रामायण में माल्यवान कौन था (Malyavan Ramayana) व उसकी क्या भूमिका रही थी? दरअसल माल्यवान की रावण के दरबार में महत्वपूर्ण भूमिका थी। वह रावण के नाना तथा उसके प्रमुख सलाहकार थे। उन्होंने रावण को हमेशा माता सीता को लौटा देने व श्रीराम की शरण में चले जाने का परामर्श दिया था लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई।
हालाँकि रावण उनकी बुद्धिमता का बहुत सम्मान करता था लेकिन अपने अहंकार में उसने एक समय के बाद उनकी बिल्कुल नहीं सुनी। रामायण में रावण माल्यवान संवाद (Ravan Malyavan Samvad Ramayan) कई बार देखने को मिलता है। आज हम आपको माल्यवान का जीवन परिचय देंगे।
माल्यवान के पिता का नाम सुकेश था जो राक्षस जाति से थे। उनके भाई का नाम सुमाली था जिसकी पुत्री कैकसी थी। कैकसी का पुत्र ही रावण हुआ था। इस प्रकार माल्यवान रावण के नाना का बड़ा भाई था लेकिन अपनी बुद्धिमता के कारण वह रावण का प्रमुख मंत्री था। माल्यवान की पत्नी का नाम सुंदरी था जिससे उनके आठ पुत्र व एक पुत्री हुई थी। मान्यता है कि एक समय में वह लंका का राजा भी था।
इस तरह से लंका नगरी में माल्यवान की उपस्थिति (Malyavan Kaun Tha) बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण थी। क्या आप जानते हैं कि रावण वध के बाद लंका राजपरिवार में जीवित एकमात्र पुरुष व्यक्ति माल्यवान ही थे अर्थात उसके बाद लंका का राजमुकुट माल्यवान के पास आ गया था। उसके बाद माल्यवान ने जो किया, वह पढ़कर आप भी आश्चर्यचकित रह जाएँगे। आइए जाने माल्यवान ने रावण को क्या समझाया और उसके वध के पश्चात क्या कुछ किया।
जब रावण माता सीता का हरण करके ले आया तब माल्यवान ने उसे बहुत समझाने का प्रयास किया कि वह सीता को लौटा दे लेकिन रावण इस बात को अनदेखा कर देता था। जब श्रीराम की सेना लंका पहुँच गई तथा अंगद के द्वारा रावण को शांति संदेश पहुँचाया गया तब भी माल्यवान ने पुनः यही बात दोहराई थी।
युद्ध शुरू होने के पश्चात माल्यवान ने रावण को कई बार समझाने का प्रयास किया लेकिन युद्ध जब अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया तब उसने रावण का साथ देने का निश्चय किया। इसके बाद एक-एक करके माल्यवान ने रावण के एक से बढ़कर एक योद्धाओं, पुत्रों व भाइयों का वध होते देखा तथा अंत में रावण का भी अंत हो गया।
जब रावण का वध हो गया तब उसकी सभी पत्नियाँ युद्धभूमि में जाकर प्रलाप करने लगी। रावण की मृत्यु के पश्चात लंका के राज परिवार का एकमात्र जीवित प्राणी माल्यवान ही बचे थे इसलिए उन्होंने युद्ध रोकने की घोषणा की। माल्यवान तब लंका के राजा का मुकुट लेकर युद्धभूमि में पहुँचे तथा उसे श्रीराम के चरणों में रख दिया।
उन्होंने श्रीराम से युद्ध रोकने की विनती की तथा लंका को उनके अधीन स्वीकार कर लिया। तब श्रीराम ने लंका का राज्य ठुकरा दिया तथा इसे रावण के छोटे भाई विभीषण को सौंप कर अयोध्या चले गए थे। रावण के मरने के पश्चात भी माल्यवान की स्थिति वही बनी रही तथा उन्हें विभीषण के प्रमुख मंत्रियों में सम्मिलित कर लिया गया। इस तरह से आज आपने जान लिया है कि रामायण में माल्यवान कौन था (Malyavan Kaun Tha) और उसकी कहाँ पर और कितनी भूमिका रही थी।
माल्यवान रामायण से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: माल्यवान रावण के कौन थे?
उत्तर: माल्यवान रावण के नाना थे जो लंका का शासन संभालने में उसकी सहायता करते थे। वह रावण की माँ कैकसी के पिता थे।
प्रश्न: रामायण में माल्यावन कौन है?
उत्तर: रामायण में माल्यवान की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। वह रावण का नाना था और रावण वध के बाद लंका राजपरिवार का एकमात्र जीवित पुरुष।
प्रश्न: रावण का सलाहकार कौन था?
उत्तर: रावण के कई सलाहकार हुआ करते थे। इसमें से उसका छोटा भाई विभीषण और नाना माल्यवान मुख्य सलाहकार थे। विभीषण को निकाले जाने के बाद माल्यवान ही मुख्य सलाहकार रह गए थे।
प्रश्न: माल्यावन किसका मंत्री था?
उत्तर: माल्यवान त्रेता युग में रावण के दरबार में मंत्री था। वह रावण का मुख्य सलाहकार और उसका नाना भी था।
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