आज के इस लेख में हम पार्वती चालीसा (Parvati Chalisa) का पाठ करने जा रहे हैं। भगवान शिव की प्रथम पत्नी का नाम माता सती था जिन्होंने अपने पिता दक्ष द्वारा शिव का अपमान किये जाने पर यज्ञ के अग्नि कुंड में कूदकर आत्म-दाह कर लिया था। इसके बाद हिमालय पर्वत की पुत्री के रूप में उनका पुनर्जन्म हुआ जिनका नाम माता पार्वती था। फिर भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ जो संपूर्ण सृष्टि की जननी कही जाती हैं।
ऐसे में आज के इस लेख में आपको पार्वती चालीसा PDF (Parvati Chalisa PDF) फाइल और इमेज भी मिलेगी। इसे आप आगे पढ़ने के लिए अपने मोबाइल में सेव करके रख सकते हैं। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं मां पार्वती चालीसा।
Parvati Chalisa | पार्वती चालीसा
॥ दोहा ॥
जय गिरी तनये दक्षजे,
शम्भु प्रिये गुणखानि।
गणपति जननी पार्वती
अम्बे! शक्ति! भवानि॥
॥ चौपाई ॥
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे,
पंच बदन नित तुमको ध्यावे।
षटमुख कहि न सकतयश तेरो,
सहबदन श्रम करत घनेरो।
तेऊ पार न पावत माता,
स्थित रक्षा लय हित सजाता।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे,
अति कमनीय नयन कजरारे।
ललित ललाट विलेपित केशर,
कुंकुम अक्षत शोभा मनहर।
कनक बसन कंचुकी सजाए,
कटि मेखला दिव्य लहराए।
कंठ मदार हार की शोभा,
जाहि देखि सहजहि मन लोभा।
बालारुण अनन्त छबि धारी,
आभूषण की शोभा प्यारी।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन,
तापर राजति हरि चतुरानन।
इन्द्रादिक परिवार पूजित,
जग मृग नाग यष रव कूजित।
गिरकैलास निवासिनी जै जै,
कोटिकप्रभा विकासिनी जै जै।
त्रिभुवन सकल कुटुम्ब तिहारी,
अणु-अणु महं तुम्हारी उजियारी।
हैं महेश प्राणेश! तुम्हारे,
त्रिभुवन के जो नित रखवारे।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब,
सुकृत पुरातन उदित भए तब।
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी,
महिमा का गाव कोउ तिनकी।
सदा श्मशान बिहारी शंकर,
आभूषण हैं भुजंग भयंकर।
कण्ठ हलाहल को छबि छायी,
नीलकण्ठ की पदवी पायी।
देव मगन के हित असकीन्हों,
विष लै आपु तिनहि अमिदीन्हों।
ताकी तुम पत्नी छविधारिणी,
दुरित विदारिणी मंगलकारिणी।
देखि परम सौन्दर्य तिहारो,
त्रिभुवन चकित बनावन हारो।
भय भीता सो माता गंगा,
लज्जा मय है सलिल तरंगा।
सौत समान शम्भु पहंआयी,
विष्णुपदाब्जछोड़ि सो धायी।
तेहिकों कमल बदन मुरझायो,
लखि सत्वर शिव शीश चढ़ायो।
नित्यानन्द करी बरदायिनी,
अभय भक्त करनित अनपायिनी।
अखिलपाप त्रयताप निकन्दिनी,
माहेश्वरी हिमालयनन्दिनी।
काशी पुरी सदा मन भायी,
सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री,
कृपा प्रमोद सनेह विधात्री।
रिपुक्षय करिणी जै जै अम्बे,
वाचा सिद्ध करि अवलम्बे।
गौरी उमा शंकरी काली,
अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली।
सब जन की ईश्वरी भगवती,
पतिप्राणा परमेश्वरी सती।
तुमने कठिन तपस्या कीनी,
नारद सों जब शिक्षा लीनी।
अन्न न नीर न वायु अहारा,
अस्थि मात्रतन भयऊ तुम्हारा।
पत्र घास को खाद्य न भायउ,
उमा नाम तब तुमने पायउ।
तप बिलोकि रिषि सात पधारे,
लगे डिगावन डिगी न हारे।
तब तव जय जय जय उच्चारेउ,
सप्तरिषि निज गेह सिधारेउ।
सुन विधि विष्णु पास तब आए,
वर देने के वचन सुनाए।
मांगे उमावरपति तुम तिनसों,
चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों।
एवमस्तु कही ते दोऊ गए,
सुफल मनोरथ तुमने लए।
करि विवाह शिव सों हे भामा,
पुनः कहाई हर की बामा।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा,
धन जनसुख देइहै तेहि ईसा।
॥ दोहा ॥
कूट चंद्रिका सुभग शिर,
जयति जयति सुख खानि।
पार्वती निज भक्त हित
रहहु सदा वरदानि॥
पार्वती चालीसा इमेज
यह रही पार्वती चालीसा की इमेज:
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पार्वती चालीसा PDF | Parvati Chalisa PDF
अब हम पार्वती चालीसा PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: Parvati Chalisa PDF
ऊपर आपको लाल रंग में Parvati Chalisa PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने पार्वती चालीसा (Parvati Chalisa) पढ़ ली हैं। यदि आपको पार्वती चालीसा PDF फाइल या इमेज डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
पार्वती चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: माता पार्वती को कैसे प्रसन्न करें?
उत्तर: यदि आप माता पार्वती को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको प्रतिदिन माता पार्वती की चालीसा का पाठ और उनकी आरती करनी चाहिए।
प्रश्न: पार्वती किसका अवतार है?
उत्तर: माता पार्वती माता सती का ही अवतार हैं या यूँ कहें कि उनका पुनर्जन्म है जो माता सती के आत्म-दाह के पश्चात हिमालय पर्वत की पुत्री के रूप में जन्मी थी।
प्रश्न: पार्वती का असली नाम क्या है?
उत्तर: पार्वती माँ का असली नाम पार्वती ही है क्योंकि वे हिमालय पर्वत की पुत्री थी और पर्वत पुत्री होने के नाते उनका नाम पार्वती रखा गया था।
प्रश्न: माता पार्वती के कितने अवतार है?
उत्तर: माता पार्वती माँ आदिशक्ति ही हैं और समस्त अन्य मातारानी के रूप माता पार्वती का ही रूप माने जाते हैं।
प्रश्न: देवी पार्वती का मंत्र क्या है?
उत्तर: देवी पार्वती का मंत्र “ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै नमः” है।
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