आखिरकार रावण ने हनुमान की पूंछ में आग लगाने का आदेश क्यों दिया था? हनुमान जी ने ना केवल रावण की अशोक वाटिका को तहस-नहस किया था बल्कि उसके छोटे पुत्र अक्षय कुमार का भी वध कर दिया था। इसके बाद जब मेघनाद हनुमान जी को बंदी बनाकर रावण की सभा में लेकर आया तब हनुमान ने वहाँ भी रावण का घोर अपमान किया था।
इतना सब होने के बाद रावण ने हनुमान को क्या दंड दिया था? क्या उसने केवल हनुमान की पूंछ में ही आग लगाई थी या इसके अलावा कुछ और भी किया था। साथ ही रावण ने हनुमान की पूंछ में आग लगाने का आदेश क्या सोचकर दिया था? आइए इन सभी प्रश्नों के उत्तर जान लेते हैं।
रावण लंका का राजा था जिसे अपने बल व पराक्रम पर बहुत घमंड था। इसी अहंकार में उसने स्वयं माता लक्ष्मी के रूप माता सीता का अपहरण कर लिया था। चूँकि वह माता सीता को समुंद्र पार करके लंका ले गया था इस कारण भगवान राम को उन्हें ढूंढने में अत्यधिक समय लग गया। अंत में जब भगवान श्रीराम के दूत हनुमान गुप्त रूप से समुंद्र पार करके लंका की नगरी में पहुँचे तो उन्होंने लंका में हाहाकार मचा दिया।
हनुमान ने माता सीता से मिलने के पश्चात अशोक वाटिका को उजाड़ दिया। उन्होंने लंका के सेनापति जंबुमली व रावण के सबसे छोटे पुत्र अक्षय कुमार का वध कर डाला। इसके बाद रावण ने अपने सबसे बड़े पुत्र मेघनाद को हनुमान से युद्ध करने भेजा। मेघनाथ ने हनुमान को ब्रह्मास्त्र की शक्ति से बंधक बनाया व रावण के दरबार में लेकर आया। इसके पश्चात रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगा दी लेकिन क्यों? आज हम उसी घटना तथा रावण हनुमान संवाद के बारे में जानेंगे।
जब हनुमान को रावण के दरबार में लाया गया तब हनुमान ने रावण को उसके द्वारा किए गए अधर्म के कार्य याद दिलाए। उन्होंने उसे माता सीता को लौटाने व श्रीराम की शरण में जाने का अनुरोध किया। जब रावण नहीं समझा तो हनुमान ने उसे चेतावनी दी कि यदि वह अभी भी नहीं संभला तो एक दिन लंका समेत उसका विनाश हो जाएगा।
रावण के दरबार में किसी ने भी इस प्रकार से बात करने का दुस्साहस नहीं किया था। यह पहला अवसर था जब किसी ने रावण से उसी के दरबार में इस प्रकार बात की थी। पूरी सभा में स्वयं के अपमान को रावण सह ना सका व उसने हनुमान की गर्दन काटने का आदेश अपने सैनिकों को दिया।
रावण के हनुमान की हत्या का आदेश देने के पश्चात विभीषण खड़े हुए व उन्हें ऐसा करने से रोका। उसने रावण को समझाया कि किसी भी दूत की हत्या करना अधर्म व नीति विरुद्ध है। उसके अनुसार हनुमान केवल एक दूत है व उसकी हत्या करके रावण को कुछ प्राप्त नहीं होगा। यदि रावण को प्रतिशोध लेना ही है तो वह उसके स्वामी से ले, ना कि दूत की हत्या करके।
रावण ने जब अपने मंत्रियों से परामर्श लिया तो उन्होंने भी उसे यह कहा कि दूत की हत्या करना राज धर्म के विरुद्ध है। उनके अनुसार दूत अपने स्वामी की आज्ञा का पालन करता है व उसी के अधीन होता है। इसलिए कहीं भी दूत की हत्या का प्रावधान नहीं है।
यदि दूत किसी प्रकार का उद्दंड करता है या किसी प्रकार की क्षति पहुँचाता है तो उसके लिए कई अन्य प्रकार के दंड निर्धारित किए गए हैं। जैसे कि उसका कोई अंग काट देना, उसका मुंडन कर देना या उसके शरीर में कोई हानि पहुँचाना। इसलिए उसके मंत्रियों के अनुसार यदि दूत शत्रु की भाँति भी व्यवहार करता है तो भी उसे मृत्यु दंड नहीं दिया जाना चाहिए।
रावण विभीषण व अपने मंत्रियों की बात पर सहमत हो गया व उसने हनुमान को मृत्यु दंड देने की आज्ञा वापस ले ली। इसके बाद रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने का सोचा क्योंकि वानरों को अपनी पूँछ से अत्यधिक प्रेम होता है। यदि हनुमान अपनी जली हुई पूँछ लेकर वापस जाएगा तो वानर सेना में उसका अपमान होगा, यही सोचकर रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने की आज्ञा दी।
हनुमान की पूंछ में आग लगाने से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: हनुमान के पकड़े जाने पर रावण ने क्या कहा?
उत्तर: हनुमान के पकड़े जाने पर रावण ने उनके वानर होने का उपहास किया था। उसने कहा था कि क्या श्रीराम इन वानरों की सहायता से उनसे युद्ध करने का सोच रहे हैं।
प्रश्न: हनुमान की पूंछ में आग कैसे लगी?
उत्तर: रावण के आदेश पर उसके सैनिकों ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी थी।
प्रश्न: रावण ने हनुमान की पूंछ में आग क्यों लगाई?
उत्तर: विभीषण ने रावण को समझाया था कि किसी दूत को मृत्यु दंड देना नीतिसम्मत नहीं है। इसलिए रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने का आदेश दिया था।
प्रश्न: रावण ने हनुमान की पूंछ में आग क्यों लगायी?
उत्तर: रावण के दरबार में आकर हनुमान ने उसे बहुत भला बुरा कहा था और चेतावनी भी दी थी। इस कारण रावण ने उनकी पूंछ में आग लगाने का आदेश दे दिया था।
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