आज हम आपको मकर संक्रांति का महत्व (About Makar Sankranti In Hindi) बताएँगे। हर वर्ष पूरे देश में मकर संक्रांति का पर्व माघ माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी या षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 14 या 15 जनवरी के पास पड़ता है।
वैसे तो मकर संक्रांति भारत देश के हर राज्य और यहाँ तक कि भारत के पड़ोसी देशो में भी मनाया जाता हैं लेकिन विभिन्न जगहों पर वहां की लोक मान्यताओं और भाषा के आधार पर इसे विभिन्न नाम दिए गए हैं। ऐसे में विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति का क्या अर्थ है (About Sankranti In Hindi) और वहाँ इसे किस नाम से जाना जाता है, यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है। चलिए जानते हैं।
मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जिसे मनाया तो पूरे भारतवर्ष में जाता है लेकिन अलग-अलग नामो में। हालाँकि अधिकांश राज्यों में इसे मकर संक्रांति के नाम से ही मनाया जाता है या फिर केवल संक्रांति बोल दिया जाता है।
फिर भी कुछ-कुछ राज्यों में अलग नाम और रीतियों से इस त्योहार को मनाने की परंपरा है। ऐसा वहाँ कि भौगौलिक स्थिति व स्थानीय मान्यताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है। चलिए विभिन्न राज्यों के अनुसार मकर संक्रांति के महत्व को जान लेते हैं।
दक्षिण भारत के कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना राज्यों में इसे सुग्गी हब्बा या मकर संक्रमण के नाम से जाना जाता हैं। साथ ही वहां पर इसे केवल संक्रांति भी बोल देते हैं। यहाँ पर संक्रमण या संक्रांति का अर्थ प्रवेश करने से हैं। चूँकि मकर संक्रांति के ही दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता हैं इसलिये इसे मकर संक्रमण या संक्रांति के रूप में जाना जाता हैं।
इस अवसर पर इन राज्यों में तिल और गुड़ के पकवान बनाने और उनका दान देने की परंपरा है। चाहे मकर संक्रांति को देश के विभिन्न राज्यों में विभिन्न नामो से जाना जाता हो लेकिन हर जगह इसे मनाने की प्रक्रिया लगभग समान ही हैं।
दक्षिण भारत के ही तमिलनाडु और केरल राज्य में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता हैं जो चार दिनों का महापर्व होता है। यह पर्व मुख्यतया किसानो की फसल से जुड़ा हुआ हैं क्योंकि इसी मौसम में देशभर के किसानो की फसल तैयार हो जाती हैं और उनके घर धन-धान्य से भर उठते हैं। इसी उपलक्ष्य में तमिलनाडु और केरल के किसान पोंगल को बड़ी ही धूमधाम के साथ आयोजित करते हैं।
इन चार दिनों को क्रमशः भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और कन्नुम पोंगल कहते हैं। यह सामान्यतया 14 जनवरी से शुरू होकर 17 जनवरी तक मनाया जाता है। जल्लीकट्टू का त्यौहार भी वहां पोंगल के तीसरे दिन मट्टू पोंगल के दिन आयोजित किया जाता है। इस तरह से तमिलनाडु और केरल में मकर संक्रांति का महत्व (About Makar Sankranti In Hindi) भी उतना ही है, जितना बाकी राज्यों में है।
असम राज्य में वर्ष में तीन बार बिहू का त्यौहार मनाया जाता हैं जो किसानो की फसल से ही जुड़ा हैं। इसमें अंत में माघ बिहू आता हैं जो मकर संक्रांति का ही एक अलग नाम हैं। इस समय वहां के किसान अपने फसलो के तैयार होने की खुशी में मनाते हैं।
भोगाली बिहू में असम के लोग तिल, गुड़, चावल इत्यादि से स्वादिष्ट पकवान तैयार करते हैं जिनमे तिल पिट्ठा मुख्य हैं। सभी लोग मिलकर असम का पारंपरिक लोक नृत्य करते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं।
सूर्य देव छह माह तक दक्षिणायन में रहते हैं और मकर संक्रांति के ही दिन वे दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश कर जाते हैं। इसलिये इसे गुजरात राज्य और राजस्थान के कुछ भागो में उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद सूर्य देव छह माह तक उत्तरायण में रहते हैं और देवताओं के लिए छह माह की सुबह हो जाती हैं।
इसी अवसर पर गुजरात राज्य में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का भी आयोजन किया जाता हैं जिसमे देश-विदेश के लाखों लोग भाग लेते हैं। इस समय पूरा आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से पट जाता हैं।
पंजाब राज्य के लिए मकर संक्रांति का क्या अर्थ है (About Sankranti In Hindi), इसका उत्तर थोड़ा अलग व दुखभरा भी है। दरअसल मकर संक्रांति के ही दिन आक्रांता मुगल सेना ने पंजाब के मुक्तसर शहर के गुरूद्वारे में सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी पर हमला कर दिया था। तब चालीस सिक्खों ने गुरु रक्षा के लिए मुगल सेना से लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
उन्हीं सिक्खों की याद में गुरु गोविन्द सिंह जी ने मकर संक्रांति के दिन मुक्तसर गुरूद्वारे के सरोवर में स्नान करने को कहा था। तब से यह पर्व पंजाब राज्य में बड़ी ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता हैं और जगह-जगह मेले का आयोजन किया जाता हैं। पंजाब के साथ-साथ इसे हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्यों में भी माघी के नाम से जाना जाता हैं।
मकर संक्रान्ति को उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में सकरात या खिचड़ी के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन चावल और मूंग दाल की खिचड़ी मनाने का प्रावधान हैं इसलिये इसे खिचड़ी के नाम से ही जाना जाने लगा।
पश्चिमी बिहार को छोड़कर बिहार के अन्य भागो में इसे तिल संक्रांत के नाम से जाना जाता हैं क्योंकि इस दिन तिल का दान देने की परंपरा हैं। साथ ही इस दिन तिल से बनी चीज़े जैसे कि तिल के लड्डू इत्यादि बनाने की भी परंपरा है।
ऊपर हमने आपको मकर संक्रांति का विभिन्न राज्यों में क्या नाम है और उसका क्या अर्थ है, इसके बारे में बता दिया है। हालाँकि कुछ और राज्य भी है, जहाँ इसे अलग नाम से जाना जाता है। वही विदेशों में भी मकर संक्रांति मनाई जाती है लेकिन अलग नाम से। आइए उसके बारे में भी जान लीजिए।
उपरोक्त कारणों से मकर संक्रांति का महत्व (About Makar Sankranti In Hindi) अत्यधिक बढ़ जाता है। यहीं कारण है कि इस त्योहार को पूरे भारतवर्ष में इतनी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के महत्व से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है क्या कारण है?
उत्तर: मकर संक्रांति को मनाने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण है। मुख्य कारण सूर्य देव की राशि बदलने और किसानों की फसलों की कटाई से जुड़ा हुआ है।
प्रश्न: मकर संक्रांति का इतिहास क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने के लिए उसके घर जाते हैं। साथ ही इसी दिन भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्याग दिए थे।
प्रश्न: मकर संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व सूर्य देव से संबंधित है। सूर्य देव के कारण ही हमारा अस्तित्व है और हम अन्न-जल ग्रहण कर पाते हैं। इस कारण उनका धन्यवाद करने हेतु मकर संक्रांति मनाई जाती है।
प्रश्न: मकर संक्रांति का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति को कई दूसरे नामो से जाना जाता है। इसके कुछ मुख्य नाम संक्रांत, बिहू, पोंगल, उत्तरायण, पतंग महोत्सव, शक्रैन, माघी इत्यादि है।
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