आरती

श्री विश्वकर्मा जी की आरती – PDF फाइल, अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम विश्वकर्मा जी की आरती (Vishwakarma Ji Ki Aarti) का पाठ करेंगे। भगवान विश्वकर्मा जी को सनातन धर्म में महान शिल्पकार माना गया है जिनके द्वारा अद्भुत व श्रेष्ठ सरंचनाओं की रचना की गयी है। फिर चाहे वह रावण का पुष्पक विमान हो या भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी या आज हम भगवान जगन्नाथ की जो मूर्तियाँ देखते हैं, वह हो।

इसी से ही आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि प्राचीन समय में भगवान विश्वकर्मा कितने बड़े इंजीनियर व आर्किटेक्ट थे। उन्हीं श्री विश्वकर्मा जी की आरती (Vishwakarma Ji Aarti) आज हम इस लेख में करने जा रहे हैं। आज हम आपको विश्वकर्मा आरती के साथ-साथ उसका हिंदी अनुवाद भी देंगे।

फिर आपको विश्वकर्मा आरती PDF फाइल भी मिलेगी जिसे आप अपने मोबाइल में डाउनलोड कर सकते हैं। अंत में विश्वकर्मा आरती के लाभ और उसका महत्व भी आपके साथ साझा किया जाएगा। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं विश्वकर्मा भगवान की आरती हिंदी में।

Vishwakarma Ji Ki Aarti | विश्वकर्मा जी की आरती

प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो प्रभु विश्वकर्मा।
सुदामा की विनय सुनी, और कंचन महल बनाये।
सकल पदारथ देकर प्रभु जी दुखियों के दुःख टारे॥

विनय करी भगवन कृष्ण ने द्वारिकापुरी बनाओ।
ग्वाल बालों की रक्षा की प्रभु की लाज बचायो॥ वि.॥

रामचन्द्र ने पूजन की तब सेतु बांध रचि डारो।
सब सेना को पार किया प्रभु लंका विजय करावो॥ वि.॥

श्री कृष्ण की विजय सुनो प्रभु आके दर्शन दिखावो।
शिल्प विद्या का दो प्रकाश मेरा जीवन सफल बनावो॥ वि.॥

Vishwakarma Ji Aarti | श्री विश्वकर्मा जी की आरती – अर्थ सहित

प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो प्रभु विश्वकर्मा।
सुदामा की विनय सुनी, और कंचन महल बनाये।
सकल पदारथ देकर प्रभु जी दुखियों के दुःख टारे॥

विनय करी भगवन कृष्ण ने द्वारिकापुरी बनाओ।
ग्वाल बालों की रक्षा की प्रभु की लाज बचायो॥

हे भगवान विश्वकर्मा!! कृपया करके आप हमारे घर आएं। आपने दीन सुदामा की हर पुकार सुन ली और भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर उनकी कुटिया को एक सुन्दर महल में परिवर्तित कर दिया।

आपने अपनी कृपा से सभी मनुष्यों के दुखों को दूर करने का कार्य किया है। भगवान श्रीकृष्ण ने आपसे मथुरा से दूर समुन्द्र किनारे द्वारका नगरी बसाने की याचना की और आपने एक अद्भुत द्वारका नगरी बनाकर उन ग्वालों के मान-सम्मान की रक्षा की।

रामचन्द्र ने पूजन की तब सेतु बांध रचि डारो।
सब सेना को पार किया प्रभु लंका विजय करावो॥

भगवान श्रीराम जब माता सीता की खोज में और रावण से युद्ध करने के लिए समुन्द्र पर सेतु बनाना चाहते थे तब आपने ही अपनी कृपा से उस पर विशाल सेतु का निर्माण करवाया। उस सेतु पर संपूर्ण वानर सेना श्रीराम व लक्ष्मण सहित चल कर लंका पहुँच गयी थी।

श्री कृष्ण की विजय सुनो प्रभु आके दर्शन दिखावो।
शिल्प विद्या का दो प्रकाश मेरा जीवन सफल बनावो॥

भगवान श्री कृष्ण की विजय सुन कर आपने आकर अपने दर्शन दिए थे। हे भगवान विश्वकर्मा!! आप हमें भी शिल्पविद्या का ज्ञान देकर हमारा जीवन सुखों से भर दीजिये।

विश्वकर्मा आरती PDF | Vishwakarma Aarti PDF

अब हम विश्वकर्मा आरती की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: विश्वकर्मा आरती PDF

ऊपर आपको लाल रंग में विश्वकर्मा आरती PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

श्री विश्वकर्मा जी की आरती का महत्व

अब आपको इसी के साथ यह भी जान लेना चाहिए कि भगवान विश्वकर्मा की आरती का क्या महत्व होता है। तो आप यह तो जान ही गए होंगे कि भगवान विश्वकर्मा जी के द्वारा ही सृष्टि की लगभग सभी श्रेष्ठतम सरंचनाओं का निर्माण कार्य किया गया है जिनमे से कुछ हम आज भी देखते हैं। तो उन्हीं विश्वकर्मा जी की आरती के माध्यम से हमें यह पता चलता है कि उनका किन किन चीज़ों में योगदान रहा है तथा किस तरह से उन्होंने इतिहास को महिमामंडित करने का कार्य किया है।

प्राचीन समय में जो भी बड़े स्तर पर या अद्भुत निर्माण कार्य होता था, वह भगवान विश्वकर्मा जी के हाथों से ही होता था। इस तरह से देखा जाए तो वे उस समय के इंजीनियर व आर्किटेक्ट ही थे जिन्हें वास्तुकला की बहुत अच्छे से पहचान थी। तो इस श्री विश्वकर्मा जी की आरती के माध्यम से हमें भगवान विश्वकर्मा की महत्ता और उनके द्वारा निर्मित सरंचनाओं के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है।

विश्वकर्मा जी की आरती के लाभ

यदि आप प्रतिदिन भगवान विश्वकर्मा की आरती का पाठ करते हैं तो आपके अंदर सरंचनाओं को बेहतर तरीके से देखने और उन्हें समझने की शक्ति प्राप्त होती है। अभी तक आप सरंचनाओं को जिस दृष्टि से देखते आ रहे थे, वही श्री विश्वकर्मा जी की आरती के निरंतर पाठ के बाद आपको उनकी वास्तुकला पहचानने की दिव्य दृष्टि तक प्राप्त हो सकती है।

कहने का तात्पर्य यह हुआ कि भगवान विश्वकर्मा स्वयं वास्तुकला के भगवान हैं और जो व्यक्ति उनकी सच्चे मन से भक्ति करता है या उनकी आरती का पाठ करता है तो उस पर भी भगवान विश्वकर्मा की कृपा दृष्टि होती है। ऐसा व्यक्ति आगे चल कर इंजीनियरिंग या आर्किटेक्चर में भी बहुत प्रगति करता है या उसमे सफल होता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने विश्वकर्मा जी की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Vishwakarma Ji Ki Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने श्री विश्वकर्मा जी की आरती के पाठ से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं।

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कृष्णा

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