कृष्ण भगवान की आरती लिखित में | Krishna Bhagwan Ki Aarti

Krishna Bhagwan Ki Aarti

आज हम आपको कृष्ण भगवान की आरती लिखित में (Krishna Bhagwan Ki Aarti) देंगे। ओम जय श्री कृष्ण हरे आरती (Om Jai Shri Krishna Hare Lyrics In Hindi) कृष्ण भगवान की आरती में एक मुख्य आरती है जिसका लिखित रूप आपको इस लेख में मिलेगा। आइए पढ़ते हैंकृष्ण भगवान की आरती लिखित में वो भी अर्थ सहित।

कृष्ण भगवान की आरती लिखित में (Krishna Bhagwan Ki Aarti)

ॐ जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय श्री कृष्ण हरे।

भक्तन के दुःख सारे, पल में दूर करें।

ॐ जय श्री कृष्ण हरे….

परमानन्द मुरारी मोहन गिरधारी, जय रस रास बिहारी जय गिरधारी।

कर कंकन कटि सोहत कानन में बाला, मोर मुकुट पीताम्बर सोहे बनमाला।

दीन सुदामा तारे दरिद्रो के दुःख तारे, जग के फंद छुडाये भव सागर तारे।

हिरण्यकश्यप संहारे नरहरि रूप धरे, पाहन से प्रभु प्रगटे जम के बीच परे।

ॐ जय श्री कृष्ण हरे…

केशी कंस विदारे नल कूबर तारे, दामोदर छवि सुंदर भगतन के प्यारे।

काली नाग नथैया नटवर छवि सोहे, फन फन नाचा करते नागन मन मोहे।

राज्य उग्रसेन पाए माता शोक हरे, द्रुपद सुता पत राखी करुणा लाज भरे।

ॐ जय श्री कृष्ण हरे…

ओम जय श्री कृष्ण हरे आरती (Om Jai Shri Krishna Hare Lyrics In Hindi)

ॐ जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय श्री कृष्ण हरे।

भक्तन के दुःख सारे, पल में दूर करें।

ओम जय श्री कृष्ण हरे

हरि के रूप श्री कृष्ण भगवान की जय हो, जय हो। श्रीकृष्ण अपने भक्तों के सभी दुःख पलक झपकते ही दूर कर देते हैं। हे श्रीकृष्ण भगवान आपकी जय हो।

परमानन्द मुरारी मोहन गिरधारी, जय रस रास बिहारी जय गिरधारी।

श्री कृष्ण परम आनंद देने वाले हैं, वे मुरली बजाते हैं, मन को मोह लेते हैं, गोवर्धन पर्वत को उठा लेते हैं, उनकी मुरली की धुन में जो रस बहता है, उसकी कल्पना नही की जा सकती है।

कर कंकन कटि सोहत कानन में बाला, मोर मुकुट पीताम्बर सोहे बनमाला।

उनके कानो में सुंदर बालियाँ है, सिर पर मोर का मुकुट है, वे पीले वस्त्र पहने हुए हैं, गले में पुष्पों की माला धारण की हुई है।

दीन सुदामा तारे दरिद्रो के दुःख तारे, जग के फंद छुडाये भव सागर तारे।

उन्होंने अपने दरिद्र मित्र सुदामा के सभी दुखों को दूर कर दिया था, इसी प्रकार वे विश्व के सभी दरिद्रों का दुःख दूर करते हैं, वे संपूर्ण विश्व की सभी बाधाओं को दूर करते हैं और सभी को भव सागर से पार लगाते हैं।

हिरण्यकश्यप संहारे नरहरि रूप धरे, पाहन से प्रभु प्रगटे जम के बीच परे।

ओम जय श्री कृष्ण हरे

उन्होंने प्रह्लाद के दैत्य पिता हिरण्यकश्यप का नरसिंह रूप में संहार किया था, इसके लिए उन्होंने उसके भवन के स्तम्भ को तोड़कर अत्यधिक भीषण रूप लिया था और सभी के बीच प्रकट हुए थे।

केशी कंस विदारे नल कूबर तारे, दामोदर छवि सुंदर भगतन के प्यारे।

उन्होंने कंस, नल इत्यादि राक्षसों का वध कर दिया था, जब यशोदा माता ने कृष्ण की चंचलता से तंग आकर उन्हें रस्सी से बांध दिया था तब उनका भोला मुख सभी भक्तों का मन मोह लेता है।

काली नाग नथैया नटवर छवि सोहे, फन फन नाचा करते नागन मन मोहे।

उन्होंने यमुना नदी में कालिया नाग के अहंकार को दूर किया था और उसके फन पर भगवान शिव के नटराज रुपी अवतार में नृत्य किया था जिसने सभी का मन मोह लिया था।

राज्य उग्रसेन पाए माता शोक हरे, द्रुपद सुता पत राखी करुणा लाज भरे।

ओम जय श्री कृष्ण हरे

उन्होंने कंस का वध कर राजा उग्रसेन व अपनी माता के सभी दुःख दूर कर दिए थे, साथ ही अपनी बहन द्रौपदी के मान-सम्मान की भी रक्षा की थी।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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