रामायण: विभीषण का जीवन परिचय

Vibhishan In Ramayan In Hindi

विभीषण रामायण का एक ऐसा पात्र था (Vibhishana In Hindi) जिसका जन्म तो एक राक्षस कुल में हुआ था लेकिन स्वभाव से वह धर्मावलंबी था। उसने भगवान श्रीराम व रावण के युद्ध के समय धर्म का साथ दिया व रावण वध में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उसने युद्ध में कई बार श्रीराम व उनकी सेना का उचित मार्गदर्शन किया (Vibhishan Kaun Tha) तथा अंत में लंका का राजा बना। आज हम आपको विभीषण का संपूर्ण जीवन परिचय देंगे।

रामायण में विभीषण का जीवन परिचय (Vibhishan In Ramayan In Hindi)

विभीषण का जन्म व परिवार (Vibhishan Ka Janam)

विभीषण का जन्म ब्राह्मण-राक्षस परिवार में हुआ था। उसके पिता महान ऋषि विश्रवा व माँ राक्षसी कैकसी थी। उसके दो बड़े भाई लंकापति रावण व कुंभकरण (Vibhishan Kiska Bhai Tha) तथा एक बहन शूर्पनखा थी। इसके अलावा उसके कई और सौतेले भाई-बहन भी थे।

विभीषण का विवाह सरमा (Vibhishana Ki Patni Ka Naam) नामक स्त्री से हुआ था। कुछ मान्यताओं के अनुसार जब माता सीता अशोक वाटिका में थी तब उनकी सहायता करने वाली त्रिजटा (Vibhishan Ki Beti Ka Naam) विभीषण की ही पुत्री थी।

विभीषण की हनुमान से भेंट (Vibhishan Hanuman Milan)

जब रावण माता सीता का हरण करने जाने वाला था तब विभीषण ने उनके छोटे भाई व लंका के मंत्री होने के नाते उसे परामर्श दिया कि वह ऐसा कुकर्म ना करे। माता सीता के हरण के बाद भी उसने कई बार रावण को उन्हें वापस लौटा देने की मांग की लेकिन उनकी एक नही सुनी गयी।

माता सीता के हरण के कुछ माह पश्चात श्रीराम के दूत हनुमान उनका पता लगाते हुए लंका आए। जब हनुमान ने राक्षस नगरी में एक विष्णु भक्त का घर देखा तो वे ब्राह्मण वेश में उनसे मिलने पहुँच गए। तब विभीषण की प्रथम बार हनुमान से भेंट (Hanuman Vibhishan Samvad Ramayan) हुई। हनुमान को विभीषण से मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई।

अगले दिन विभीषण ने देखा कि हनुमान को मेघनाद के द्वारा बंदी बना लिया गया है। तब उसने रावण से उसे मुक्त कर देने की याचना की लेकिन रावण ने उसकी नहीं सुनी। रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगवा दी जिसके फलस्वरूप हनुमान ने पूरी लंका में आग लगा दी।

रावण का विभीषण को लंका से निष्कासित करना (Ravan Vibhishan Samvad Ramayan In Hindi)

माता सीता का पता लगने के पश्चात श्रीराम वानर सेना के साथ समुंद्र तट तक पहुँच गए तथा लंका तक सेतु बनाने का कार्य करने लगे। तब रावण के दरबार में मंत्रणा बुलायी गयी जिसमे विभीषण ने पूरे जोर-शोर से माता सीता को लौटा देने व श्रीराम की शरण में जाने को कहा।

रावण को विभीषण के द्वारा बार-बार एक ही बात कहे जाने से क्रोध आ गया व उसने सभी के सामने विभीषण को ठोकर मारकर सीढ़ियों से नीचे गिरा दिया। इसी के साथ उसने विभीषण को लंका राज्य से निष्कासित (Vibhishan Ko Lanka Se Nikalna) कर दिया। इसके बाद विभीषण अपने विश्वस्त मित्रों के साथ लंका से निकल गए।

विभीषण का श्रीराम की शरण में जाना (Vibhishan Aur Ram Ka Milan)

लंका से निष्कासित होने के पश्चात विभीषण ने धर्म का साथ देते हुए श्रीराम की शरण में जाने का निर्णय लिया। वे आकाश मार्ग से समुंद्र पार करके श्रीराम के पास पहुंचे व सारी घटना का वृतांत (Shri Ram Vibhishan Milan) सुनाया। शुरू में श्रीराम के मंत्रियों इत्यादि ने शत्रु के भाई को अपनाने पर संदेह जताया तथा विभीषण को उनका भेदी बताया लेकिन हनुमान ने श्रीराम को विभीषण के चरित्र से अवगत करवाया।

हनुमान के द्वारा विभीषण के साथ हुई अपनी भेंट का वृतांत सुनने के पश्चात व शरण में आए शत्रु की भी सहायता करने के धर्म का पालन करने के लिए श्रीराम ने विभीषण को शरण (Vibhishana Character In Ramayan In Hindi) दे दी। इसके साथ ही श्रीराम का उद्देश्य लंका पर आधिपत्य करना नहीं था बल्कि उन्हें तो बस रावण का वध करके माता सीता को पुनः प्राप्त करना था।

रावण वध के पश्चात लंका राजा विहीन हो जाती इसलिये यह सोचकर की उसके बाद वे विभीषण को राजा बना सकते हैं, उन्होंने विभीषण को स्वीकार कर लिया व उसी समय उनका लंका के राजा के तौर पर राज्याभिषेक भी कर दिया।

विभीषण के द्वारा युद्ध में श्रीराम की सहायता करना (Vibhishan Ka Charitra Chitran)

विभीषण रावण का भाई था व लंका का मंत्री भी, इसलिये उसे लंका के सभी छोटे-बड़े रहस्य ज्ञात थे। इसी का लाभ उसने युद्ध में उठाया। उसने बहुत बार श्रीराम तथा उनकी सेना की युद्ध में सहायता की व उन्हें विजयी बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उदाहरण के तौर पर:

  • उनके द्वारा प्रतिदिन किसी भी महत्वपूर्ण राक्षस के युद्धभूमि में आने पर उसकी शक्तियों व कमजोरियों का वृतांत करना।
  • कुंभकरण को समझाने का प्रयास करना (Kumbhkaran Vibhishan Samvad) व श्रीराम के साथ मिलने का प्रस्ताव रखना।
  • लक्ष्मण के मुर्छित होने पर लंका के राजवैद्य सुषेण के बारे में बताना।
  • मेघनाद के अपनी कुलदेवी निकुम्बला के यज्ञ को लक्ष्मण की सहायता से विफल करवाना।
  • मेघनाद की मृत्यु में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना इत्यादि।

विभीषण के द्वारा श्रीराम की सबसे महत्वपूर्ण सहायता अंतिम युद्ध में की गयी जब आकाश मार्ग में श्रीराम व रावण का भीषण युद्ध चल रहा था। उस समय श्रीराम लगातार रावण का मस्तक काटे जा रहे थे लेकिन वह पुनः जीवित हो उठता। यह देखकर विभीषण श्रीराम के पास गए व उन्हें रावण की नाभि में अमृत होने की बात बतायी।

श्रीराम ने विभीषण के कहे अनुसार आग्नेय अस्त्र का प्रयोग करके रावण की नाभि का अमृत सुखा दिया तथा फिर ब्रह्मास्त्र का अनुसंधान करके उसका वध कर दिया।

विभीषण का लंकापति बनना व मंदोदरी से विवाह (Ramayan Vibhishan Ka Rajtilak And Vibhishan Mandodari Vivah)

रावण वध के पश्चात श्रीराम के आदेश पर लक्ष्मण के द्वारा (Vibhishan Ka Rajtilak Kisne Kiya) विभीषण का राज्याभिषेक कर दिया गया। लंकापति बनते ही विभीषण ने माता सीता को सम्मान सहित मुक्त करने का आदेश दिया। श्रीराम ने रावण की प्रमुख पत्नी मंदोदरी के साथ विवाह करने के लिए विभीषण को कहा। विभीषण ने इसे स्वीकार कर लिया तथा मंदोदरी के भी मान जाने पर दोनों का विवाह (Mandodari Vibhishan Ki Patni Kaise Bani) हो गया।

इसके बाद विभीषण श्रीराम व अन्य लोगों के साथ पुष्पक विमान पर बैठकर अयोध्या गए। वहां जाकर उन्होंने उनका राज्याभिषेक देखा व कुछ दिन अयोध्या में व्यतीत करने के पश्चात पुनः लंका लौट गए। विभीषण ने लंका में धर्म का शासन स्थापित किया तथा कई वर्षों तक राज करने के बाद अपनी देह का त्याग (Vibhishan Ki Mrityu Kaise Hui) कर दिया।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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