आखिरकार शूर्पणखा कैसे बनी कृष्ण की पत्नी और यह सब कैसे संभव हुआ। कृष्ण भगवान की आठ पत्नियों में कहीं भी शूर्पणखा का नाम नहीं आता है। फिर कैसे रामायण काल की शूर्पनखा भगवान श्रीकृष्ण के समयकाल में उनकी पत्नी बन गई!!
दरअसल इसका रहस्य जानने से पहले आपको सूर्पनखा की कहानी (Surpanakha Story In Hindi) को समझना होगा। तभी आप समझ पाएंगे कि सूर्पनखा को किस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण पति रूप में प्राप्त हुए थे। साथ ही क्यों श्रीकृष्ण ने शूर्पणखा को अपनी पत्नी बनने का सौभाग्य दिया था।
हम शूर्पणखा को रामायण की एक राक्षसी के रूप में जानते हैं जो अपने सभी भाइयों व कुल के विनाश का कारण बनी। उसी के कारण रावण ने माता सीता का अपहरण किया व राम रावण का युद्ध हुआ। किंतु क्या आप जानते हैं कि वह अपने पूर्व जन्म में देवलोक की एक अप्सरा हुआ करती थी।
शूर्पनखा रामायण काल से पहले स्वर्ग लोक में नयनतारा नाम की एक अप्सरा थी जो इंद्र देव को नृत्य करके प्रसन्न किया करती थी। एक दिन इंद्र देव ने उससे प्रसन्न होकर उसे धरती पर वज्रा नामक एक ऋषि की तपस्या को भंग करने के लिए भेजा। नयनतारा ने ऋषि की तपस्या तो भंग कर दी लेकिन क्रोधवश ऋषि ने उसे राक्षस कुल में जन्म लेने का श्राप दे डाला। इसी के बाद वह रावण की बहन शूर्पनखा के रूप में जन्मी थी। आइए जाने उसके बाद क्या हुआ।
ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार शूर्पनखा अपने भाई रावण की मृत्यु के बाद लंका के नए राजा व अपने भाई विभीषण के साथ रही। लेकिन कुछ समय पश्चात वह राजस्थान के पुष्कर में चली गई। वहाँ जाकर उसने भगवान शिव की दस हज़ार वर्षों तक कठोर तपस्या की। भगवान शिव ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए व वर मांगने को कहा।
शूर्पनखा ने वर स्वरुप भगवान विष्णु की पत्नी बनने का अधिकार माँगा। भगवान शिव ने उसे यह वरदान दे दिया व कहा कि भगवान राम के बाद भगवान कृष्ण अगले जन्म में विष्णु रुपी अवतार में जन्म लेंगे। तब तुम एक कूबड़ महिला के रूप में जन्म लोगी व तुम्हारा उनसे विवाह होगा। भगवान कृष्ण के द्वारा तुम्हारा कूबड़ भी ठीक होगा व उद्धार भी हो जाएगा।
अगले अवतार में भगवान विष्णु कृष्ण रुपी अवतार में इस पृथ्वी पर आए। जब वे कंस को मारने के लिए पहली बार मथुरा गए तब उन्हें शूर्पनखा मिली जो कि एक कूबड़ महिला थी। उन्होंने उसका कूबड़ ठीक कर दिया लेकिन तब उन्होंने उससे विवाह नहीं किया था। वे केवल उसके कूबड़ को ठीक कर वहाँ से चले गए थे।
उसके कुछ समय बाद भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। साथ ही उन्होंने उस राक्षस के चंगुल से सोलह हज़ार एक सौ स्त्रियों (16,100) को मुक्त करवाया था जिनको उसने अपनी दासी बनाकर रखा था। उन दासियों में से एक शूर्पनखा भी थी। भगवान श्रीकृष्ण ने समाज के द्वारा उन महिलाओं को नकारे जाने के बाद स्वयं सभी से विवाह किया व अपनी छोटी रानियाँ बनाया था।
अपने इस जन्म में शूर्पणखा ने बहुत दुःख सहे थे। उसे अपने पिछले कर्मों का फल जो भोगना था। पहले तो वह अपने जन्म से कूबड़ बनी रही। इसके बाद जब कूबड़ ठीक हुआ तो नरकासुर ने उसे कैद कर लिया। हालाँकि अंत में जाकर श्रीकृष्ण ने उससे विवाह कर उसके अभी दुखों का अंत कर दिया था। इस तरह से सूर्पनखा की कहानी का (Surpanakha Story In Hindi) यहीं अंत हो जाता है।
सूर्पनखा की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सूपनखा पूर्व जन्म में क्या थे?
उत्तर: अपने पूर्व जन्म में सूर्पनखा देवलोक में नयनतारा नाम की एक अप्सरा हुआ करती थी। वह इंद्र की सभा में एक न्रत्यांगना थी।
प्रश्न: सूर्पनखा का रहस्य क्या है?
उत्तर: सूर्पनखा का रहस्य यही है कि उसने अपना रूप बदल कर श्रीराम और लक्ष्मण के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। इसके परिणाम स्वरुप वह अपनी नाक और एक कान गंवा बैठी थी।
प्रश्न: क्या सूर्पणखा राम से प्यार करती थी?
उत्तर: सूर्पनखा केवल श्रीराम के रूप पर सम्मोहित हो गई थी। राम के द्वारा विवाह का प्रस्ताव ठुकराए जाने के दूसरे ही पल उसने लक्ष्मण को विवाह का प्रस्ताव दे दिया था।
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