे में शिव के इस महाकाल रूप की महिमा का वर्णन करने हेतु ही महाकाल चालीसा की रचना की गयी है। इसके माध्यम से महाकाल के बारे में जानकारी तो दी ही गयी है बल्कि उसी के साथ ही महाकाल की आराधना भी की गयी है। यही श्री महाकाल चालीसा का महत्व होता है।

महाकाल चालीसा पढ़ने के लाभ (Mahakal Chalisa Benefits In Hindi)

अब यदि आप सच्चे मन के साथ भगवान शिव का ध्यान कर महाकाल चालीसा का पाठ करते हैं तो इससे आपको एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। सबसे पहला और बड़ा लाभ तो यही है कि आप अकाल मृत्यु से बच जाते हैं। अकाल मृत्यु का अर्थ हुआ कि बिना किसी संदेश के आपके प्राण पहले ही चले जाए जैसे कि कोई दुर्घटना हो जाना। महाकाल की कृपा से आप अकाल मृत्यु से बच जाते हैं और स्वस्थ रहते हैं।

महाकाल चालीसा के माध्यम से आपके ऊपर से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है और साथ ही सभी तरह के भय भी दूर हो जाते हैं। अब वह भय चाहे अंधकार, अग्नि, जल इत्यादि किसी का भी क्यों ना हो। ग्रह दोष तथा कुंडली के सभी दोष भी श्री महाकाल चालीसा के माध्यम से दूर हो जाते हैं। आपको परम सत्य का ज्ञान होता है और मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है। एक तरह से आप मानव जीवन में रहते हुए भी जीवन-मरण के परम सत्य का ज्ञान प्राप्त कर पाने में सक्षम हो जाते हैं।

महाकाल चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: महाकाल का मूल मंत्र क्या है?

उत्तर: भगवान शिव का कोई भी रूप हो, फिर चाहे वह महाकाल का रूप ही क्यों ना हो, उन सभी का मूल मंत्र एक ही है और वह है “ॐ नमः शिवाये”। यह मंत्र एक तरह से इस सृष्टि व ब्रह्माण्ड का भी मूल मंत्र है।

प्रश्न: शिव जी का प्रिय मंत्र कौन सा?

उत्तर: शिव जी को महामृत्युंजय मंत्र सबसे अधिक प्रिय होता है। महामृत्युंजय मंत्र “ ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥” होता है।

प्रश्न: शिव के लिए कौन सा मंत्र शक्तिशाली है?

उत्तर: शिव भगवान की आराधना करने के लिए दो मंत्र सबसे शक्तिशाली बताये जाते हैं जिनमें से पहला “ॐ नमः शिवाये” है तो दूसरा महामृत्युंजय मंत्र है।

प्रश्न: शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

उत्तर: शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय आप “ॐ नमः शिवाये” मंत्र का जाप कर सकते हैं। यह शिवजी का मूल मंत्र है जो उन्हें जल चढ़ाते समय बोला जा सकता है।

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कृष्णा

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