जैन धर्म सनातन धर्म का एक प्रमुख अंग है जिसकी नींव भगवान ऋषभदेव जी ने रखी थी। महावीर स्वामी जी को जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से अंतिम तीर्थंकर माना जाता है। जैन धर्म में महावीर स्वामी जी का अहम योगदान है और पूरा जैन समाज आज भी उनकी दी हुई शिक्षा पर चलता है। यही कारण है कि आज हम इस लेख में आपके साथ महावीर भगवान आरती (Mahavir Bhagwan Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं।
आज के इस लेख में ना केवल आपको महावीर आरती (Mahaveer Aarti) पढ़ने को मिलेगी बल्कि साथ ही उसका अर्थ, महत्व व लाभ भी जानने को मिलेगा। इससे आपको महावीर स्वामी आरती (Mahaveer Swami Aarti) का संपूर्ण शाब्दिक अर्थ जानने को मिलेगा और उससे जो शिक्षा मिल रही है, वह आप संपूर्ण रूप से ग्रहण कर पाएंगे।
इसके साथ ही क्या आप जानते हैं कि महावीर स्वामी जी की एक नहीं बल्कि दो-दो आरतियाँ हैं। दोनों ही आरतियों से उनका महत्व पता चलता है। ऐसे में आज हम आपके सामने दोनों तरह की महावीर आरतियाँ रखने जा रहे हैं और साथ ही उनका अर्थ भी समझाने जा रहे हैं।
ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु।
कुण्डलपुर अवतारी, स्वामी कुण्डलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो।।
ॐ जय महावीर प्रभु…
सिद्धार्थ घर जन्में, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी।
बाल ब्रह्मचारी व्रत, पाल्यो तपधारी।।
ॐ जय महावीर प्रभु…
आतम ज्ञान विरागी, समदृष्टि धारी।
माया मोह विनाशक, स्वामी मोह माया विनाशक, ज्ञान ज्योति धारी।।
ॐ जय महावीर प्रभु…
जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो, स्वामी आपहि विस्तार्यो।
हिंसा पाप मिटा कार, सुधर्म परिचार्यो।।
ॐ जय महावीर प्रभु…
इह विधि चांदनपुर में, अतिशय दर्शायो, स्वामी अतिशय दर्शायो।
ग्वाल मनोरथ पूर्यो, दूध गाय पायो।।
ॐ जय महावीर प्रभु…
अमर चंद को सपना, तुमने प्रभु दीना, स्वामी तुमने प्रभु दीना।
मंदिर तीन शेखर का, निर्मित है कीना।।
ॐ जय महावीर प्रभु…
जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी, स्वामी अतिशय के सेवी।
एक ग्राम तिन्ह दीनो, सेवा हित यह भी।।
ॐ जय महावीर प्रभु…
जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवे, स्वामी इच्छा कर आवे।
होय मनोरथ पूरण, संकट मिट जावे।।
ॐ जय महावीर प्रभु…
निशदिन प्रभु मंदिर में, जगमग ज्योति जरे, स्वामी ज्योति जरे।
हम सेवक चरणों में, आनंद मोद भरे।।
ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु।
कुण्डलपुर अवतारी, स्वामी कुण्डलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो।।
ॐ जय महावीर प्रभु…
ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु।
कुण्डलपुर अवतारी, स्वामी कुण्डलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो।।
हे महावीर भगवान!! आपकी जय हो। हे हम सभी के स्वामी महावीर प्रभु!! आपकी जय हो। आपने माँ त्रिशला के गर्भ से कुण्डलपुर नगरी में अवतार लिया है।
सिद्धार्थ घर जन्में, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी।
बाल ब्रह्मचारी व्रत, पाल्यो तपधारी।।
आप राजा सिद्धार्थ के घर जन्मे हैं। आपका यश हर जगह फैला हुआ है। आपने बाल अवस्था में ही ब्रह्मचर्य ले लिया था और बहुत कठिन तपस्या की थी।
आतम ज्ञान विरागी, समदृष्टि धारी।
माया मोह विनाशक, स्वामी मोह माया विनाशक, ज्ञान ज्योति धारी।।
आपको आत्म-ज्ञान हुआ था और इसके बाद आपने वैराग्य ले लिया था। आप सभी को समान दृष्टि से देखने वाले थे। आप लोगों के मन से इस सांसारिक माया व मोह का नाश कर देते थे और उनके अंदर ज्ञान की ज्योति जला देते थे।
जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो, स्वामी आपहि विस्तार्यो।
हिंसा पाप मिटा कार, सुधर्म परिचार्यो।।
आपने ही इस जगत में अहिंसा का पाठ पढ़ाया था। आपने चारों ओर हो रही हिंसा को समाप्त करके धर्म का मार्ग आगे बढ़ाया था।
इह विधि चांदनपुर में, अतिशय दर्शायो, स्वामी अतिशय दर्शायो।
ग्वाल मनोरथ पूर्यो, दूध गाय पायो।।
आपने चांदनपुर में अपनी शक्ति के दम पर ग्वाले का मान बढ़ा दिया था। आपने उसकी हरेक इच्छा पूरी की थी।
अमर चंद को सपना, तुमने प्रभु दीना, स्वामी तुमने प्रभु दीना।
मंदिर तीन शेखर का, निर्मित है कीना।।
आपने ही अमरचंद जी का सपना पूरा किया और उसने आपकी भक्ति में तीन मंजिल के मंदिर का निर्माण करवाया।
जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी, स्वामी अतिशय के सेवी।
एक ग्राम तिन्ह दीनो, सेवा हित यह भी।।
जयपुर के राजा भी आपके सेवक थे और आपके लिए उन्होंने एक गाँव की बजाये तीन गाँव दे दिए थे। यह भी उनकी ओर से एक सेवा कार्य था।
जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवे, स्वामी इच्छा कर आवे।
होय मनोरथ पूरण, संकट मिट जावे।।
जो कोई भी आपकी शरण में आता है, आप उसकी सब इच्छाएं पूरी कर देते हैं और उसके संकटों का नाश कर देते हैं।
निशदिन प्रभु मंदिर में, जगमग ज्योति जरे, स्वामी ज्योति जरे।
हम सेवक चरणों में, आनंद मोद भरे।।
दिन-रात आपके मंदिर में ज्योति जलती रहती है अर्थात आप हमारे जीवन में प्रकाश फैलाते हैं। हम तो आपके सेवक हैं और आपके चरणों में अपना सिर झुकाते हैं। आप हमारे जीवन को आनंद व खुशी से भर दीजिये।
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो।
जगनायक सुखदायक, अति गम्भीर प्रभो।।
ॐ जय महावीर प्रभो…
कुण्डलपुर में जन्में, त्रिशला के जाये।
पिता सिद्धार्थ राजा, सुर नर हर्षाए।।
ॐ जय महावीर प्रभो…
दीनानाथ दयानिधि, हैं मंगलकारी।
जगहित संयम धारा, प्रभु परउपकारी।।
ॐ जय महावीर प्रभो…
पापाचार मिटाया, सत्पथ दिखलाया।
दयाधर्म का झण्डा, जग में लहराया।।
ॐ जय महावीर प्रभो…
अर्जुनमाली गौतम, श्री चन्दनबाला।
पार जगत से बेड़ा, इनका कर डाला।।
ॐ जय महावीर प्रभो…
पावन नाम तुम्हारा, जगतारणहारा।
निसिदिन जो नर ध्यावे, कष्ट मिटे सारा।।
ॐ जय महावीर प्रभो…
करुणासागर, तेरी महिमा है न्यारी।
ज्ञानमुनि गुण गावे, चरणन बलिहारी।।
ॐ जय महावीर प्रभो…
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो।
जगनायक सुखदायक, अति गम्भीर प्रभो।।
हे महावीर भगवान!! आपकी जय हो। हे हम सभी के स्वामी महावीर प्रभु!! आपकी जय हो। आप इस जगत के नायक हैं, सुख देने वाले हैं, गंभीर मुद्रा में हैं।
कुण्डलपुर में जन्में, त्रिशला के जाये।
पिता सिद्धार्थ राजा, सुर नर हर्षाए।।
आपने माँ त्रिशला के गर्भ से कुण्डलपुर नगरी में जन्म लिया। आपके पिता राजा सिद्धार्थ थे। आपके जन्म से देवता व मनुष्य सभी आनंदित हो गए थे।
दीनानाथ दयानिधि, हैं मंगलकारी।
जगहित संयम धारा, प्रभु परउपकारी।।
आप दीन लोगों के सहारे हैं, सभी पर दया करने वाले हैं, सभी का मंगल करने वाले हैं। जग हित में सब कार्य करते हैं, हमेशा संयम बनाये रखते हैं तथा मनुष्य जाति के ऊपर उपकार करते हैं।
पापाचार मिटाया, सत्पथ दिखलाया।
दयाधर्म का झण्डा, जग में लहराया।।
आपने ही इस धरती से पाप का नाश कर दिया था और सभी को धर्म का मार्ग दिखाया था। आपने दया व धर्म का झंडा ऊँचा किया तथा उसे पूरे विश्व में लहराया था।
अर्जुनमाली गौतम, श्री चन्दनबाला।
पार जगत से बेड़ा, इनका कर डाला।।
आपने ही अर्जुनमाली गौतम तथा चंदनबाला का बेड़ा पार लगाकर उनका उद्धार कर दिया था।
पावन नाम तुम्हारा, जगतारणहारा।
निसिदिन जो नर ध्यावे, कष्ट मिटे सारा।।
आपका नाम बहुत ही आनंद देने वाला और निर्मल है। आप इस जगत के रक्षक हो। जो कोई भी आपका प्रतिदिन ध्यान करता है, उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
करुणासागर, तेरी महिमा है न्यारी।
ज्ञानमुनि गुण गावे, चरणन बलिहारी।।
आप करुणा के सागर हैं अर्थात सभी पर दया करने वाले हैं। आपकी महिमा सबसे अद्भुत है। आपकी महिमा का बखान तो ऋषि-मुनि भी करते हैं और हम सभी आपके चरणों में अपना सिर झुकाते हैं।
जैन धर्म में सभी के प्रति शांति बनाये रखने को कहा गया है फिर चाहे वह मनुष्य हो या जीव-जंतु या पेड़-पौधे। इसमें समय-समय पर हुए तीर्थंकरों ने भी यही शिक्षा दी है जिनमें से अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी जी थे। जैन धर्म में महावीर स्वामी जी का महत्व किसी से छुपा नहीं है और जैन धर्म के सभी अनुयायी उनकी दी हुई शिक्षा पर चलते हैं।
आपने ऊपर महावीर आरती पढ़ी व साथ ही उसका अर्थ भी जाना। तो इसे पढ़ कर अवश्य ही आपको महावीर स्वामी जी के जीवन से प्रेरणा मिली होगी और उनके गुणों, शक्तियों, उपदेशों इत्यादि के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ होगा। यही तो महावीर स्वामी की आरती का महत्व है जो मनुष्य जाति को अद्भुत प्रेरणा देकर जाता है।
अब यदि आप प्रतिदिन महावीर भगवान की आरती का पाठ करते हैं और भगवान महावीर जी का ध्यान करते हैं तो उससे आपका मन शुद्ध व निर्मल होता है। यदि आपके मन में कोई द्वंद्व चल रहा है या जीवन में कोई मार्ग नहीं दिखाई पड़ रहा है तो मन शांत हो जाता है और आगे का मार्ग दिखाई देता है। इसके साथ ही आपके तन-मन को एक नयी शक्ति व ऊर्जा मिलती है जिसकी सहायता से आप नवकार्य शुरू कर पाते हैं।
कुल मिलकर कहा जाए तो महावीर स्वामी जी की आरती को पढ़ने से आपको अद्भुत लाभ मिलते हैं और यह आप स्वयं अनुभव करेंगे। इसके लिए आपको नियमित रूप से सुबह स्नान करने के पश्चात शांत मन से महावीर आरती का पाठ करना चाहिए। यदि आप एक माह तक भी ऐसा करते हैं तो आपके तन में मन में जो परिवर्तन आएगा, वह बहुत ही सकारात्मक होगा।
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