मकर संक्रांति उत्सव से जुड़ी मान्यता, कथा, इतिहास, महत्व व अन्य संबंधित जानकारी

About Sankranti In Hindi

हिन्दू धर्म में सूर्य देव का स्थान (Makar Sankranti Ka Tyohar) सबसे ऊपर है। हालाँकि देवो का राजा इंद्र को माना गया है और देवो से भी ऊपर भगवान का स्थान (Makar Sankranti Ke Bare Mein Bataiye) होता हैं लेकिन फिर भी पृथ्वी लोक के वासियों के लिए सूर्य देव ही सबसे महान है। तभी भगवान श्रीराम भी सूर्य देव के उपासक रहे है। इसी के साथ भारत देश कृषि प्रधान देश है।

मकर संक्रांति का त्यौहार जो हम हर वर्ष माघ के महीने में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाते हैं उसका जुड़ाव सूर्य देव व कृषि दोनों से हैं इसलिये इसका महत्व (Makar Sankranti Nibandh) बहुत बढ़ जाता है। हालाँकि इसे भारत देश के विभिन्न राज्यों और अन्य देशों में विभिन्न नामो के साथ आयोजित किया जाता हैं लेकिन संक्रांति मनाई हर जगह जाती है। आज हम मकर संक्रांति पर्व के बारे में (About Sankranti In Hindi) संपूर्ण जानकारी आपके साथ साँझा करेंगे।

मकर संक्रांति त्यौहार के बारे में संपूर्ण जानकारी (Makar Sankranti In Hindi)

मकर संक्रांति का पर्व कब मनाया जाता है? (Makar Sankranti Kab Manaya Jata Hai)

इसे हर वर्ष हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी या षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसे जनवरी माह की 14 या 15 तारिख को मनाया जाता है। हालाँकि हिन्दू धर्म के अन्य सभी त्योहारों की अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार तिथि बदलती रहती है लेकिन मकर संक्रांति मुख्यतया 14 या 15 जनवरी को ही पड़ता है।

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? (Why Do We Celebrate Makar Sankranti In Hindi)

जैसा कि हमने आपको बताया कि इसे मनाने के पीछे दो कारण हैं: एक सूर्य देव से जुड़ा हुआ है तो दूसरा खेती से। आइए दोनों कारणों के बारे में जानते हैं:

मकर संक्रांति का सूर्य देव से संबंध (Makar Sankranti Sun Position In Hindi)

सूर्य दो आयन में रहता हैं जिसे दक्षिणायन व उत्तरायण कहते हैं। हर आयन में सूर्य देव छह माह के लिए रहते हैं। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देव छह माह तक दक्षिणायन में रहने के पश्चात उत्तरायण में प्रवेश कर जाते हैं अर्थात अब से सूर्य देव छह माह तक उत्तरायण में निवास करेंगे।

इसका धर्म से भी संबंध है। हम यह तो जानते हैं कि जिस गति से समय पृथ्वी लोक पर दौड़ रहा हैं वह हर ग्रह व ब्रह्मांड में लागू नही होता। समय की गति ब्रह्मांड में हर जगह अलग-अलग हैं। इसलिये देवताओं और दानवों के लिए एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के बराबर होता है।

इसलिये जब सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं तो उस दिन से देवताओं की सुबह हो जाती हैं और दानवो की रात्रि। इसके बाद पृथ्वी लोक के समय के अनुसार छह माह तक देवताओं के लिए दिन और दानवो के लिए रात्रि का समय हो जाता हैं। मकर संक्रांति के बाद से ही राते छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं।

मकर संक्रांति का किसानो और खेती से संबंध (Makar Sankranti Ka Tyohar Kis Khushi Mein Manaya Jata Hai)

इस त्यौहार का देश के किसानो से बहुत जुड़ाव हैं क्योंकि उनकी धान की फसले तैयार हो जाती हैं। इसलिये इसे देशभर के किसानो के द्वारा बड़ी ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता हैं। यह मौसम भी सबसे अनुकूल समय होता हैं जब शरद ऋतु समाप्त होने को आ जाती हैं और बसंत का मौसम आने लगता हैं।

इस समय देशभर के खेतों में हरी-भरी फसले लहरा रही होती हैं और किसानो के घर धन-धान्य से भर उठते है। इसलिये सभी किसान इसे अपने-अपने राज्य में अलग-अलग नामो से मनाते हैं।

मकर संक्रांति के नाम का अर्थ (Meaning Of Makar Sankranti In Hindi)

सूर्य देव बारह माह में बारी-बारी से बारह राशियों में निवास करते हैं। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं। इसलिये इसके नाम में मकर जुड़ा। संक्रांति का अर्थ (Sankranti Ka Matlab) होता हैं संक्रमण अर्थात प्रवेश करना। इस प्रकार मकर संक्रांति के नाम का अर्थ हुआ मकर राशि में प्रवेश करना।

मकर संक्रांति का इतिहास (Makar Sankranti Kyu Manaya Jata Hai)

मकर संक्रांति का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व भी है। इस दिन से कई धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं जो इसकी महत्ता को और भी बढ़ा देती हैं। आइए एक-एक करके जानते हैं।

#1. मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव का अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाना (Makar Sankranti Surya Puja)

शनि देव को सूर्य देव का पुत्र माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की चाल कुछ इस तरह से बनती हैं कि सूर्य देव सब कुछ भुलाकर अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं। इसलिये ज्योतिष शास्त्र में इस दिन का विशेष महत्व हैं जिस दिन सूर्य देव की उपासना कर और शनि देव को खुश करके कई सिद्धियाँ प्राप्त की जाती हैं।

#2. मकर संक्रांति का माँ गंगा से संबंध (Makar Sankranti Ganga Snan)

आपने माँ गंगा की भागीरथ के द्वारा पुनः पृथ्वी लोक पर लाने की कथा तो सुनी ही होगी लेकिन शायद आप यह नही जानते होंगे कि माँ गंगा मकर संक्रांति के दिन ही पृथ्वी लोक पर आयी थी। इसी दिन ही माँ गंगा भागीरथ जी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा के आदेश पर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई महासमुंद्र में जा मिली थी और अपने पवित्र जल से सभी को तृप्त किया था।

#3. मकर संक्रांति के दिन ही भीष्म पितामह ने त्यागे अपने प्राण (Makar Sankranti Bheeshm Pitamah)

महाभारत के प्रमुख पात्र भीष्म पितामह माँ गंगा के ही पुत्र थे जिन्हें युद्ध में अर्जुन ने अपने बाणों की बौछार से छलनी कर दिया था। हालाँकि उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था इसलिये उन्होंने अपने प्राण मकर संक्रांति के पावन दिन ही त्यागने का निश्चय किया था। जिस दिन मकर संक्रांति का त्यौहार आया तब उन्होंने अपनी इच्छा मृत्यु के वरदान के फलस्वरूप अपने प्राण त्याग दिए थे।

मकर संक्रांति कैसे मनाते है? (Makar Sankranti Kaise Manaya Jata Hai)

इस दिन सभी लोग सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को प्रणाम करते हैं। उनकी पूजा की जाती (Makar Sankranti Mein Kya Karte Hain) है। जो लोग गंगा या उसकी सहायक नदियों के पास रहते हैं वे आज के दिन सूर्योदय के समय गंगा नदी में जाकर स्नान करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।

इस दिन तिल और गुड़ का दान देने की भी विशेष परंपरा हैं। साथ ही इन दोनों के मिश्रण से लड्डू या अन्य पारंपरिक व्यंजन भी मनाये जाते हैं। विभिन्न राज्यों में इसको विभिन्न तरीको से (Makar Sankranti Ka Tyohar Kahan Kahan Manaya Jata Hai) मनाया जाता हैं जैसे कि:

  • मकर संक्रांति के दिन गुड़ और तिल का दान देना।
  • आसमान में पतंगबाजी करना मुख्यतया गुजरात और राजस्थान में।
  • अपने राज्य का पारंपरिक लोक नृत्य करना जैसे कि असम व उत्तर-पूर्वी भारत में।
  • चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी बनाकर उसे खाना व दान करना।
  • नदियों आदि में स्नान करके सूर्य देव को धन्यवाद किया जाता हैं।

मकर संक्रांति का महत्व (Makar Sankranti Ka Mahatva In Hindi)

मकर संक्रांति के महत्व को देखते हुए ही इसे भारत देश के हरेक कोने में हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया जाता हैं। सबसे पहले तो इससे हमे सूर्य देव की महत्ता के बारे में पता चलता हैं। पृथ्वी के निरंतर गति करते रहने और मानव सभ्यता के विकास में सूर्य देव का अहम योगदान हैं। उनके बिना पृथ्वी व मनुष्य जीवन का कोई औचित्य नही रह जाएगा। इसलिये इस त्यौहार के माध्यम से हमे उनकी महत्ता को और अच्छे से समझने में सहायता मिलती हैं।

इसके साथ ही हमे जीवित रहने के लिए धान की आवश्यकता होती हैं जो किसान ही उगाते हैं। मकर संक्रांति के मौसम में ही देशभर के किसानो की फसले उगी होती हैं और उनकी कटाई का दौर शुरू हो जाता हैं। इसलिये देश के किसानो के लिए यह किसी त्यौहार से कम नही जिसे वे मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में मनाते हैं।

साथ ही इस दिन निर्धनों को दान देने की भी परंपरा हैं जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता हैं। सभी लोग गरीबो को भोजन करवाते हैं और उन्हें आवश्यक और खाने की वस्तुएं दान में देते हैं।

मकर संक्रांति के विभिन्न नाम (Different Names Of Makar Sankranti In India In Hindi)

जैसे कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि मकर संक्रांति को देश के हरेक कोने और यहाँ तक कि पड़ोसी देशो में भी बड़ी ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता हैं लेकिन इसे वहां की स्थानीय भाषा और विभिन्न मान्यताओं के अनुसार विभिन्न नाम दिए गए हैं। हालाँकि इसका संबंध और मुख्य उद्देश्य वही रहता हैं।

मकर संक्रांति को दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना में केवल संक्रांति, तमिलनाडु और केरल में पोंगल, असम में माघ बिहू, हरियाणा-पंजाब व हिमाचल प्रदेश में माघी, राजस्थान व गुजरात में उत्तरायण, बांग्लादेश में शक्रें इत्यादि कई नामो से जाना जाता हैं।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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