ज्वाला मैया की आरती – हिंदी में अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Jwala Mata Ki Aarti

आज हम आपके साथ ज्वाला माता की आरती (Jwala Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। माता सती ने अपने पिता दक्ष के द्वारा अपने पति शिव का अपमान किये जाने पर यज्ञ कुंड की अग्नि में कूदकर आत्म-दाह कर लिया था। इसके बाद जब भगवान शिव प्रलाप करते हुए माता सती के जले हुए शरीर को लेकर दसों दिशाओं में घूम रहे थे तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसके 51 टुकड़े कर दिए थे।

इसमें से माता सती की जीभ ज्वाला की पहाड़ी पर गिरी थी जहाँ पर माँ का एक शक्तिपीठ स्थापित हुआ। ज्वाला मैया की आरती (Jwala Maiya Ki Aarti) के माध्यम से ज्वाला देवी के गुणों, महत्व व शक्तियों का वर्णन किया गया है।

साथ ही क्या आप जानते हैं कि ज्वाला आरती एक नहीं बल्कि दो-दो हैं। ऐसे में आज के इस लेख में आपको दोनों तरह की ज्वाला आरती हिंदी में भी पढ़ने को मिलेगी। इससे आप ज्वाला माता आरती का भावार्थ समझ पाएंगे। अंत में आपको ज्वाला आरती के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे।

Jwala Mata Ki Aarti | ज्वाला माता की आरती

ॐ जय ज्वाला माई, मैय्या जय ज्वाला माई।
कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुख दाई॥
ॐ जय ज्वाला माई…

अटल अखंड तेरी ज्योति, युग युग से ही जगे।
ऋषि मुनि सुर नर सबको, बड़ी प्यारी माँ लागे॥
ॐ जय ज्वाला माई…

पार्वती रूप शिव शक्ति, तू ही माँ अम्बे।
पूजे तुम्हे त्रिभुवन के, देवता जगदम्बे॥
ॐ जय ज्वाला माई…

लाखों सूरज फीके, ज्योति तेरी आगे।
तेरे चिंतन से माँ, भव का भय भागे॥
ॐ जय ज्वाला माई…

चरण शरण में चल के, जो तेरे द्वारे आये।
खाली कभी न जाए, वांछित फल पाए॥
ॐ जय ज्वाला माई…

दुर्गति नाशक चंडिका, तू दानव दलनी।
दिन हिन की रक्षक तू ही सुख करनी॥
ॐ जय ज्वाला माई…

आठों सिद्धियाँ तेरे, द्वार भरे पानी।
दान माँ तुझसे लेते, बड़े बड़े महादानी॥
ॐ जय ज्वाला माई…

चरण कमल तेरी धोकर, ध्यानु ने रस था पिया।
तेरी धुन में खोकर, शीश तेरे भेंट किया॥
ॐ जय ज्वाला माई…

भक्तों के काज असंभव, संभव तू करती।
सुख रत्नों से सबकी, झोलियाँ तू भरती॥
ॐ जय ज्वाला माई…

धुप दीप पुष्पों से, होए तेरा अभिषेक।
तेरे दर रंक को राजा, बनते हुए देखा॥
ॐ जय ज्वाला माई…

अष्ट भुजी सिंह वाहिनी, तू माँ रुद्राणी।
धन वैभव यश देना, हमको महारानी॥
ॐ जय ज्वाला माई…

ज्योति बुझाने आये, राजे अभिमानी।
हार गए वो तुमसे, मूढ़ मति अज्ञानी॥
ॐ जय ज्वाला माई…

माई ज्वाला तेरी आरती, श्रद्धा से जो गाये।
वो निर्दोष उपासक, भव से तर जाए॥
ॐ जय ज्वाला माई…

ॐ जय ज्वाला माई, मैय्या जय ज्वाला माई।
कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुखदायी॥
ॐ जय ज्वाला माई…

ज्वाला माता की आरती हिंदी में

ॐ जय ज्वाला माई, मैय्या जय ज्वाला माई।
कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुख दाई॥

हे ज्वाला माता!! आपकी जय हो। आप ही हम सभी की माता हो और आपकी जय हो। आपकी प्रार्थना करने से हमारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं और हमें सुख की प्राप्ति होती है।

अटल अखंड तेरी ज्योति, युग युग से ही जगे।
ऋषि मुनि सुर नर सबको, बड़ी प्यारी माँ लागे॥

आपकी ज्योति अखंड है जो युगों-युग से जल रही है। ऋषि, मुनि, देवता, मनुष्य इत्यादि सभी को आप बहुत ही प्यारी लगती हैं।

पार्वती रूप शिव शक्ति, तू ही माँ अम्बे।
पूजे तुम्हे त्रिभुवन के, देवता जगदम्बे॥

आप ही पार्वती माता का रूप हैं और आप ही माँ अम्बा हैं। आपको तीनों लोकों में जगदंबा के रूप में पूजा जाता है।

लाखों सूरज फीके, ज्योति तेरी आगे।
तेरे चिंतन से माँ, भव का भय भागे॥

आपकी ज्योति के सामने तो लाखों सूरज का तेज भी कुछ नहीं है। आपका ध्यान करने से हमारे सभी तरह के भय समाप्त हो जाते हैं।

चरण शरण में चल के, जो तेरे द्वारे आये।
खाली कभी न जाए, वांछित फल पाए॥

जो भी पैदल चलकर आपके द्वार पर पहुँचता है और आपके दर्शन करता है, वह कभी भी वहां से खाली हाथ नहीं जाता है और उसे इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है।

दुर्गति नाशक चंडिका, तू दानव दलनी।
दिन हिन की रक्षक तू ही सुख करनी॥

आप ही चंडिका के रूप में दैत्यों, राक्षसों, असुरों इत्यादि का वध करती हैं। आप ही हम सभी भक्तों की रक्षा करने वाली और हमें सुख प्रदान करने वाली हो।

आठों सिद्धियाँ तेरे, द्वार भरे पानी।
दान माँ तुझसे लेते, बड़े बड़े महादानी॥

आपके द्वार पर तो आठों तरह की सिद्धियाँ रहती हैं। आपसे तो बड़े-बड़े महादानवीर भी दान लेते हैं अर्थात याचना करते हैं।

चरण कमल तेरी धोकर, ध्यानु ने रस था पिया।
तेरी धुन में खोकर, शीश तेरे भेंट किया॥

आपके कमल रूपी चरणों को धोकर ध्यानु ने उस रस को पिया था तथा आपकी भक्ति में रमकर उसने अपना शीश काटकर आपको चढ़ा दिया था।

भक्तों के काज असंभव, संभव तू करती।
सुख रत्नों से सबकी, झोलियाँ तू भरती॥

आप अपने भक्तों के ना पूरे हो सकने वाले काम भी पूरा कर देती हैं। आप हम सभी के जीवन में सुख भरती हैं।

धुप दीप पुष्पों से, होए तेरा अभिषेक।
तेरे दर रंक को राजा, बनते हुए देखा॥

हम सभी आपका धूप, दीपक व पुष्पों से अभिषेक करते हैं। हमने आपके द्वार पर निर्धन को भी धनी होते हुए देखा है।

अष्ट भुजी सिंह वाहिनी, तू माँ रुद्राणी।
धन वैभव यश देना, हमको महारानी॥

आप आठ भुजाओं सहित सिंह पर सवार हैं और यह आपका रूद्र रूप है। आप हमें धन, वैभव व यश प्रदान कीजिये।

ज्योति बुझाने आये, राजे अभिमानी।
हार गए वो तुमसे, मूढ़ मति अज्ञानी॥

आपकी ज्योति को बुझाने तो दुष्ट मुगल आक्रांता अकबर भी आया था लेकिन वह आपकी शक्ति के आगे हार गया।

माई ज्वाला तेरी आरती, श्रद्धा से जो गाये।
वो निर्दोष उपासक, भव से तर जाए॥

जो कोई भी ज्वाला माता की आरती को श्रद्धापूर्वक गाता है, मातारानी उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भवसागर पार करवा देती हैं।

Jwala Maiya Ki Aarti | ज्वाला मैया की आरती – द्वितीय

जय ज्वाला रानी मईया जय ज्वाला रानी,
त्रिभुवन पूज्य भवानी भक्तन वरदानी।

भारत उत्तराखंड महाद्भुत पीठ जालंधर है,
कालीधार निवासिनी ज्वाला मंदिर है।

देवी सती का तेज प्रकट इस जागृत दिन राती,
ज्योति प्रकाश अटल नित दीपक बिन बाती।

ध्यान श्वासन शोभित अमित प्रभावशाली,
पाशाभोज तरामय जूट जटा वाली।

चंदार्काग्नी त्रिलोचन किरीट मुकुटधारी,
मणिमयहार कुंचोद्धत पीत वसन सारी।

पीठमालिका ख्यात अम्बिका संग भैरव सोहैं,
दक्षभाग नित पूजित उन्मत्त भैरव जोहैं।

कंचन थाल जगावत अगर कपूर बाती,
नव भरामित कर आरती दुनिया यश गाती।

चौरासी लख घंटा बाजत दुन्दुभी शहनाई,
चंग मृदंग तम्बूरा झांझर करनाई।

विजय घंट घड़ियाल बल्लकी नागफणी बाजे,
शंख निनाद महाध्वनी रणसिंहा गाजे।

श्रद्धा भक्ति सहित जन तव आरती गावे,
आत्म समर्पित करके वृष्टि सुमन लावे।

मातु कृपा नित मंगल पावत सुख संपत्ति भारी,
प्यारे लाल तुम्हारे चरणन बलिहारी।

ज्वाला मैया की आरती अर्थ सहित

जय ज्वाला रानी मईया जय ज्वाला रानी,
त्रिभुवन पूज्य भवानी भक्तन वरदानी।

हे ज्वाला माता!! आपकी जय हो, जय हो। आप तीनों लोकों में पूजनीय हैं और आप ही हम सभी को वरदान देती हो।

भारत उत्तराखंड महाद्भुत पीठ जालंधर है,
कालीधार निवासिनी ज्वाला मंदिर है।

आप भारत देश के उत्तर की भूमि में पहाड़ों पर स्थित हैं। कालीधार पर आपका ज्वाला मंदिर प्रसिद्ध है।

देवी सती का तेज प्रकट इस जागृत दिन राती,
ज्योति प्रकाश अटल नित दीपक बिन बाती।

आप देवी सती के तेज से प्रकट हुई हैं और आपकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है तथा कभी बुझती नहीं है।

ध्यान श्वासन शोभित अमित प्रभावशाली,
पाशाभोज तरामय जूट जटा वाली।

आपका ध्यान तो हम सभी करते हैं। आपका प्रभाव सभी जगह फैला हुआ है। आप ही पाशाभोज जटाओं वाली माता हो।

चंदार्काग्नी त्रिलोचन किरीट मुकुटधारी,
मणिमयहार कुंचोद्धत पीत वसन सारी।

आपने चन्द्रमा को अपने मुकुट पर धारण किया हुआ है। आपने मणियों से जड़ित वस्त्र व आभूषण पहने हुए हैं।

पीठमालिका ख्यात अम्बिका संग भैरव सोहैं,
दक्षभाग नित पूजित उन्मत्त भैरव जोहैं।

आप अम्बिका के रूप में प्रसिद्ध हैं और आपके साथ भैरव बाबा भी हैं। आपके दक्षभाग को नित्य रूप से भैरव बाबा के द्वारा पूजा जाता है।

कंचन थाल जगावत अगर कपूर बाती,
नव भरामित कर आरती दुनिया यश गाती।

हम सभी कंचल थाल को कपूर, बाती के साथ सजाकर आपकी आरती करते हैं और आपके यश का गुणगान करते हैं।

चौरासी लख घंटा बाजत दुन्दुभी शहनाई,
चंग मृदंग तम्बूरा झांझर करनाई।

आपकी आरती में तो चौरासी लाख घंटे, दुंदुभी व शहनाई बजती है। इसी के साथ ही चंग, मृदंग, तम्बूरा व झांझर भी आपकी आरती में बजाये जाते हैं।

विजय घंट घड़ियाल बल्लकी नागफणी बाजे,
शंख निनाद महाध्वनी रणसिंहा गाजे।

ज्वाला मैया की आरती में विजय घंटा के रूप में घड़ियाल भी बजाया जाता है। इसी के साथ ही इसमें शंख की महाध्वनी भी गुंजायेमान होती है।

श्रद्धा भक्ति सहित जन तव आरती गावे,
आत्म समर्पित करके वृष्टि सुमन लावे।

मातु कृपा नित मंगल पावत सुख संपत्ति भारी,
प्यारे लाल तुम्हारे चरणन बलिहारी।

जो कोई भी भक्तगण श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ ज्वाला माता की आरती करता है और उनके ऊपर पुष्प वर्षा कर अपने आप को उनके सामने समर्पित कर देता है, मातारानी उससे प्रसन्न होकर उसका मंगल करती हैं, उसे सभी तरह का सुख व संपत्ति प्रदान करती हैं। यह प्यारेलाल आपके चरणों में अपना शीश झुकाता है।

ऊपर आपने ज्वाला मैया की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Jwala Maiya Ki Aarti) पढ़ ली है। इससे आपको ज्वाला माता आरती का भावार्थ समझ में आ गया होगा। अब हम ज्वाला आरती के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।

ज्वाला माता की आरती का महत्व

मातारानी के कुल 51 शक्तिपीठ हैं जिनमें से एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वाला देवी का है। यहाँ भक्त इसलिए भी ज्यादा आते हैं क्योंकि यहाँ पर मातारानी के नाम की ज्योत हर समय जलती रहती है और यह सदियों से ही जलती आ रही है जो कभी भी बुझी नहीं है। दुष्ट आक्रांता अकबर ने भी इसे बुझाने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह विफल रहा।

ज्वाला देवी आरती के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है कि मातारानी की शक्तियों का कोई अंत नहीं है और वह हर जगह व्याप्त हैं। ज्वाला माता की आरती माँ ज्वाला की शक्तियों, गुणों, कर्मों इत्यादि का वर्णन करती है और यही ज्वाला मैया की आरती का मुख्य महत्व होता है। ऐसे में हम सभी को प्रतिदिन ज्वाला माता आरती का पाठ करना चाहिए।

ज्वाला माता आरती के लाभ

यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन से ज्वाला माता का ध्यान कर ज्वाला मैया की आरती का पाठ करते हैं तो माँ की कृपा आप पर बरसती है। मातारानी के सभी रूप अलग-अलग जरुर हैं लेकिन अंत में वे माता आदिशक्ति का ही रूप हैं। ऐसे में आप उनकी किसी भी रूप में पूजा करें लेकिन माँ आदिशक्ति आपसे प्रसन्न हो जाती हैं। यही ज्वाला माता की आरती का सबसे बड़ा लाभ होता है।

यदि आपके ऊपर मातारानी की कृपा दृष्टि होती है तो संसार की कोई भी नकारात्मक शक्ति आपके ऊपर हावी नहीं हो सकती है और आपका मन भी शांत होता है। इससे आपके अंदर काम करने की ऊर्जा आती है और मान-सम्मान में वृद्धि देखने को मिलती है। आपका यश चारों दिशाओं में फैलता है तथा सभी तरह की बाधाएं स्वतः ही दूर हो जाती है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने ज्वाला माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Jwala Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने ज्वाला माता आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

ज्वाला माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: ज्वाला देवी की कहानी क्या है?

उत्तर: ज्वाला देवी की कहानी के अनुसार माता सती के आत्म-दाह करने के पश्चात उनके शरीर के अंग भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से कटकर 51 जगहों पर गिरे थे जिसमें से ज्वाला जी में माता सती की जिव्हा गिरी थी।

प्रश्न: ज्वालामुखी मंदिर का इतिहास क्या है?

उत्तर: ज्वालामुखी मंदिर के इतिहास के अनुसार माता सती की जिव्हा यहाँ गिरने के पश्चात एक ग्वाले को यहाँ अग्नि दिखाई दी थी जिसके पश्चात राजा भुमिचंद ने यहाँ मातारानी का विशाल मंदिर बनवाया था।

प्रश्न: ज्वाला माता किसकी कुलदेवी?

उत्तर: ज्वाला माता का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। इनका किसी व्यक्ति के लिए कुलदेवी होना उसके परिवार, समाज, जाति व कुल पर निर्भर करता है।

प्रश्न: ज्वाला जी मंदिर कौन से राज्य में है?

उत्तर: ज्वाला जी मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा जिले में स्थित है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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