आज के इस लेख में आपको संतोषी माता की आरती (Santoshi Mata Ki Aarti) पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म में संतोषी मां का प्रमुख स्थान है। बहुत लोगों को इस बात का ज्ञान नहीं होता है लेकिन आज हम उन्हें बता दें कि संतोषी मां भगवान गणेश की पुत्री हैं। जी हां, संतोषी मां के माता-पिता का नाम रिद्धि-सिद्धि व गणेश जी है।
संतोषी मां को संतोष प्रदान करने वाली देवी माना जाता है और सोलह शुक्रवार के व्रत भी उन्हीं के नाम पर ही किए जाते हैं। आज हम आपको संतोषी माता आरती (Santoshi Mata Aarti) का हिंदी अर्थ भी देंगे ताकि आप उसका भावार्थ जान सकें। अंत में आपको संतोषी माता की आरती के फायदे और महत्व भी जानने को मिलेंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं संतोषी माता की आरती हिंदी में।
Santoshi Mata Ki Aarti | संतोषी माता की आरती
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख संपत्ति दाता॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे।
धूप दीप नैवेद्य मधुमेवा भोज धरे न्यारे॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली आई, कथा सुनत मोही॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
मन्दिर जग मग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
भक्ति-भाव मय पूजा, अंगीकृत कीजे।
जो मन बसे हमारे, इच्छाफल दीजे॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
दुःखी दरिद्री रोगी, संकट मुक्त किये।
बहुधन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
ध्यान धरे जो तेरा, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
शरण गहे की लज्जा, रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी मां अम्बे॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
सन्तोषी मां की आरती, जो कोई जन गावे।
ऋद्धि-सिद्धि सुख संपत्ति, जी भरके पावे॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख संपत्ति दाता॥
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
Santoshi Mata Aarti | संतोषी माता आरती – अर्थ सहित
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख संपत्ति दाता॥
संतोषी माता की जय हो। हम सभी की मातारानी संतोषी माँ की जय हो। संतोषी मां अपने भक्तजनों को सुख व संपत्ति प्रदान करती हैं।
सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो॥
संतोषी माँ ने बहुत ही सुन्दर रूप लिया हुआ है और उन्होंने अपने शरीर पर हीरा, पन्ने इत्यादि धातुओं के आभूषण धारण किये हुए हैं।
गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥
संतोषी माता की छवि गेरू लाल रंग की है और उनका शरीर कमल के फूल के जैसा कोमल है। इस रूप में जब वे मंद मुस्कान लिए हंसती हैं तो उससे सभी का मन मोहित हो जाता है।
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे।
धूप दीप नैवेद्य मधुमेवा भोज धरे न्यारे॥
संतोषी माता अपने सोने से बने सिंहासन पर विराजमान हैं और उनके भक्त उन्हें चंवर कर रहे हैं। हम सभी उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य, मधु मेवा इत्यादि भोजन का भोग लगाते हैं।
गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥
माँ संतोषी को गुड़ व चने का भोग बहुत ही अच्छा लगता है और इसी से ही उन्हें संतोष मिलता है। अपने भक्तों को संतोष देने के कारण ही उनका नाम संतोषी माता पड़ा। उन्होंने अपने भक्तों के वैभव को बढ़ाने का काम किया है।
शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली आई, कथा सुनत मोही॥
संतोषी माता का जन्म शुक्रवार के दिन हुआ था, इसलिए इस दिन का उनके लिए बहुत महत्व है। शुक्रवार के दिन आपके भक्तों की मण्डली आपकी कथा को सुनने आयी है।
मन्दिर जग मग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई॥
संतोषी माता के मंदिर में उनके नाम की ज्योति जल रही है और चारों ओर मंगल ध्वनि गुंजायेमान है। हम सभी आपके बालक, आपके सामने अपना शीश झुकाकर आपको प्रणाम करते हैं और आपसे प्रार्थना करते हैं।
भक्ति-भाव मय पूजा, अंगीकृत कीजे।
जो मन बसे हमारे, इच्छाफल दीजे॥
हे संतोषी मां!! आप हमें अपनी भक्ति दीजिये और हमारा उद्धार कीजिये। जो भी हमारी इच्छा व मनोकामना है, उसे पूरा कर दीजिये।
दुःखी दरिद्री रोगी, संकट मुक्त किये।
बहुधन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये॥
आपने ही इस विश्व के सभी दुखी, गरीब, रोगी लोगों के संकटों व विपदा को दूर करने का काम किया है। आपने ही हम सभी के घर में सुख, शांति, धन, भाग्य इत्यादि देने का काम किया है।
ध्यान धरे जो तेरा, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो॥
जो भी संतोषी माता का ध्यान करता है और संतोषी आरती का पाठ करता है, उसे उसकी इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है। जिस भी घर में संतोषी माता के नाम की पूजा होती है, उसके घर में आनंद छा जाता है।
शरण गहे की लज्जा, रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी मां अम्बे॥
हे संतोषी माता!! आपकी शरण में जो भी आया है, आप उसके मान-सम्मान की रक्षा कीजिये। आप ही हम सभी के संकटों को दूर करने वाली माँ अम्बे व जगदम्बे हैं।
सन्तोषी मां की आरती, जो कोई जन गावे।
ऋद्धि-सिद्धि सुख संपत्ति, जी भरके पावे॥
जो कोई भी संतोषी माता की आरती गाता है, उसे रिद्धि, सिद्धि, सुख, संपत्ति इत्यादि की कभी कमी नहीं रहती है।
संतोषी माता की आरती का महत्व
अभी तक आपने संतोषी माता की आरती पढ़ ली है और साथ ही उसका अर्थ भी जान लिया है। इसे पढ़कर अवश्य ही आपको संतोषी माता के गुणों व महत्व के बारे में ज्ञान हो गया होगा। संतोषी माता को संतोष की देवी माना जाता है और मनुष्य को जितनी जल्दी संतोष मिल जाता है, उसके लिए उतना ही उचित रहता है।
यही संतोषी माता की आरती के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है कि मनुष्य के लिए संतोष का कितना अधिक महत्व होता है। फिर चाहे मनुष्य के पास कितना ही धन हो, रिश्ते हो तथा उसे किसी भी चीज़ की कमी ना हो लेकिन यदि उसके जीवन में संतोष नहीं है तो वह उन सभी के होते हुए भी उनका आनंद नहीं ले पायेगा। यही संतोषी माता आरती का मुख्य महत्व होता है।
संतोषी माता आरती के फायदे
अब यदि आप प्रतिदिन संतोषी माता आरती का पाठ करते हैं और संतोषी माता का ध्यान करते हैं तो अवश्य ही उसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से संतोषी माता की आरती को पढ़ता है, उस पर अवश्य ही संतोषी माता की कृपा दृष्टि होती है। ऐसे में उसके मन में किसी बात को लेकर असंतोष पनप रहा है या किसी बात की चिंता खाए जा रही है तो वह समाप्त हो जाती है।
प्रतिदिन संतोषी माता की आरती के पाठ से व्यक्ति को परम सुख की प्राप्ति होती है और वह सांसारिक मोहमाया को समझने लगता है। इससे उसके हृदय में शांति का अनुभव होता है और जो वह चाहता है, उसकी प्राप्ति हो जाती है। अब व्यक्ति का हृदय शांत हो जाए और उसे संतोष मिल जाए तो उससे बढ़कर सुखी मनुष्य इस विश्व में कोई दूसरा नहीं होगा। ऐसे में आपको प्रतिदिन संतोषी माता आरती का पाठ करना चाहिए।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने संतोषी माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Santoshi Mata Ki Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने संतोषी माता आरती के फायदे और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
संतोषी माता आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: संतोषी मां किसका अवतार है?
उत्तर: संतोषी मां दुर्गा का ही एक अवतार हैं। एक तरह से मातारानी के सभी रूप माँ दुर्गा या माँ आदिशक्ति का ही रूप माने जाते हैं जो उनके भिन्न-भिन्न गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रश्न: संतोषी माता गणेश की बेटी है?
उत्तर: संतोषी माता को भगवान गणेश व रिद्धि-सिद्धि की पुत्री माना जाता है जिनके भाइयों का नाम शुभ व लाभ है।
प्रश्न: गणेश जी की बहन का नाम क्या है?
उत्तर: गणेश जी की बहन का नाम अशोक सुंदरी है जो भगवान शिव व माता पार्वती की पुत्री हैं।
प्रश्न: संतोषी माता की पूजा क्यों करते हैं?
उत्तर: संतोषी माता की पूजा करने से व्यक्ति को परम संतोष व सुख की प्राप्ति होती है और यही संतोषी माता की पूजा करने का मूल कारण है।
प्रश्न: संतोषी माता के कितने व्रत करना चाहिए?
उत्तर: मुख्य तौर पर संतोषी माता के नाम से सोलह शुक्रवार के व्रत किये जाते हैं और अधिकतर लोगों के द्वारा इसी का ही पालन किया जाता है।
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