आज हम आपको आरती कुंज बिहारी की इन हिंदी (Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics In Hindi) में अर्थ सहित देने जा रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित आरती कुंज बिहारी की गिरधर कृष्ण मुरारी की बहुत प्रसिद्ध है। इसका पाठ करने से हमारे ऊपर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा होती है। अब यदि श्रीकृष्ण की कृपा हो जाए तो हमारे सभी संकट एक पल में ही दूर हो जाते हैं।
इस लेख में हम आपके साथ आरती कुंजबिहारी की लिरिक्स हिंदी PDF (Aarti Kunj Bihari Ki PDF) फाइल भी साझा करेंगे। इसी के साथ ही आपको आरती कुंजबिहारी की इमेज भी यहाँ मिलेगी। इन दोनों को आप अपने मोबाइल या लैपटॉप में सेव करके रख सकते हैं। तो आइए सबसे पहले पढ़ लेते हैं आरती कुंज बिहारी की हिंदी में अर्थ सहित।
Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics In Hindi | आरती कुंज बिहारी की इन हिंदी
आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
हम सभी बृज की गलियों में विचरण करने वाले श्रीकृष्ण भगवान की आरती करते हैं। वही कृष्ण जिन्होंने पर्वत को अंगुली पर उठा लिया था, वही कृष्ण जो बांसुरी बजाया करते हैं।
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रीकृष्ण के गले में पुष्पों की माला शोभायमान है, साथ ही वे अपनी बांसुरी से मीठी धुन बजाते हैं।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला॥
उनके कानो में कुण्डल झंकार कर रहे हैं और वे नंद बाबा के सबसे प्यारे पुत्र हैं।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली।
उनका वर्ण सांवला है और माता राधा का गौर वर्ण चमक रहा है।
लतन में ठाढ़े बनमाली,
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि स्यामा प्यारी की॥
श्री कृष्ण ने वनों के अनेक पुष्पों से बनी मालाएं पहनी हुई है, वे भ्रमर के समान विचरण करते हैं, उनके माथे पर कस्तूरी का तिलक है तो उनकी झलक चंद्रमा के समान सुंदर व शीतल है, उनकी छवि सबसे प्यारी और सांवले रंग की है।
कनकमय मोर-मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं।
उनके मस्तिष्क पर मोर के पंखों का मुकुट है और उनके दर्शन करने को तो आकाश में सभी देवता भी तरसते हैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै,
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिनी संग,
अतुल रति गोपकुमारी की॥
आकाश से पुष्पों की वर्षा हो रही है, मुरचंग बजाया जा रहा है, मृदंग की मधुर ध्वनि भी आ रही है, कृष्ण ग्वालिनियों संग विचरण कर रहे हैं और उनके समान तुलनीय कोई नही है।
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मल हारिणि श्रीगंगा।
माँ गंगा जहाँ से प्रकट हुई, वहीं श्रीहरि का निवास स्थल भी है।
स्मरन ते होत मोह भंगा,
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की॥
श्री कृष्ण के स्मरण मात्र से ही मोह भंग हो जाता है। माँ गंगा भगवान शिव की जटाओं के बीच बसी हुई है और उनके जल के द्वारा श्री कृष्ण के चरण धुलते हैं।
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू।
माँ गंगा के किराने की रेत भी चमक रही है और वृंदावन में बांसुरी की धुन गूँज रही है।
चहुँ दिसि गोपि ग्वाल धेनू,
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की॥
चारों दिशाओं में गोपियाँ, ग्वाले और गाय माता है। श्री कृष्ण मीठी हंसी हंस रहे हैं, चांदनी रात है जो उनके साथ व्यतीत हो रही है और वे दीन, असहाय लोगों के दुःख सुन रहे हैं।
इस तरह से आज आपने आरती कुंज बिहारी की हिंदी में पढ़ ली है। अब हम आपके साथ आरती कुंजबिहारी की लिरिक्स हिंदी PDF (Aarti Kunj Bihari Ki PDF) फाइल और आरती कुंजबिहारी की इमेज भी साझा कर देते हैं।
आरती कुंजबिहारी की इमेज
यह रही कृष्ण आरती की इमेज:
यदि आप मोबाइल में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर क्लिक करके रखिए। उसके बाद आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा। वहीं यदि आप लैपटॉप या कंप्यूटर में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर राईट क्लिक करें। इससे आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा।
आरती कुंजबिहारी की लिरिक्स हिंदी PDF
अब हम कृष्ण आरती की PDF फाइल (Aarti Kunj Bihari Ki PDF) भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: आरती कुंजबिहारी की लिरिक्स हिंदी PDF
ऊपर आपको लाल रंग में कृष्ण आरती की हिंदी में PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
निष्कर्ष
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने आरती कुंज बिहारी की इन हिंदी (Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics In Hindi) पढ़ ली है। साथ ही हमने आपको इसकी फोटो और पीडीएफ फाइल भी उपलब्ध करवा दी है। यदि आपको फोटो या पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
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