आज हम आपको नवरात्रि व्रत के नियम (Navratri Vrat Ke Niyam) बताने जा रहे हैं। जब नवरात्र का त्यौहार आता हैं तो चारो ओर एक भक्ति का वातावरण देखने को मिलता हैं। मातारानी के नौ दिनों में तो मांसाहारी लोग भी शाकाहारी भोजन करने लग जाते हैं। इसी के साथ बहुत लोग इन दिनों व्रत करते हैं जिनमे कुछ 2 दिन तो कुछ 4 दिन तो कुछ पूरे नवरात्र।
ऐसे समय में व्रत रखते समय हमे कुछ बातों व नियमों को ध्यान में रखना अति-आवश्यक होता हैं। आज हम आपको नवरात्रि व्रत में क्या नहीं करना चाहिए और क्या करना चाहिए, इसके बारे में बताएँगे। चलिए जानते हैं।
भक्तों के नवरात्र के व्रत रखने से संबंधित कई तरह के प्रश्न होते हैं। उदाहरण के तौर पर नवरात्रि में कितने व्रत रख सकते हैं, नवरात्रि का व्रत कब खोलना चाहिए, नवरात्रि का व्रत कैसे किया जाता है, इत्यादि। ऐसे में आज आपका यह जानना जरुरी हो जाता है कि नवरात्र व्रत के नियम में क्या कुछ बताया गया है।
अब हम एक-एक करके आपके सामने नवरात्र व्रत के सभी नियम रखने जा रहे हैं। ऐसे में आपको भी नवरात्रि का व्रत रखते समय इनका पालन करना चाहिए।
नवरात्रि के व्रत में आपको व्यसनों से दूर रहना चाहिए। ईश्वर ने आपको जितना दिया है, आपको उसी में ही संतोष प्राप्ति की भावना लानी चाहिए। मातारानी के आशीर्वाद से आपको उतना ही मिलेगा, जितना आपके भाग्य में लिखा होगा। आपको उससे पहले कुछ भी ज्यादा या कम नहीं मिलेगा और ना ही उसके बाद।
ऐसे में आपको नवरात्रि का व्रत करते समय व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। इस दौरान आपको संभोग, क्रोध, मांस, मदिरा, धुम्रपान, ईर्ष्या, लोभ, व्यसन इत्यादि चीज़ों और भावनाओं से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। तभी आपके द्वारा किए गए नवरात्र के व्रत फलदायी सिद्ध होते हैं अन्यथा उनका कोई महत्व नहीं रह जाता है।
नवरात्रि नौ दिनों तक मनाया जाने वाला पर्व होता है। अब जिन लोगों ने पूरे नवरात्र के व्रत रखे होते हैं, उनके व्रत भी नौ दिन के नहीं आठ या सात दिन के ही होते हैं। वह इसलिए क्योंकि अष्टमी या नवमी के दिन कंजको को जिमाने के बाद व्रत का उद्यापन कर दिया जाता है। इसलिए यदि आप पूरे नवरात्र व्रत करने जा रहे हैं तो यह तो बहुत अच्छी बात है लेकिन कंजके जिमाने या कन्या पूजन के बाद व्रत समाप्त हो जाते हैं।
वही कुछ लोग पूरे नवरात्र नहीं बल्कि कुछ दिन ही व्रत रखते हैं। ऐसे में आप इस बात का ध्यान रखे कि नवरात्रि की व्रत संख्या हमेशा सैम संख्या होनी चाहिए, ना कि विषम संख्या। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप जोड़ी में ही नवरात्रि के व्रत रख सकते हैं। उदाहरण के तौर पर दो, चार या छह नवरात्र के व्रत रखना। अब यह दो या चार नवरात्र के दिन जरुरी नहीं कि एक साथ ही हो। बहुत लोग पहले और आखिरी नवरात्रि का भी व्रत रखते हैं। तो यह पूर्ण रूप से आप पर ही निर्भर करता है।
नवरात्रि का व्रत अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के बाद खोला जाता है। जो भक्तगण पूरे नवरात्र के व्रत रख रहे हैं, उन्हें नवरात्र के आठवें या नौवें दिन कन्या पूजन के बाद अपने व्रत का उद्यापन करना चाहिए। अब कुछ घरों में अष्टमी के दिन कन्याएं जिमाई जाती है तो कुछ घरों में नवमी के दिन। ऐसे में आपको उसके अनुसार ही अपने व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
इसी के साथ ही जिन्होंने जोड़ी में व्रत किए थे या व्रत नहीं भी किया था, उन्हें भी कन्या पूजन वाले दिन कुछ भी ग्रहण करने से बचना चाहिए। एक तरह से सभी घरों में अष्टमी या नवमीं जिस दिन भी कंजके जिमाई जाती है, उस दिन नौ कन्याओं को खिलाने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। यहीं नवरात्रि व्रत के नियम (Navratri Vrat Ke Niyam) होते हैं।
नवरात्र व्रत के नियम से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: नवरात्रि में क्या क्या नियम रखना चाहिए?
उत्तर: नवरात्रि के नियमों के अनुसार, आपको अपने मन में क्रोध, इर्श्रा, द्वेष, लोभ, तृष्णा इत्यादि भावनाओं को नहीं लाना चाहिए। आपका मन निर्मल और मातारानी की भक्ति में डूबा हुआ होना चाहिए।
प्रश्न: नवरात्रि का व्रत कैसे किया जाता है?
उत्तर: नवरात्रि का व्रत निर्मल मन और शुद्ध शरीर के साथ ही किया जाता है। आपके मन में कोई भी बुरे विचार नहीं आने चाहिए और शरीर भी एकदम शुद्ध होना चाहिए। तभी नवरात्रि का व्रत रखा जा सकता है।
प्रश्न: नवरात्रि का व्रत कैसे रखा जाता है?
उत्तर: नवरात्रि का व्रत एक समय का भोजन करके या फलाहार लेकर रखा जाता है। इस दौरान आपको पूरे दिन में एक बार ही नामक का उपयोग करना होता है और वो भी सेंधा नामक का।
प्रश्न: नवरात्रि का व्रत कैसे रखें?
उत्तर: नवरात्रि का व्रत रखने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके मातारानी की पूजा व आरती करनी चाहिए। उसके बाद ही कुछ ग्रहण करना चाहिए। इस दौरान आपको पूरे दिन एक समय का भोजन या फलाहार व्रत करना चाहिए।
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