विष्णु भगवान की आरती: आरती ओम जय जगदीश हरे | Vishnu Bhagwan Ki Aarti: Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics

Vishnu Ji Ki Aarti

विष्णु जी की जो आरती संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है वह है आरती ॐ जय जगदीश हरे (Om Jai Jagdish Hare Aarti)। इस विष्णु आरती की रचना आज से लगभग 150 वर्ष पूर्व 1870 में पंडित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी के द्वारा की गयी थी। उसके बाद से यह विष्णु भगवान की आरती (Vishnu Bhagwan Ki Aarti) घर-घर में प्रसिद्ध हो गयी। इस आरती को जगदीश भगवान की आरती भी कह दिया जाता है।

इस लेख में सर्वप्रथम आपको ओम जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics) पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात जगदीश आरती का हिंदी अनुवाद आपके लिए किया जाएगा। हिंदी अनुवाद के पश्चात विष्णु आरती का भावार्थ भी आपको समझाया जाएगा ताकि आप इसका संपूर्ण अर्थ समझ सकें। अंत में विष्णु जी की आरती के बारे में कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें आपके साथ साँझा की जाएगी।

ओम जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे।।

ॐ जय जगदीश हरे…।।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का, स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवे, सुख-संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।।

ॐ जय जगदीश हरे…।।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी, स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी।।

ॐ जय जगदीश हरे…।।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी।

परमब्रह्म परमेश्वर, परमब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी।।

ॐ जय जगदीश हरे…।।

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता।।

ॐ जय जगदीश हरे…।।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूँ दयामय, स्वामी किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति।।

ॐ जय जगदीश हरे…।।

दीनबन्धु दुःखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे।

अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे।।

ॐ जय जगदीश हरे…।।

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, स्वामी श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा।।

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे।।

ओम जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics)- हिंदी अनुवाद

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे।।

संपूर्ण जगत के स्वामी और ईश्वर, आपकी जय हो। आप अपने भक्तों और उपासकों के संकट, दुविधाएं, कष्ट, दुःख इत्यादि कुछ क्षणों में ही दूर कर देते हो।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का, स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवे, सुख-संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।।

जो भी भक्तगण आपका सच्चे मन से ध्यान लगाता है, उसके मन से दुखों का नाश हो जाता है। उसके घर सुख-संपत्ति आती है और शरीर के सभी रोग व कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी, स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी।।

हे भगवान विष्णु! आप ही मेरे माता-पिता हो अर्थात आपके कारण ही मेरा जन्म हुआ है और मैं आपकी शरण में आता हूँ। आपके बिना मेरा कोई अपना नही है और मैं आपसे ही आशा रखता हूँ।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी।

परमब्रह्म परमेश्वर, परमब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी।।

आप परमात्मा हो अर्थात सभी आत्माओं के स्वामी, आप अंतर्यामी हो अर्थात सभी जगह विद्यमान हो, आप ही परम ब्रह्मा हो और सभी ईश्वर में सबसे महान हो, आप ही हम सभी के स्वामी हो।

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता।।

आप ही हम सभी पर कृपा दृष्टि रखते हो और आप ही इस विश्व का पालन-पोषण करते हो। मैं तो एक मुर्ख व्यक्ति हूँ जो आपका सेवक हूँ। इसलिए हे दयानिधान!! मुझ पर अपनी कृपा करो।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूँ दयामय, स्वामी किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति।।

आपको देखा नही जा सकता अर्थात आप सभी में विद्यमान हो लेकिन अदृश्य रूप में, आप ही सभी के अंदर प्राण रूप में हो अर्थात आत्मा ही परमात्मा का एक रूप है। मैं ऐसे क्या जत्न या प्रयास करूँ कि मुझे आपकी प्राप्ति हो जाए और मेरी बुद्धि ठीक हो जाए।

दीनबन्धु दुःखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे।

अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे।।

आप सभी निर्धन और याचक लोगों के मित्र हैं, आप हम सभी के दुखों का निवारण करते हैं, आप ही हम सभी की रक्षा करते हैं। हम सभी अपने दोनों हाथ उठाए आपके द्वार के बाहर खड़े हैं, कृपया हमे अपनी शरण में ले लीजिए।

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, स्वामी श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा।।

हमारे सभी संकट, कष्ट, विकार इत्यादि का नाश कर दो, हमारे पापों का अंत कर दो, हमारे मन में श्रद्धा व भक्तिभाव बढ़ाओ और संतों की सेवा करो। हे विष्णु भगवान! आपकी जय हो।

विष्णु भगवान की आरती (Vishnu Bhagwan Ki Aarti)- भावार्थ

वैसे तो ओम जय जगदीश हरे आरती की रचना विष्णु भगवान के स्वरुप के लिए की गयी थी लेकिन यह इतनी ज्यादा प्रचलित हुई कि अब जो भी कोई धार्मिक आयोजन होता है, उसमे यह आरती मुख्य से की जाती है। इस आरती में भगवान विष्णु के परमात्मा स्वरुप की महत्ता बताई गयी है।

हिंदू धर्म में ब्रह्मा को सृष्टि का रचियता कहा गया है और शिव को संहारक। तो रचना व संहार के बीच के समय का जो उत्तरदायित्व भगवान विष्णु के द्वारा उठाया जाता है और इस सृष्टि का संचालन किया जाता है, वह इस आरती के माध्यम से कहने का प्रयास किया गया है। जब-जब भी पृथ्वी पर अधर्म धर्म से ज्यादा होने लगता है, तब-तब भगवान विष्णु किसी ना किसी रूप में जन्म लेते हैं और अधर्म का सम्पूर्णतया नाश कर देते हैं।

ऐसे में इस आरती के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि यदि हम अपना मन सात्विक कार्यों में लगाएंगे, भगवान विष्णु के द्वारा बताये गए मार्ग पर चलेंगे तो हमारे सभी कष्ट, दुःख, दरिद्रता, तनाव दूर हो जाएगा और शरीर रोगों से मुक्त होगा। ऐसे में विष्णु भक्ति करने और धर्म में ध्यान लगाने से मनुष्य का ना केवल तन बल्कि मन भी शुद्ध होता है जो हमारे संपूर्ण विकास के लिए अति-आवश्यक है।

ॐ जय जगदीश हरे आरती के रचयिता (Om Jai Jagdish Aarti Ki Rachna)

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि ओम जय जगदीश हरे आरती की रचना पंडित श्रद्धाराम शर्मा जी के द्वारा की गयी थी। उनका प्रचलित नाम श्रद्धाराम फिल्लौरी है जिनका जन्म 30 सितंबर 1837 ईसवीं में पंजाब के फिल्लौरी गाँव में हुआ था। फिल्लौरी गाँव से होने के कारण उनका नाम ही श्रद्धाराम फिल्लौरी पड़ गया।

श्रद्धाराम जी ने विष्णु आरती की रचना सन 1870 ईसवीं में की थी। विष्णु जी की आरती की रचना के एक वर्ष बाद ही 24 जून 1881 को उनका देहांत हो गया था लेकिन अपने इस कार्य से वे सदा के लिए अमर हो गए।

विष्णु जी की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti)- लाभ

जब हमने आपको ऊपर विष्णु आरती का भावार्थ समझाया होगा तभी आपको विष्णु आरती का लाभ भी समझ आ गया होगा किंतु फिर भी हम इसे विस्तार दे देते हैं। विष्णु आरती के 2 ही मुख्य लाभ हैं: पहला जिससे हमारा शारीरिक विकास होता है और दूसरा मानसिक विकास।

विष्णु आरती में मुख्यतया हमे धर्म का पालन करने की सीख दी गयी है। इस सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु हैं जो धर्म की रक्षा करते हैं और अधर्म का नाश करते हैं। ऐसे में यदि हम धर्म के अनुसार अपना जीवनयापन करेंगे, शारीरिक परिश्रम करेंगे, पैदल घूमेंगे, योग करेंगे, बुरा नही बोलेंगे, सत्कर्म करेंगे तो अवश्य ही इससे हमारा शारीरिक विकास होगा और सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलेगी।

मानसिक स्वास्थ्य इसलिए बेहतर होगा क्योंकि धर्म में ध्यान लगाने की भी परंपरा है। ध्यान योग का ही एक भाग होता है जिसे आज के आधुनिक समय में लोग मैडिटेशन का नाम भी दे देते हैं। साथ ही दूसरों की सहायता करना, मन को शुद्ध रखना, कर्म पर ध्यान लगाना और भविष्य की चिंता नही करना इत्यादि चीज़ों से हमारा मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनेगा और हम तेज गति से कार्य कर पाएंगे।

विष्णु आरती (Vishnu Aarti)- अन्य नाम

भगवान विष्णु जी की आरती को श्रीहरि के नाम पर ही कई नामों से जाना जाता है। साथ ही यह अपनी प्रथम पंक्ति ॐ जय जगदीश हरे के कारण भी बहुत प्रसिद्ध है। आइए जाने, इसे किस-किस नामों से बुलाया जाता है:

  • विष्णु आरती
  • जगदीश आरती
  • श्रीहरि आरती
  • ॐ जय जगदीश हरे आरती
  • ओम जय जगदीश हरे आरती
  • नारायण आरती।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.