धर्म कथाएं

राधा की शादी किससे हुई थी? (Radha Ki Shadi Kisse Hui Thi)

क्या आप इस लेख में राधा की शादी किससे हुई (Radha Ki Shadi Kisse Hui), यह जानने को आये हैं!! वैसे तो इसको लेकर कई तरह की भ्रांतियां व मत हैं लेकिन किसी भी एक मत को स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। वह इसलिए क्योंकि माता राधा के बारे में पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख बहुत ही कम या ना के बराबर मिलता है। बाद में चलकर कथाओं व किंवदंतियों में माता राधा का उल्लेख किया गया है।

ऐसे में भक्तों के मन में कई तरह के प्रश्न उठते हैं। जैसे कि कैसे हुई राधा की मृत्यु (Radha Ji Ki Mrityu Kaise Hui) या फिर राधा कृष्ण की शादी क्यों नहीं हुई, इत्यादि। इसलिए आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके हरेक प्रश्न का उत्तर देने वाले हैं।

राधा की शादी किससे हुई? (Radha Ki Shadi Kisse Hui)

राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी को कौन नहीं जानता है। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि राधा व कृष्ण एक ही हैं। दोनों में किसी तरह का कोई अंतर नहीं है। फिर भी युवावस्था में दोनों के बीच प्रेम हुआ और जब उत्तरदायित्व निभाने की बारी आई तब दोनों को विरह का दुःख भी सहना पड़ा। कृष्ण जी के मथुरा चले जाने के बाद माता राधा के बारे में बहुत ही कम बातचीत देखने को मिलती है और हम भी उन्हें भूल जाते हैं।

ऐसे में आज के इस लेख में आज हम कई तरह के रहस्यों से पर्दा उठाने वाले हैं। जैसे कि राधा की कितनी शादी हुई और किस से हुई, साथ ही राधा कृष्ण का अंतिम मिलन कैसा रहा था और दोनों में क्या बातचीत हुई थी। तो आइए एक-एक करके इन सभी के बारे में जानते हैं और साथ ही जानते हैं राधा की शादी किससे हुई थी (Radha Ki Shadi Kisse Hui Thi) और उस व्यक्ति का क्या नाम था।

राधा कृष्ण की शादी क्यों नहीं हुई?

जब श्रीकृष्ण का अपने उद्देश्य पूर्ति के लिए मथुरा जाने का समय आया तब पूरे वृंदावन और आसपास के गावों में कोहराम मच गया। माता यशोदा और नंदबाबा का तो रो-रोकर बुरा हाल था तो दूसरी ओर कृष्ण की सखियाँ भी लगातार अश्रु बहाए जा रही थी। इन सभी के बीच कृष्ण यमुना घाट के किनारे राधा से मिलने पहुंचे।

वहां पहुँच कर उन्होंने देखा कि राधा के आँखों से भी आंसू बह रहे हैं लेकिन वह बाकियों की तरह उन्हें जाने से नहीं रोक रही हैं। राधा जानती थी कि कृष्ण का जाना आवश्यक है लेकिन विरह की यह पीड़ा उनसे सहन नहीं हो रही थी। उस समय माता राधा ने कृष्ण से दो वचन मांगे थे। पहले वचन के अनुसार राधा के हृदय में केवल कान्हा का वास रहेगा और दूसरे वचन के अनुसार मृत्यु से पहले उन्हें कान्हा के दर्शन होंगे।

श्रीकृष्ण ने उन्हें दोनों वचन दिए और बदले में एक वचन माँगा। श्रीकृष्ण के मांगे वचन के अनुसार राधा को कृष्ण की याद में अब से एक भी अश्रु नहीं बहाना होगा। यह कहकर कृष्ण ने माता राधा के अंतिम अश्रु पोंछ दिए। अब राधा-कृष्ण की शादी क्यों नहीं हुई, इसके पीछे दो प्रमुख कारण थे, आइए उनके बारे में जाने:

  • पहला और प्रमुख कारण तो यही था कि कृष्ण व राधा अलग-अलग नहीं अपितु एक ही थे। द्वापर युग में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण थे जबकि माता लक्ष्मी का अवतार रुकमणी जी थी। राधा स्वयं विष्णु रूप ही थी, जिस कारण दोनों का विवाह नहीं हुआ।
  • दूसरा कारण यह था कि श्रीकृष्ण को अपने कर्तव्यों की पूर्ति के लिए वृंदावन नगरी को छोड़कर मथुरा जाना था। उस समय उन्हें कंस का वध कर राजकार्य चलाना था और शिक्षा ग्रहण करनी थी। इस कारण भी उनका विवाह राधा से नहीं हो पाया था।

इसी के साथ ही श्रीकृष्ण कलियुग के लोगों को यह संदेश भी देना चाहते थे कि सच्चा प्रेम त्याग व समर्पण मांगता है। अपने उत्तरदायित्व के आगे प्रेम का त्याग किया जाना कोई बड़ी बात नहीं है और सभी को इसका निर्वहन करना चाहिए। इस कारण भी राधा-कृष्ण की शादी नहीं हुई थी।

राधा की शादी किससे हुई थी? (Radha Ki Shadi Kisse Hui Thi)

कृष्ण जब मथुरा चले गए तब माता राधा उन्हीं की याद में ही खोई रहती थी लेकिन कान्हा के कहेनुसार उन्हें सांसारिक कर्तव्यों का निर्वहन भी करना था। कुछ कथाओं के अनुसार माता राधा का विवाह अभिमन्यु नामक पुरुष से हुआ था। कई जगह पर राधा के पति का नाम आयन/ आयान/ अयन/ रयान इत्यादि भी बताया गया है।

कथाओं के अनुसार अभिमन्यु यशोदा माता के चचेरे भाई थे। ऐसा इसलिए क्योंकि राधा कृष्ण से उम्र में लगभग 10 वर्ष बड़ी थी। अभिमन्यु को महर्षि दुर्वासा का श्राप था कि यदि वह राधा को छुएगा तो उसी समय भस्म हो जाएगा। इसलिए विवाह होने पर भी अभिमन्यु राधा को कभी छू तक नहीं पाया था।

हालांकि राधा के अभिमन्यु से विवाह के बारे में प्रमाणिक रूप से नहीं कहा जा सकता है। यह तथ्य केवल किंवदंतियों पर आधारित है। पुराणों के अनुसार, जब कृष्ण वृंदावन में थे तब एक बार स्वयं भगवान ब्रह्मा ने आकर कृष्ण व राधा का विवाह संपन्न करवाया था।

राधा कृष्ण का अंतिम मिलन

एक और किंवदंती के अनुसार, वैवाहिक जीवन का पालन करते हुए जब माता राधा बूढ़ी हो गई और अपने सब कर्तव्यों से मुक्त हो गई तब वह श्रीकृष्ण की खोज में अपने घर से निकली। कृष्ण को खोजते-खोजते राधा द्वारका नगरी पहुँच गई। वहां उन्हें कोई नहीं पहचानता था लेकिन श्रीकृष्ण उन्हें देखते ही पहचान गये।

कृष्ण ने उनको देखा व दोनों ने एक-दूसरे से मन ही मन बात की। कृष्ण ने उन्हें अपने राजभवन में ही रहने को कहा लेकिन किसी को उन दोनों के प्रेम के बारे में नहीं बताया। इसके बाद राधा उसी महल में सामान्य स्त्री के रूप में रहने लगी जो कि कृष्ण को दूर से ही देखकर खुश हो जाया करती थी।

किंतु अब ये कृष्ण पहले वाले कान्हा जैसे नहीं थे जो वृंदावन की गलियों में मदमस्त घूमते हुए बांसुरी बजाया करते थे। यह कृष्ण तो अब अपने राजपाट व अन्य कार्यों में व्यस्त रहते थे। दूसरी ओर, राधा तो अपने पुराने कन्हैया को ही याद करती रहती थी जो उनके साथ हँसता-खेलता था, बांसुरी की मीठी धुन सुनाया करता था, अकेले में अपने मन की बातें किया करता था।

कृष्ण को वैसा ना पाकर या उनका वैसा साथ ना पाकर राधा का मन और अधिक व्याकुल रहने लगा। उन्हें डर सताने लगा कि कृष्ण की जो मनोहर छवि उनके हृदय में है, वह कहीं धूमिल ना हो जाए। इसी डर से एक दिन राधा ने गुपचुप तरीके से राजभवन और द्वारका नगरी भी छोड़ दी और कहीं और चली गई।

कैसे हुई राधा की मृत्यु? (Radha Ji Ki Mrityu Kaise Hui)

ऐसे ही कुछ समय और बीता और जब राधा का अंतिम समय पास आने लगा तब उन्होंने कृष्ण का स्मरण कर उन्हें अपने वचन की याद दिलाई। राधा के स्मरण करते ही कृष्ण वहां दौड़े-दौड़े चले आये और अपना वचन निभाया किंतु राधा की अत्यंत दयनीय स्थिति देखकर वे अत्यधिक भावुक हो गए।

उन्होंने राधा से अंतिम समय में कुछ मांगने को कहा। इस पर राधा ने उनके सामने एक ही इच्छा प्रकट की कि वह अपने जीवन के अंतिम क्षणों में कृष्ण का वही रूप देखना चाहती हैं जैसा वह वृंदावन में देखा करती थी। वह उन्हें वही बांसुरी की मीठी धुन बजाते हुए सुनना चाहती हैं।

राधा का बस इतना कहना था कि कृष्ण ने अपनी बांसुरी उठाई और वहीं मीठी धुन बजाने लगे। बांसुरी बजाते हुए कृष्ण और उसकी धुन सुनती राधा दोनों के ही आँखों से प्रेम के आंसुओं की धारा बह रही थी। बांसुरी की मीठी धुन सुनते-सुनते ही माता राधा ने उनके सामने प्राण त्याग दिए।

राधा की मृत्यु से कृष्ण इतने विचलित हो गए थे कि उन्होंने अपनी प्रिय बांसुरी को वहीं तोड़कर फेंक दिया। राधा की मृत्यु के साथ ही कृष्ण ने बांसुरी से भी हमेशा के लिए मुख मोड़ लिया क्योंकि बांसुरी व राधा का एक अद्भुत रिश्ता था। वृंदावन में घूमते हुए जब भी कान्हा को राधा को बुलाना होता था तब वे बांसुरी ही बजाया करते थे और राधा दौड़े-दौड़े चली आया करती थी। इसलिए राधा की मृत्यु के पश्चात कृष्ण ने अपने शेष जीवन में बांसुरी तो क्या किसी अन्य वाद्य यंत्र को हाथ भी नहीं लगाया था।

राधा की कितनी शादी हुई?

यदि हम प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार देखें तो माता राधा की शादी दो बार हुई थी। पहली बार स्वयं भगवान ब्रह्मा ने भगवान श्रीकृष्ण व माता राधा की शादी करवायी थी। दूसरी बार, कृष्ण जी के मथुरा चले जाने के बाद उनका विवाह यशोदा माता के चचेरे भाई अभिमन्यु से हुआ था। आइए कुछ और तथ्यों के बारे में जान लेते हैं।

  • हालांकि माता राधा का वर्णन भागवत गीता व महाभारत जैसी पुस्तकों में नहीं मिलता है। उनका वर्णन कुछ पुराणों व लेखकों की रचनाओं में ही मिलता है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के बचपन व यौवन काल का वर्णन है।
  • इसी के साथ भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं माता राधा से कहा था कि “कृष्ण ही राधा है व राधा ही कृष्ण हैं” अर्थात दोनों एक ही हैं, बस शारीरिक रूप से भिन्न हैं किंतु आत्मा एक ही है।
  • गर्ग संहिता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण व माता राधा का विवाह स्वयं भगवान ब्रह्मा जी ने भांडीय वन में करवाया था।
  • कुछ का प्रश्न होता है कि जब माता राधा लक्ष्मी का रूप थीं व उनका श्रीकृष्ण से विवाह हो गया था तो उन्होंने माता यशोदा के चचेरे भाई अभिमन्यु से विवाह क्यों किया। इसके पीछे एक कथा यह है कि अभिमन्यु ने अपने पिछले जन्म में माता लक्ष्मी को पत्नी स्वरुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी जिसका फल उसे इस जन्म में मिला था।
  • एक कथा के अनुसार, माता राधा हमेशा भगवान श्रीकृष्ण के साथ ही थी तथा वे दोनों कभी अलग ही नहीं हुए थे। जिस राधा को भगवान श्रीकृष्ण वृंदावन में छोड़ आये थे वह केवल उनकी छाया मात्र थी। असली राधा हमेशा भगवान श्रीकृष्ण के पास ही थी।

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने राधा की शादी किससे हुई (Radha Ki Shadi Kisse Hui), के बारे में विस्तार से जानकारी ले ली है। यहाँ आप इस बात का प्रमुखता के साथ ध्यान रखें कि किसी भी बात को तथ्य नहीं माना जा सकता है क्योंकि कहीं भी कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं लिखा गया है। कृष्ण जी के ऊपर आधारित ऐतिहासिक व पौराणिक ग्रंथों में माता राधा का उल्लेख नहीं मिलता है। उनका उल्लेख बाद में चलकर जोड़ा गया है।

राधा की शादी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: राधा के पति का नाम क्या था?

उत्तर: राधा के पति का नाम अभिमन्यु था जो माता यशोदा के चचेरे भाई थे कई जगह पर राधा के पति का नाम आयन/ आयान/ अयन/ रयान इत्यादि भी बताया गया है।

प्रश्न: राधा की कितनी शादी हुई थी?

उत्तर: राधा की कुल 2 शादी हुई थी पहली शादी श्रीकृष्ण जी से भगवान ब्रह्मा ने करवायी थी तो दूसरी शादी माता यशोदा के चचेरे भाई अभिमन्यु से हुई थी

प्रश्न: क्या राधा रानी शादीशुदा थी?

उत्तर: प्रचलित किवंदतियो के अनुसार, श्रीकृष्ण जी के मथुरा चले जाने के बाद माता राधा का विवाह यशोदा के चचेरे भाई अभिमन्यु से करवा दिया गया था

प्रश्न: राधा पहले किसकी पत्नी थी?

उत्तर: राधा पहले श्रीकृष्ण की पत्नी थी, मान्यताओं के अनुसार युवावस्था में ही भगवान ब्रह्मा ने श्रीकृष्ण व राधा का विवाह संपन्न करवा दिया था

प्रश्न: राधा के कितने बच्चे थे?

उत्तर: इसके बारे में कहीं भी नहीं लिखा गया है और ना ही बताया गया है इसलिए राधा रानी के विवाह के बाद बच्चे हुए या नहीं, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है

प्रश्न: राधा रानी किसका अवतार है?

उत्तर: श्रीकृष्ण जी ने कहा था कि कृष्ण व राधा एक ही हैं ऐसे में राधा को भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाएगा, ना कि माँ लक्ष्मी का

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कृष्णा

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View Comments

  • कही ऐसा कूछ पढा था की , माता राधा की मृत्यू के बाद भी एक बार भगवान श्रीकृष्णने उन्हे स्वर्गसे वापस लाया था। इसकी कोई कथा हो तो कृपा करके पोस्ट कर दिजीए।

    • नमस्कार विशाल जी,
      जी यह बात केवल एक भ्रम हैं। ऐसा कहीं भी उल्लेख नही किया गया हैं।

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