क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक धोबी के कहने पर सीता बनवास हो गया था। श्रीराम को जो चौदह वर्ष का वनवास मिला था, वह तो अपने पिता दशरथ के वचनों के कारण हुआ था लेकिन सीता वनवास की कहानी एक धोबी के घटनाक्रम से जुड़ी हुई है। अब आपके मन में कई तरह के प्रश्न उठ रहे होंगे, जैसे कि माता सीता को वनवास क्यों हुआ या माता सीता वनवास क्यों गई थी, इत्यादि।
आखिर ऐसी क्या ही घटना घटी थी जिसके परिणामस्वरुप प्रभु श्रीराम तथा माता सीता हमेशा के लिए अलग हो गए थे? आज हम रामायण में उस धोबी की कहानी (Ramayan Dhobi Ki Kahani) का माता सीता के वनवास से क्या संबंध है, इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे।
जब प्रभु श्रीराम ने रावण का अंत कर दिया तब उनका वनवास के पश्चात अयोध्या आगमन हुआ। इसके पश्चात बड़ी धूमधाम से उनका राज्याभिषेक किया गया तथा उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि अब से उनका कोई भी निजी जीवन नहीं है तथा वे हर कार्य अपनी प्रजा के हित के लिए ही करेंगे। उनकी प्रजा किसी भी समय उनके सामने अपने दुःख, समस्या इत्यादि लेकर आ सकती है तथा न्याय मांग सकती है।
एक दिन जब श्रीराम माता सीता तथा अपने परिवार के साथ बैठे हंसी-ठिठोली कर रहे थे तभी उन्हें अपने सैनिक के द्वारा गुप्तचर के आने का पता चला। जब उन्होंने गुप्तचर से राज्य की स्थिति पर चर्चा की तब उसने उन्हें बताया कि कल रात एक महिला राजभवन के द्वार पर आई थी व न्याय मांग रही थी लेकिन प्रहरी ने उसे सुबह आने का कहकर वापस भेज दिया।
इस पर वह महिला क्रुद्ध हो गई तथा वहाँ से चली गई। गुप्तचर ने उसका पीछा किया लेकिन कुछ समय के पश्चात वह आखों से ओझल हो गई। इस पर प्रभु श्रीराम रूष्ट हो गए तथा आर्य सुमंत से इसके बारे में प्रश्न किया। उन्होंने ऐसी घटना फिर से घटित नहीं होने का आदेश दिया।
इसके पश्चात श्रीराम ने उस गुप्तचर को बुलाया तथा उससे कहा कि उसने उस महिला को कल बिना न्याय मिले जाने दिया तथा उसका पता भी नहीं लगाया। इसलिए जब तक वह उस महिला का पता नहीं लगाता तथा उसके बारे में जानकारी नहीं निकालता तब तक उसे सेवा से निलंबित किया जाता है। श्रीराम का आदेश पाकर वह उस महिला की खोज में निकल गया। श्रीराम ने उसे उस घटना की संपूर्ण सूचना एकत्रित करने के पश्चात ही स्वयं को मुख दिखाने की आज्ञा दी थी।
गुप्तचर ने श्रीराम को बताया कि उस महिला का तो पता नहीं चला लेकिन उस महिला का पति उनके राज्य की सीमा पर स्थित गौतमी नदी के पास एक गाँव में रहता है। उसने बताया कि उसके पति ने उसे स्वीकार करने से मना कर दिया है क्योंकि वह अपने मायके से आते हुए एक रात कहीं रुक गई थी।
इसका कारण पूछने पर गुप्तचर ने बताया कि गाँव में पता करने पर पता चला कि वह स्त्री सभी को एक ही कारण बताती रही कि अपनी माँ के घर से अपने पति के घर वापस आने के लिए उसे रास्ते में एक नदी पार करनी पड़ती है। जब वह अपने घर जाने के लिए उस नदी के पास पहुँची तब तक शाम का अँधेरा हो चुका था तथा वर्षा शुरू हो चुकी थी। इस कारण केवट ने नाव चलाने से मना कर दिया। ऐसे समय में वह कहीं नहीं जा सकती थी इसलिए विवश होकर उसने वह रात उस केवट की झोपड़ी में व्यतीत की।
इसके पश्चात जब वह घर पहुँची तब उसके पति ने उससे देर से आने का कारण पूछा। उसके पति ने उसकी पवित्रता पर संदेह करके उसे घर से निकाल दिया। इस पर श्रीराम ने पूछा कि वह स्त्री अपने पति को विश्वास क्यों नहीं दिला सकी। तब गुप्तचर ने बताया कि उन दोनों के बीच अविश्वास ज्यादा है तथा उनके बीच लड़ाई-झगड़े आम बात है।
साथ ही उस स्त्री ने क्षमा मांगने से भी मना कर दिया तथा कहा कि जब उसने कोई अपराध ही नहीं किया तब वह क्षमा क्यों मांगेगी। उस स्त्री ने अपने पति से कहा कि अब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्य है इसलिए वह स्वयं जाकर उनसे न्याय मांगेगी।
गुप्तचर की बातों से श्रीराम को संदेह हुआ कि उसने उन्हें संपूर्ण बात नहीं बताई तथा ऐसी कुछ बात है जिसे वह उनसे छुपा रहा है। उसने गुप्तचर को आदेश दिया कि वे स्वयं उसके साथ उसके मित्र बनकर उस गाँव में जाएंगे तथा घटना का पता लगाएंगे। इसके बाद श्रीराम एक सामान्य नागरिक का भेष धारण कर गुप्तचर के साथ उस गाँव में गए।
वहाँ जाकर उन्होंने गाँव वालों की बातें सुनी। गांववालों की बातों के अनुसार वे उस स्त्री को ही दोष दे रहे थे तथा इसके लिए अपने राजा श्रीराम पर भी प्रश्न उठा रहे थे। उन्होंने श्रीराम के द्वारा माता सीता को अपनाने पर भी प्रश्न उठाया क्योंकि रावण के महल में इतने दिन रहने के पश्चात भी उन्होंने सीता को अपना लिया। उन्होंने इसे श्रीराम की निर्बलता करार दिया तथा उसे स्त्री मोह नाम दिया।
गांववालों के अनुसार इसके कारण सभी स्त्रियों को इसके लिए और प्रोत्साहन मिला है। इसका लाभ कई स्त्रियाँ अनुचित कार्य करने के लिए उठा सकती हैं। एक राजा के द्वारा किए गए कार्यों का प्रभाव प्रजा पर भी पड़ता है इसलिए इसके लिए उन्होंने राजा राम को दोष दिया।
इस घटना के पश्चात श्रीराम का हृदय तार-तार हो गया तथा उन्होंने गुप्तचर से पूछा कि क्या इस प्रकार की बातें केवल इसी गाँव में ही होती है या नगर के अन्य गावों में भी इसी प्रकार की बात होती है। इस पर गुप्तचर ने इस बात को स्वीकार कर लिया कि माता सीता के बारे में इस प्रकार की बातें अन्य गाँवों में भी होती है। तब श्रीराम ने नगर के अन्य गाँवों में भी जाकर इसका पता लगाने का सोचा।
श्रीराम जब अन्य गाँवों में पहुँचे तब मुख्यतया सभी के द्वारा माता सीता के प्रति ऐसी भावना को देखकर विचलित हो उठे। इसके पश्चात वे दुखी मन से राजभवन आ गए तथा उदास रहने लगे।
भगवान श्रीराम को इस प्रकार दुखी देखकर माता सीता का मन भी उदास हो गया लेकिन श्रीराम ने उन्हें कुछ बताया नहीं। इसलिए माता सीता ने अपने गुप्तचरों के माध्यम से इस बात का पता लगाया तथा उन्हें ज्ञात हुआ कि उनके बारे में अयोध्या के नगर में क्या बातें चल रही है तथा श्रीराम के दुःख का असली कारण क्या है।
संपूर्ण बात को जानने के पश्चात माता सीता ने स्वयं ही वन में जाने का कठोर निर्णय लिया। श्रीराम ने माता सीता को वन में जाने से रोकने के बहुत प्रयास किए। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि वे अयोध्या के राज सिंहासन को छोड़ देंगे और स्वयं उनके साथ वन में चलेंगे। इस पर माता सीता ने उन्हें राजधर्म की शिक्षा दी और उसके लिए यह त्याग करने को कहा।
अंत में श्रीराम ने सीता की बात मान ली। माता सीता ने रात के ही अँधेरे में वन जाने का निर्णय लिया। इसके लिए श्रीराम ने लक्ष्मण को आदेश दिया कि वे सीता को वन में छोड़ आएं। हालाँकि लक्ष्मण को पूरी बात का पता नहीं था और राज माताएं तीर्थ पर गई हुई थी। इस तरह से एक धोबी के कहने पर सीता बनवास हो गया था।
सीता वनवास से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सीता को वनवास क्यों दिया?
उत्तर: श्रीराम ने माता सीता को राजधर्म के कारण वनवास दिया था। यह घटनाक्रम श्रीराम के राज्याभिषेक के कुछ दिनों के पश्चात घटित हुआ था।
प्रश्न: सीता जी को वनवास क्यों हुआ
उत्तर: सीता जी को वनवास एक धोबी के द्वारा उनके चरित्र पर लांछन लगाए जाने से शुरू हुआ था। इसके बाद अयोध्यावासियों में इसको लेकर बातचीत बढ़ गई थी जिस कारण सीता को वन जाना पड़ा था।
प्रश्न: भगवान राम ने सीता को जंगल में क्यों छोड़ा?
उत्तर: भगवान राम ने सीता को जंगल में राजधर्म के कारण छोड़ा था।हालाँकि यह दोनों का ही संयुक्त रूप से निर्णय था कि माता सीता वन को चली जाएं।
प्रश्न: सीता ने राम को क्यों छोड़ा?
उत्तर: सीता ने राम को राजधर्म के कारण छोड़ने के लिए कहा था। यदि वे ऐसा ना करती तो श्रीराम को राज सिंहासन का त्याग करना पड़ता या लज्जित होना पड़ता।
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