गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है (Ganesh Chaturthi Kyu Manaya Jata Hai) व इसके पीछे क्या कहानी है? आप सभी सोचते होंगे कि सभी त्यौहार व पर्व एक दिन के लिए ही मनाए जाते हैं लेकिन गणेश चतुर्थी का पर्व दस दिनों तक मनाने के पीछे क्या कारण है? इसी के साथ अंतिम दिन गणेश जी को नदी में विसर्जित क्यों कर दिया जाता है?
ऐसे में आज हम यही जानेंगे कि गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक क्यों मनाई जाती है। आपकी इस शंका का समाधान करने के लिए हम आपको इसके पीछे की कथा (Ganesh Chaturthi Kyon Manaya Jata Hai) बताएँगे। साथ ही बताएँगे कि आखिर क्यों गणेश जी को 10 दिनों तक घर में स्थापित करने के पश्चात नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।
गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है?
वैसे तो गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। पहले यह पर्व केवल एक दिन के लिए ही मनाया जाता था लेकिन बाद में इसे 10 दिनों तक मनाया जाने लगा जिसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है।
गणेश चतुर्थी को 10 दिन मनाने के पीछे (Ganesh Chaturthi Kyu Manaya Jata Hai) महाभारत के समयकाल की कथा जुड़ी हुई है। हम सभी महाभारत काव्य के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी को मानते हैं लेकिन यदि हम आपको बताएँ कि महाभारत को लिखने वाले भगवान गणेश जी थे तो आपको कैसा लगेगा? जी हाँ, सही सुना आपने। महाभारत की रचना तो वेदव्यास जी ने ही की थी लेकिन उसको लिखा गणेश जी ने था। आइए उस घटनाक्रम के बारे में जानते हैं।
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गणेश जी का महाभारत लिखना
महर्षि वेदव्यास भगवान गणेश को पंक्तिबद्ध तरीके से महाभारत की कथा सुना रहे थे तथा गणेश जी उनके शब्दों को ज्यों का त्यों लिख रहे थे। यह कथा उन्होंने गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश जी को सुनानी शुरू की थी जो लगभग 10 दिनों तक चली थी। इन दस दिनों में उन्होंने गणेश जी को उनकी मनपसंद के आहार खाने को दिए थे जैसे कि मोदक/ लड्डू इत्यादि।
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गणेश जी को करवाया स्नान
जब अंतिम दिन महाभारत की कथा पूर्ण हो गई तो वेदव्यास जी ने देखा कि लगातार लिखते रहने के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ गया है तो उन्होंने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया। किंतु वह मिट्टी भी झरने लगी तथा उससे गणेश जी के शरीर पर अकड़न आने लगी। तब उन्होंने गणेश जी को पास के सरोवर में ले जाकर स्नान करवाया और उनके शरीर का तापमान कम किया। बस यही घटना ही गणेश चतुर्थी को इस तरह मनाने का कारण (Ganesh Chaturthi Kyon Manaya Jata Hai) बन गई थी।
गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक क्यों मनाई जाती है?
बस इसी कारण भक्तगण 10 दिनों तक भगवान गणेश की मूर्ति को अपने घर पर स्थापित करते हैं। इस दौरान सभी भक्तगण हर दिन गणेश जी को उनके मनपसंद आहार का भोग लगाते है। अंतिम दिन हम सभी सरोवर, नहर, नदी में ले जाकर गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन कर देते हैं। मान्यता है कि 10 दिनों तक भगवान गणेश अपने भक्तों के घर रहने के पश्चात पुनः अपने घर कैलाश पर्वत को लौट जाते हैं।
आज के समय में लोग तरह-तरह की धातुओं, पत्थर इत्यादि से बनी हुई गणेश मूर्ति खरीदने लगे हैं जो कि गलत है। हम सभी जानते हैं कि भगवान गणेश का निर्माण माता पार्वती के शरीर के मैल/ मिट्टी से हुआ था। इसलिए उनकी मूर्ति का निर्माण भी मिट्टी से किया जाता है ताकि वे पानी में घुलकर पुनः अपने धाम को लौट जाएं।
इस तरह से आज आपने जान लिया है कि गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है (Ganesh Chaturthi Kyu Manaya Jata Hai) और इसके पीछे का क्या रहस्य था। यदि आप भी गणेश चतुर्थी के दिन अपने घर पर गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करने जा रहे हैं तो इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि वह मिट्टी से बनी हुई हो।
गणेश चतुर्थी से जुड़े प्रश्नोत्तर
प्रश्न: हम गणेश चतुर्थी को 10 दिनों तक क्यों मनाते हैं?
उत्तर: हम गणेश चतुर्थी को 10 दिनों तक इसलिए मनाते हैं क्योंकि महर्षि वेदव्यास जी ने दसवें दिन गणेश जी को ले जाकर नदी में स्नान करवाया था। यह कथा महाभारत के समयकाल की है जिसे हमने इस लेख में बताया है।
प्रश्न: 10 दिन बाद गणपति विसर्जन क्यों?
उत्तर: 10 दिन बाद गणपति विसर्जन इसलिए किया जाता है क्योंकि ऐसा ही स्वयं महर्षि वेदव्यास जी ने किया था। इसके पीछे एक रोचक कथा जुड़ी हुई है जिसके बारे में इस लेख में बताया गया है।
प्रश्न: गणेश चतुर्थी हम 11 दिनों तक क्यों मनाते हैं?
उत्तर: गणेश चतुर्थी को 11 दिनों तक नहीं अपितु 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसे इस तरह से मनाने के पीछे महाभारत के समय की एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई है। इस लेख में हमने इस कथा को विस्तार से बताया है।
प्रश्न: गणेश चतुर्थी उत्सव क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: गणेश चतुर्थी उत्सव भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भगवान गणेश का निर्माण माता पार्वती के द्वारा किया गया था।
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