Jain Tirthankar: जैन धर्म के 24 तीर्थंकर कौन थे? जाने 24 तीर्थंकर जीवन परिचय

24 Tirthankar Ke Naam

आज हम आपको जैन धर्म के 24 तीर्थंकर के नाम और चिन्ह (24 Tirthankar Ke Naam) बताने वाले हैं। जो लोग जैन धर्म से संबंध नहीं रखते हैं उन्हें जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी जी के बारे में ही पता होता है। हालाँकि कुछ लोगों को जैन धर्म के अन्य प्रसिद्ध तीर्थंकरों के नाम भी पता होते हैं लेकिन सभी जैन तीर्थंकर (Jain Tirthankar) के बारे में जानकारी बहुत ही कम लोगों को होती है।

इसलिए आज हम आपको बताएँगे कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकर कौन थे (Jain Dharm Ke 24 Tirthankar Kaun The), उनका नाम क्या था, उनकी निशानी अर्थात चिन्ह क्या थे तथा उनका जन्म किस वंश में हुआ था, इत्यादि। ऐसे में आइये जाने जैन धर्म के 24 तीर्थंकर का जीवन परिचय।

24 तीर्थंकर के नाम और चिन्ह (24 Tirthankar Ke Naam)

जैन धर्म का संबंध सनातन धर्म से है। इसका पता इसी बात से ही चल जाता है कि जैन धर्म के तीर्थंकर के नाम व अन्य चीजें सनातन धर्म से संबंधित है। हिन्दू धर्म के अनुसार जैन धर्म आचार्य चाणक्य से कुछ वर्षों या दशकों पहले ही अस्तित्व में आया था। उसी समय बौद्ध धर्म भी प्रचलन में आया था।

एक तरह से उस समय हिन्दू धर्म से कई लोगों ने अलग होकर अपने अलग-अलग पंथ बना लिए थे। भविष्य में जाकर इन पंथों में से दो पंथ जैन व बौद्ध प्रचलित हुए और उन्होंने समय के साथ-साथ अलग धर्म का रूप ले लिया। ऐसे में आज हम आपके सामने जैन धर्म के 24 तीर्थंकर जीवन परिचय (24 Tirthankar Names In Hindi) रखने जा रहे हैं।

तीर्थंकर किसे कहते हैं?

तीर्थंकर शब्द की स्थापना संस्कृत के तीर्थ शब्द से हुई है। इसमें तीर्थ शब्द का अर्थ एक ऐसे स्थान से है जहाँ जाकर मोक्ष की प्राप्ति हो अर्थात सांसारिक दुनिया से बाहर तीर्थ की रचना करने वाले को तीर्थंकर की संज्ञा दी गयी है। जैन धर्म के इन 24 तीर्थंकरों ने तपस्या के माध्यम से केवल ज्ञान (आत्मज्ञान) की प्राप्ति की थी, इसलिए इन्हें तीर्थंकर (Jain Tirthankar) कहा जाता है।

तीर्थंकर बनने के लिए इन्होने सांसारिक भावनाओं जैसे कि लोभ, मोह, क्रोध, सुख-दुःख, घृणा, लालसा इत्यादि का त्याग कर दिया था और फिर अंत में मोक्ष को प्राप्त किया था। चलिए एक-एक करके जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के बारे में जान लेते हैं।

#1. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर: ऋषभदेव जी

ऋषभदेव जी जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे जिनका जन्म अयोध्या में उत्तरषाढ़ा नक्षत्र में हुआ था। इनको आदिनाथ (Adinath Ji) या वृषभनाथ (Vrishabhnath Ji) के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम नाभिराज व माता का नाम मरूदेवी था जो कि इश्वाकू वंश से थे। इनकी 2 पत्नियाँ थी जिनसे उनको 100 पुत्र व 2 पुत्रियाँ हुई। इनका चिन्ह वृषभ (बैल) को माना जाता है। ऋषभदेव जी को मोक्ष कैलाश पर्वत में वट वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#2. जैन धर्म के दूसरे तीर्थंकर: अजितनाथ जी

अजितनाथ जी (Ajitnath Ji) जैन धर्म के दूसरे तीर्थंकर थे जिनका जन्म अयोध्या में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम जीतशत्रु व माता का नाम विजयादेवी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह हाथी था। अजितनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखरजी में सर्पपर्ण वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#3. जैन धर्म के तीसरे तीर्थंकर: सम्भवनाथ जी

सम्भवनाथ जी (Sambhavnath Ji) जैन धर्म के तीसरे तीर्थंकर थे जिनका जन्म श्रावस्ती में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम जितारी व माता का नाम सेनारानी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह घोड़ा था। सम्भवनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में शाल वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#4. जैन धर्म के चौथे तीर्थंकर: अभिनन्दन जी

अभिनन्दन जी (Abhinandan Ji) जैन धर्म के चौथे तीर्थंकर थे जिनका जन्म अयोध्या में पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम संवर व माता का नाम सिद्धार्था था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह बंदर था। अभिनन्दन जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में देवदा वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#5. जैन धर्म के पांचवें तीर्थंकर: सुमतिनाथ जी

सुमतिनाथ जी (Sumatinath Ji) जैन धर्म के पांचवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म अयोध्या में मद्या नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम मेघरथ व माता का नाम सुमंगला था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह चकवा था। सुमतिनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में प्रियंगु वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#6. जैन धर्म के छठे तीर्थंकर: पद्मप्रभ जी

पद्मप्रभ जी (Padmaprabha Ji) जैन धर्म के छठे तीर्थंकर थे जिनका जन्म कौशाम्बीपुरी में चित्रा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीधर धरण राज व माता का नाम सुसीमा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह कमल था। पद्मप्रभ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में प्रियंगु वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#7. जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर: सुपार्श्वनाथ जी

सुपार्श्वनाथ जी (Supashravnath Ji) जैन धर्म के सांतवे तीर्थंकर थे जिनका जन्म काशीनगरी में विशाखा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम सुप्रतिष्ठ व माता का नाम पृथ्वी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह साथिया था। सुपार्श्वनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में शिरीष वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#8. जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर: चंद्रप्रभु जी

चंद्रप्रभु जी (Chandraprabhu Ji) जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म चंद्रपुरी में अनुराधा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम महासेन व माता का नाम लक्ष्मणा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह चंद्रमा था। चंद्रप्रभु जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में नाग वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#9. जैन धर्म के नौवें तीर्थंकर: सुविधिनाथ जी

सुविधिनाथ जी (Suvidhinath Ji) जैन धर्म के नौंवे तीर्थंकर थे जिनका जन्म काकंदी में मूल नक्षत्र में हुआ था। इन्हें पुष्पदंत के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम सुग्रीव व माता का नाम रामा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह मगर था। सुविधिनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में साल वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#10. जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर: शीतलनाथ जी

शीतलनाथ जी (Sheetalnath Ji) जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म भद्रिकापुरी में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम दृढरथ राज व माता का नाम सुनंदा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह कल्पवृक्ष था। शीतलनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में प्लक्ष वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#11. जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर: श्रेयांसनाथ जी

श्रेयांसनाथ जी (Shreyanshnath Ji) जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म सारनाथ में वण नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम विष्णु राज व माता का नाम विष्णुद्री था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह गैंडा था। श्रेयांसनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में तेंदुका वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#12. जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर: वासुपूज्य जी

वासुपूज्य जी (Vasupujya Ji) जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म चम्पापुरी में शतभिषा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम वासुपूज्य व माता का नाम जया था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह भैंसा था। वासुपूज्य जी को मोक्ष चम्पापुरी में पाटला वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#13. जैन धर्म के तेरहवें तीर्थंकर: विमलनाथ जी

विमलनाथ जी (Vimalnath Ji) जैन धर्म के तेरहवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म काम्पिल्य में उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम कृतवर्मन व माता का नाम श्यामा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह शूकर (जंगली सूअर) था। विमलनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में जम्बू वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#14. जैन धर्म के चौदहवें तीर्थंकर: अनंतनाथ जी

अनंतनाथ जी (Anantnath Ji) जैन धर्म के चौदहवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म अयोध्या में रेवती नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम सिंहसेन व माता का नाम सुयशा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह सेही था। अनंतनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में पीपल वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#15. जैन धर्म के पंद्रहवें तीर्थंकर: धर्मनाथ जी

धर्मनाथ जी (Dharmnath Ji) जैन धर्म के पंद्रहवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म रत्नपुरी में पुष्य नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम भानुराजा व माता का नाम सुव्रता था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह वज्रदंड था। धर्मनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में दधिपर्ण वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#16. जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर: शांतिनाथ जी

शांतिनाथ जी (Shantinath Ji) जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म हस्तिनापुर में भरणी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम विश्वसेन व माता का नाम अचिरा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह हिरण था। शांतिनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में नंद वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#17. जैन धर्म के सत्रहवें तीर्थंकर: कुंथुनाथ जी

कुंथुनाथ जी (Kunthunath Ji) जैन धर्म के सत्रहवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म हस्तिनापुर में कृत्तिका नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम सूर्य व माता का नाम श्रीदेवी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह बकरा था। कुंथुनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में तिलक वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#18. जैन धर्म के अठारहवें तीर्थंकर: अरहनाथ जी

अरहनाथ जी (Arahnath Ji) जैन धर्म के अठारहवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म हस्तिनापुर में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम सुदर्शन व माता का नाम देवीरानी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह मछली था। अरहनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में आम्र वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#19. जैन धर्म के उन्नीसवें तीर्थंकर: मल्लिनाथ जी

मल्लिनाथ जी (Mallinath Ji) जैन धर्म के उन्नीसवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म मिथिलापुरी में अश्विनी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम कुम्भ व माता का नाम रक्षिता था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह कलश था। मल्लिनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में कुम्पअशोक वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#20. जैन धर्म के बीसवें तीर्थंकर: मुनिसुव्रतनाथ जी

मुनिसुव्रतनाथ जी (Munisuvratnath Ji) जैन धर्म के बीसवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म राजगृह में श्रवण नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम सुमित्र व माता का नाम पद्मावती था जो हरि वंश से थे। इनका चिन्ह कछुआ था। मुनिसुव्रतनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में चम्पक वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#21. जैन धर्म के इक्कीसवें तीर्थंकर: नमिनाथ जी

नमिनाथ जी (Naminath Ji) जैन धर्म के इक्कीसवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म मिथिला में अश्विनी नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम विजय व माता का नाम वप्रा था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह नीलकमल था। नमिनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में वकुल वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#22. जैन धर्म के बाईसवें तीर्थंकर: नेमिनाथ जी

नेमिनाथ जी (Neminath Ji) जैन धर्म के बाईसवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म सौरीपुर में चित्रा नक्षत्र में हुआ था। इन्हें अरिष्टनेमि के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम समुन्द्रविजय व माता का नाम शिवदेवी था जो यदु वंश से थे। इनका चिन्ह शंख था। नेमिनाथ जी को मोक्ष गिरनार में मेषश्रृंग वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#23. जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर: पार्श्वनाथ जी

पार्श्वनाथ जी (Parshwanath Ji) जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर थे जिनका जन्म वाराणसी में विशाखा नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम अश्वसेन व माता का नाम वामादेवी था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह सर्प था। पार्श्वनाथ जी को मोक्ष सम्मेद शिखर में घव वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था।

#24. जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर: महावीर स्वामी जी

महावीर स्वामी जी (Mahavir Swami Ji) जैन धर्म के चौबीसवें व अंतिम तीर्थंकर थे जिनका जन्म कुंडलग्राम (वैशाली के निकट) में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुआ था। इन्हें वर्धमान, सन्मति, वीर व अतिवीर के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ व माता का नाम त्रिशाला था जो इश्वाकू वंश से थे। इनका चिन्ह सिंह था। महावीर जी को मोक्ष पावापुरी, नालंदा, बिहार में साल वृक्ष के नीचे कार्तिक अमावस्या को प्राप्त हुआ था।

इस तरह आपने आज के इस लेख के माध्यम से 24 तीर्थंकर के नाम और चिन्ह (24 Tirthankar Ke Naam) के बारे में संक्षिप्त जानकारी ले ली है। महावीर स्वामी जी जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर थे और उनके बाद कोई तीर्थंकर नहीं हुआ।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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