दिवाली से जुड़ी 6 प्रेरणादायक कथाएं

Short Story Of Diwali Festival In Hindi

हिंदू धर्म में दिवाली का त्यौहार (Diwali Ki Kahani) हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को बड़ी ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता हैं। इस दिन अयोध्यापति श्रीरामचंद्र जी चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात पुनः अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे जिसकी खुशी में पूरी अयोध्या जगमग हो उठी थी। किंतु इसी के साथ दीपावली के पर्व से कुछ अन्य कथाएं (Diwali Ki Katha In Hindi) भी जुड़ी हुई हैं जो हमे विभिन्न शिक्षाएं देती हैं। आज हम आपके साथ उन्ही कथाओं को संक्षिप्त रूप में साँझा करेंगे।

दीपावली से जुड़ी कथाएं (Diwali Moral Stories In Hindi)

#1. माँ लक्ष्मी के भगवान विष्णु से विवाह की कथा (Vishnu Laxmi Vivah Katha On Diwali In Hindi)

सतयुग में जब देवताओं व असुरों के द्वारा समुंद्र मंथन किया गया था तब उसमे से चौदह रत्न निकले थे। उनमे से एक स्वयं माँ लक्ष्मी (Short Story Of Diwali Festival In Hindi) थी। मान्यता हैं कि दीपावली के दिन ही माँ लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पति रूप में चुना था तथा उनके साथ विवाह किया था। इसलिये इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा मुख्य रूप से की जाती है।

#2. राजा व लकड़हारे की कथा (Diwali Par Raja Or Lakadhare Ki Katha)

एक समय में राजा ने अपने राज्य में एक लकड़हारे की मेहनत तथा कर्तव्यनिष्ठा से प्रसन्न होकर उसे चंदन का वन उपहार स्वरुप दे दिया। किंतु वह लकड़हारा तो अज्ञानी था, इसलिये वह उन चंदन की लकड़ियों को काटकर पहले की भांति भोजन बनाने में इस्तेमाल करता।

जब राजा को अपने गुप्तचरों के माध्यम से यह बात पता चली तो उसे ज्ञान हुआ कि धन की महत्ता वही होती हैं जहाँ विद्या व बुद्धि (Diwali Motivational Story In Hindi) का भी निवास हो। इसी कारण दीपावली पर माँ लक्ष्मी के साथ माँ सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा आवश्यक रूप से की जाती हैं।

#3. माँ लक्ष्मी व साहूकार की कथा (Mata Lakshmi Or Sahukar Ki Katha On Deepawali)

एक समय में एक गाँव में निर्धन साहूकार अपनी पुत्री के साथ रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के वृक्ष को पानी देने जाती थी। उसी वृक्ष पर माँ लक्ष्मी का निवास था जिन्होंने उससे मित्रता करने का प्रस्ताव दिया। साहूकार की बेटी ने अपने पिता से पूछकर माँ लक्ष्मी से मित्रता कर ली।

एक दिन माँ लक्ष्मी उसकी बेटी को अपने घर लेकर गयी (Short Story Of Diwali Festival In Hindi) तथा उसकी बहुत आवाभगत की। जब वह जाने लगी तो लक्ष्मी माँ ने भी एक दिन उसके घर आने को कहा। चूँकि वह बहुत निर्धन थी इसलिये उसने अपने घर पर दिया जलाकर माँ लक्ष्मी की आराधना शुरू कर दी।

उसी समय आकाश से एक चील नौलखा हार उसके यहाँ गिराकर चली गयी। साहूकार व उसकी पुत्री ने वह हार बेचकर माँ लक्ष्मी के लिए भोजन की व्यवस्था की। जब लक्ष्मी माँ भगवान गणेश के साथ वहां आई तब साहूकार और उसकी बेटी ने मिलकर उनकी बहुत आवाभगत की। यह देखकर माँ लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुई तथा उसके बाद से साहूकार को कभी धन की कमी नही हुई।

#4. माँ लक्ष्मी व वृद्ध महिला की कथा (Mata Laxmi And Budhi Mahila Ki Katha In Hindi)

एक दिन कार्तिक अमावस्या की रात को माँ लक्ष्मी मृत्यु लोक में भ्रमण कर थी। रात्रि को विश्राम करने के लिए उन्होंने एक घर की खोज की लेकिन सभी के द्वार बंद थे। तभी उन्हें दूर एक वृद्ध महिला की झोपड़ी दिखाई दी जिसका द्वार खुला था व एक दीपक जल रहा था।

माँ लक्ष्मी वहां गयी तो देखा वह वृद्धा (Stories Of Diwali In Hindi) चरखा चला रही हैं। उस बूढ़ी महिला ने माँ लक्ष्मी को वहां रहने का स्थान दिया तथा स्वयं कार्य करने लगी। सुबह उठकर जब उस बूढ़ी महिला ने देखा तो लक्ष्मी माँ वहां से जा चुकी थी तथा उसकी झोपड़ी एक भव्य महल में परिवर्तित हो चुकी थी।

इसलिये लोग दिवाली की रात को अपने घर के द्वारो को खुला रखते हैं ताकि लक्ष्मी माता उनके घर आए।

#5. देवराज इंद्र व राजा बलि की कथा (Raja Indra And Bali Ki Katha On Dipawali)

यह कथा सतयुग के समय से जुड़ी ही हैं। उस समय पाताल लोक पर राजा बलि का अधिकार था जिसका देवराज इंद्र से युद्ध होता रहता था। एक समय जब देवराज इंद्र उस पर भारी पड़ने लगे तो वे अपनी जान बचाने के लिए एक निर्जल स्थल में एक घर में जाकर छुप गए। वहां वह गधे का वेश बनाकर छुप गए थे।

जब देवराज इंद्र वहां पहुंचे तो उस गधे को देखकर उससे बातचीत (Diwali Stories For Kids In Hindi) करने लगे। तभी राजा बलि के शरीर से एक स्त्री बाहर निकली जो कि माता लक्ष्मी थी। उन्होंने बाहर आकर कहा कि अब वे यहाँ निवास नही कर सकती क्योंकि वे वही निवास करती हैं जहाँ आलस्य, क्रोध, वैमनस्य इत्यादि का भाव न हो।

यह कहकर माता लक्ष्मी वहां से चली गयी। इससे माता लक्ष्मी का तात्पर्य था कि जो व्यक्ति धर्मों तथा अच्छे गुणों वाला होता हैं, माता लक्ष्मी का केवल वही वास होता हैं।

#6. राजा व साधु की कथा (Diwali Me Raja And Sadhu Ki Katha In Hindi)

एक दिन एक साधु को धन व वैभव की लालसा हुई तो उसने माता लक्ष्मी की तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी ने उसे जल्दी ही धन मिलने का वरदान दिया। उसके बाद वह राजा के महल में गया तथा उसका मुकुट उतार कर फेंक दिया। तभी उस मुकुट में से एक विषैला सर्प निकला। यह देखकर सभी उस साधु पर अत्यधिक प्रसन्न हुए तथा राजा ने उसे मंत्री पद दे दिया।

कुछ दिनों के पश्चात उस साधु ने सभी को महल से बाहर जाने को कहा (Stories About Diwali In Hindi) तथा वह राजा का हाथ पकड़कर बाहर ले गया। थोड़ी देर में ही एक भीषण भूकंप आया तथा वह महल धराशायी हो गया। साधु की इस बुद्धिमता से सभी प्रभावित हुए तथा राजा ने उसे बहुत सारा धन व एक विशाल भवन रहने को दिया।

किंतु धीरे-धीरे उसमे अहंकार आने लगा। इसी अहंकार में उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी तथा वह मुर्खतापूर्ण कार्य करने लगा। यह देखकर राजा ने उसे कारावास में डलवा दिया। इससे दुखी होकर साधु ने माँ लक्ष्मी की आराधना की तो माँ लक्ष्मी ने उससे कहा कि तुमने मेरी तो पूजा कि लेकिन बुद्धि के देवता गणेश को पूजना भूल गए। इस प्रकार उस साधु को यह ज्ञान हुआ कि धन व वैभव तभी टिकता हैं जब मनुष्य अपनी बुद्धि व विद्या का उचित प्रयोग करे।

तो यह सभी कथाएं दिवाली के पर्व से जुड़ी हुई मानी गयी हैं जिससे हमे कई प्रकार की शिक्षाएं मिलती हैं। इसलिये हमे कभी भी अपने जीवन में धन का लोभ नही करना चाहिए तथा जितना मिले उसमे संतुष्ट रहना चाहिए।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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