अंत्येष्टि संस्कार: हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में सोलहवें संस्कार के बारे में जानकारी व महत्व

Antim Sanskar In Hindi

हिंदू धर्म में कुल सोलह संस्कार (Antim Sanskar In Hindi) माने गए हैं जो एक व्यक्ति के अपनी माँ के गर्भ से ही शुरू हो जाते है तथा उसके जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव पर आते है। उन्हीं संस्कारों में सबसे अंतिम संस्कार (Hindu Sanskar After Death In Hindi) है अंत्येष्टि संस्कार जिसे एक मनुष्य के द्वारा अपनी देह त्याग करने के पश्चात उसके परिवारवालों के द्वारा संपन्न किया जाता है।

यह सुनने में तो विचित्र लगता है किंतु उस व्यक्ति की आत्मा की शांति के उद्देश्य से यह संस्कार किया जाना आवश्यक होता है। आज हम अंत्येष्टि संस्कार के बारे में जानेंगे।

अंतिम संस्कार के बारे में जानकारी (Antyeshti Sanskar In Hindi)

अंत्येष्टि संस्कार क्या होता है? (Antim Sanskar Kya Hai)

जो प्राणी इस मृत्यु लोक में जन्म लेता है चाहे वह स्वयं भगवान ही क्यों न हो, उसे एक दिन इस पृथ्वी को छोड़कर हमेशा के लिए जाना होता है। हमारे धर्मशास्त्रों में आत्मा को अमर माना गया है जबकि देह को नश्वर। एक आत्मा शरीर को कपड़ों की भांति (Antyeshti Meaning In Hindi) बदलती है। वह एक शिशु में प्रवेश करती है जिसमें वह कई अवस्थाओं को देखती हुई वृद्धावस्था तक पहुँचती है तथा जब वह शरीर निष्काम हो जाता है तब वह उस शरीर को छोड़कर चली जाती है। इसे ही मनुष्य के द्वारा देह त्याग की संज्ञा दी गयी है।

एक मनुष्य के देह त्याग के पश्चात उस शरीर को उन्हीं पंचभूतों में मिलाना आवश्यक होता है जिनसे उसके शरीर का निर्माण हुआ है। ये पंचभूत होते हैं आकाश, जल, वायु, अग्नि तथा मिट्टी। इन पंचतत्वो में व्यक्ति के शरीर को पुनः मिलाकर पर्यावरण की रक्षा भी की जाती है। इस संस्कार को करने के पश्चात एक व्यक्ति वापस अपने लोक को चला जाता है।

अंत्येष्टि संस्कार कैसे किया जाता है? (Antim Sanskar Vidhi In Hindu In Hindi)

इस संस्कार को करने का अधिकार उस व्यक्ति के सबसे बड़े पुत्र (Who Can Perform Last Rites In Hinduism) को होता है। पुत्र के ना होने की स्थिति में भाई या भाई के ना होने पर परिवार का कोई बड़ा सदस्य उस कर्तव्य का निर्वहन करता है। इसके लिए उस व्यक्ति को स्नान इत्यादि करवा कर नए वस्त्र धारण करवाए जाते है तथा पंडित के द्वारा वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।

इसके पश्चात उसके लिए अर्थी (Hindu Antyeshti Sanskar Vidhi) तैयार की जाती है तथा पूरे विधि-विधान से श्मशान घाट/नदी किनारे लेकर जाया जाता है। कुछ परिवारों में घर से अग्नि लेकर जाने की भी प्रथा होती है तथा उसी अग्नि के द्वारा उन्हें अंतिम चिता दी जाती है। अंत में बड़े पुत्र तथा पंडित के द्वारा मृत व्यक्ति को अग्नि दी जाती है।

इसके पश्चात मृत व्यक्ति के परिवारवालों को तेरह दिनों तक कुछ चीज़ों को करने की मनाही होती है। इस दौरान घर में पूजा-पाठ नही किया जाता तथा बाहर जाने की मनाही होती है। चिता के ठंडी होने के पश्चात मृत व्यक्ति की अस्थियों को एकत्रित किया जाता है तथा उसे बहती नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। उत्तर भारत में इसे ज्यादातर गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है।

अंत्येष्टि संस्कार का महत्व (Antim Sanskar Ka Mahatva)

चूँकि यह शरीर पंचभूतों से निर्मित होता हैं इसलिये पुनः उसी में मिलाने के उद्देश्य से यह संस्कार किया जाता है। इसमें चिता देने से वह भाग अग्नि में मिल जाता है तथा जल का भाग वाष्प बनकर जल में मिल जाता है। शरीर का खाली भाग आकाश में मिल जाता है। वायु वायु में मिल जाती है तथा राख को नदी में प्रवाहित करके उसे मिट्टी में मिला दिया जाता है।

यह क्रिया पर्यावरण की दृष्टि से उचित रहती है। इसके साथ ही यह संस्कार (Antyeshti Sanskar Ka Mahatva) करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है तथा उसे नए शरीर में स्थान मिलता है अन्यथा मान्यता है कि अंतिम संस्कार ना होने की दृष्टि में वह आत्मा भटकती रहती है।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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