उत्तरायण उत्सव व गुजरात के अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव के बारे में जानकारी

Uttarayan Festival In Hindi

जिस दिन भारत के ज्यादातर राज्यों में मकर संक्राति का त्यौहार मनाया जा रहा होता हैं उस दिन गुजरात और राजस्थान राज्यों में उत्तरायण का पर्व (Uttarayan Festival Essay In Hindi) मनाया जाता हैं। या यूँ कहे कि इन दो राज्यों में मकर संक्राति के पर्व को उत्तरायण के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन गुजरात में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव (Patang Mahotsav In Hindi) का भी आयोजन किया जाता है। आइए उत्तरायण पर्व के बारे में जानते हैं।

उत्तरायण पर्व के बारे में जानकारी (Uttarayan Festival In Hindi)

उत्तरायण क्या होता हैं? (Uttarayan Meaning In Hindi)

दरअसल इस पर्व का संबंध सूर्य देव का अपनी दिशा बदलने से हैं। छह माह तक दक्षिणायन में रहने के पश्चात सूर्य देव इसी दिन उत्तरायण अर्थात दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवेश कर जाते है। इसके बाद शरद ऋतु से ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत हो जाती हैं और राते छोटी व दिन लंबे हो जाते हैं।

उत्तरायण का शाब्दिक अर्थ होता हैं उत्तर दिशा में गमन, इसलिये इसे उत्तरायण उत्सव के नाम से जाना जाता है। इसके बाद से देवताओं के लिए छह माह की सुबह हो जाती हैं और असुरों के लिए छह माह के लिए रात हो जाती है।

उत्तरायण में गुजरात का अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव (Patang Mahotsav Ahmedabad)

इस दिन गुजरात में मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव की तैयारियां एक सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती है। देश-विदेश से सैकड़ो की संख्या में लोग इस महोत्सव को देखने पहुँचते है।

पूरा गुजरात का आसमान रंग-बिरंगी पतंगो (Patang Utsav In Gujarat) से पट जाता है। जहाँ नज़र दौड़ाई जाए वहां केवल और केवल पतंगे ही दिखाई देती है। सभी लोग अपने घरों की छतो पर पतंगे ले लेकर पहुँच जाते है। इस दौरान सभी के बीच में होड़ लगी रहती हैं कि कौन अपनी पतंगे कम कटवाकर दूसरो की कितनी ज्यादा पतंगे काटता है।

इसी के साथ अपनी पतंग को बिना कटवाए सबसे ऊँची ले जाने की भी होड़ लगी रहती हैं कि तभी कोई आता हैं और उस पतंग से पेंचे लेकर उसे काट देता है। स्वयं गुजरात के मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी इस उत्सव में भाग लेते है।

इसके अलावा समाज की अन्य हस्तियाँ भी इस उत्सव में भाग लेती हैं जैसे कलाकार, गायक, राजनीति से जुड़े लोग इत्यादि। घरो में मिठाइयाँ, लड्डू इत्यादि प्रसाद के रूप में मनाए जाते है। भगवान को भोग लगाने के पश्चात इसे आपस में वितरित कर दिया जाता है।

इस दिन सुबह के समय ब्राह्मणों को दान देने की भी परंपरा हैं और सूर्योदय के समय उन्हें जल भी दिया जाता है। इस प्रकार हंसी-खुशी के इस त्यौहार (Uttarayan Festival In Gujrat Rajasthan) का समापन हो जाता है।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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