आज हम जानेंगे कि दिवाली क्यों मनाया जाता है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai) और इस रात घर के दरवाजे खुले क्यों रखे जाते हैं। दिवाली का त्यौहार भगवान श्रीराम के अयोध्या पुनः आगमन के रूप में हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या की रात्रि को मनाया जाता है। अब क्या आपने कभी सोचा हैं कि इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है? साथ ही इस दिन घर के दरवाजे खुले क्यों रखे जाते हैं?
क्यों ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन माँ लक्ष्मी घर में आती हैं? आखिरकार हम दिवाली क्यों मनाते है (Diwali Kyu Manate H) और इसका क्या रहस्य है? क्या इसके पीछे कोई पौराणिक कथा जुड़ी हुई हैं? चलिए जानते हैं कि आखिरकार दिवाली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है।
एक समय की बात हैं जब कार्तिक मास की अमावस्या को माता लक्ष्मी मृत्यु लोक के भ्रमण पर निकली थी। भ्रमण करते-करते रात्रि का समय हो गया। कार्तिक अमावस्या की रात को घोर अँधेरा होता हैं जिस कारण माता लक्ष्मी रास्ता भटक गयी थी।
तब उन्होंने निश्चय किया कि आज की रात वह मृत्यु लोक में बिताएंगी तथा प्रातःकाल अपने धाम बैकुंठ को पधार जाएगी। यह सोचकर माता लक्ष्मी ने अपने विश्राम के लिए कोई घर देखना शुरू किया किंतु सभी घर के दरवाजे बंद थे तथा सभी लोग गहन निद्रा में थे।
तभी कुछ दूरी पर माता लक्ष्मी को एक घर का द्वार खुला दिखाई दिया जहाँ से दीपक की रोशनी भी आ रही थी। वहां पहुंचकर माता लक्ष्मी ने देखा कि एक बूढ़ी महिला चरखा चला रही थी। माता लक्ष्मी ने एक साधारण महिला का रूप लिया तथा उस वृद्ध स्त्री से रहने के लिए आश्रय माँगा।
उस वृद्ध महिला ने माता लक्ष्मी को अपनी कुटिया में स्थान दिया तथा उनकी अच्छे से आवाभगत की। माता लक्ष्मी के सो जाने के पश्चात वह बूढ़ी महिला पुनः अपना काम करने लगी तथा काम करते-करते ही उसकी आँख लग गयी। जब उस बूढ़ी महिला ने सुबह उठकर देखा तो लक्ष्मी माता वहां से जा चुकी थी।
उस बूढ़ी महिला के आश्चर्य का तब ठिकाना नही रहा जब उसने अपने आसपास देखा। उसकी कुटिया अब एक विशाल भवन में परिवर्तित हो चुकी थी तथा अब वह निर्धन से एक अमीर महिला बन चुकी थी। वह जान चुकी थी कि जो स्त्री कल रात उसके घर आई थी वह कोई साधारण महिला नही अपितु स्वयं माँ लक्ष्मी का अवतार थी।
तब से लेकर आज तक यह मान्यता हैं कि कार्तिक मास की अमावस्या की रात माँ लक्ष्मी मृत्यु लोक पर भ्रमण के लिए आती हैं तथा जिनके द्वार खुले होते हैं, वह उनके घर ही प्रवेश करती हैं। इस तरह से आप जान गए होंगे कि दिवाली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है लेकिन अब हम इसके पीछे छुपे रहस्य को बताएँगे।
इस कथा को पढ़कर आपको क्या शिक्षा मिली? आपको क्या लगता हैं कि जो भी उस रात्रि अपना द्वार खुला रखेगा, माता लक्ष्मी उसके यहाँ प्रवेश करेंगी? ऐसा नही हैं। लक्ष्मी माता ने उस वृद्ध महिला का घर इसलिये चुना था क्योंकि उसने उम्र के इस पड़ाव पर भी कार्य करने को चुना।
जो व्यक्ति आलस्य को त्यागकर सच्ची भावना से मृत्यु लोक में कर्म करता हैं व जिसकी भगवान में सच्ची आस्था होती हैं, माता लक्ष्मी केवल उसी के घर आती हैं। साथ ही माता लक्ष्मी कभी भी किसी के घर स्थायी निवास नही करती अपितु वह कुछ समय के लिए ही वहां रहती हैं।
इसलिये हम सभी को दिवाली पर अपने घर के द्वार खोलने के साथ-साथ अपने मन के द्वार भी खोल देने चाहिए व कर्म में विश्वास रखना चाहिए। इसी के साथ जरूरतमंद लोगों की हमेशा सहायता करनी चाहिए। तभी लक्ष्मी माता का हमारे घर में आगमन होता हैं व परिवार में सुख-शांति बनी रहती हैं।
आशा है कि अब आपको आपके प्रश्न दिवाली क्यों मनाया जाता है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai), का सही से उत्तर मिल गया होगा। माता लक्ष्मी भी उन्हीं के साथ रहती है जो परिश्रम करना नहीं छोड़ते हैं और ईश्वर पर विश्वास बनाए रखते हैं।
दिवाली मनाने से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: दीपावली का त्यौहार भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन की खुशी में मनाया जाता है। इसी के साथ इस दिन से और भी कई ऐतिहासिक घटनाएँ छिपी हुई है जिसके बारे में हमने इस लेख में बताया है।
प्रश्न: दिवाली का त्यौहार क्यों मनाते हैं?
उत्तर: दिवाली का त्यौहार भगवान श्रीराम के अयोध्या वापस आने की खुशी में मनाया जाता है। साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी भी वैकुंठ धाम से धरती लोक पर आती है।
प्रश्न: दिवाली के पीछे की कहानी क्या थी?
उत्तर: दिवाली के पीछे की कहानी भगवान श्रीराम से जुड़ी हुई है। त्रेता युग में प्रभु राम इसी दिन वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से जगमग कर दिया था।
प्रश्न: दिवाली का रहस्य क्या है?
उत्तर: दिवाली का रहस्य यह है कि दिवाली की रात को माता लक्ष्मी वैकुंध लोक से धरती लोक पर आती है। इसलिए इस दिन सभी अपने घर के खिड़की-दरवाजे खुले रखते हैं ताकि उनके घर भी माँ लक्ष्मी का प्रवेश हो।
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