आज हम आपको बताएँगे कि क्या द्रौपदी कृष्ण की बहन थी (Krishna Draupadi Raksha Bandhan)? रक्षाबंधन का पर्व हम सभी बड़े धूमधाम से मनाते हैं। शुरू में यह बंधन केवल भाई-बहन तक ही सीमित ना रहकर पति-पत्नी, ब्राह्मण-राजा, पुरोहित-यजमान इत्यादि तक भी था। हालाँकि श्रीकृष्ण व द्रौपदी के कारण रखाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक बन गया।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि द्रोपदी ने कृष्ण को राखी क्यों बांधी थी? दरअसल इसके पीछे एक रोचक घटनाक्रम है जिसके बारे में आज हम आपको इस लेख में बताने वाले हैं। आइए जाने द्रौपदी ने कृष्ण को राखी क्यों बांधी व उस समय का घटनाक्रम।
Krishna Draupadi Raksha Bandhan | क्या द्रौपदी कृष्ण की बहन थी?
पहले आप यह जान लें कि श्रीकृष्ण की कोई सगी बहन नहीं थी। हालाँकि उनकी एक सौतेली बहन थी जिसका नाम सुभद्रा था। कृष्ण के माता-पिता का नाम वासुदेव व देवकी था। उनके पिता वासुदेव की एक और पत्नी थी जिनका नाम रोहिणी था। रोहिणी की दो संतान थी जिनके नाम बलराम व सुभद्रा थे।
इस तरह से श्रीकृष्ण की बहन का नाम सुभद्रा था। द्रौपदी उनकी बहन नहीं थी लेकिन उन्होंने द्रौपदी को अपनी धर्म बहन या मानस बहन बना रखा था। इसके पीछे शिशुपाल की घटना जुड़ी हुई है जिसके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं।
द्रोपदी ने कृष्ण को कपड़ा कब बांधा था?
श्रीकृष्ण की सभा में शिशुपाल नाम का एक राजा था जो कि एक अधर्मी राजा था। श्रीकृष्ण ने अपने वचन के अनुसार शिशुपाल के सौ अपराध क्षमा किए थे अर्थात शिशुपाल सौ गलतियाँ करने के लिए स्वतंत्र था। एक दिन शिशुपाल अपने अपराध की सीमा लाँघ गया तथा 101वां अपराध कर दिया। उसने श्रीकृष्ण के विरुद्ध अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया था। उसके अपराध की सीमा पार होते ही श्रीकृष्ण ने भरी सभा में अपने सुदर्शन चक्र का आह्वान किया तथा उसका मस्तक काटकर अलग कर दिया।
ऐसा करते समय सुदर्शन चक्र से श्रीकृष्ण की ऊँगली में चोट लग गई तथा उसमें से रक्त बहने लगा। यह देखकर वहाँ खड़ी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की ऊँगली पर बांधा। उसी क्षण से श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन मान लिया तथा उसकी रक्षा करने का वचन दिया। उन्होंने द्रौपदी से कहा कि जिस समय भी वह स्वयं को संकट में पाए तब वह उनका आह्वान कर सकती है।
भगवान कृष्ण ने द्रोपदी की रक्षा कैसे की?
श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को दिए अपने वचन को निभाया भी। जब धृतराष्ट्र के दरबार में सरेआम द्रौपदी का दुश्शासन के द्वारा चीरहरण किया जा रहा था तथा उसकी साड़ी उतारने का प्रयास किया जा रहा था। तब द्रौपदी ने अपने भाई भगवान श्रीकृष्ण का आह्वान किया था। अपनी बहन का आह्वान सुनकर तथा उसे संकट में देखकर श्रीकृष्ण ने अपनी शक्ति से उसकी साड़ी को बड़ा कर दिया।
श्रीकृष्ण ने अपनी बहन की लाज बचाने के लिए द्रौपदी की साड़ी को इतना बड़ा कर दिया था कि दुश्शासन उसकी साड़ी खींचते-खींचते थक चुका था तथा राजदरबार में साड़ी का एक पहाड़ सा खड़ा हो चुका था लेकिन वह साड़ी समाप्त नहीं हुई। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने अपनी बहन की रक्षा का दायित्व निभाया।
इसके बाद द्रौपदी हर सावन पूर्णिमा को श्रीकृष्ण की कलाई पर राखी बाँधने लगी थी। कृष्ण द्रौपदी रक्षाबंधन (Krishna Draupadi Raksha Bandhan) के कारण ही यह त्यौहार जनमानस में प्रसिद्ध हो गया। फिर हर बहन सावन मास की पूर्णिमा को अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती और भाई उसके मान की रक्षा का वचन देते।
कृष्ण द्रौपदी रक्षाबंधन से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: द्रोपदी ने कृष्ण को राखी क्यों बांधी थी?
उत्तर: जब भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का अपने सुदर्शन चक्र से वध किया तब उनकी ऊँगली थोड़ी कट गई थी। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी ऊँगली पर बाँधा था। इसके बाद वह हर सावन पूर्णिमा पर श्रीकृष्ण को राखी बाँधने लगी थी।
प्रश्न: द्रोपदी ने कृष्ण के लिए राखी क्यों बांधी?
उत्तर: श्रीकृष्ण व द्रौपदी दोनों ही एक-दुसरे को अपना धर्म भाई-बहन मानते थे। इस कारण द्रौपदी हर श्रावण मास की पूर्णिमा को उनकी कलाई पर राखी बाँधा करती थी।
प्रश्न: क्या द्रौपदी ने कृष्ण को राखी बांधी थी?
उत्तर: हाँ, द्रौपदी ने कृष्ण को राखी बांधी थी। वह हर श्रावण मास की पूर्णिमा को राखी बाँधा करती थी और श्रीकृष्ण ने भी उसके मान की रक्षा करने का वचन दिया था।
प्रश्न: क्या लड़के कृष्ण को राखी बांध सकते हैं?
उत्तर: नहीं, लड़के कृष्ण को राखी नहीं बांध सकते हैं। हालाँकि आप उन्हें रक्षा सूत्र बाँध सकते हैं लेकिन राखी लड़कियां या महिलाएं ही बाँध सकती है।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: