आरती

श्री भागवत भगवान की आरती (Shri Bhagwat Bhagwan Ki Aarti)

श्री भागवत भगवान की आरती (Shri Bhagwat Bhagwan Ki Aarti) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

भगवान ब्रह्मा का काम सृष्टि की रचना करने का है जबकि भगवान शिव इसके संहारक हैं। इन सभी के बीच कोई हमारी सुध लेने वाला है और अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना जिनका उत्तरदायित्व है, वह श्रीहरि अर्थात श्री विष्णु के कंधों पर ही है। उन्हें भागवत भगवान कहकर भी संबोधित किया जाता है। यही कारण है कि आज के इस लेख में हम आपके साथ भागवत भगवान की आरती का पाठ (Bhagwat Bhagwan Ki Aarti) ही करने जा रहे हैं।

आज के इस लेख में आपको श्री भागवत भगवान की आरती (Shri Bhagwat Bhagwan Ki Aarti) तो पढ़ने को मिलेगी ही किन्तु इसी के साथ ही आप उसका हिंदी अर्थ भी जान पाएंगे ताकि आप भागवत आरती का भावार्थ भी समझ सकें। अंत में हम आपके साथ श्री भागवत भगवान की आरती का महत्व व लाभ (Shri Bhagwat Bhagwan Ki Hai Aarti) भी सांझा करेंगे। तो आइये सबसे पहले करते हैं भागवत आरती

भागवत भगवान की आरती (Bhagwat Bhagwan Ki Aarti)

श्री भागवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।

ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,
ये पंचम वेद निराला,
नव ज्योति जलाने वाला।
हरि नाम यही हरि धाम यही,
यही जग मंगल की आरती,
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान की है आरती॥

ये शांति गीत पावन पुनीत,
पापों को मिटाने वाला,
हरि दरश दिखाने वाला।
यह सुख करनी, यह दुःख हरिनी,
श्री मधुसूदन की आरती,
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भागवत भगवान की है आरती॥

ये मधुर बोल, जग फंद खोल,
सन्मार्ग दिखाने वाला,
बिगड़ी को बनानेवाला।
श्री राम यही, घनश्याम यही,
यही प्रभु की महिमा की आरती,
पापियों को पाप से है तारती॥
श्री भगवत भगवान की है आरती॥

श्री भगवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।

श्री भागवत भगवान की आरती (Shri Bhagwat Bhagwan Ki Aarti) – अर्थ सहित

श्री भागवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।

भागवत भगवान की आरती हम सभी मनुष्यों के पाप को समाप्त कर देती है और हमारा उद्धार कर देती है। एक तरह से जो मनुष्य सच्चे मन के साथ भागवत भगवान की आरती का पाठ करता है, वह अपने द्वारा अनजाने में किये गए पापों को नष्ट कर देता है।

ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,
ये पंचम वेद निराला,
नव ज्योति जलाने वाला।
हरि नाम यही हरि धाम यही,
यही जग मंगल की आरती,
पापियों को पाप से है तारती॥

श्री भागवत गीता जो कि एक अमर ग्रन्थ है और जिसकी किसी अन्य ग्रन्थ से तुलना नहीं की जा सकती है, उसके पाठ से हम सभी को मुक्ति मिल जाती है अर्थात भागवत गीता के पाठ से हम भवसागर को पार कर मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं।

वैसे तो हिन्दू धर्म में चार वेदों की रचना की गयी है लेकिन भागवत गीता को हम पांचवां वेद कह सकते हैं जो इन सभी में सबसे निराला है। भागवत गीता हमारे शरीर में नव निधियों को जागृत कर देती है और हमारा उद्धार कर देती है।

भागवत गीता ही हरि का नाम है और यही हरि का धाम भी है। भागवत आरती ही सब आरतियों में मंगल आरती है जो पापियों के पाप का भी अंत कर देती है।

ये शांति गीत पावन पुनीत,
पापों को मिटाने वाला,
हरि दरश दिखाने वाला।
यह सुख करनी, यह दुःख हरिनी,
श्री मधुसूदन की आरती,
पापियों को पाप से है तारती॥

भागवत आरती शांति का गीत है जिससे संपूर्ण सृष्टि में शांति की स्थापना की जा सकती है। यह सबसे पावन गीत भी है जो बहुत ही निर्मल है। भागवत आरती के माध्यम से हमारे पाप मिट जाते हैं और हमें श्रीहरि के दर्शन होते हैं।

भागवत भगवान की आरती से हमें सुखों की प्राप्ति होती है और हमारे सभी दुःख समाप्त हो जाते हैं। श्री मधुसूदन जी की यह आरती हमारे सभी पापों का अंत कर देती है।

ये मधुर बोल, जग फंद खोल,
सन्मार्ग दिखाने वाला,
बिगड़ी को बनानेवाला।
श्री राम यही, घनश्याम यही,
यही प्रभु की महिमा की आरती,
पापियों को पाप से है तारती॥

भागवत आरती के बोल बहुत ही मधुर है जिसके पाठ से इस जगत के सभी बंधन टूट जाते हैं। यह हमें सन्मार्ग दिखाने का कार्य करती है अर्थात कौन सा मार्ग सही है, इसका हमें ज्ञान होता है। यह हमारे सभी तरह के बिगड़े हुए कामों को बना देने में भी सक्षम है।

भागवत आरती में ही श्रीराम का वास है और इसी में ही श्रीकृष्ण का भी वास है। भागवत आरती के माध्यम से हम श्री हरि की महिमा का गुणगान कर पाते हैं और इसके निरंतर पाठ से हमारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

श्री भागवत भगवान की है आरती (Shri Bhagwat Bhagwan Ki Hai Aarti) – महत्व

हर युग में भगवान विष्णु तरह-तरह के अवतार लेकर जन्म लेते हैं और धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं। जब भी इस सृष्टि में पाप अत्यधिक बढ़ जाता है, तब-तब भगवान विष्णु का प्राकट्य किसी ना किसी रूप में होता है और वे अधर्म का नाश कर धर्म को पुनर्स्थापित करने का कार्य करते हैं। इसी के साथ ही वे अपने भक्तों की हरसंभव सहायता करते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं।

ऐसे में हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने मन को निर्मल रखें और भगवान विष्णु की आराधना करें। इसके लिए भागवत भगवान की आरती की जाती है और उसके जरिये भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। भागवत आरती के माध्यम से भगवान विष्णु की महिमा पर प्रकाश डाला गया है और साथ ही उनकी पूजा भी की गयी है। यही श्री भागवत भगवान की आरती का महत्व होता है।

भागवत आरती (Bhagwat Aarti) – लाभ

यदि हम प्रतिदिन सच्चे मन के साथ श्री भागवत भगवान की आरती का पाठ करते हैं और भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं तो वे हमारे सभी तरह के बिगड़े हुए काम बना देते हैं। यदि भगवान विष्णु की कृपा हम पर हो जाती है तो हमारे लिए सभी असंभव कार्य संभव हो जाते हैं और हमें आगे का मार्ग दिखाई देता है। इससे हमारे शरीर में कार्य करने की शक्ति आती है और मन भी नियंत्रित होता है।

भागवत आरती के माध्यम से हमें एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। हम मोहमाया के चक्कर में नहीं पड़ते हैं, अपना कर्म करते हैं और मोक्ष प्राप्ति की ओर बढ़ते हैं। भागवत आरती के माध्यम से मनुष्य का उद्धार तक हो जाता है और वह भवसागर को पार कर बैकुंठ लोक में स्थान प्राप्त करता है। यह भागवत भगवान की आरती के लाभ होते हैं।

भागवत भगवान की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: भागवत जी का मूल मंत्र क्या है?

उत्तर: भागवत जी का मूल मंत्र “आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्। माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्, कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्॥” है।

प्रश्न: भागवत जी का पहला श्लोक क्या है?

उत्तर: भागवत जी का पहला श्लोक “एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्॥ अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे। श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे॥” है।

प्रश्न: भागवत में क्या लिखा है?

उत्तर: भागवत कथा या गीता एक तरह से चारों वेदों का सार है और उसे सरलतम रूप में इसमें समझाया गया है। जो व्यक्ति इसे सही से समझ लेता है उसका उद्धार होना तय है।

प्रश्न: भागवत में किसकी पूजा होती है?

उत्तर: भागवत गीता की रचना श्रीहरि के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के श्रीमुख से हुई थी। इस कारण भागवत में श्रीकृष्ण की ही पूजा करने का विधान है।

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कृष्णा

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