माता सीता को वनवास किस घटना के कारण मिला?

Mata Sita Vanvas Story In Hindi

यह प्रश्न हम सभी के मन में उठता हैं कि आखिर किस कारण भगवान श्रीराम को माता सीता का त्याग करना पड़ा था? आखिर क्यों माता सीता को वन में अकेले जाकर जाकर रहना पड़ा था (Why Ram Left Sita In Hindi)? आखिर ऐसी क्या ही घटना घटी थी जिसके परिणामस्वरुप प्रभु श्रीराम तथा माता सीता हमेशा के लिए मानव जीवन में अलग हो गए थे? आज हम रामायण में घटी उसी करुणामय घटना का वृतांत (Shri Ram Ne Sita Ko Vanvas Kyon Diya Tha) आपको बताएँगे।

माता सीता को वनवास क्यों दिया गया (Mata Sita Vanvas Story In Hindi)

श्रीराम को गुप्तचर सुमागत का संदेश (Sri Ram Ne Sita Ko Kyu Tyaga)

जब प्रभु श्रीराम ने रावण का अंत कर दिया तब उनका वनवास के पश्चात अयोध्या आगमन हुआ। इसके पश्चात बड़ी धूमधाम से उनका राज्याभिषेक किया गया तथा उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि अब से उनका कोई भी निजी जीवन नही हैं तथा वे हर कार्य अपनी प्रजा के हित के लिए ही करेंगे। उनकी प्रजा किसी भी समय उनके सामने अपने दुःख, समस्या इत्यादि लेकर आ सकती हैं तथा न्याय मांग सकती हैं।

एक दिन जब श्रीराम माता सीता तथा अपने परिवार के साथ बैठे हंसी-ठिठोली कर रहे थे तभी उन्हें अपने सैनिक के द्वारा गुप्तचर के आने का पता चला। जब उन्होंने गुप्तचर से राज्य की स्थिति पर चर्चा की तब उसने उन्हें बताया कि (Sri Ram Ji Ne Sita Ka Tyag Kyun Kiya) कल रात एक महिला राजभवन के द्वार पर आई थी व न्याय मांग रही थी लेकिन प्रहरी ने उसे सुबह आने का कहकर वापस भेज दिया।

इस पर वह महिला क्रुद्ध हो गयी तथा वहां से चली गयी। गुप्तचर ने उसका पीछा किया लेकिन कुछ समय के पश्चात वह आखों से ओझल हो गयी। इस पर प्रभु श्रीराम रुष्ट हो गए तथा आर्य सुमंत से इसके बारे में प्रश्न किया। उन्होंने ऐसी घटना फिर से घटित नही होने का आदेश दिया।

श्रीराम ने दिया गुप्तचर सुमागत को आदेश

इसके पश्चात श्रीराम ने उस गुप्तचर को बुलाया तथा उससे कहा कि उसने उस महिला को कल बिना न्याय मिले जाने दिया तथा उसका पता भी नही लगाया। इसलिये जब तक वह उस महिला का पता नही लगाता तथा उसके बारे में जानकारी नही निकालता तब तक उसे सेवा से निलंबित किया जाता हैं। श्रीराम का आदेश पाकर वह उस महिला की खोज में निकल गया। श्रीराम ने उसे उस घटना की संपूर्ण सूचना एकत्रित करने के पश्चात ही स्वयं को मुख दिखाने की आज्ञा दी थी।

गुप्तचर के द्वारा श्रीराम को सूचना देना (Ramayan Dhobi Ki Kahani)

गुप्तचर ने श्रीराम को बताया कि उस महिला का तो पता नही चला लेकिन उस महिला का पति (Story Of Laundryman In Ramayan In Hindi) उनके राज्य की सीमा पर स्थित गौतमी नदी के पास एक गाँव में रहता है। उसने बताया कि उसके पति ने उसे स्वीकार करने से मना कर दिया हैं क्योंकि वह अपने मायके से आते हुए एक रात कही रुक गयी थी।

इसका कारण पूछने पर गुप्तचर ने बताया कि गाँव में पता करने पर पता चला कि वह स्त्री सभी को एक ही कारण बताती रही कि (Shri Ram Left Sita In Hindi) अपनी माँ के घर से अपने पति के घर वापस आने के लिए उसे रास्ते में एक नदी पार करनी पड़ती है। जब वह अपने घर जाने के लिए उस नदी के पास पहुंची तब तक शाम का अँधेरा हो चुका था तथा वर्षा शुरू हो चुकी थी। इस कारण केवट ने नाव चलाने से मना कर दिया। ऐसे समय में वह कही नही जा सकती थी इसलिये विवश होकर उसने वह रात उस केवट की झोपड़ी में व्यतीत की।

इसके पश्चात जब वह घर पहुंची तब उसके पति ने उससे देर से आने का कारण पूछा। उसके पति ने उसकी पवित्रता पर संदेह करके उसे घर से निकाल दिया। इस पर श्रीराम ने पूछा कि वह स्त्री अपने पति को विश्वास क्यों नही दिला सकी (Why Ram Left Sita In Forest In Hindi)। तब गुप्तचर ने बताया कि उन दोनों के बीच अविश्वास ज्यादा है तथा उनके बीच लड़ाई-झगड़े आम बात हैं। साथ ही उस स्त्री ने क्षमा मांगने से भी मना कर दिया तथा कहा कि जब उसने कोई अपराध ही नही किया तब वह क्षमा क्यों मांगेगी। उस स्त्री ने अपने पति से कहा कि अब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्य हैं इसलिये वह स्वयं जाकर उनसे न्याय मांगेगी।

श्रीराम की शंका (Dhobi Ki Katha In Ramayan In Hindi)

गुप्तचर की बातों से श्रीराम को संदेह हुआ कि उसने उन्हें संपूर्ण बात नहीं बताई तथा ऐसी कुछ बात हैं जिसे वह उनसे छुपा रहा है। उसने गुप्तचर को आदेश दिया कि वे स्वयं उसके साथ उसके मित्र बनकर उस गाँव में जाएंगे तथा घटना का पता लगायेंगे। इसके बाद श्रीराम एक सामान्य नागरिक का भेष धारण कर गुप्तचर के साथ उस गाँव में गए।

वहां जाकर उन्होंने गाँव वालों की बाते सुनी। गांववालों की बातो के अनुसार वे उस स्त्री को ही दोष दे रहे थे तथा इसके लिए अपने राजा श्रीराम पर भी प्रश्न उठा रहे थे। उन्होंने श्रीराम के द्वारा माता सीता को अपनाने पर भी प्रश्न उठाया क्योंकि रावण के महल में इतने दिन रहने के पश्चात भी उन्होंने सीता को अपना लिया। उन्होंने इसे श्रीराम की निर्बलता करार दिया तथा उसे स्त्री मोह नाम दिया।

गांववालों के अनुसार इसके कारण सभी स्त्रियों को इसके लिए और प्रोत्साहन मिला हैं। इसका लाभ कई स्त्रियाँ अनुचित कार्य करने के लिए उठा सकती है। एक राजा के द्वारा किये गए कार्यों का प्रभाव प्रजा पर भी पड़ता हैं इसलिये इसके लिए उन्होंने राजा राम को दोष दिया।

इस घटना के पश्चात श्रीराम का हृदय तार-तार हो गया तथा उन्होंने गुप्तचर से पूछा कि क्या इस प्रकार की बातें केवल इसी गाँव में ही होती है या नगर के अन्य गावों में भी इसी प्रकार की बात होती है। इस पर गुप्तचर ने इस बात को स्वीकार कर लिया कि माता सीता के बारे में इस प्रकार की बातें अन्य गाँवों में भी होती हैं। तब श्रीराम ने नगर के अन्य गाँवों में भी जाकर इसका पता लगाने का सोचा।

श्रीराम जब अन्य गाँवों में पहुंचे तब मुख्यतया सभी के द्वारा माता सीता के प्रति ऐसी भावना को देखकर विचलित हो उठे। इसके पश्चात वे दुखी मन से राजभवन आ गए तथा उदास रहने लगे।

माता सीता ने लगाया पता (Mata Sita Ka Tyag Ramayan)

भगवान श्रीराम को इस प्रकार दुखी देखकर माता सीता का मन भी उदास हो गया लेकिन श्रीराम ने उन्हें कुछ बताया नही। इसलिये माता सीता ने अपने गुप्तचरों के माध्यम से इस बात का पता लगाया तथा उन्हें ज्ञात हुआ कि उनके बारे में अयोध्या के नगर में क्या बाते चल रही है (Sita Ka Parityag Ramayan) तथा श्रीराम के दुःख का असली कारण क्या है। संपूर्ण बात को जानने के पश्चात माता सीता ने स्वयं ही यह कठोर निर्णय लिया तथा वन में चली गयी। श्रीराम ने उन्हें रोकने के बहुत प्रयत्न किये लेकिन माता सीता ने उन्हें वचनों से बांध दिया तथा वन की ओर प्रस्थान कर गयी।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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