आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की – महत्व व लाभ सहित

Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki

आज हम कृष्ण जी की आरती कुंज बिहारी की (Aarti Kunj Bihari) का पाठ करेंगे। कृष्ण जी की सभी आरतियों में सबसे प्रसिद्ध आरती यहीं है। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते समय इसी आरती का ही मुख्य रूप से पाठ किया जाता है। आप में से बहुत भक्तों को तो यह कुंज बिहारी की आरती याद भी होगी लेकिन इसे सामने रखकर पढ़ा जाना उचित रहता है। वह इसलिए क्योंकि इससे ध्यान भटकने या भाषा की अशुद्धि होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

इस आरती की शुरूआती पंक्ति आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की (Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki) है। आज के इस लेख में आपको कुंज बिहारी की आरती तो पढ़ने को मिलेगी ही बल्कि साथ ही इसका महत्व और लाभ भी जानने को मिलेगा। तो आइए सबसे पहले करते हैं आरती कुंज बिहारी की गिरधर कृष्ण मुरारी की।

आरती कुंज बिहारी की | Aarti Kunj Bihari

आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला॥

गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली,
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि स्यामा प्यारी की॥

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की॥

कनकमय मोर-मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै,
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिनी संग,
अतुल रति गोपकुमारी की॥

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मल हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा,
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की॥

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू।
चहुँ दिसि गोपि ग्वाल धेनू,
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की॥

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की॥

इस तरह से आज आपने आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की (Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki) पढ़ ली है। अब हम कृष्ण आरती पढ़ने से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व को भी जान लेते हैं।

आरती कुंज बिहारी का महत्व

आरती कुंज बिहारी के माध्यम से हमें श्रीकृष्ण के गुणों, शक्तियों, महिमा, महत्व इत्यादि के बारे में जानकारी मिलती है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का एक ऐसा पूर्ण अवतार है जो सभी गुणों से संपन्न है। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में एक नहीं बल्कि कई उद्देश्यों को पूरा किया है। अपने कर्मों के द्वारा उन्होंने हमें कई तरह की शिक्षा भी दी है।

श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में ही कलियुग के अंत तक की शिक्षा दे दी थी। जैसे-जैसे कलियुग का समयकाल आगे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे ही श्रीकृष्ण भी अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण के बारे में और अधिक जानने और उनके गुणों को आत्मसात करने के उद्देश्य से ही श्री कृष्ण आरती का पाठ किया जाता है। यहीं कुंज बिहारी की आरती का महत्व है।

कुंज बिहारी की आरती के फायदे

यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ कुंज बिहारी की आरती का पाठ करते हैं तो इससे श्रीकृष्ण आपसे प्रसन्न होते हैं। श्रीकृष्ण के प्रसन्न होने का अर्थ हुआ, आपकी सभी तरह की दुविधाओं, संकटों, कष्टों, परेशानियों, विघ्नों, दुविधाओं, उलझनों, मतभेदों, समस्याओं, नकारात्मकता, द्वेष, ईर्ष्या, इत्यादि का अंत हो जाना।

श्रीकृष्ण की कृपा से हमारा जीवन सरल हो जाता है, घर में सुख-शांति का वास होता है, व्यापार, करियर व नौकरी में उन्नति होती है, शिक्षा में अव्वलता आती है, स्वास्थ्य उत्तम होता है, रिश्ते मधुर बनते हैं और समाज में प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है। इसलिए आपको शुद्ध तन, निर्मल मन और स्वच्छ स्थान पर आरती कुंज बिहारी की पढ़नी चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने आरती कुंज बिहारी की (Aarti Kunj Bihari) पढ़ ली है। आशा है कि आपको धर्मयात्रा संस्था के द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। हमारी और से आप सभी को जय श्रीकृष्ण।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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