रावण वध के बाद श्रीराम ने लंका वापस क्यों लौटा दी थी?

Ravan Vadh Ke Bad Lanka

क्या आप जानते हैं कि लंका के राजा रावण के वध के पश्चात लंका के राज परिवार तथा संपूर्ण सेना ने श्रीराम के सामने आत्म-समर्पण कर दिया था (Ramayan Ravan Marne Ke Bad Lanka)। तब लंका के राज परिवार का एकमात्र जीवित पुरुष रावण के नाना माल्यवान ने उनके सामने घुटने टेक दिए थे व लंका उन्हें सौंप दी थी। फिर भी श्रीराम ने लंका का राज्य ठुकरा दिया तथा अपनी पत्नी सीता को लेकर वापस अयोध्या लौट गए। आज हम आपको रावण वध के बाद (Ravan Vadh Ke Bad) की घटना के बारे में बताएँगे।

रावण वध के बाद श्रीराम का लंका का राज्य वापस लौटा देना (After Ravana Death What Happened In Hindi)

रावण की मृत्यु व रानियों का विलाप (Mandodari Cried After Ravan Death)

श्रीराम-रावण युद्ध के अंतिम दिन जब भगवन श्रीराम ने ब्रह्मास्त्र का संधान करके लंका के राजा रावण को मार गिराया (Ravan Ke Vadh Ke Bad) तब वह श्रीराम नाम का चीत्कार करता हुआ रथ समेत भूमि पर गिर पड़ा। इसके पश्चात उसका छोटा भाई विभीषण, पत्नियाँ, प्रजागण इत्यादि प्रलाप करने लगे। भगवान श्रीराम उन सभी को समझाने का प्रयास कर रहे थे कि इसी बीच लंका के राज परिवार का एकमात्र जीवित पुरुष माल्यवान लंका के राजा का मुकुट, राजसी तलवार लेकर वहां पहुंचे।

माल्यवान का श्रीराम के सामने आत्म-समर्पण (Ravan Vadh Ke Bad Lanka)

रावण के नाना माल्यवान ने श्रीराम के सामने आत्म-समर्पण किया तथा रावण की मृत्यु के पश्चात लंका की पराजय स्वीकार की। उन्होंने अब से लंका को अयोध्या के अधीन बताया तथा युद्ध समाप्त करने का अनुरोध किया। इसी के साथ उन्होंने भगवान श्रीराम से अनुरोध किया कि (Ravan Ke Marne Ke Bad) अब वे लंका के बचे हुए नर-नारी को क्षमा कर दे (Ramayan Ravan Marne Ke Bad)। उन्होंने कहा कि अब से वे सभी उन्हें लंका का स्वामी स्वीकार करते है। ऐसा कहकर उन्होंने श्रीराम के सामने घुटने टेक दिए।

श्रीराम के द्वारा लंका का राज्य ठुकराना (Ravan Ki Mrityu Ke Baad Lanka Ka Kya Hua)

श्रीराम ने सभी के सामने माल्यवान जी का अनुरोध अस्वीकार कर दिया तथा उन्हें बताया कि उन्होंने यह युद्ध लंका पर आधिपत्य स्थापित करने या लंकावासियों को अपने अधीन करने के लिए नही लड़ा। उन्होंने तो यह युद्ध पापियों का सर्वनाश करने तथा अपनी पत्नी सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए लड़ा था। उन्होंने माल्यवान व लंकावासियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह भूमि केवल और केवल लंकावासियों की है तथा उस पर अयोध्या का कोई अधिकार नही है।

विभीषण को बनाया लंका का राजा (Ravan Ke Baad Lanka Ka Kya Hua)

उन्होंने सभी को बताया कि उन्होंने यह युद्ध केवल लंका के दुष्ट राजा रावण के पाप (Ravan Ki Mrityu Ke Baad) तथा अधर्म की नीति को समाप्त करने के लिए लड़ा व युद्ध से पहले ही वे रावण के छोटे भाई तथा धर्म के ज्ञाता विभीषण को लंका का राजा मान चुके हैं। उन्होंने सभी के सामने घोषणा की कि अब से लंका के नए राजा विभीषण ही होंगे तथा उन पर अयोध्या का कोई अधिकार नही होगा।

रावण का अंतिम संस्कार (Ravan Ka Antim Sanskar)

इसी के साथ उन्होंने विभीषण को भाई का कर्तव्य निभाते हुए रावण के पार्थिक शरीर का अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया। उन्होंने सभी से कहा कि उनके अंतिम संस्कार (Ravan Ka Antim Sanskar) को पूरे विधिवत तरीके से ही किया जाना चाहिए तथा उसमे कोई कमी नही आनी चाहिए। साथ ही उन्होंने रावण की आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की (What Happened To Ravana’s Body After His Death) तथा विभीषण को वहां का राजा बनाकर अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण तथा अन्य लोगों के साथ अयोध्या लौट गए।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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