क्या आप जानते हैं कि सूर्य ग्रहण क्यों होता है (Surya Grahan Kyu Hota Hai) और उसे नग्न आँखों से क्यों नही देखना चाहिए? जब भी सूर्य ग्रहण लगता हैं तो उस समय हमें घर से बाहर निकलने तथा उसे नग्न आखों से बिल्कुल भी ना देखने को कहा जाता हैं लेकिन ऐसा क्यों? क्या ऐसा केवल धार्मिक दृष्टि से ही कहा जाता हैं या उसके पीछे कुछ रहस्य छुपा हुआ है। दरअसल हिंदू धर्म ने आज की आधुनिक विज्ञान से हजारों लाखों वर्ष पूर्व ही अत्याधुनिक विज्ञान तथा उसके पीछे के रहस्यों की खोज कर ली थी।
इन्हीं में से एक खोज थी सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण के समय उनकी स्थिति को दर्शाना तथा उससे पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन करना। इसी में एक सबसे मुख्य बात जो कही गयी थी वह था सूर्य ग्रहण को नग्न आखों से बिल्कुल भी ना देखा जाये। इसका उत्तर आपको सूर्य ग्रहण क्यों लगता है (Surya Grahan Kyu Lagta Hai), यह जानकर मिलेगा। आइए जान लेते हैं।
Surya Grahan Kyu Hota Hai | सूर्य ग्रहण क्यों होता है?
सबसे पहले हम सूर्य ग्रहण के समय क्या स्थिति बनती है इसके बारे में जानेंगे क्योंकि उससे ही हम समझ सकते हैं कि आखिर क्यों सूर्य ग्रहण को नग्न आँखों से नही देखना चाहिए। दरअसल सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य में आ जाता हैं जिस कारण पृथ्वी के कुछ भूभाग पर सूर्य का प्रकाश नही पहुँच पाता या यू कहे कि पृथ्वी का वह भूभाग चंद्रमा की छाया क्षेत्र में आ जाता हैं। इस स्थिति में पृथ्वी के उस क्षेत्र पर कुछ समय के लिए चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है तथा अँधेरा छा जाता हैं।
अब हम समझते हैं कि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर कैसे पहुँचता हैं तथा इसका हम पर क्या प्रभाव पड़ता है। जब भी सूर्योदय या सूर्यास्त होता हैं तो हम देखते हैं कि सूर्य धीरे-धीरे अपना प्रकाश बढ़ाता है या कम करता हैं तथा फिर उदय या अस्त होता है। सूर्य कभी भी एक दम से उदय या अस्त नही होता अर्थात उसका प्रकाश पृथ्वी पर धीरे-धीरे फैलता व सिमटता हैं।
सूर्य के प्रकाश का हमारे शरीर तथा मुख्यतया आँखों पर विशेष प्रभाव पड़ता हैं जो हमारी आँखों को रोशनी देने का कार्य करता है। बिना सूर्य के प्रकाश के हम कुछ भी नही देख सकते। अब हम जानेंगे कि सूर्य ग्रहण के समय उसे नंग्न आँखों से क्यों नही देखना चाहिए।
Surya Grahan Kyu Lagta Hai | सूर्य ग्रहण क्यों लगता है?
जब सूर्य ग्रहण होता है उस समय सूर्य अपने तेज प्रकाश में होता हैं तथा चंद्रमा उसे धीरे-धीरे ढक लेता हैं जिससे उसका पूर्ण प्रकाश पृथ्वी के उस भूभाग के लिए अवरुद्ध हो जाता है। यह स्थिति कुछ देर के लिए होती है। इस स्थिति में भी पृथ्वी तथा चंद्रमा लगातार गतिमान होते है। जैसे ही सूर्य चंद्रमा के आवरण से थोड़ा सा भी हटता हैं तब उसके प्रकाश की तेज किरण सीधा हमारी आँखों पर पड़ती हैं जो हमारी आँखों के लिए अत्यधिक हानिकारक होती हैं। सूर्य की किरण का एक दम से हमारी आँखों पर पड़ना हमें अँधा भी कर सकता हैं या आँखों को अन्य दोष दे सकता हैं।
पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय यह स्थिति अत्यधिक खतरनाक मानी गयी हैं क्योंकि उस समय सूर्य पूर्ण रूप से चंद्रमा से ढका हुआ होता हैं तथा चंद्रमा का एक समय के बाद थोड़ा सा भी हटने से सूर्य की किरण एक दम से हमारे पास पहुँचती हैं। अन्य सूर्य ग्रहण जैसे कि आंशिक या वलयाकार सूर्य ग्रहण में सूर्य एक दम से तो नही ढकता हैं लेकिन उसका प्रकाश कम होता हैं तथा चंद्रमा जब अपनी स्थिति बदलता हैं उस समय सूर्य का प्रकाश एक दम से तेज होता हैं जो हमारी आँखों के लिए हानिकारक हैं।
सूर्य के प्रकाश के इसी महत्व को समझते हुए हमारे ऋषि मुनियों ने सूर्य ग्रहण के समय उसे नग्न आँखों से देखने की मनाही की हुई हैं। इसे किसी विशेष यंत्र या चश्मे से देखना ही उपयुक्त माना जाता हैं जिससे हमारी आँखें सुरक्षित रहे। इस तरह से आपने यह जान लिया है कि सूर्य ग्रहण क्यों होता है (Surya Grahan Kyu Hota Hai) और उसे नग्न आँखों से क्यों नहीं देखा जाना चाहिए।
सूर्यग्रहण से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सूर्य ग्रहण होने का क्या कारण है?
उत्तर: सूर्य ग्रहण होने का कारण चंद्रमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच में इस स्थिति में जाना है जिसके कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर या उसके कुछ क्षेत्रफल पर नहीं पहुँच पाता है।
प्रश्न: सूर्य ग्रहण से पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: सूर्य ग्रहण से पृथ्वी पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। वह इसलिए क्योंकि सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा के द्वारा रोक लिया जाता है और वायुमंडल में हानिकारण किरणें बढ़ जाती है।
प्रश्न: सूर्य ग्रहण के दौरान इनमें से कौन बीच में होता है?
उत्तर: सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में होता है। इस कारण सूर्य का कुछ हिस्सा या पूरा का पूरा सूर्य ढक जाता है।
प्रश्न: सूर्य ग्रहण में क्या खास है?
उत्तर: सूर्य ग्रहण में यही बात ख़ास है कि जो चंद्रमा दिन में सूर्य को छुपा लेता है, वही चंद्रमा रात में दिखाई नहीं देता अर्थात उस दिन अमावस्या की रात होती है।
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