सिंहिका एक राक्षसी थी जो भारत से लंका के बीच के समुंद्र में रहती थी (Simhika Kaun Thi)। हालाँकि वह रहती तो समुंद्र में थी लेकिन उसके अंदर चमत्कारी शक्तियों का वास था (Simhika In Hindi)। वह आकाश में उड़ने वाले पंछियों इत्यादि को उनकी परछाई की सहायता से पकड़कर खा जाती थी इसलिये उसे परछाई पकड़ने वाली राक्षसी भी कहते थे। जब हनुमान जी माता सीता की खोज में समुंद्र लाँघ कर लंका जा रहे थे तब बीच में सिंहिका ने हनुमान जी की परछाई को भी पकड़ लिया था। आज हम उसी घटना तथा सिंहिका राक्षसी के वध (Sinhika Vadh) के बारे में जानेंगे।
सिंहिका की शक्ति (Simhika In Ramayana In Hindi)
सिंहिका के पास एक ऐसी शक्ति थी जिससे वह समुंद्र के ऊपर आकाश में उड़ने वाले पंछियों की परछाई को पकड़ लेती थी जिस कारण वे उस राक्षसी के चंगुल में फंस जाते थे। परछाई के पकड़े जाने से ना तो वे आगे बढ़ सकते थे तथा ना ही उस राक्षसी पर वार कर सकते थे। उसके वाद वह उन्हें नीचे लाकर खा जाती थी। इसी प्रकार वह अपना जीवन यापन कर रही थी।
हनुमान जी की परछाई को पकड़ा (Sinhika And Hanuman Story In Hindi)
जामवंत जी के द्वारा अपनी शक्तियों को याद दिलाने के बाद भगवान हनुमान समुंद्र के ऊपर से उड़कर लंका जा रहे थे कि तभी बीच में सिंहिका ने समुंद्र से ही उनकी परछाई को पकड़ लिया (Hanuman Ki Parchhai Kis Rakshasi Ne Pakdi)। हनुमान यह देखकर बहुत विस्मित हुए व आगे बढ़ने का प्रयास किया किंतु सिंहिका की पकड़ से स्वयं को छुड़ा नही पायें।
सिंहिका का वध (Simhika Vadh)
सिंहिका राक्षसी ने हनुमान को भी पक्षियों की भांति अपना भोजन समझा व उन्हें नीचे ले आई। जैसे ही उसने हनुमान को खाने के लिए अपने मुहं में डाला तब हनुमान ने अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए उसके मुहं के अंदर ऊपर की ओर गदा से प्रहार किया (Sinhika Killed By Lord Hanuman In Hindi)। हनुमान ने अपने प्रभु श्रीराम का जयकारा लगाते हुए उन राक्षसी के मुख पर इतनी जोर से प्रहार किया कि वे उसका सिर फाड़ते हुए ऊपर से निकल गए।
इस प्रकार हनुमान ने सिंहिका राक्षसी का वध कर दिया। इसके पश्चात उन्होंने पुनः अपनी यात्रा शुरू की तथा माता सीता की खोज में निकल पड़े।