नैना देवी की आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

नैना देवी आरती (Naina Devi Aarti)

आज हम नैना देवी आरती (Naina Devi Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। माता सती के द्वारा अपने पिता दक्ष के द्वारा अपने पति शिवजी का अपमान किये जाने पर यज्ञ के अग्निकुंड में कूदकर आत्म-दाह कर लिया गया था। यह देखकर शिवजी भगवान बेसुध होकर माता सती के जले हुए शरीर को लेकर दसों दिशाओं में घूमने लगे जिसे देखकर श्रीहरि ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए।

यह 51 टुकड़े जहाँ-जहाँ गिरे वहां मातारानी के शक्तिपीठ निर्मित हुए। इसमें से एक नैना देवी मंदिर है जहाँ माता सती के नयन/ नेत्र गिरे थे। नैना देवी मंदिर में नैना देवी पिंडी रूप में स्थापित हैं जो हिमाचल प्रदेश राज्य के बिलासपुर शहर में स्थित है। इसे नयन मंदिर भी कह दिया जाता है।

आज के इस लेख में आपको नैना देवी की आरती (Naina Devi Ki Aarti) हिंदी में भी पढ़ने को मिलेगी ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें। अंत में हम आपके साथ नैना देवी जी की आरती के लाभ व महत्व भी साझा करेंगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं मां नैना देवी आरती

Naina Devi Aarti | नैना देवी आरती

तेरा अद्भुत रूप निराला, आजा! मेरी नैना माई ए।
तुझपै तन मन धन सब वारूं, आजा मेरी नैना माई ए॥

सुंदर भवन बनाया तेरा, तेरी शोभा न्यारी।
नीके नीके खंभे लागे, अद्भुत चित्तरकारी।
तेरा रंग बिरंगा द्वारा॥ आजा

झाँझा और मिरदंगा बाजे, और बाजे शहनाई।
तुरई नगाड़ा ढोलक बाजे, तबला शब्द सुनाई।
तेरे द्वारे नौबत बाजे॥ आजा

पीला चोला जरद किनारी, लाल ध्वजा फहराए।
सिर लालों दा मुकुट विराजे, निगाह नहिं ठहराए।
तेरा रूप न वरना जाए॥ आजा

पान सुपारी ध्वजा, नारियल भेंट तिहारी लागे।
बालक बूढ़े नर नारी की, भीड़ खड़ी तेरे आगे।
तेरी जय जयकार मनावे॥ आजा

कोई गाए कोई बजाए, कोई ध्यान लगाए।
कोई बैठा तेरे आंगन में, नाम की टेर सुनाए।
कोई नृत्य करे तेरे आगे॥ आजा

कोई मांगे बेटा बेटी, किसी को कंचन माया।
कोई मांगे जीवन साथी, कोई सुंदर काया।
भक्तों कृपा तेरी मांगे॥ आजा

Naina Devi Ki Aarti | नैना देवी की आरती – अर्थ सहित

तेरा अद्भुत रूप निराला, आजा! मेरी नैना माई ए।
तुझपै तन मन धन सब वारूं, आजा मेरी नैना माई ए॥

नैना माता का रूप सबसे निराला व अद्भुत है। हे नैना माता! अब आप आकर हमें दर्शन दीजिये। मैं अपना तन, मन व धन सबकुछ आपके ऊपर ही न्यौछावर कर देता हूँ और अब आप मुझे दर्शन दीजिये।

सुंदर भवन बनाया तेरा, तेरी शोभा न्यारी।
नीके नीके खंभे लागे, अद्भुत चित्तरकारी।
तेरा रंग बिरंगा द्वारा॥ आजा

आपका मंदिर बहुत ही सुन्दर है और उसमे आपकी शोभा सबसे न्यारी है। आपके मंदिर में नीके-नीके खंभे लगे हैं और उन पर अद्भुत चित्रकारी की गयी है। आपके मंदिर का दरवाजा भी रंग-बिरंगा है।

झाँझा और मिरदंगा बाजे, और बाजे शहनाई।
तुरई नगाड़ा ढोलक बाजे, तबला शब्द सुनाई।
तेरे द्वारे नौबत बाजे॥ आजा

आपके मंदिर में झाँझा, मिरदंगा, शहनाई, नगाड़ा, ढोलक, तबला इत्यादि वाद्य यंत्र बजाये जाते हैं और उससे आपकी आरती की जाती है। यह सभी वाद्य यंत्र हर दिन आपके द्वार पर बजाये जाते हैं।

पीला चोला जरद किनारी, लाल ध्वजा फहराए।
सिर लालों दा मुकुट विराजे, निगाह नहिं ठहराए।
तेरा रूप न वरना जाए॥ आजा

आपने पीले रंग का चोला जिस पर जरद किनारी है, वह ओढ़ी हुई है और आपके मंदिर पर लाल रंग का ध्वजा फहरा रहा है। आपके सिर पर लालों का मुकुट है। आपको देखकर तो हमारी आँखें वही ठहर जाती हैं और आपके रूप का वर्णन नहीं किया जा सकता है।

पान सुपारी ध्वजा, नारियल भेंट तिहारी लागे।
बालक बूढ़े नर नारी की, भीड़ खड़ी तेरे आगे।
तेरी जय जयकार मनावे॥ आजा

भक्तगण आपको पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल इत्यादि की भेंट चढ़ाते हैं। आपके द्वार पर तो बच्चे, बूढ़े, नर, नारी इत्यादि की भीड़ लगी रहती है और हर कोई आपके नाम की जय-जयकार करता है।

कोई गाए कोई बजाए, कोई ध्यान लगाए।
कोई बैठा तेरे आंगन में, नाम की टेर सुनाए।
कोई नृत्य करे तेरे आगे॥ आजा

कोई आपके दरबार में भजन गाता है तो कोई उस पर वाद्य यंत्र बजाता है, कोई आपके नाम का ध्यान करता है तो कोई आपके आँगन में यूँ ही बैठ जाता है, कोई आपके नाम का जाप करता है तो कोई आपके ध्यान में इतना खो जाता है कि वह आपके सामने नृत्य करने लग जाता है।

कोई मांगे बेटा बेटी, किसी को कंचन माया।
कोई मांगे जीवन साथी, कोई सुंदर काया।
भक्तों कृपा तेरी मांगे॥ आजा

आपके दरबार में कोई आपसे संतान मांगने आता है तो किसी को धन चाहिए होता है, कोई आपसे अपना जीवनसाथी मांगता है तो किसी को सुन्दर शरीर चाहिए होता है। वहीं कुछ भक्तगण आपसे आपकी कृपा मांगते हैं ताकि उनका उद्धार हो जाए।

नैना देवी की आरती का महत्व

माता सती के शरीर के अंगों से जो भी शक्तिपीठ निर्मित हुए थे उनमें से हर किसी का अपना महत्व होता है। ऐसे में नैना देवी शक्तिपीठ का महत्व किसी से छुपा नहीं है क्योंकि यह नौ देवियों के अंतर्गत भी आता है जिसके दर्शन करने हर वर्ष लाखों करोड़ो की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं। यह इसलिए क्योंकि यहाँ पर माता सती के नेत्र गिरे थे जो शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग था।

ऐसे में नैना देवी आरती के माध्यम से माता आदिशक्ति या माता सती के बारे में ही वर्णन किया गया है। नैना देवी जी की आरती हमें माता आदिशक्ति के विभिन्न गुणों, शक्तियों तथा कार्यों के बारे में विस्तृत विवरण देती है। यही कारण है कि नैना देवी की आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

नैना देवी आरती के लाभ

अब यदि आप प्रतिदिन नैना देवी का ध्यान कर नैना देवी आरती का पाठ करते हैं तो इससे आपके शरीर पर कई तरह के सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। सबसे बड़ा लाभ तो आपकी आँखों को होता है क्योंकि नैना देवी का संबंध माता सती की आँखों से ही है। नैना देवी आरती के माध्यम से व्यक्ति अपनी आँखों की रोशनी को बढ़ा सकता है और चश्मा हटवा सकता है।

इतना ही नहीं, माँ की कृपा से तो अंधे व्यक्ति को भी आँखें मिल जाती है और उसे सब दिखाई देने लगता है। जिस व्यक्ति पर नैना देवी की कृपा हो जाती है, उस व्यक्ति के शरीर का तेज बढ़ता है तथा समाज में मान-सम्मान में वृद्धि देखने को मिलती है। ऐसे में आपको हर दिन नैना माता की आरती का सच्चे मन के साथ पाठ करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने नैना देवी आरती हिंदी में अर्थ सहित (Naina Devi Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने नैना देवी की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

नैना देवी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: नैनीताल में कौन सी देवी का मंदिर है?

उत्तर: नैनीताल में नैना देवी का मंदिर है जो कि एक शक्तिपीठ भी है। यही पर माता सती के नयन गिरे थे जिस कारण इस मंदिर का नाम नैना मंदिर या नयन मंदिर रखा गया।

प्रश्न: नैना देवी का मेला कब से शुरू है?

उत्तर: हर वर्ष नवरात्रों के दिनों में नैना देवी मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देश-विदेश से लाखों की संख्या में भक्तगण पहुँचते हैं।

प्रश्न: हिमाचल प्रदेश में कौन सी देवी का मंदिर है?

उत्तर: हिमाचल प्रदेश में कई देवियों के मंदिर हैं जिनमें से कुछ के नाम ज्वाला जी मंदिर व चिंतपूर्णी माता मंदिर है। ये दोनों मंदिर शक्तिपीठ भी हैं जिस कारण इनकी मान्यता सभी हिन्दुओं में है।

प्रश्न: हिमाचल से नैना देवी कितनी दूर है?

उत्तर: आप पूछना क्या चाह रहे हैं क्योंकि यह सही प्रश्न नहीं है। नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य में ही पड़ता है। अब जो मंदिर जिस राज्य में है, आप उसी राज्य से उसकी दूरी कैसे पूछ सकते हैं!!

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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