शूर्पनखा की संपूर्ण कथा: शुरू से अंत तक

Surpanakha Story In Hindi

शूर्पनखा महान ऋषि विश्रवा व कैकसी की पुत्री थी व रावण, कुंभकरण, विभीषण की बहन (Surpanakha Ramayan)। शुरू से ही वह अति सुंदर व बड़े-बड़े नाखूनों वाली स्त्री थी। बचपन में उसका नाम मीनाक्षी (Ravana’s Sister Meenakshi) रखा गया था अर्थात जिसकी आखें मछली के समान हो। बाद में उसे चंद्रमुखी के नाम से भी जाना जाने लगा अर्थात जिसका मुख चंद्रमा के समान हो। शूर्पनखा के नाखून अत्यधिक बड़े व नुकीले हुआ करते थे इसलिये उसका नाम शूर्पनखा भी पड़ा। आज हम शूर्पनखा के जीवन के बारे जानेंगे (Surpanakha Kaun Thi)।

शूर्पनखा के बारे में संपूर्ण जानकारी (Surpanakha Story In Hindi)

शूर्पनखा का विवाह (Surpanakha Husband Name In Hindi)

जब शूर्पनखा विवाह योग्य हो गयी तब उसका विवाह दैत्य राक्षस कालनेय के पुत्र विद्युत जिव्ह के साथ करवा दिया गया। विद्युतजिव्ह भी रावण के समान परम प्रतापी था व दैत्यों जाति का राजकुमार था। उसके अंदर भी रावण के समान संपूर्ण पृथ्वी पर शासन करने व राजा बनने की चाह थी।

रावण के द्वारा शूर्पनखा के पति का वध (Ravana Killed Surpanakha Husband)

रावण लंका का राजा था व अत्यंत बलवान था। उसने अपने पराक्रम के बल पर अनेक राज्यों को अपने अधीन कर लिया था (Ravan Sister Name In Hindi)। वह संपूर्ण पृथ्वी, देव लोक व पाताल लोक को अपने अधीन करना चाहता था। इसलिये उसने अपने जीवनकाल में बहुत युद्ध किये व एक दिन उसका सामना दैत्य राजा कालनेय से भी हुआ। उनकी सेना में उनका पुत्र विद्युतजिव्ह भी था। रावण ने यह जानते हुए भी कि वह उसकी बहन का पति है उसका वध कर दिया।

जब शूर्पनखा को विद्युतजिव्ह की मृत्यु का समाचार पता चला तो वह अत्यंत क्रोधित हो गयी। उसके अंदर रावण से प्रतिशोध लेने की अग्नि धधक रही थी। इसी प्रतिशोध की अग्नि में उसने रावण को श्राप दिया था कि उसकी मृत्यु का कारण वह बनेगी।

चूँकि रावण ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु व शिव की कठोर तपस्या करके अनेक वर प्राप्त किये थे। इस कारण उसे वरदान था कि उसकी मृत्यु किसी देवता, राक्षस, दैत्य, दानव, असुर, गन्धर्व, किन्नर, सर्प, यक्ष, गरुड़, नाग व गिद्ध से नही होगी। शूर्पनखा भी एक राक्षस थी तो वह भी रावण को नही मार सकती थी। अब वह रावण से अलग अपने भाई खर व दूषण के साथ रहने लगी थी जो समुंद्र के उस पार दंडकारण्य वन में रहते थे।

शूर्पनखा का राम व लक्ष्मण से मिलना (Surpanakha Nose Cut Story In Hindi)

एक दिन शूर्पनखा दंडकारण्य वन में विचरण कर रही थी तो उसकी नजर भगवान श्रीराम की कुटिया पर गयी। उसने श्रीराम को देखा तो उनके सुंदर शरीर को देखकर उन पर सम्मोहित हो उठी। वह उनकी कुटिया में गयी व भगवान राम के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा (Ram Surpanakha Samvad)। भगवान श्रीराम ने स्वयं के विवाहित होने की बात कहकर उसके प्रस्ताव को विनम्रता से ठुकरा दिया।

श्रीराम के प्रस्ताव के ठुकराने के पश्चात उसने उनके छोटे भाई लक्ष्मण के सामने वही प्रस्ताव रखा तो लक्ष्मण उसकी इस मुर्खता को देखकर उसके प्रस्ताव को कठोर शब्दों के साथ ठुकरा दिया। दोनों भाइयों के द्वारा उससे विवाह के लिए मना किये जाने व लक्ष्मण के द्वारा कटु वचनों को सुनकर शूर्पनखा को अत्यंत क्रोध आ गया व अपनी राक्षस प्रजाति के व्यवहार के अनुसार वह माता सीता को खाने के लिए उनकी ओर झपटी।

माता सीता को बचाने के उद्देश्य से लक्ष्मण ने अपनी तलवार निकाली व शूर्पनखा की नाक व बायां कान काट दिया (Ramayan Surpanakha Ki Naak Kati)। यह देखकर वह रोती हुई वहां से चली गयी व अपने भाई खर व दूषण को इसके बारे में बताया। खर व दूषण जब शूर्पनखा का बदला लेने के लिए गए तो राम व लक्ष्मण ने उन दोनों का वध कर दिया (Khar Dushan Vadh)।

रावण के दरबार में शूर्पनखा का प्रलाप (Ravan Surpanakha Samvad)

खर व दूषण की मृत्यु के बाद शूर्पनखा समुंद्र पार करके लंका में रावण के राजमहल में पहुंची व सारा वृतांत गलत तरीके से सुनाया। उसने रावण के सामने भरी सभा में उसकी शक्ति पर प्रश्न उठाया तथा अपनी बहन के अपमान व खर दूषण की मृत्यु का बदला लेने की बात कही।

इसके साथ ही वह रावण के स्त्री के प्रति प्रेम को भी भलीभांति जानती थी। इसलिये उसने रावण के सामने माता सीता की सुंदरता का बखान किया व रावण के लिए उसे एक उत्तम स्त्री बताया। रावण सीता के बारे में ऐसा विवरण सुनकर विचलित हो उठा। अपने अहंकार के मद में रावण ने माता सीता का अपहरण किया जो अंत में उसकी मृत्यु का कारण बना।

कुछ लोगों के अनुसार शूर्पनखा ने जान बूझकर राम व लक्ष्मण को क्रोध दिलाया था। चूँकि रावण ने स्वयं को मिले वरदान में अपनी मृत्यु के कारण में मानव व वानर को नही मांगा था तो उसकी मृत्यु उन दोनों के द्वारा हो सकती थी। जब उसे भगवान राम व लक्ष्मण की शक्ति के बारें में पता चला तो अपने भाई से अपने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिए उसने यह सब षड़यंत्र रचा जिससे अंत में जाकर रावण की मृत्यु हुई।

रावण के अंत के बाद शूर्पनखा की तपस्या (Surpanakha After Ravana Death)

अपने भाई रावण की मृत्यु के बाद शूर्पनखा ने भगवान विष्णु की गहन तपस्या की व उन्हें अगले जन्म में अपनी पति के रूप में माँगा। भगवान विष्णु ने उसे यह वरदान दिया (Surpanakha Story After Ramayana In Hindi)। अगले जन्म में जब भगवान विष्णु कृष्ण रुपी अवतार में इस धरती पर आयें तब उनकी सोलह हज़ार पत्नियों में एक शूर्पनखा भी थी।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

5 Comments

  1. सूर्पनखा के बारे में जो पढ़ा वह मेरे लिए सरप्राइज था, आज के पहले यह रहस्य मुझे पता नहीं था। इस अद्भुत प्रसंग से अवगत कराने के लिए आप सभी का बहुत बहुत आभार, धन्यवाद्।

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