जब भी नवरात्र का नाम आता हैं तब सभी को डांडिया रास (Dandiya In Hindi) भी याद आ जाता होगा। इसे डांडिया डांस या तलवार नृत्य के नाम से जाना जाता हैं। इसका संबंध माँ दुर्गा व भगवान श्रीकृष्ण से हैं। इसमें डांडिया माँ दुर्गा का प्रतिनिधित्व करता हैं तो रास श्रीकृष्ण की लीलाओं का। दोनों का अद्भुत संगम ही डांडिया रास के नाम से जाना जाता हैं।
अब आपके डांडिया रास को लेकर कई तरह के प्रश्न होंगे। जैसे कि डांडिया कैसे खेलते हैं (Dandiya Kaise Khelte Hain), डांडिया कहां का नृत्य है, डांडिया के लिए वेशभूषा क्या पहने, इत्यादि। ऐसे में आज हम आपको डांडिया रास के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।
अश्विन मास के नवरात्र के समय दुर्गा पूजा की जाती हैं तथा दसवे दिन पूरे भारत में दशहरा व विजयादशमी का पर्व मनाया जाता हैं। इस दिन श्रीराम ने रावण का वध किया था व साथ ही माँ दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का। डांडिया का संबंध माँ दुर्गा का महिषासुर राक्षस के साथ हुए युद्ध से ही हैं। इसमें डांडिया की छड़े माँ दुर्गा की तलवार का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनसे महिलाएं खेलती हैं। यह महिलाओं की शक्ति तथा ऊर्जा का प्रतीक होती हैं।
वही रास का संबंध श्रीकृष्ण से है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा राधा व गोपियों संग वृंदावन में लगातार छह माह तक रचाई गयी रासलीला को भले कौन नही जानता होगा। यह वह समय था जब श्रीकृष्ण केवल राधा के ही नहीं अपितु सभी गोपियों के थे। उस समय छह माह तक चंद्रमा अस्त नही हुआ था तथा सूर्य उदय नही हुआ था, मानो सब थम सा गया था।
उस पूर्णिमा की रात को श्रीकृष्ण ने सभी गोपियों संग जो रासलीला रचाई थी वह प्रेम की चरम सीमा थी। इसमें कान्हा गोपियों के साथ पूर्ण भाव से नृत्य कर रहे थे तथा डांडिया खेल रहे थे। इसी को रास कहा गया। डांडिया रास का मुख्यतया संबंध श्रीकृष्ण के द्वारा रचाई गयी रासलीला से ही हैं।
चूँकि भगवान श्रीकृष्ण का संबंध मथुरा व वृंदावन से रहा हैं तो डांडिया वहां खेला जाता था। किंतु श्रीकृष्ण ने एक समय के बाद अपनी राजधानी मथुरा को छोड़कर गुजरात के द्वारका में बसा ली थी। इसलिये डांडिया को गुजरात का पारंपरिक नृत्य माना जाता हैं तथा इसकी पहचान भी वही से हैं।
डांडिया को मुख्य रूप से गुजरात राज्य तथा राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में खेला जाता हैं किंतु समय के साथ-साथ इसकी प्रसिद्धि भी बढ़ती गयी। अब इसका आयोजन देश के लगभग हर कोने में किया जाता हैं। पहले गुजरात में ही पंडाल सजाकर इसका आयोजन किया जाता था लेकिन अब दिल्ली, मुंबई इत्यादि शहरो में भी इसका मुख्य रूप से आयोजन किया जाता हैं।
जैसा कि हमने आपको बताया कि डांडिया रास (Dandiya In Hindi) को खेलने की शुरुआत नवरात्रों के शुरू होने से ही हो जाती हैं। यह संध्या में माँ दुर्गा की आरती करने के बाद जश्न के रूप में खेला जाता हैं। नवरात्र के अंतिम दिनों में इसकी धूम देखने लायक होती हैं। इसके अलावा इसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधा अष्टमी, होली इत्यादि अवसरों पर भी खेला जाता हैं। आजकल यह इतना आम हो गया हैं कि लोग इसे विवाह इत्यादि उत्सवो में भी जश्न के रूप में खेलने लगे हैं।
इसके लिए सबसे पहले जो नियम हैं वो यह हैं कि यह हमेशा जोड़ी में ही खेला जाता हैं। इसे कितने भी लोग खेल सकते हैं लेकिन उनकी संख्या विषम ना हो अर्थात जोड़ी में ही हो जैसे कि 10, 16, 88 इत्यादि, ना कि 9, 13, 93 इत्यादि।
इसे खेलने के लिए सभी को 10 से 12 इंच लंबी व रंग-बिरंगी छड़ी हाथ में लेनी होती हैं व फिर सामने वाले से ताल में ताल मिलाते हुए डांडिया खेलना होता हैं। यह संगीत के साथ खेला जाता हैं जो पहले धीमा होता हैं व बाद में तेज हो जाता हैं। इस प्रकार यह एक तरह से शक्ति व ऊर्जा का प्रतीक होता है।
यह माँ दुर्गा के साथ-साथ श्रीकृष्ण से भी संबंधित हैं, इसलिये इसे लड़का व लड़की दोनों खेल सकते हैं। इसमें महिलाओं को घाघरा-चोली, कढ़ाईदार ब्लाउज पहनने होते हैं तथा सोलह श्रृंगार करके आना होता हैं। तो वही पुरुषों को कुर्ता-पायजामा व पगड़ी पहननी होती हैं। तभी असली रंग में भंग जमता हैं।
समय के साथ-साथ यह देश के बड़े आयोजनों में सम्मिलित हो गया हैं। पहले इसे सामान्य तरीके से आयोजित किया जाता था लेकिन अब इसकी जगह बड़े-बड़े आयोजनों ने ले ली हैं। जहाँ पर जाने के लिए टिकट इत्यादि की व्यवस्था होती हैं। इन आयोजनों में प्रसिद्ध हस्तियों जैसे कि बॉलीवुड के कलाकार, गायक, राजनीति से जुड़े लोगों इत्यादि को बुलाया जाता हैं।
कुछ भी कहिये लेकिन लोग आज भी इसे उसी जोश व उत्साह के साथ खेलते हैं जैसे पहले खेलते थे। डांडिया रास (Dandiya In Hindi) हैं ही एक ऐसा नृत्य जो सभी के अंदर जोश भर देता हैं व देखने वाले रोमांचित हो जाते हैं।
डांडिया रास से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: डांडिया रास की कहानी क्या है?
उत्तर: डांडिया रास की कहानी भगवान श्रीकृष्ण व माँ दुर्गा से जुड़ी हुई है। यह दो अलग-अलग कहानियां है जो श्रीकृष्ण द्वारा रासलीला रचाने और माँ दुर्गा के द्वारा महिषासुर वध करने से संबंधित है।
प्रश्न: डांडिया का मतलब क्या होता है?
उत्तर: डांडिया माँ दुर्गा के द्वारा महिषासुर से युद्ध करने का प्रतिनिधित्व करता है। इसी उपलक्ष्य में हर वर्ष डांडिया नृत्य किया जाता है।
प्रश्न: डांडिया कब शुरू होता है?
उत्तर: डांडिया नवरात्रों के समय में शुरू हो जाता है और पूरे नवरात्र चलता है। उसी समय माँ दुर्गा का महिषासुर के साथ युद्ध हुआ था जिस कारण डांडिया खेला जाता है।
प्रश्न: डांडिया की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर: डांडिया की उत्पत्ति मां दुर्गा के द्वारा महिषासुर राक्षस के साथ युद्ध करने से हुई थी। फिर श्रीकृष्ण ने इसे रास में बदलकर डांडिया रास बना दिया था।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख:
आज हम आपको अन्नपूर्णा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित (Annapurna Stotram In Hindi) देंगे। हमें जीवित…
आज के इस लेख में आपको संतोषी चालीसा (Santoshi Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म…
आज हम आपके साथ वैष्णो देवी की आरती (Vaishno Devi Ki Aarti) का पाठ करेंगे।…
आज के इस लेख में आपको तुलसी आरती (Tulsi Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ने…
आज हम तुलसी चालीसा (Tulsi Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे…
आज हम आपके साथ महाकाली माता की आरती (Mahakali Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। जब…
This website uses cookies.