रावण ने माता सीता का हरण किस प्रकार किया

Ramayan Ram Laxman Sita haran in Hindi

रावण लंका का राजा था जो असुर जाति का एक राक्षस था (Sita haran Ramayan)। वह स्वयं को भगवान विष्णु व ब्रह्मा से बढ़कर मानता था (Sita haran story in Hindi)। एक दिन जब उसकी बहन शूर्पनखा रावण के महल में रोती हुई पहुंची व उसे अपने साथ घटी घटना का असत्य वृतांत सुनाया तो रावण यह देखकर अत्यंत क्रोधित हो उठा (Ramcharitmanas Sita haran)। शूर्पनखा ने भरी सभा में रावण के अभिमान को चोट पहुंचाई थी व उसके बदला ना लेने की स्थिति में उसका उपहास किया था (Sita haran prasang)।

रावण भरी सभा में अपना यह अपमान देखकर अत्यंत क्रोधित हो गया व उसने भगवान श्रीराम व लक्ष्मण से युद्ध करने का निश्चय किया (Sita haran katha Ramayan) किंतु अपने मंत्रियों की सलाह पर उसने माता सीता के अपहरण का सोचा। इससे वह अपनी बहन शूर्पनखा के अपमान का बदला ले सकता था व साथ ही सीता को भी पा सकता था (Sita ji ka haran)।

रावण ने ली मारीच की सहायता (Sita haran story in Hindi)

इसी उद्देश्य से रावण पंचवटी के वनों में जहाँ भगवान श्रीराम अपनी कुटिया में माता सीता व भाई लक्ष्मण के साथ रह रहे थे वहां के लिए निकल गया (Mama Marich ki katha)। बीच में वह समुंद्र के किनारे अपने मामा मारीच की कुटिया में रुका व उससे सहायता मांगी। मारीच ने पहले मना किया किंतु रावण के द्वारा उसे मृत्यु दंड दिए जाने के कारण वह रावण की सहायता करने को तैयार हो गया (Ram Lakshman Sita haran)।

मारीच का सुंदर मृग बनना (Marich in Ramayana in Hindi)

उसके बाद रावण की योजना के अनुसार मारीच ने अपनी मायावी शक्तियों से एक सुंदर मृग का रूप धारण किया जिसकी त्वचा दिखने में एक दम सोने सोने के भांति आकर्षक थी। वह मृग बनकर भगवान राम की कुटिया के आसपास विचरण करने लगा। जब माता सीता ने उस सुंदर मृग को देखा तो उनके मन में उसे पाने की इच्छा हुई (Sita haran Ramayan)।

माता सीता ने अपने पति राम को उनके लिए वह मृग लाने को कहा। भगवान राम को भी वह मृग अत्यंत सुंदर लगा व वे माता सीता के लिए वह मृग लेने दौड़ पड़े। भगवान श्रीराम को अपनी ओर आते देखकर वह मृग कुटिया से दूर भागने लगा। भगवान राम भी उसे पकड़ने उसके पीछे भागते-भागते बहुत दूर निकल गए। जब वे अपनी कुटिया से बहुत दूर आ गए व उस मृग पर उन्हें किसी माया की आशंका होने लगी तो उन्होंने अपने तीर से उसका वध कर दिया।

मारीच का भगवान राम की आवाज़ में चिल्लाना (Marich Vadh by Rama)

भगवान श्रीराम का बाण लगते ही मारीच मृग से अपने असली रूप में आ गया व कराहते हुए भगवान राम की ही आवाज़ में जोर-जोर से सहायता के लिए चिल्लाने लगा (Ram Lakhan Sita haran)। मरते हुए उसने लक्ष्मण को अपने प्राणों की रक्षा के लिए पुकारा व अपने प्राण त्याग दिए। यह सुनकर माता सीता अत्यंत व्याकुल हो उठी व लक्ष्मण को अपने भाई की रक्षा करने के लिए कहा (Sita angry on Laxman)।

लक्ष्मण अपने भाई श्रीराम की शक्ति को अच्छी तरह पहचानते थे व उन्हें उनके भाई ने किसी भी दशा में माता सीता को अकेले छोड़ कर जाने से मना किया था। इसलिये लक्ष्मण ने माता सीता को वहां अकेले छोड़ कर जाने से मना कर दिया व उन्हें समझाया कि इसमें कोई षड़यंत्र हो सकता हैं। माता सीता ने लक्ष्मण की एक बात ना सुनी व उन्हें अत्यंत मार्मिक व कठोर वचन कहे।

लक्ष्मण रेखा का खींचना (Laxman Rekha in Ramayan)

माता सीता के मार्मिक वचन सुनकर लक्ष्मण परास्त हो गए व जब माता सीता स्वयं वहां जाने लगी तब लक्ष्मण को उनकी आज्ञा माननी पड़ी। जाने से पहले लक्ष्मण ने कुटिया के चारों ओर शक्तिशाली लक्ष्मण रेखा को अपने बाण से खिंचा व किसी भी स्थिति में माता सीता को उसके बाहर आने से मना किया। यह कहकर लक्ष्मण माता सीता को वहां के वनों, पेड़ पौधों, पशु पक्षियों को सौंप कर चले गए।

रावण आया साधु का वेश बनाकर (Ravan ne Sita ka haran kiya)

जब राम व लक्ष्मण दोनों कुटिया से दूर चले गए तब रावण माता सीता को अकेले पाकर साधु का वेश बनाकर उनकी कुटिया के बाहर के प्रांगन में आया व भिक्षा मांगने लगा। द्वार पर आये ब्राह्मण को भोजन देने के उद्देश्य से माता सीता अंदर गयी तो रावण ने कुटिया के अंदर जाने का प्रयत्न किया किंतु जैसे ही वह लक्ष्मण रेखा को पार करने का प्रयास करता उसका शरीर जलने लगता (Ravan and Lakshman Rekha)।

उसने कई बार लक्ष्मण रेखा को पार करने का प्रयास किया लेकिन सफल ना हो सका। जब उसे कुछ ना सुझा तो वह वही पास रखे आसन पर बैठ गया। जब माता सीता भोजन लेकर आई तो रावण को वहां आकर भोजन लेने को कहा। रावण ने अपने बैठे होने की बात कहकर उन्हें वही भोजन देने को कहा जिस पर माता सीता ने मना किया।

यह देखकर रावण क्रोधित हो गया व उन्हें व उनके पति को श्राप देने के लिए जल हाथ में ले लिया। द्वार पर आये अतिथि के अपमान व एक ब्राह्मण के प्रकोप से बचने के लिए माता सीता ने वह लक्ष्मण रेखा को पार कर दिया व उन्हें भोजन देने के लिए बाहर आ गई (Why Sita crossed Lakshman rekha)। जैसे ही माता सीता ने लक्ष्मण रेखा को पार किया तो रावण अपने ब्राह्मण रूप को त्यागकर असली रूप में आ गया व माता सीता को बलपूर्वक अपने पुष्पक विमान में उठा लिया।

पक्षीराज जटायु का रावण से युद्ध (Jatayu and Ravan Yudh story in Hindi)

उसी जंगल में जटायु नाम का विशाल गिद्ध भगवान राम की कुटिया की रक्षा में तैनात रहता था। जब उसने रावण के द्वारा माता सीता को अपने पुष्पक विमान में ले जाते हुए देखा तो उसने आकाश में रावण से युद्ध किया। आकाश में ही दोनों के बीच कई देर तक युद्ध चलता रहा व अंत में रावण ने अपनी तलवार निकाल कर जटायु के दोनों पंख काट दिए। दोनों पंखों के कट जाने से जटायु मरणासन्न की स्थिति में भूमि पर जा गिरा (Jatayu vadh)।

इस प्रकार रावण छलपूर्वक माता सीता का अपहरण करने में सफल हो गया किंतु माता सीता ने जगह-जगह पर आकाश से अपने आभूषण भूमि पर गिरा दिए जिससे राम व लक्ष्मण को उन्हें ढूंढने में सहायता हो सके।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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