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जब हनुमान जी माता सीता का पता लगाने के लिए समुंद्र को पार कर रहे थे तब उनका सामना Sursa Rakshasi से हुआ था। सुरसा राक्षसी बहुत ही विशालकाय शरीर वाली थी जिसका मुँह भी बहुत बड़ा था। हालाँकि इसके पीछे सुरसा का एक उद्देश्य था जिसमें हनुमान जी सफल हुए थे। ऐसे में अब यह प्रश्न उठता है कि आखिरकार यह सुरसा कौन थी (Sursa Kaun Thi)?
ऐसे में आज हम आपके साथ सुरसा और हनुमान की रोचक कथा ही सांझा करने वाले हैं। इस कहानी में हुआ सुरसा हनुमान संवाद बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसी के माध्यम से आपको देवताओं की चिंता और हनुमान की चतुराई का पता चलेगा। चलिए जानते हैं कि आखिरकार यह सुरसा राक्षसी कौन थी।
हनुमान जी तीव्र गति से समुंद्र के ऊपर से उड़ रहे थे कि अचानक से एक भयानक मुँह वाली राक्षसी जिसका शरीर पहाड़ जितना बड़ा था, उनके सामने प्रकट हो गई। उसका मुख अत्यंत विशाल व भयानक था तथा वह हनुमान को देखकर उसे अपना भोजन समझने लगी।
उसने हनुमान को कहा कि वह भूखी है व देवताओं के द्वारा उसे हनुमान के रूप में अपना भोजन मिला है। इसलिए वह उसे खाए बिना नहीं जाने देगी। हनुमान ने उसे अपने यहाँ आने का प्रयोजन बताया व उससे अनुरोध किया कि वे अपना कार्य करके पुनः उनके पास आ जाएंगे ताकि वह उन्हें खा सके। किंतु सुरसा ने उन्हें नहीं जाने दिया।
सुरसा ने कहा कि उसे भगवान ब्रह्मा का वरदान है कि कोई भी उसकी आज्ञा के बिना यहाँ से आगे नहीं जा सकता। इसलिए उसे उसके मुख में आना ही होगा। यदि वह मुख से बचकर निकल जाएगा तो ब्रह्मा का वरदान पूरा माना जाएगा।
यह सुनकर हनुमान तैयार हो गए व सुरसा को मुँह खोलने को कहा। सुरसा ने हनुमान को खाने के लिए अपना जबड़ा खोला किंतु हनुमान ने शक्ति से अपना शरीर बड़ा कर लिया जिससे वह सुरसा के मुँह में नहीं समा सकते थे। यह देखकर सुरसा ने भी अपना जबड़ा और खोला किंतु जैसे ही वह जबड़ा और खोलती हनुमान भी अपना शरीर और बढ़ा कर लेते।
जब Sursa Rakshasi का जबड़ा पूरा खुल गया व अत्यंत विशाल हो गया तब हनुमान ने तीव्र गति से अपना शरीर सुक्ष्म किया व सुरसा के मुख के अंदर जाकर वापस बाहर आ गए। हनुमान की ऐसी चतुराई देखकर सुरसा बहुत प्रसन्न हुई व अपने असली रूप में आ गई।
अपने असली व सुंदर रूप में आने के पश्चात उसने हनुमान को बताया कि वह राजा दक्ष की पुत्री है। उनके पति का नाम महर्षि कश्यप है और साथ ही उन्हें नागों की माता माना जाता है। उसे स्वयं देवताओं ने हनुमान की परीक्षा लेने भेजा था। देवता यह सुनिश्चित कर लेना चाहते थे कि जो व्यक्ति माता सीता को ढूंढने जा रहा है उसमें कितना धीरज, बुद्धि व बल है।
इसलिए वह Sursa Rakshasi का रूप लेकर उनकी परीक्षा लेने आई थी जिसमें वे भलीभाँति सफल हुए हैं। इतना कहकर सुरसा ने हनुमान को आशीर्वाद दिया कि वे अपने कार्य में अवश्य ही सफल होंगे। इतना कहकर सुरसा वहाँ से अंतर्धान हो गई और हनुमान जी को आगे जाने का रास्ता मिल गया।
सुरसा राक्षसी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सुरसा के माता पिता कौन थे?
उत्तर: सुरसा के पिता का नाम राजा दक्ष था जबकि उनकी माता के बारे में जानकारी नहीं है।
प्रश्न: सुरसा कौन थी और वह क्या चाहती थी?
उत्तर: सुरसा नागमाता थी जो देवताओं के कहने पर हनुमान की परीक्षा लेने आई थी।
प्रश्न: सुरसा किसकी पुत्री थी?
उत्तर: सुरसा राजा दक्ष प्रजापति की पुत्रियों में से एक पुत्री थी।
प्रश्न: सुरसा कौन है?
उत्तर: सुरसा को नागों की माता के रूप में जाना जाता है। वे महर्षि कश्यप की पत्नी बताई गई है।
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