आज हम काली चालीसा (Kali Chalisa) का पाठ करेंगे। जब भी काली माँ का नाम आता है तो हम सभी भयभीत हो जाते हैं लेकिन उनसे भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है। दरअसल माँ का यह रूप तो दुष्टों का नाश करने के उद्देश्य से प्रकट किया गया है। ऐसे में जो माँ काली दुष्टों, पापियों, अधर्मियों, शत्रुओं का नाश करने में दिनरात लगी हुई है, उनसे तो हमें भयभीत होने की बजाये उनका धन्यवाद करना चाहिए।
माँ काली के महत्व को श्री काली चालीसा के माध्यम से अच्छे से जाना जा सकता है। इसलिए आज हम आपके साथ काली चालीसा PDF (Kali Chalisa PDF) फाइल और उसकी इमेज भी साझा करेंगे। इसे आप अपने मोबाइल या लैपटॉप में सेव करके रख सकते हैं। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं शत्रु नाशक काली चालीसा।
Kali Chalisa | काली चालीसा
॥ दोहा ॥
जयकाली कलिमलहरण,
महिमा अगम अपार।
महिष मर्दिनी कालिका,
देहु अभय अपार॥
॥ चौपाई ॥
अरि मद मान मिटावन हारी,
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी।
अष्टभुजी सुखदायक माता,
दुष्टदलन जग में विख्याता।
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै,
कर में शीश शत्रु का साजै।
दूजे हाथ लिए मधु प्याला,
हाथ तीसरे सोहत भाला।
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे,
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे।
सप्तम करदमकत असि प्यारी,
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी।
अष्टम कर भक्तन वर दाता,
जग मनहरण रूप ये माता।
भक्तन में अनुरक्त भवानी,
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी।
महशक्ति अति प्रबल पुनीता,
तू ही काली तू ही सीता।
पतित तारिणी हे जग पालक,
कल्याणी पापी कुल घालक।
शेष सुरेश न पावत पारा,
गौरी रूप धर्यो इक बारा।
तुम समान दाता नहिं दूजा,
विधिवत करें भक्तजन पूजा।
रूप भयंकर जब तुम धारा,
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा।
नाम अनेकन मात तुम्हारे,
भक्तजनों के संकट टारे।
कलि के कष्ट कलेशन हरनी,
भव भय मोचन मंगल करनी।
महिमा अगम वेद यश गावैं,
नारद शारद पार न पावैं।
भू पर भार बढ्यौ जब भारी,
तब तब तुम प्रकटीं महतारी।
आदि अनादि अभय वरदाता,
विश्वविदित भव संकट त्राता।
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा,
उसको सदा अभय वर दीन्हा।
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा,
काल रूप लखि तुमरो भेषा।
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे,
अरि हित रूप भयानक धारे।
सेवक लांगुर रहत अगारी,
चौसठ जोगन आज्ञाकारी।
त्रेता में रघुवर हित आई,
दशकंधर की सैन नसाई।
खेला रण का खेल निराला,
भरा मांस-मज्जा से प्याला।
रौद्र रूप लखि दानव भागे,
कियौ गवन भवन निज त्यागे।
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो,
स्वजन विजन को भेद भुलायो।
ये बालक लखि शंकर आए,
राह रोक चरनन में धाए।
तब मुख जीभ निकर जो आई,
यही रूप प्रचलित है माई।
बाढ्यो महिषासुर मद भारी,
पीड़ित किए सकल नर-नारी।
करूण पुकार सुनी भक्तन की,
पीर मिटावन हित जन-जन की।
तब प्रगटी निज सैन समेता,
नाम पड़ा मां महिष विजेता।
शुम्भ-निशुम्भ हने छन माहीं,
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं।
मान मथनहारी खल दल के,
सदा सहायक भक्त विकल के।
दीन विहीन करैं नित सेवा,
पावैं मनवांछित फल मेवा।
संकट में जो सुमिरन करहीं,
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं।
प्रेम सहित जो कीरति गावैं,
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं।
काली चालीसा जो पढ़हीं,
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं।
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा,
केहि कारण मां कियौ विलम्बा।
करहु मातु भक्तन रखवाली,
जयति जयति काली कंकाली।
सेवक दीन अनाथ अनारी,
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी।
॥ दोहा ॥
प्रेम सहित जो करे,
काली चालीसा पाठ।
तिनकी पूरन कामना,
होय सकल जग ठाठ॥
काली चालीसा इमेज
यह रही काली चालीसा की इमेज:
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काली चालीसा PDF | Kali Chalisa PDF
अब हम Kali Chalisa PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: काली चालीसा PDF
ऊपर आपको लाल रंग में काली चालीसा PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने काली चालीसा (Kali Chalisa) पढ़ ली हैं। यदि आपको काली चालीसा PDF फाइल या इमेज डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
काली चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: काली का मंत्र कौन सा है?
उत्तर: काली का मंत्र “ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिका, क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा” है।
प्रश्न: मां काली को बुलाने का मंत्र क्या है?
उत्तर: मां काली को बुलाने का मंत्र “ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते” है।
प्रश्न: मां काली का बीज मंत्र क्या है?
उत्तर: मां काली का बीज मंत्र “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” है।
प्रश्न: मां काली का दिन कौन सा होता है?
उत्तर: मां काली का दिन शुक्रवार को माना जाता है।
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