श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी (Jagannath Mandir Puri Odisha) सनातन धर्म के चार धामों में से एक है जो करोड़ो श्रद्धालुओं के बीच आस्था का प्रमुख केंद्र है लेकिन इस मंदिर में गैर हिंदुओं का प्रवेश पूर्ण रूप से वर्जित है। हिन्दुओं के अलावा यहाँ पर केवल भारतीय बौद्ध, जैन तथा सिख लोगों को ही प्रवेश मिल पाता है लेकिन ऐसा क्यों? आज हम इसके पीछे जुड़े तथ्य को जानेंगे।
बारहवीं शताब्दी के बाद जब भारत के मुख्य राज्य दिल्ली पर अफगान व मुगल शासकों का राज आ गया तब धीरे-धीरे उनके आक्रमण भारत के अन्य राज्यों तथा मंदिरों पर बढ़ते चले गए। भगवान जगन्नाथ के मंदिर (Puri Jagannath Puri) पर भी मुगल शासकों के लगभग सत्रह बार आक्रमण हुए जिसमे मंदिर की वास्तुकला को बहुत चोट पहुँची।
जगन्नाथ मंदिर पर पहला आक्रमण सन 1340 ईस्वी में हुआ था तथा उसके पश्चात लगभग 400 वर्षों तक इस मंदिर पर भीषण आक्रमण होते रहे। इस दौरान काला पहाड़ का आक्रमण बहुत भयंकर था। इसके अलावा अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ तथा औरंगजेब के शासनकाल में मंदिर पर कई बार आक्रमण किए गए।
हर बार मंदिर की मूर्तियों को नुकसान पहुँचाया गया, बहुमूल्य हीरे, मोती, सोना, धन इत्यादि सब लूट लिया गया। मंदिर की सुरक्षा कर रहे पुजारियों, सेवायतों, सैनिकों तथा श्रद्धालुओं को मौत के घाट उतार दिया गया लेकिन हर बार मुख्य मूर्तियों को किसी तरह बचा लिया गया था। यह आक्रमण इतने ज्यादा भीषण थे कि संपूर्ण मंदिर प्रांगन भगवान जगन्नाथ के भक्तों के रक्त से रंग गया था। लहू की धारा मंदिर के बाहर तक बहा करती थी। साथ ही ऐसा केवल कुछ वर्षों तक नहीं अपितु तीन सौ वर्षों से ज्यादा समय तक होता रहा।
उड़ीसा की जनता इन आक्रमणों से इतनी ज्यादा क्रोधित थी कि जब 18वीं शताब्दी में मुगल सल्तनत कमजोर पड़ी तथा देश में मराठा शासन का प्रभाव बढ़ा तब श्री जगन्नाथ मंदिर (Puri Jagannath Mandir) को विदेशी तथा गैर सनातनियों के लिए पूर्णतया प्रतिबंधित कर दिया गया। तब से लेकर आज तक मंदिर के अंदर गैर हिंदुओं का प्रवेश पूर्णतया वर्जित है।
जब आप मंदिर जाओगे तब आपको मंदिर के मुख्य द्वार पर शिलापट्ट मिलेगा जिसमें पांच भाषाओं (हिंदी, अंग्रेजी, उड़िया, बंगाली तथा उर्दू) में साफ-साफ अक्षरों में गैर सनातनियों तथा विदेशियों का मंदिर में प्रवेश वर्जित लिखा गया है। मंदिर में केवल सभी प्रकार के हिंदू चाहे वह विदेशी हो या भारतीय का प्रवेश होगा तथा इसके अलावा भारतीय बौद्धों, जैन तथा सिखों को प्रवेश पर छूट है। इसके अलावा किसी अन्य को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा।
सन 1984 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने जगन्नाथ मंदिर में जाने की चेष्ठा की थी। लेकिन उनके पारसी धर्म के व्यक्ति फिरोज खान से विवाह करने के कारण मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली थी। साथ ही मंदिर प्रशासन ने यह साफ कर दिया था कि इंदिरा गाँधी की वंशावली को भी यहाँ प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी। इसलिए उसके बाद से गाँधी परिवार का कोई भी सदस्य जगन्नाथ मंदिर में जाने का साहस आजतक नहीं दिखा सका है।
इसके अलावा थाईलैंड की रानी को भी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली थी। हालाँकि वे बौद्ध धर्म से थी लेकिन विदेशी होने के कारण उन्हें यह अनुमति नहीं मिली। वर्ष 2006 में स्विट्ज़रलैंड के एक नागरिक ने मंदिर को एक करोड़ 78 लाख रुपए दान में दिए लेकिन ईसाई होने के कारण उन्हें भी इस मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली।
उपरोक्त घटनाएँ इस बात को दिखाती है कि चाहे आपके पास राजनीतिक शक्ति हो या पैसों का बल, सनातन धर्म के इस मंदिर में किसी गैर हिंदू को प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी।
हालाँकि मंदिर के द्वार पर विशेष चेकिंग होती है तथा श्रद्धालुओं के आईडी कार्ड इत्यादि देखकर ही उन्हें मंदिर में प्रवेश दिया जाता है। चूँकि यदि कोई व्यक्ति जो कि हिंदू या सनातनी ना हो और वह मंदिर के अंदर पकड़ा जाता है तो इसके भयानक परिणाम होते हैं। जगन्नाथ मंदिर पूर्ण रूप से उड़ीसा पुलिस के नियंत्रण में आता है तथा उड़ीसा की राज्य सरकार इसकी सुरक्षा करती है।
इसलिए यदि कोई गैर-हिंदू श्री जगन्नाथ मंदिर (Puri Jagannath Mandir) के अंदर पकड़ा जाता है तो उसके विरुद्ध कई धाराओं के अंतर्गत केस चलाए जाते हैं। इसके साथ ही पुरी के पास स्थित अथारनाला से संपूर्ण महाप्रसाद को फेंक दिया जाता है। संपूर्ण मंदिर का शुद्धिकरण किया जाता है तथा फिर से भगवान के लिए प्रसाद बनाया जाता है।
चूँकि हम पहले भी बता चुके हैं कि मंदिर के अंदर केवल और केवल हिन्दुओं तथा भारतीय जैन, बौद्ध व सिखों को ही प्रवेश मिलता है। इसलिए आप चाहे इस्कॉन के सदस्य हो या अन्य किसी धार्मिक संस्था के, यदि आप उपरोक्त दिए गए में से किसी धर्म या भारत राष्ट्र से नहीं हैं तो आपको प्रवेश नहीं मिलेगा।
भगवान जगन्नाथ के कई गैर हिंदू तथा विदेशी भी भक्त हैं जिनमें से इस्कॉन के सदस्य भी प्रमुख हैं। इसलिए अपने भक्तों के लिए स्वयं भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार रथयात्रा के दिन अपने मंदिर से बाहर आते हैं तथा सात दिनों तक गुंडीचा मंदिर में जाकर रहते हैं। इस दौरान कोई भी भक्त उनके दर्शन कर सकता है।
श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी (Jagannath Mandir Puri Odisha) में प्रवेश करने के लिए मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक समान, कैमरा, रेडियो, हथियार इत्यादि ले जाना पूर्णतया वर्जित है। आप मंदिर के अंदर बाहर का भोजन या कोई खाद्य पदार्थ भी नहीं लेकर जा सकते हैं। मंदिर में किसी भी मूर्ति इत्यादि को हाथ लगाना या छूना भी निषेध है। मंदिर के अंदर स्वच्छता बनाए रखना भी श्रद्धालुओं का दायित्व है।
श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: क्या पुरी मंदिर में जींस की अनुमति नहीं है?
उत्तर: पुरी मंदिर में जींस पहन कर जाया जा सकता है लेकिन यह कहीं से भी कटी-फटी हुई, छोटी, टाइट इत्यादि नहीं होनी चाहिए। इसी के साथ ही मंदिर में प्रवेश के कुछ और नियम भी हैं जो इस लेख में दिए गए हैं।
प्रश्न: क्या अविवाहित जोड़ा पुरी जगन्नाथ मंदिर जा सकता है?
उत्तर: आप चाहे विवाहित हो या अविवाहित, यदि आप हिन्दू हैं तो आप किसी भी समय जगन्नाथ मंदिर जा सकते हैं। हालाँकि मंदिर में प्रवेश के कुछ नियम हैं जिनके बारे में हमने इस लेख में बताया है।
प्रश्न: पुरी मंदिर का मालिक कौन है?
उत्तर: पुरी मंदिर कोई सामान्य मंदिर ना होकर सनातन धर्म के चार धामों में से एक है। ऐसे में इस पर भारत सरकार व ओडिशा सरकार का नियंत्रण होता है। इसी के साथ ही पूज्य शंकराचार्य जी मंदिर के महामहीम होते हैं।
प्रश्न: क्या पुरी मंदिर में मोबाइल की अनुमति है?
उत्तर: नहीं, आप जगन्नाथ मंदिर में मोबाइल नहीं लेकर जा सकते हैं। इसी के साथ ही श्री जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने के कुछ और नियम भी हैं जिनके बारे में हमने इस लेख में बताया है।
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