धर्म कथाएं

प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त कैसे बना? जाने भक्त प्रह्लाद की कथा

आज हम आपके साथ भक्त प्रह्लाद की कहानी (Bhakt Prahlad Ki Kahani) साझा करने जा रहे हैं। प्रह्लाद दैत्य कुल से था जिसके माता-पिता का नाम कयाधु तथा हिरण्यकश्यप था। दैत्य कुल से होने के पश्चात भी वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था लेकिन यह कैसे संभव हुआ!! आपके मन में भी यह प्रश्न उठता होगा कि आखिरकर प्रह्लाद भगवान विष्णु का इतना बड़ा भक्त कैसे बना तथा इसके पीछे का क्या रहस्य है।

इसके लिए आपको भक्त प्रह्लाद की कथा (Bhakt Prahlad Story In Hindi) जाननी पड़ेगी जो उनके जन्म से जुड़ी हुई है। ऐसे में आज हम आपके साथ भक्त प्रह्लाद की जन्म कथा साझा करने वाले हैं। आइए जानते हैं।

Bhakt Prahlad Ki Kahani | भक्त प्रह्लाद की कहानी

यह उस समय की बात हैं जब प्रह्लाद के चाचा तथा हिरण्यकश्यप के छोटे भाई हिरण्याक्ष का वध हो गया था। उसका वध करने स्वयं भगवान विष्णु अपना तृतीय अवतार वराह रूप में प्रकट हुए थे तथा पृथ्वी को जल में से बाहर निकाला था। अपने भाई की मृत्यु से कुपित हिरण्यकश्यप और अधिक शक्तियां प्राप्त करने के उद्देश्य से भगवान ब्रह्मा की तपस्या करने पहाड़ों पर चला गया था।

जब हिरण्यकश्यप तपस्या करने गया था तब उसकी पत्नी कयाधु गर्भवती थी। हिरण्यकश्यप लंबे समय के लिए भगवान ब्रह्मा की तपस्या करने गया हुआ था। उसके पीछे से दैत्य नगरी का नेतृत्व करने वाला कोई शक्तिशाली दैत्य नहीं था। इसी अवसर का लाभ उठाकर देवराज इंद्र ने देवताओं की सेना के साथ दैत्य नगरी पर आक्रमण कर दिया।

यह युद्ध कई दिनों तक चला लेकिन अंत में देवताओं की विजय हुई। अब दैत्य नगरी पर भी देवराज इंद्र का शासन स्थापित हो गया था। देव इंद्र ने हिरण्यकश्यप की पत्नी कयाधु को बंदी बना लिया था और उसे अपने साथ स्वर्ग लेकर जा रहे थे।

नारद मुनि ने की कयाधु की रक्षा

देवताओं के ऋषि नारद मुनि हुआ करते थे। इसी कारण उन्हें देवर्षि कहा जाता था। वे भगवान विष्णु के आदेश पर हर कार्य किया करते थे और अपनी चतुर बुद्धि के दम पर भविष्य में संभव हो सकने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान भी लगा लिया करते थे। जब उन्हें पता चला कि देवराज इंद्र ने हिरण्यकश्यप की अनुपस्थिति में उसकी गर्भवती पत्नी कयाधु का अपहरण कर लिया है तो वे तुरंत इंद्र देव के पास गए।

चूँकि अब कयाधु और उसके गर्भ में पल रही संतान को देवलोक सहित दैत्य नगरी में भी खतरा था। वह इसलिए क्योंकि उसके गर्भ में दैत्य नगरी का अगले शासक पल रहा था। ऐसे में नारद मुनि ने इंद्र से याचना की कि वह कयाधु को बंधन मुक्त कर दे ताकि वे उसे अपने आश्रम में ले जा सके। सभी देवता सहित दैत्य भी नारद मुनि का बहुत सम्मान करते थे और वे उनके बीच बातचीत के पुल का भी साधन थे।

ऐसे में इंद्र ने भी उनकी बात का मान रखा और कयाधु को छोड़ दिया। उसके बाद नारद जी कयाधु को सम्मानसहित अपने आश्रम में ले आये और वहां उन्हें रहने का स्थान दिया। अब कयाधु नारद मुनि के आश्रम में ही अपना जीवन व्यतीत कर रही थी।

भक्त प्रह्लाद की कथा (Bhakt Prahlad Story In Hindi)

यह तो हम सभी जानते हैं कि नारद मुनि हर समय भगवान विष्णु अर्थात नारायण नारायण का जाप किया करते थे। इतना ही नहीं, वे हर समय विष्णु भक्ति में लीन रहते और उनसे जुड़ी कथाओं को सुनते और सुनाया करते थे। उनके आश्रम में हर समय भगवान विष्णु से जुड़ी कथाओं और भजनों का पाठ हुआ करता था।

चूँकि अब कयाधु भी उसी आश्रम में ही रह रही थी, ऐसे में वह भी भगवान विष्णु की कथाओं को सुनती और उनसे शिक्षा ग्रहण करती। जब बच्चा अपनी माँ के पेट में होता है तब तीन माह के पश्चात वह बाहर घटित हो रही घटनाओं को सुनना और महसूस करना शुरू कर देता है। साथ ही उसकी माँ किस अवस्था में है, क्या सोच रही है और उसके मन में क्या कुछ चल रहा है, इसका प्रभाव भी अजन्मे शिशु पर पड़ता है।

ऐसे में प्रह्लाद के अंदर अपनी माँ के गर्भ से ही विष्णु भक्ति के गुण आ रहे थे। वह भी प्रतिदिन विष्णु भजन व कथाओं को सुनता और उसका आनंद उठाता। इसी प्रकार समय व्यतीत होता गया और फिर एक दिन भक्त प्रह्लाद का नारद मुनि के आश्रम में ही सकुशल जन्म हो गया।

  • हिरण्यकश्यप को मिला वरदान

जन्म लेने के बाद भी प्रह्लाद हर दिन नारद मुनि से भगवान विष्णु के भजन सुनता और उनकी भक्ति में लीन रहता। प्रह्लाद के जन्म को कुछ ही समय हुआ था कि नारद मुनि को पता चला कि हिरण्यकश्यप की तपस्या पूरी हो गई है और उसे भगवान ब्रह्मा से वरदान भी मिल गया है। इस वरदान को पाकर हिरण्यकश्यप बहुत ही शक्तिशाली हो गया था जिसका सामना तीनो लोको में कोई नहीं कर सकता था।

  • कयाधि व प्रह्लाद का दैत्य नगरी लौटना

समय व स्थिति को देखते हुए नारद जी ने कयाधु को प्रह्लाद सहित दैत्य नगरी में लौट जाने का आदेश दिया। कयाधु भी नारद मुनि का आशीर्वाद पाकर अपने पुत्र प्रह्लाद सहित तुरंत पाताल लोक को निकल पड़ी। उसके बाद हिरण्यकश्यप ने बदले की आग में देवलोक पर आक्रमण कर देवराज इंद्र को परास्त कर दिया और तीनो लोकों में अपना शासन स्थापित कर लिया।

  • हिरण्यकश्यप व प्रह्लाद

साथ ही उसने घोषणा कर दी कि वह विष्णु से भी बड़ा है और जो कोई भी विष्णु भक्ति करेगा, उसकी हत्या कर दी जाएगी हालाँकि उसके जीवन में कठिन मोड़ बस कुछ वर्ष ही दूर था क्योंकि उसका स्वयं का पुत्र प्रह्लाद सबसे बड़ा विष्णु भक्त बनने वाला था। यहीं प्रह्लाद आगे चलकर हिरण्यकश्यप की मृत्यु का कारण बना और स्वयं दैत्य नगरी का राजा बना।

प्रह्लाद के राजा बनने से तीनो लोको में धर्म की पुनर्स्थापना हो सकी थी। इस तरह से भक्त प्रह्लाद की कहानी (Bhakt Prahlad Ki Kahani) नारद मुनि के आश्रम से शुरू होकर दैत्य नगरी के राजा बनने से समाप्त होती है।

भक्त प्रह्लाद की कथा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: भक्त प्रहलाद का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: भक्त प्रहलाद का जन्म सतयुग काल में हुआ था जब दैत्य राजा हिरण्यकश्यप भगवान ब्रह्मा की तपस्या करने चला गया था और देवराज इंद्र ने दैत्य नगरी पर आक्रमण कर दिया था, तब प्रह्लाद का जन्म नारद मुनि के आश्रम में हुआ था

प्रश्न: भक्त प्रहलाद का जन्म किस युग में हुआ था?

उत्तर: भक्त प्रहलाद का जन्म सतयुग में हुआ था उस समय उसके पिता हिरण्यकश्यप तपस्या में लीन थे और उनकी माता नारद मुनि के आश्रम में रह रही थी

प्रश्न: भक्त प्रहलाद का जन्म कैसे हुआ था?

उत्तर: भक्त प्रहलाद का जन्म नारद मुनि के आश्रम में हुआ था दरअसल हिरण्यकश्यप के तपस्या में चले जाने के बाद, देवराज इंद्र ने दैत्य नगरी पर आक्रमण कर उसकी पत्नी कयाधु को बंदी बना लिया था तब देवर्षि नारद मुनि के आग्रह पर उन्होंने उसे मुक्त कर दिया था जो उसके बाद नारद मुनि के आश्रम में ही रहने लगी थी

प्रश्न: भक्त प्रहलाद का जन्म स्थान कहाँ है?

उत्तर: इसे लेकर अलग-अलग मान्यताएं है हालाँकि शास्त्रों में प्रह्लाद का जन्म नारद मुनि के आश्रम में होना बताया गया है यह आश्रम कहाँ था और पृथ्वी लोक पर था या नहीं, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

Recent Posts

मंगला गौरी चालीसा इन हिंदी PDF फाइल व इमेज सहित डाउनलोड करें

आज हम आपको मंगला गौरी चालीसा इन हिंदी (Gori Chalisa In Hindi) में अर्थ सहित…

19 mins ago

जानकी कृत पार्वती स्तोत्र इन हिंदी – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम आपको जानकी कृत पार्वती स्तोत्र (Janki Krit Parvati Stotram In Hindi) हिंदी में…

2 hours ago

पार्वती माता आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज हम पार्वती माता की आरती (Parvati Mata Ki Aarti) हिंदी में अर्थ सहित समझेंगे।…

3 hours ago

पार्वती चालीसा के लाभ व महत्व

आज हम पार्वती चालीसा हिंदी में (Parvati Chalisa In Hindi) अर्थ सहित समझेंगे। माता पार्वती…

4 hours ago

अन्नपूर्णा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित – PDF फाइल व इमेज भी

आज हम आपको अन्नपूर्णा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित (Annapurna Stotram In Hindi) देंगे। हमें जीवित…

5 hours ago

संतोषी मां चालीसा हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

आज के इस लेख में आपको संतोषी चालीसा (Santoshi Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म…

21 hours ago

This website uses cookies.