हम सभी के मन में यह प्रश्न अवश्य उठता है कि ॐ का रहस्य क्या है (OM In Hindi)? ऐसे में सनातन धर्म की मुख्य पहचान ॐ शब्द या मंत्र से ही होती है। अब ॐ को मंत्र भी बोल दिया जाता है तो यह एक शब्द भी है। मुख्य तौर पर ॐ शब्द ओम या अऊम से मिलकर बना है। इसमें तीन अक्षर आते हैं जिन्हें हम अ, ऊ व म कहते हैं। अंग्रेजी में इसे A, U व M कहा जाता है जो सम्मिलित होकर AUM या ओम बन जाते हैं।
अब यह ओम क्या है (OM Kya Hai), ॐ की उत्पत्ति कहां से हुई, ओम का उच्चारण कैसे करें (OM Ka Ucharan), ओम का वर्णन किस उपनिषद में है, इत्यादि कई प्रश्न भी हमारे दिमाग में उठते हैं। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ ओम शब्द की संपूर्ण व्याख्या करने वाले हैं। इसे पढ़कर आपको ओम का महत्व भी समझ में आ जाएगा।
ओम एक ऐसा शब्द है जिसका संपूर्ण रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है। यह शिव का सूचक है और किसी भी मनुष्य में इतनी शक्ति नहीं है कि वह शिव को सम्पूर्ण रूप में पा सके या उन्हें जान सके। मनुष्य को मृत्यु के पश्चात स्वर्ग या नरक में स्थान मिलता है। यदि उसने अपने कर्मों का संतुलन कर लिया है तो उसे मोक्ष प्राप्ति हो जाती है जिसके माध्यम से वह जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है।
शिव लोक में किसी मनुष्य को स्थान नहीं मिल सकता है क्योंकि वहां केवल और केवल अंधकार है जिसका कोई अंत नहीं है। इस ब्रह्मांड का सत्य प्रकाश नहीं बल्कि अंधकार है। ऐसे में ॐ क्या है (AUM In Hindi) या फिर ओम का रहस्य क्या है, इसका शब्दों में उत्तर नही दिया जा सकता है। फिर भी आज हम आपके समक्ष जितना हो सकेगा, सीधे व सरल शब्दों में ॐ की व्याख्या करने का प्रयास करेंगे।
यह ब्रह्मांड अथाह है जिसकी ना ही कोई शुरुआत है और ना ही कोई अंत है। जिस ब्रह्मांड का आदि व अंत स्वयं भगवान विष्णु व ब्रह्मा ही नहीं खोज पाए थे, हम तो फिर भी उनके सामने तुच्छ हैं। साथ ही यह ब्रह्मांड लगातार फैलता जा रहा है अर्थात अपने आकार क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है। पृथ्वी या सूर्य उस ब्रह्मांड में कुछ उसी तरह महत्व रखते हैं जैसे समुंद्र में पानी की एक बूँद।
इस ब्रह्मांड में अनगिनत तारे, ग्रह व उपग्रह हैं किंतु ब्रह्मांड में जो चीज़ सबसे ज्यादा है वह है खाली स्थान। इसे हम आकाश या अंतरिक्ष भी कह सकते हैं। अब इस संपूर्ण ब्रह्मांड में अथाह शांति है और हर तरफ अंधकार ही अंधकार है। सुबह के समय हम जो प्रकाश देखते हैं, उसका कारण है उस समय पृथ्वी की उस सतह का सूर्य के सामने होना। रात के समय पृथ्वी की वह सतह, सूर्य से मुख मोड़कर ब्रह्मांड की ओर कर लेती है और हमें अंधकार के रूप में परम सत्य दिखाती है।
अब इसी ब्रह्मांड की शांति में एक शब्द हमेशा गूंजता रहता है और वह है ॐ शब्द। यही ॐ का रहस्य (OM In Hindi) है, यही ॐ का सत्य है और यही ॐ का महत्व है। इतना ही नहीं, यह ॐ शब्द हमें जीवन का सार दिखाता है, आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का कार्य करता है और हमें ब्रह्मज्ञान देता है।
ओम अपने आप में एक अक्षर भी है, शब्द भी है और मंत्र भी है। अब ॐ क्या है, इसके बारे में बेहतर तरीके से समझने के लिए आइये यह भी जान लेते हैं।
ॐ को हम एक अक्षर के संदर्भ में भी देख सकते हैं। अब कहने को तो यह तीन या दो शब्दों के मेल से बना है लेकिन इसे एक अक्षर के रूप में लिखना हो तो उसे ॐ के रूप में लिखा जा सकता है। यह ॐ का सबसे शुद्ध रूप माना जाता है तथा वेदों, उपनिषदों में ॐ को इसी तरह से ही लिखा गया है।
अब यदि ओम शब्द की व्याख्या और महत्व को समझें तो यह तीन अक्षरों के मेल से बना होता है। यह तीन अक्षर अ, ऊ व म होते हैं। इसमें से पहले दो अक्षर अ व ऊ मिलकर ओ बन जाते हैं। इस तरह से इसे ओम भी लिखा जाता है। वहीं आखिरी अक्षर म को पूरा नहीं बोला जाता है जिस कारण इसे ओम् कहकर भी बोला जा सकता है।
ॐ केवल अक्षर या शब्द ही नहीं बल्कि अपने आप में संपूर्ण मंत्र भी है। यहाँ तक कि इसे सर्वोच्च मंत्र माना जाता है और शिक्षा की शुरुआत भी इसी ओ३म् मंत्र के साथ ही की जाती है। जब बालक का उपनयन संस्कार किया जाता है तब उसके गुरु सबसे पहले उसे ओ३म् मंत्र का महत्व ही बताते हैं। इसी के साथ ही इस ॐ मंत्र को किसी अन्य मंत्र की शुरुआत या अंत में भी बोला जा सकता है।
इस तरह से आपने यह जान लिया है कि ओम क्या है (OM Kya Hai) और यही इस लेख का अहम भाग है। हालाँकि ओम की व्याख्या से संबंधित अन्य चीजें भी है जो हम आपको नीचे बताएँगे।
इसके बारे में तो थोड़ा बहुत हमने आपको ऊपर ही बता दिया है लेकिन इसे हम और विस्तृत रूप दे देते हैं। दरअसल ओम शब्द ना केवल इस ब्रह्मांड में हमेशा गुंजायेमान रहने वाली ध्वनि है बल्कि यह ब्रह्मांड की शुरुआत का प्रथम शब्द (AUM In Hindi) भी है। इस कारण इसे प्रणव ध्वनि या प्रथम शब्द भी कहा जाता है। इसे यदि आप सही से समझना चाहते हैं तो हम आपको दो उदाहरण दे देते हैं।
जब किसी शिशु का जन्म होता है तो वह रोता है। उसके माता-पिता को अपने बच्चे के मुहं से शब्द सुनने के लिए लगभग एक वर्ष की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। हालाँकि वह बच्चा उससे बहुत पहले ही अर्थात जन्म लेने के कुछ दिन में ही कुछ अक्षर बोलने लग जाता है। तो वह अक्षर होते हैं अ, ऊ व म और इन्हीं तीनो को मिलाकर ही ओम शब्द बनता है। इस तरह से जिस शिशु को शब्दों का ज्ञान भी नहीं होता है, उसके मुख के प्रणव अक्षर भी ॐ ही होते हैं।
ईश्वर हर किसी को सबकुछ नहीं देता है। ऐसे में बहुत लोग ऐसे होते हैं जो बोल नहीं पाते हैं और उन्हें हम मूक, गूंगा, वाणीहीन इत्यादि कहकर बुलाते हैं। ऐसे में जो व्यक्ति गूंगा है और कुछ बोल नहीं सकता है, वह भी ओम शब्द को आसानी के साथ बोल सकता है। यही सब बातें ही ओम के महत्व को बढ़ा देती है।
इस तरह से ॐ एक ऐसा शब्द है जो संपूर्ण ब्रह्मांड की एकमात्र आवाज है और उसी ब्रह्मांड के अंदर हमारी पृथ्वी भी आती है। इस तरह से हम सभी ही इस शब्द से जुड़े हुए हैं और इसी के जरिये ही हम ब्रह्मांड की शक्तियों को पा सकते हैं।
अब कभी आपने ॐ मंत्र का जाप किया हो तो आपको ॐ का रहस्य (OM In Hindi) अच्छे से पता होगा। दरअसल जो व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम 10 से 15 मिनट के लिए ॐ मंत्र का जाप करते हैं, उन्हें जीवन का सार समझ आने लगता है। अब ओम में जो तीन अक्षर हैं, वही हमें अपने जीवन के सार को समझाते हैं।
ओम में प्रथम अक्षर अ आता है। अब यदि आप अ का उच्चारण करते हैं तो आप पाएंगे कि आपकी नाभि में कंपन्न हो रही है। नाभि ही वह स्थान है जो हमें अपनी माँ की गर्भ में जीवित रखता है क्योंकि उसी के माध्यम से हम अन्न-जल ग्रहण कर पाते हैं। एक तरह से कोई भी अजन्मा शिशु अपनी माँ से इसी नाभि के जरिये ही जुड़ा हुआ होता है। जन्म लेने के बाद यही गर्भनाल काटी जाती है।
ओम का दूसरा शब्द ऊ है और उसका उच्चारण करने पर आपको अपने हृदय में कंपन्न महसूस होगी। वह इसलिए क्योंकि ऊ की ध्वनि हृदय से ही निकलती है। अब हृदय ही वह स्थान है जो हमें जीवित रखता है। जब तक यह धड़क रहा है तब तक हमारे प्राण है और जिस दिन इसने धड़कना बंद कर दिया तो समझ जाइये अब मृत्यु हो चुकी है। इस तरह से यह हमारे जीवन जीने के बारे में बताता है।
ॐ का अंत म शब्द से होता है। म को बोलते समय हमारे कंठ में कंपन्न होती है। एक तरह से यह हमारे अंत अर्थात मृत्यु को दिखाता है। जब हमारा अंत आता है तब आत्मा इसी रास्ते से बाहर निकल जाती है और हम हमेशा के लिए मृत्यु की गोद में समा जाते हैं।
इस तरह से ॐ मंत्र अपने आप में जीवन के सार को दिखा जाता है। यह एक ऐसा मंत्र या शब्द है जो मनुष्य के जन्म से लेकर, उसके जीवन जीने और फिर मृत्यु के परम सत्य को बताता है।
अब इसी ॐ शब्द से समय चक्र अर्थात स्वयं काल भी बंधे हुए हैं। दरअसल ओम के ही तीनो अक्षर अ, ऊ व म भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें अ अक्षर भगवान ब्रह्मा, ऊ अक्षर भगवान विष्णु व म अक्षर भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। ऊपर आपने पढ़ा कि अ का अर्थ हुआ हमारा जन्म लेना। तो इस सृष्टि की रचना करने वाले भगवान ब्रह्मा ही हैं जिस कारण अ अक्षर का संबंध रचनाकार ब्रह्मा जी से हो गया।
ठीक इसी तरह ऊ अक्षर का अर्थ जीवन जीने से है। अब भगवान विष्णु ही हमारे पालनकर्ता और साथ ही हमारा भरण-पोषण करते हैं। इस तरह से ऊ अक्षर का संबंध पालनहार विष्णु से हो गया। ओम के आखिरी अक्षर म का अर्थ मृत्यु से है। अब मृत्यु का संबंध किस से है, यह शायद ही बताने की आवश्यकता पड़े। इस तरह से म अक्षर का संबंध संहारक शिव जी से हो गया।
आप कल्पना नहीं कर सकते हैं लेकिन अकेले ॐ शब्द में इतनी शक्ति है कि आप स्वयं को परमात्मा के पास लेकर जा सकते हैं, ब्रह्मांड की गहराइयों में खो सकते हैं, जीवित रहकर ब्रह्मज्ञान पा सकते हैं और जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सकते हैं। हमारे जीवन की मुख्य तौर पर तीन अवस्था होती है और वह है जागृत, स्वप्न व निद्रा। जागृत अर्थात जब हम जाग रहे होते हैं, स्वप्न अर्थात जब हम सोते हुए सपना ले रहे होते हैं और निद्रा अर्थात जब हम बिना सपने लिए सो रहे होते हैं।
अब इसके अलावा एक चौथी अवस्था होती है और उसे कहा जाता है ध्यान। इसे अंग्रेजी में मैडिटेशन भी कह देते हैं। आपने बहुत बार स्वयं भगवान शिव को ध्यान मुद्रा में देखा होगा। तो यह ध्यान मुद्रा ऐसी होती है जिसमें ना व्यक्ति जाग रहा होता है, ना ही सपना देख रहा होता है और ना ही सो रहा होता है। इसमें व्यक्ति अपने शरीर को वहीं छोड़कर आत्मा को साथ लेकर ब्रह्मांड की गहराइयों में खो जाता है और ईश्वर को पाने का प्रयास करता है। यही ओम का ब्रह्मज्ञान है जो उसकी शक्ति को दिखाता है।
इस तरह से आपने जान लिया है कि ॐ का रहस्य क्या है (OM In Hindi) और क्यों सनातन धर्म में इसका महत्व सभी मंत्रों में सर्वोच्च रखा गया है। यह एक ऐसा शब्द है जिसकी किसी अन्य शब्द से तुलना नहीं की जा सकती है। साथ ही यह एक ऐसा मंत्र है जो अपने आप में भी संपूर्ण है तो वहीं किसी भी अन्य मंत्र की शुरुआत या अंत में बोला जा सकता है।
अब यदि आप ॐ का उचारण करना चाहते हैं तो इससे उत्तम बात कुछ और नहीं होगी। ॐ मंत्र का जाप करने से आपको कई लाभ देखने को मिलते हैं और इसमें सबसे बड़ा लाभ आपकी मनोस्थिति का अच्छा होना है। यदि आपका मन आपके नियंत्रण में होगा तो आप कुछ भी कर सकते हैं। ॐ का उच्चारण करने के लिए आपको किसी शांत जगह पर बैठ जाना चाहिए और अपनी दोनों आँखों को बंद कर ध्यान मुद्रा में जाना चाहिए।
आपके दोनों हाथ आपके पैरों के घुटनों पर ध्यान मुद्रा में और कमर एकदम सीधी होनी चाहिए। इसके बाद आप जितना लंबा हो सकता है, उतनी देर तक एक बार ॐ मंत्र का जाप करें। ओम का उच्चारण (OM Ka Ucharan) करना हर किसी को मानसिक शांति देता है। ऐसे में आपको कम से कम 10 से 15 मिनट के लिए तो ओम का उच्चारण करना ही चाहिए। इसके बाद आप कुछ देर तक अपनी आँखों को बंद रखें और फिर हाथों को मसल कर आँखों पर लगाएं और फिर ऑंखें धीरे-धीरे खोल लें।
अब यदि आप ओम की उत्पत्ति के बारे में जानने को उत्सुक हैं तो यहाँ हम आपको बता दें कि ॐ की उत्पत्ति ब्रह्मांड की उत्पत्ति के साथ ही शुरू हो गयी थी। कहने का अर्थ यह हुआ कि ॐ ब्रह्माण्ड में हमेशा से था और रहेगा। यह ब्रह्मांड में गूंजने वाली एकमात्र ध्वनि या आवाज है जो इसकी शुरुआत से अंत तक रहने वाली है।
वहीं प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यह भी माना जाता है कि सर्वप्रथम ॐ शब्द का उच्चारण भगवान शिव ने किया था। इस तरह से हम ॐ की उत्पत्ति भगवान शिव के मुख से होना मान सकते हैं। आज के समय में ॐ सभी मंत्रों में सर्वोच्च व ब्रह्माण्ड की ध्वनि के रूप में जाना जाता है।
ॐ मंत्र का महत्व आप इसी से ही लगा सकते हैं कि इसे अन्य किसी भी मंत्र की शुरुआत और अंत में बोला जा सकता है। हर धार्मिक कार्य और अनुष्ठान में ॐ मंत्र का जाप प्रमुख तौर पर किया जाता है। ऐसे में कोई भी उपनिषद ॐ मंत्र की व्याख्या किये बिना या उसके बारे में बताये बिना कैसे रह सकता है। ॐ का वर्णन चारों वेद सहित हर उपनिषद, ग्रंथ, काव्य इत्यादि में किया गया है।
हालाँकि प्रमुख तौर पर ओम का वर्णन मांडूक्य उपनिषद में देखने को मिलता है। मांडूक्य उपनिषद के कई मंत्रों में ॐ शब्द की व्याख्या सहित इसके महत्व पर प्रकश डाला गया है। मांडूक्य उपनिषद के अलावा छान्दोग्य, कठ, मैत्री, मुण्डक, श्वेताश्वतर आदि उपनिषदों में ओम मंत्र के बारे में विस्तार से बताया गया है। वैसे आपको ॐ का वर्णन हर उपनिषद व वेद में देखने को मिलेगा और यही इसे महान बनाता है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि विश्व के अन्य सभी प्रमुख धर्मों में ॐ शब्द को किसी ना किसी रूप में लिया गया है। सनातन धर्म से निकले तीन प्रमुख धर्मों जैन, बौद्ध व सिख धर्म में तो ॐ का महत्व है ही लेकिन इसी के साथ-साथ अन्य दो प्रमुख धर्मों ईसाई व इस्लाम में भी ॐ शब्द को बोला गया है। आइये जान लेते हैं।
जैन धर्म में प्रतिदिन नमोकार मंत्र के रूप में प्रार्थना की जाती है जो पंच परमेष्ठी को समर्पित होती है। इस प्रार्थना में ही ॐ मंत्र का जाप किया जाता है। प्रार्थना की वह पंक्ति “ओम एकाक्षर पञ्चपरमेष्ठिनामादिपम् तत्कथमिति चेत अरिहंता असरीरा आयरिया तह उवज्झाया मुणियां” है।
बौद्ध धर्म की शुरुआत भी सनातन धर्म से ही हुई है। इस कारण बौद्ध धर्म के मंत्रों की शुरुआत में भी ॐ बोला जाता है। इसी कड़ी में इनका एक प्रमुख मंत्र “ॐ मणि पद्मे हूँ” है। तिब्बत से लेकर चीन व जापान तक के बौद्ध धर्म में ॐ का महत्व भिन्न-भिन्न रूप में देखने को मिलता है।
सिख धर्म तो कुछ सदियों पहले ही सनातन धर्म से अलग होकर बना है। अब सिख धर्म में तो ॐ को ओंकार शब्द के रूप में बोला जाता है और यह हर किसी को पता भी है। हिन्दू धर्म में भी ओंकार शब्द का उल्लेख है। सिख धर्म की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब का प्रथम शब्द ही ओंकार है और यह उनका मूल मंत्र भी है।
आपने यदि अंग्रेजी फिल्में या सीरीज देखी हो तो अवश्य ही ईसाई धर्म के लोगों को धार्मिक कार्यों के दौरान आमेन बोलते हुए सुना होगा। तो यही आमेन शब्द ॐ शब्द से ही निकल कर बना है। उन्होंने शब्द अवश्य बदल दिया है लेकिन महत्व वही है।
ईसाई व इस्लाम धर्म का आपस में संबंध है और दोनों एक ही पूर्वजों की संतान है। ऐसे में जिस प्रकार ईसाई धर्म में आमेन शब्द बोला जाता है तो वहीं इस्लाम धर्म में आमीन बोला जाता है। इस तरह से आमीन का संबंध इसी ओम शब्द से ही है।
अंग्रेजी में ओमनी (Omni) शब्द का उल्लेख है जिसका अर्थ सर्वत्र विद्यमान होता है। इसका संबंध भी ॐ से ही है अर्थात हर जगह फैला हुआ। ॐ शब्द किसी धर्म से संबंध ना रखकर ब्रह्मांड की उत्पत्ति व विनाश को दर्शाता है। इस कारण हिंदू धर्म में इसे सर्वोपरी स्थान दिया गया है।
हमें पूरी आशा है कि आज के इस लेख को पढ़कर आपके मन में ॐ के रहस्य (OM In Hindi) से संबंधित कई भेद खुल गए होंगे। वैसे तो यह हमने आपको ऊपर ही बता दिया है कि ॐ मंत्र में इतनी शक्ति है कि आप कभी भी इसकी शक्ति का संपूर्ण अनुमान नहीं लगा सकते हैं। ऐसे में हम कभी भी ॐ का संपूर्ण अर्थ भी नहीं समझ सकते हैं। फिर भी हमने आपके सामने जितना हो सका, उतना ॐ शब्द के बारे में बताने का भरसक प्रयास किया है।
ॐ के रहस्य से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: ओम शब्द का रहस्य क्या है?
उत्तर: ओम शब्द का रहस्य यही है कि यह ब्रह्माण्ड में सदैव गुंजायेमान रहने वाला एकमात्र शब्द है। जैसे-जैसे ब्रह्माण्ड फैलता जा रहा है, वैसे-वैसे ही यह शब्द भी फैलता जा रहा है।
प्रश्न: ओम में शक्ति क्या है?
उत्तर: ओम में इतनी शक्ति है कि इसके निरंतर जाप से मनुष्य ब्रह्मांड की शक्तियों से संबंध स्थापित कर सकता है और ईश्वर के निकट पहुँच जाता है।
प्रश्न: ॐ का जप करने से मनुष्य को क्या मिलता है?
उत्तर: ॐ का जाप करने से मनुष्य को मानसिक शांति का अनुभव होता है, ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है और शरीर का तेज बढ़ता है।
प्रश्न: ॐ की उत्पत्ति कब और कैसे हुई?
उत्तर: ॐ की उत्पत्ति ब्रह्मांड के उद्गम के साथ ही हुई थी। ॐ शब्द पहली बार भगवान शिव के मुख से निकला था जब वे लंबी साधना में थे।
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