चालीसा

संकटा माता चालीसा (Sankata Mata Chalisa)

संकटा माता चालीसा (Sankata Mata Chalisa) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

कश्मीर में संकटा देवी का मंदिर है जो अपने आप में अद्भुत है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ स्थित संकटा माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रंग रूप बदलती है। सुबह के समय मातारानी कन्या रूप में, दोपहर में यौवन अवस्था में तो शाम को प्रौढ़ावस्‍था का रूप लिए होती हैं। संकटा माता को कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी माना जाता है। ऐसे में आज हम आपके साथ संकटा माता चालीसा (Sankata Mata Chalisa) का पाठ ही करने जा रहे हैं।

आज के इस लेख में आपको ना केवल संकटा चालीसा (Sankata Chalisa) पढ़ने को मिलेगी बल्कि उसी के साथ ही संकटा चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Sankata Chalisa In Hindi) भी जानने को मिलेगी। लेख के अंत में हम आपके साथ संकटा माता की चालीसा का महत्व व लाभ भी सांझा करेंगे। तो आइये सबसे पहले करते हैं श्री संकटा माता जी की चालीसा।

संकटा चालीसा (Sankata Chalisa)

॥ दोहा ॥

जगत जननि जगदम्बिके, अरज सुनहु अब मोर।
बंदौ पद-युग नाइ सिर, विनय करों कर जोर॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय संकटा भवानी, कृपा करहु मो पर महारानी।
हाथ खड्ग भृकुटि विकराला, अरुण नयन गल में मुण्डमाला॥

कानन कुण्डल की छवि भारी, हिय हुलसे मन होत सुखारी।
केहरि वाहन है तव माता, कष्ट निवारो जन जन त्राता॥

आयऊं शरण तिहारी अम्बे, अभय करहु मोको जगदम्बे।
शरण आई जो तुमहिं पुकारा, बिन बिलम्ब तुम ताहि उबारा॥

भीर पड़ी भक्तन पर जब-जब, किया सहाय मात तुम तब-तब।
रक्तबीज दानव तुम मारे, शुंभ-निशुंभ के उदर विदारे॥

महिसासुर नृप अति बलबीरा, मारे मरे न अति रणधीरा।
करि संग्राम सकल सुर हारे, अस्तुति करी तुम तुमहिं पुकारे॥

प्रगटेउ काली रूप में माता, सेन सहित तुम ताहि निपाता।
तेहि के बध सब देव हरषे, नभ दुंदुभी सुमन बहु बरसे॥

रक्षा करहु दीन जन जानी, जय जय जगदंब भवानी।
सब जीवों की हो प्रतिपालक, जय जग जननी दनुज कुल घालक॥

सकल सुमन की जीवन दाता, संकट हरो हमारी माता।
संकट नाशक नाम तुम्हारा, सुयश तुम्हार सकल संसारा॥

सुर नर नाग असुर मुनि जेते, गावत गुण गान निश दिन तेते।
योगी निशिवासर तब ध्यावहिं, तदपि तुम्हार अंत न पावहिं॥

अतुल तेज मुख पर छवि सोहै, निरखि सकल सुर नर मुनि मोहै।
चरण कमल मैं शीश झुकाऊं, पाहि पाहि कहि नितहि मनाऊं॥

नेति-नेति कहा वेद बखाना, शक्ति स्वरुप तुम्हार न जाना।
मैं मूरख किमि कहौं बखानी, नाम तुम्हारा अनेक भवानी॥

सुमिरत नाम कटै दुःख भारी, सत्य वात यह वेद उचारी।
नाम तुम्हार लेत जो कोई, ताकौ भय संकट नहीं होई॥

संकट आय परै जो कबहिं, नाम लेत बिनसत हैं तबहिं।
प्रेम सहित जो जपे हमेशा, ताके तन नहि रहे कलेशा॥

शरणागत होई जो जन आवैं, मनवांछित फल तुरतहि पावै।
रणचंडी वन असुर संहारा, बंधन काटि कियौ छुटकारा॥

नाम सकल कलि कलुष नसावन, सुमिरत सिद्ध होय नर पावन।
षोड्श पूजन करे जो कोई, इच्छित फल पावै नर सोई॥

जो नारी सिंदूर चढ़ावे, तासु सोहाग अचल हो जावै।
पुत्र हेतु जो पूजा करहिं, सन्तति-सुख निश्चय सो लहहिं॥

और कामना करे जो कोई, ताके घर सुख संपत्ति होई।
निर्धन नर जो शरण में आवै, सो निश्चय धनवान कहावै॥

रोगी रोग मुक्त होइ जावै, तब चरणन को ध्यान लगावै।
सब सुख खानि तुमारि पूजा, एहि सम और उपाय न दूजा॥

पार करे संकटा चालीसा, तेहि पर कृपा करहिं गौरीसा।
पाठ करें अरु सुनै सुनावै, वाकौ सब संकट मिटि जावे॥

कहां तक महिमा कहौं तुम्हारी, हरहू बेगि मोहि संकट भारी।
मम कारज सब पूरन किजे, दीन जनि मोहिं अभय कर दीजे॥

तोहि विनय करूं मैं बारम्बारा, छमहूँ सकल अपराध हमारा।

॥ दोहा ॥

मातु संकटा नाम तव, संकट हरहुँ हमार।
होय प्रसन्न निज दास पर लिजै मोहिं उबार॥

संकटा चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Sankata Chalisa In Hindi)

॥ दोहा ॥

जगत जननि जगदम्बिके, अरज सुनहु अब मोर।
बंदौ पद-युग नाइ सिर, विनय करों कर जोर॥

हे जगत की जननी जगदंबिका माता!! मेरी प्रार्थना को अब सुन लीजिये। मैं आपके चरणों में अपना शीश झुकाता हूँ और आपके सामने हाथ जोड़कर विनती करता हूँ।

॥ चौपाई ॥

जय जय जय संकटा भवानी, कृपा करहु मो पर महारानी।
हाथ खड्ग भृकुटि विकराला, अरुण नयन गल में मुण्डमाला॥

कानन कुण्डल की छवि भारी, हिय हुलसे मन होत सुखारी।
केहरि वाहन है तव माता, कष्ट निवारो जन जन त्राता॥

हे संकटा भवानी माता!! आपकी जय हो, जय हो। हे मातारानी!! मुझ पर अपनी कृपा कीजिये। आपके हाथ में खड्ग तो भृकुटी बहुत ही विशाल है। आँखों में दया तो गले में राक्षसों के कटे सिर की माला है। आपके कानो में कुंडल बहुत ही सुन्दर लग रहे हैं जिसे देखकर हमारे मन को सुख मिलता है। आपका वाहन केहरी है और आप इस जगत के प्राणियों के कष्ट दूर करती हैं।

आयऊं शरण तिहारी अम्बे, अभय करहु मोको जगदम्बे।
शरण आई जो तुमहिं पुकारा, बिन बिलम्ब तुम ताहि उबारा॥

भीर पड़ी भक्तन पर जब-जब, किया सहाय मात तुम तब-तब।
रक्तबीज दानव तुम मारे, शुंभ-निशुंभ के उदर विदारे॥

मैं आपकी शरण में आया हूँ और अब आप मुझे अभय प्रदान कीजिये। जो कोई भी आपकी शरण में आकर आपको पुकारता है, आप बिना देरी किये उसका उद्धार कर देती हैं। जब कभी भी आपके भक्तों पर संकट आया है, आपने उसका समाधान किया है। आपने ही रक्तबीज व शुम्भ-निशुंभ दानवों का संहार किया था।

महिसासुर नृप अति बलबीरा, मारे मरे न अति रणधीरा।
करि संग्राम सकल सुर हारे, अस्तुति करी तुम तुमहिं पुकारे॥

प्रगटेउ काली रूप में माता, सेन सहित तुम ताहि निपाता।
तेहि के बध सब देव हरषे, नभ दुंदुभी सुमन बहु बरसे॥

एक समय पहले जब महिषासुर नाम का अति शक्तिशाली राक्षस हुआ था जिसे युद्ध में हराना लगभग असंभव था। उसने सभी देवताओं को युद्ध में पराजित कर दिया था तब देवताओं ने आपके नाम की स्तुति की थी। तब आप काली रूप में प्रकट हुई थी और युद्ध भूमि में कूद पड़ी थी। आपने महिषासुर का अंत कर देवताओं को आनंद प्रदान किया और आपके नाम का जय-जयकार आकाश में पुष्प वर्षा के रूप में होने लगा।

रक्षा करहु दीन जन जानी, जय जय जगदंब भवानी।
सब जीवों की हो प्रतिपालक, जय जग जननी दनुज कुल घालक॥

सकल सुमन की जीवन दाता, संकट हरो हमारी माता।
संकट नाशक नाम तुम्हारा, सुयश तुम्हार सकल संसारा॥

हे माँ जगदंबा!! आप अपने इस सेवक की रक्षा कीजिये। आपकी जय हो, जय हो। आप ही सभी जीवों की रक्षा करती हैं और दुष्टों का नाश करती हैं।आप ही हम सभी को जीवन प्रदान करती हैं और हमारे संकट दूर करती हैं। आपका नाम संकट नाशक है और आपका यश इस विश्व में हर कोई जानता है।

सुर नर नाग असुर मुनि जेते, गावत गुण गान निश दिन तेते।
योगी निशिवासर तब ध्यावहिं, तदपि तुम्हार अंत न पावहिं॥

अतुल तेज मुख पर छवि सोहै, निरखि सकल सुर नर मुनि मोहै।
चरण कमल मैं शीश झुकाऊं, पाहि पाहि कहि नितहि मनाऊं॥

सभी देवता, मनुष्य, नाग, असुर व ऋषि-मुनि आपके नाम का ही ध्यान व गुणगान दिनरात करते हैं। योगी दिनरात आपका ध्यान करते हैं, फिर भी उन्हें आपकी महिमा का संपूर्ण वर्णन नहीं मिल पाता है। आपके मुख पर दिव्य तेज छाया हुआ है जो हम सभी का मन मोह लेता है। मैं आपके चरणों में अपना शीश झुकाकर आपको मनाता हूँ।

नेति-नेति कहा वेद बखाना, शक्ति स्वरुप तुम्हार न जाना।
मैं मूरख किमि कहौं बखानी, नाम तुम्हारा अनेक भवानी॥

सुमिरत नाम कटै दुःख भारी, सत्य वात यह वेद उचारी।
नाम तुम्हार लेत जो कोई, ताकौ भय संकट नहीं होई॥

आपकी महिमा का वर्णन तो वेदों में भी किया गया है और आपको शक्ति का स्वरुप बताया है। मैं तो मूर्ख प्राणी हूँ और आपके अनेक नाम हैं जो विभिन्न गुणों के परिचायक हैं। वेदों में भी यह कहा गया है कि आपके नाम का सुमिरन करने से हमारे दुःख मिट जाते हैं। जो कोई भी आपका नाम लेता है, उसके सभी भय व संकट समाप्त हो जाते हैं।

संकट आय परै जो कबहिं, नाम लेत बिनसत हैं तबहिं।
प्रेम सहित जो जपे हमेशा, ताके तन नहि रहे कलेशा॥

शरणागत होई जो जन आवैं, मनवांछित फल तुरतहि पावै।
रणचंडी वन असुर संहारा, बंधन काटि कियौ छुटकारा॥

जब कभी भी हम पर संकट आता है तो आपका नाम लेने मात्र से ही वह दूर हो जाता है। जो कोई भी प्रेम सहित आपके नाम का जाप करता है, उसके शरीर के सभी रोग मिट जाते हैं। जो कोई भी संकटा माता की शरण में जाता है, उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आप ही रणचंडी के रूप में असुरों का संहार कर देती हैं और भक्तों के बंधन काट देती हैं।

नाम सकल कलि कलुष नसावन, सुमिरत सिद्ध होय नर पावन।
षोड्श पूजन करे जो कोई, इच्छित फल पावै नर सोई॥

जो नारी सिंदूर चढ़ावे, तासु सोहाग अचल हो जावै।
पुत्र हेतु जो पूजा करहिं, सन्तति-सुख निश्चय सो लहहिं॥

कलियुग में आपके नाम का सुमिरन करने से सभी तरह के कलेश दूर होते हैं। आपके नाम का जाप करने से मनुष्य का मन पवित्र हो जाता है। जो भी षोडशी माता के नाम की पूजा करता है, इसे अपनी इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है। जो नारी आपको सिंदूर चढ़ाती है, वह हमेशा सुहागिन बनी रहती है। जो कोई भी संतान प्राप्ति के लिए आपकी पूजा करता है, उसे जल्द ही संतान का सुख प्राप्त होता है।

और कामना करे जो कोई, ताके घर सुख संपत्ति होई।
निर्धन नर जो शरण में आवै, सो निश्चय धनवान कहावै॥

रोगी रोग मुक्त होइ जावै, तब चरणन को ध्यान लगावै।
सब सुख खानि तुमारि पूजा, एहि सम और उपाय न दूजा॥

जो कोई भी आपके सामने याचना करता है, उसके घर में सुख-संपत्ति का वास होता है। जो निर्धन व्यक्ति आपकी शरण में आता है, उसे आप बहुत सा धन देती हैं। रोग से पीड़ित व्यक्ति आपके चरणों का ध्यान कर स्वस्थ काया को प्राप्त करता है। आप ही सभी सुखों की खान हैं जो आपकी पूजा के माध्यम से प्राप्त होते हैं। इसके बिना सुखों को प्राप्त करने का कोई दूसरा उपाय नहीं है।

पार करे संकटा चालीसा, तेहि पर कृपा करहिं गौरीसा।
पाठ करें अरु सुनै सुनावै, वाकौ सब संकट मिटि जावे॥

कहां तक महिमा कहौं तुम्हारी, हरहू बेगि मोहि संकट भारी।
मम कारज सब पूरन किजे, दीन जनि मोहिं अभय कर दीजे॥

तोहि विनय करूं मैं बारम्बारा, छमहूँ सकल अपराध हमारा।

जो कोई भी संकटा चालीसा का पाठ करता है, उसे माँ गौरी की कृपा से मोक्ष मिलता है। जो कोई भी इस संकटा माता चालीसा को सुनता या सुनाता है, उसके सभी संकट मिट जाते हैं। अब मैं आपकी महिमा का कहाँ तक वर्णन करूँ क्योंकि यह तो अपरंपार है।

हे संकटा माता!! अब आप मेरे सभी बिगड़े हुए काम बना दीजिये और इस सेवक को अभय का वरदान दीजिये। मैं आपके सामने हाथ जोड़कर बार-बार यही विनती कर रहा हूँ कि आप मेरे सभी अपराधों को क्षमा कर मेरा उद्धार कर दीजिये।

॥ दोहा ॥

मातु संकटा नाम तव, संकट हरहुँ हमार।
होय प्रसन्न निज दास पर लिजै मोहिं उबार॥

हे मातारानी!! आपका नाम ही संकटा माता है और आप हमारे सभी संकटों को हर लेती हैं अर्थात उन्हें दूर कर देती हैं। जिस किसी पर भी आप प्रसन्न हो जाती हैं तो आप उसका उद्धार कर उसे मोक्ष प्रदान करती हैं।

संकटा माता चालीसा (Sankata Mata Chalisa) – महत्व

संकटा माता केवल कश्मीरी लोगों की ही कुलदेवी नहीं है बल्कि इनके मंदिर देश में कई जगह बने हुए हैं जहाँ लाखों लोगों के द्वारा इनकी पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में संकटा माता के दरबार में इतनी भीड़ इसलिए जुटती है क्योंकि उनके द्वारा अपने भक्तों के हर संकट का निवारण कर दिया जाता है और उनके जीवन में खुशियाँ भर दी जाती है।

ऐसे में संकटा माता चालीसा के माध्यम से माता संकटा के गुणों, शक्तियों व उपासना के महत्व को दर्शाया गया है। इसके माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि संकटा माता हम सभी का किस तरह से उद्धार करती हैं और किन गुणों के कारण उनकी पूजा की जाती है। यही संकटा चालीसा का महत्व होता है।

संकटा माता की चालीसा (Sankata Mata Ki Chalisa) – लाभ

अब यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ संकटा माता का ध्यान करके संकटा चालीसा का पाठ करते हैं तो अवश्य ही संकटा माता की कृपा आप पर और आपके परिवार पर बरसती है। यदि किसी व्यक्ति की भक्ति से संकटा माता प्रसन्न हो जाती हैं तो उसके ऊपर आया हर संकट टल जाता है और उसके जीवन में आ रही सभी तरह की बाधाएं अपने आप ही दूर होने लगती हैं।

एक तरह से संकटा माता चालीसा के माध्यम से हमारा जीवन सुगम बनता है और हमें हर तरह की कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है। आगे का मार्ग प्रशस्त बनता है और हम बिना किसी चिंता के उस पर बढ़ते चले जाते हैं। इस तरह से अपने भक्तों के जीवन को सुगम बनाना ही संकटा माता की चालीसा का मुख्य लाभ होता है।

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कृष्णा

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